अधूरी ख्वाइशें
रुचिता नीमा
इंदौर (मध्य प्रदेश)
********************
चाहतें कुछ अधूरी सी
कुछ पाने की, कुछ कर दिखाने की,
कहाँ गुम हो जाती है?
अपने आप को ढोती सी,
हर बार मन को समझाने की,
संयम दिखाने की,
क्यों जरूरत आ जाती है?
क्यों अपने वजूद को तराशती सी,
वो अपने हिसाब से अपनी
जिंदगी अपनी मर्जी की,
जी नहीं पाती है?
कब तक किस्मत पर रोती सी,
वो दूसरों के ताने सुनती हुई,
जमाने को दिखाने की,
अपने अस्तित्व को नकारती जाती है?
आखिर कब तक?
वो ऐसे कमजोर सी,
नहीं अब नहीं, अब वो
खुद के लिये जीने की,
मुस्कुराने की वजह बनाती जाती है।।
परिचय :- रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ क...