हार ही हुई है
कु. आरती सिरसाट
बुरहानपुर (मध्यप्रदेश)
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बहुत बार कर के
देख ली है कोशिश....!
हर बार हमेशा कि
तरह हार ही हुई है....!!
दफ़न हो गई है तमन्नाएं
सारी मन के भीतर ही....!
ओर कितनी मन्नतें मानू
एक भी कहा साकार हुई है....!!
जब भी चाहा किसी
चीज को शिद्दत से....!
सारी कायनात हमेशा की
तरह दूर करने में ही लग गई है....!!
पुराने ख्वाब ज़हन में
भला आयेंगे भी कैसे....!
नींद जो हमारी
अब नयी हुई है....!!
सोच के बारे में ओर कितना सोचूं,
सोचती हूँ सोचना ही छोड़ दू....!
सोच हमेशा सभी कार्यों
के विपरीत ही हुई है....!!
परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट
निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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