आत्मदाह
बिपिन कुमार चौधरी
कटिहार, (बिहार)
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जिंदगी आसान नहीं,
लेकिन मर कर,
क्या हासिल होगा,
मरने के बाद भी जलना है,
फिर जिंदा जल कर,
क्या हासिल होगा,
अगर जलना है,
तो ऐसे जलो,
परेशानियां जल कर,
भस्म हो जाय,
कर्म पथ पर नित्य यूं आगे बढ़ो,
सारे विघ्न हल हो जाय,
कौन रखेगा याद तुम्हें,
इस मेले में रोज की यही कहानी है,
अंतिम सांस तक,
जिसने किया यहां संघर्ष,
दुनियां उसी की दिवानी है,
मूर्खता में उठा कर,
यह मूर्खतापूर्ण कदम,
करके तूने अपना अंग भंग,
जीवन खुद का नरक बनाया है,
क्षणिक आक्रोश में सब कुछ गंवा कर,
बता तूने क्या पाया है...
परिचय :- बिपिन बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक)
निवासी : कटिहार, बिहार
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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