महंगाई
परमानंद सिवना "परमा"
बलौद (छत्तीसगढ)
********************
छत्तीसगढ़ी
सुबह-शाम
लोगन हलाकान हे,
महंगाई ले परेशान हे,
अच्छे दिन अही कही के
सबला भरमात हे.!
गर्मी ले ज्यादा तो महंगाई
पसीना निकाल दीस,
गरीबी के रददा देखावद हे,
अच्छा दिन ला लुकावत हे,
दु:ख ला बलावत हे.!
जीवन जीये मा परेशानी
कर दीस ये महंगाई हा,
कर्जा ऊपर कर्जा करा
दीस ये महंगाई हा.!
अकेले नहीं पुरा
देश के कहानी हे,
गरीब के कोनो
नई हे सहारा,
छोड दिस बेसहारा,
कर्जा बोडी के
चक्कर मा होगे हे परेशान,
ये महंगाई सब ला कर
दे हे हलाकान.!!
परिचय :- परमानंद सिवना "परमा"
निवासी - मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्...