ऐ वक्त तेरी अदाओं को देख …
शोभा रानी
खूंटी, रांची (झारखंड)
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ऐ वक्त तेरी अदाओं को देख ...
बिखर सा गया हूं मैं....
बहुत याद आती है मुझे....
खुद की....
मुनासिब होगा अगर तू मुझे
पहले जैसा कर दे..!!
बहुत याद आती है मुझे...
वो बचपन के ख्याली पुलाव...
वो लड़कपन के हजारों खिलौने...
वो अल्हड़ आजादी...
वो निश्चल हृदय...
वो बेख्याल सा मन...
वो सुकून भरी नींद...
वो सुनहरी खुशनुमा सुबह...
भरी दोपहरी में दोस्तों संग...
कच्ची अंबिया चुराना...
यारों संग बर्फ के गोलो को...
मां से छुपा कर खाना..
वो बारिश के पानी मे...
कागज की कश्ती चलाना...
वो पूस की ठिठरन में ....
अपनो संग आग सेकना...
वो सावन के झूले मे...
गूंजती हंसी और ठिठोलियां....
वो ख्वाबो का जहँ।...
और मुट्ठी भर आसमा...
वो बचपन के दिन....
वो इंद्रधनुषी सा सतरंगी समा....
बदलते वक्त के साथ ....
खोता हुआ झिलमिलाता सा....
...