मन की कल्पना
रशीद अहमद शेख 'रशीद'
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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करती नित्य प्रदत्त है,
मुझे नए आयाम।
मेरे मन की कल्पना,
चंचल है अविराम।
अनुपम चिड़िया कल्पना,
भरती उच्च उड़ान।
त्वरित चाल चलते सतत,
इसके सब अभियान।
भ्रमण करे दिन-रात ही,
करे नहीं विश्राम।
मेरे मन की कल्पना,
चंचल है अविराम।
मन की आँखें कल्पना,
देखे दृश्य अनेक।
होता उसके कृत्य से,
भावों का अतिरेक।
नहीं चैन उर को कभी,
उलझन है परिणाम।
मेरे मन की कल्पना,
चंचल है अविराम।
अविरल मन की शासिका,
रहती मद में चूर।
करे बहुत मनमानियाँ,
रहे सत्य से दूर।
अचरज में मस्तिष्क है,
लगती है अभिराम।
मेरे मन की कल्पना,
चंचल है अविराम।
परिचय - रशीद अहमद शेख 'रशीद'
साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’
जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१
जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत
शिक्षा ~ एम•...