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समीक्षा

मधुब्रत गुंजन : एक अनूठा उपहार
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मधुब्रत गुंजन : एक अनूठा उपहार

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** समीक्षक : सुधीर श्रीवास्तव (गोण्डा, उ.प्र.) वरिष्ठ शिक्षक/कवि/संपादक/छंद प्रणेता डॉ. ओम प्रकाश मिश्र 'मधुब्रत'जी के काव्य संग्रह "मधुब्रत गुंजन" का प्रारंभ ही कवि के परिचय के बाद उनकी "साहित्य के प्रति अनुराग एवं लेखन की प्रेरणा...." में उनके साहित्य के प्रति अनुराग आरंभ, रचनाएं, सम्मान एवं पुरस्कार, शैक्षणिक सम्मान और पुरस्कार, रचनाओं के प्रकाशन, संप्रति एवं शैक्षणिक कार्य स्थल के बारे में विस्तार से लिखा गया। इसके प्रारंभ में ही डॉ. मधुब्रत के साहित्य के प्रति बढ़ते अनुराग, उन्हें प्राप्त होने वाले सानिध्य, प्रोत्साहन और वरिष्ठ, श्रेष्ठ रचनाकारों को पढ़ने और उसमें रहने का पता चलता है। प्रसाद,पंत, निराला, महादेवी वर्मा, दिनकर, डॉ. राम कुमार वर्मा, राम नरेश त्रिपाठी, हरिवंशराय बच्चन, प्रोफेसर क्षेम के साहित्य से प्र...
भूलन द मेज़ : फिल्म समीक्षा
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भूलन द मेज़ : फिल्म समीक्षा

उत्कर्ष सोनबोइर खुर्सीपार भिलाई ******************** मुझे इस छत्तीसगढ़ी फिल्म का, बहुत दिनों से इंतजार था, २७ मई को रिलीज़ होनें के बाद, मुझे इस फिल्म को देखने की उत्सुकता और भी बढ़ गई, हां और मेरें परीक्षा होतें ही मैंने भिलाई के मुक्ता सिनेमा में देख ही लिया। भूलन द मेज़, पहली ऐसी छत्तीसगढ़ी फिल्म है जो राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नामित हुई और गत वर्ष उपराष्ट्रपति, श्री एम वेंकैया नायडू जी के कर कमलों द्वारा भूलन द मेज़ को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाज़ा भी गया। छत्तीसगढ़ नई फिल्म नीति के तहत इस फिल्म को एक करोड़ रूपये का अनुदान राशि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दिया जाएगा। यह फिल्म संजीव बख्शी के उपन्यास 'भूलन कांदा' पर आधारित है, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी वरिष्ठ निबंधकार के सानिध्य और दादी की दुलार ने उन्हें लेखक बनने प्रेरित किया, मैं तो कहूंगा की उन्हें साहित्य प्रेम विरासत में मिली थी।...
मालवी बोली को समृद्ध करता उपन्यास ‘किनारा की खोज’
साहित्य

मालवी बोली को समृद्ध करता उपन्यास ‘किनारा की खोज’

 पुस्तक : 'किनारा की खोज' अनुवादक : हेमलता शर्मा 'भोलीबेन' प्रकाशक : प्रिन्सेप्स प्रकाशन, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) मूल्य : १०/- रु. पृष्ठ : ८६ समीक्षक :- राम मूरत 'राही', इन्दौर (म.प्र.) विख्यात व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई के लघु उपन्यास 'तट की खोज' का मालवी बोली में 'किनारा की खोज' नाम से अनुवाद किया है साहित्यकार सुश्री हेमलता शर्मा 'भोलीबेन' ने। अनेक सम्मान से सम्मानित भोलीबेन कविता, व्यंग्य, लघुकथा, कहानी, आलेख एवं संस्मरण भी लिखती हैं, साथ ही वे एक रंगमंच कलाकार, मंच संचालक भी हैं। मालवी बोली के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु निरंतर कार्यरत हैं। पिछले वर्ष उन्होंने 'अपणो मालवों भाग-१ में 'मालवी लोकोक्तियां एवं मुहावरे' का संकलन निकाला था, जिसे पाठकों द्वारा काफी पसंद किया गया था। उन्होंने मालवी बोली के पाठकों, और इस बोली में रुचि रखने वालों को नाम मात्र की कीमत (१० रु.) में उपलब्ध करव...
जीवन जीने के लिए लड़े जाने वाले अंतहीन युद्ध को समर्पित है पुस्तक “यही सफलता साधो”
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जीवन जीने के लिए लड़े जाने वाले अंतहीन युद्ध को समर्पित है पुस्तक “यही सफलता साधो”

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** पुस्तक का नाम - यही सफलता साधो रचनाकार - कवि संदीप द्विवेदी प्रकाशक - ब्ल्यूरोज़ संस्करण - प्रथम (मार्च २०२१) कीमत - १६० रूपये समीक्षक - आशीष तिवारी निर्मल अपने दौर को तो सभी साहित्यकार अपनी कलम के माध्यम से दर्ज करने का सफल प्रयास करते हैं, लेकिन ऐसे चंद ही रचनाकार होते हैं, जिन्हें उनका दौर इतिहास में उनके प्रभावी लेखन के कारण कुछ ख़ास तरह से दर्ज करता है। जी हाँ! मै आज एक ऐसे ही उर्जावान रचनाकार और उनकी रचनात्मकता की चर्चा करने जा रहा हूँ, जो अपने सुघड़ लेखन के कारण हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान के बाहर सुने जाते हैं और पढ़े जाते हैं। कवि श्री संदीप द्विवेदी देश के उन युवा रचनाकारों की श्रेणी में आते हैं जो किसी भी पाठक या श्रोता के हृदय में सदैव सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। कवि संदीप द्वारा विरचित काव्य कृति "यही सफ...
राष्ट्र के प्रति नकारात्मक धारणा को तोड़ती है पुस्तक “राष्ट्र चिंतन”
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राष्ट्र के प्रति नकारात्मक धारणा को तोड़ती है पुस्तक “राष्ट्र चिंतन”

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ********************  काव्य संग्रह का नाम- राष्ट्र चिंतन रचनाकार- उपेन्द्र कुमार द्विवेदी  प्रकाशक- रवीना प्रकाशक दिल्ली  कीमत- ३०० रुपये  समीक्षक- आशीष तिवारी निर्मल  राष्ट्र चेतना के मुखर कवि श्री उपेन्द्र कुमार द्विवेदी द्वारा विरचित उनका पहला काव्य संग्रह "राष्ट्र चिंतन" हाथ में आया। काव्य संग्रह की साज-सज्जा देश भक्ति की भावना से ओतप्रोत है। मुख पृष्ठ पर आजादी के दीवाने चंद्रशेखर आज़ाद की तस्वीर प्रमुखता के साथ छपी है। काव्य संग्रह "राष्ट्र चिंतन" में प्रकाशित कविताओं के माध्यम से रचनाकार ने राष्ट्रवाद के चिंतन, राष्ट्र के इतिहास और विकास को प्रस्तुत किया है। लेखक ने राष्ट्र चिंतन में भारत से संबंधित विविध विचारों को देश की संस्कृति, सामाजिक समरसता, वेदों, उपनिषदों, और आधुनिक समय में राष्ट्र की संकल्पना ने कैसे आकार लिया है, उसको विस्तार से सम...
ज़िंदगी बदल देगी यह पुस्तक : ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा
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ज़िंदगी बदल देगी यह पुस्तक : ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा

पुस्तक : ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा लेखक : शिखर चंद जैन मूल्य : २५० रुपये प्रकाशक : प्रखर गूँज प्रकाशन,दिल्ली समीक्षक : कुमार संदीप ज़िंदगी में कई ऐसे मोड़ आते हैं जब हम ज़िंदगी से मिले दर्द व तकलीफ़ से पूरी तरह टूट जाते हैं, निराश हो जाते हैं। उस वक्त हमें सबसे बड़ी ज़रूरत होती है साहस की धैर्य की। इस अवस्था में यदि हमें एक ऐसी पुस्तक यदि पढ़ने को मिल जाए जो हमारे अंदर अथाह साहस का संचार कर दे तो फिर ज़िंदगी सार्थक हो जाती है। जी हाँ, एक अच्छी पु्स्तक न केवल पढ़ने में ही अच्छी लगती है अपितु आपकी ज़िंदगी बदलने की शक्ति भी रखती है।आपने सुना भी होगा कि अन्ना हजारे एक बार आत्महत्या करने जा रहे थे,इस बीच उन्होंने एक किताब पढ़ ली और अपने उस निर्णय को सदा सर्वदा के लिए त्याग दिया। ऐसी ही प्रेरणादायक व रग-रग में कुछ अलग करने की चाह जागृत करने वाली पुस्तक है "ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा"। इस पुस्तक में लिखित हर आ...
अनसुलझे प्रश्न पर समीक्षा : अरुण कुमार जैन
साहित्य

अनसुलझे प्रश्न पर समीक्षा : अरुण कुमार जैन

अरुण कुमार जैन वरिष्ठ एवं प्रसिद्ध साहित्यकार की लेखनी द्वारा की गयी 'अनसुलझे प्रश्न' लेखिका शरद सिंह पर समीक्षा कृति : अनसुलझे प्रश्न लेखिका : सुश्री शरद सिंह प्रकाशक : प्रतिष्ठा फिल्म एन्ड मीडिया , लखनऊ पृष्ठ : ९६ पेपर बैक संस्करण प्रथम संस्करण २०१९ "अनसुलझे प्रश्न" सुश्री शरद सिंह का उपन्यास व कुछ लोक कथाओं का संकलन है। ९६ पृष्ठों की इस कृति मे भावना, संवेदना, आशा, निराशा, हताशा विश्वास, मैत्री, निश्छल प्रेम, उमंग व सुन्दर भाषाभिब्यक्ति का संसार समाया है। कृति की मुख्य रचना अनसुलझे प्रश्न है। यह एक ऐसी नारी की कहानी है जो सक्षम होते हुए भीकदम कदम पर ठोकरे खाती है व अन्त मे मृत्यु का वरण कर लेती है। कृति दुखान्त है। इसमे झाकती पीडा़ बेबसी, संकोच बहुत कुछ ब्यक्त करता है। विद्यालय जाती छोटी बेटी, किशोर अवस्था का प्रेम, मार्मिक संवेदनाऐ फिर यथार्थ के धरातल पर विपन्नता के कारण बेमेल विवाह स...
अंकिता ने किया लगातार ६० मिनिट नृत्य
गुण श्रेष्ठता, संगीत

अंकिता ने किया लगातार ६० मिनिट नृत्य

भवानीमंडी। देश की कत्थक नृत्य की उभरती नृत्यांगना अंकिता वाजपेयी ने २९ अप्रैल विश्व नृत्य दिवस के अवसर पर घर पर ही शाम ७ से ८ बजे (६० मिनट) तक लगातार बिना रूके कोरोना जागरूकता व कोरोना वॉरियर्स के सम्मान में फेसबुक लाइव पर नृत्य प्रस्तुति दी। चेहरे पर वही ताजगी रही। अंकिता वाजपेयी ने नृत्य प्रस्तुति से पूर्व कहा कि सारे देश को कहना है सबको घर पर रहना है, करो नमस्ते, मोदी जी हमारे, जीतेगा इंडिया, घर पर ही रहो ना, कोरोना से डरो ना, देश अपना होगा प्रकाशवान, मैं देश नहीं मिटने दूँगा, ये मत कहो खुदा से, कोरोना फैल जाता हैं जैसे अनेक कोरोना जागरूकता गीतो पर नृत्य प्रस्तुति दी।   आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल...
मूर्खमेव जयते युगे युगे
साहित्य

मूर्खमेव जयते युगे युगे

राजेश कुमार शर्मा "पुरोहित" भवानीमंडी (राज.) ******************** पुस्तक समीक्षा कृति :- मूर्खमेव जयते युगे युगे लेखक :- विनोद कुमार विक्की प्रकाशक :- दिल्ली पुस्तक सदन शाहदरा,नई दिल्ली पृष्ठ:-११९ संस्करण :- प्रथम २०२० समीक्षक :- राजेश कुमार शर्मा "पुरोहित" देश के ख्यातिनाम व्यंग्यकार विनोद कुमार विक्की अपनी पैनी लेखनी के लिए जाने जाते हैं। प्रस्तुत व्यंग्य कृति मूर्खमेव जयते युगे युगे के सारे लेख सामाजिक विसंगतियों व जीवन की विभिन्न समस्याओं से जुड़े हैं। राजनीति शिक्षा साहित्य जगत में सामयिक हलचल की पोल खोलते हैं। इस कृति का पहला व्यंग्य तेरी मेरी भौं भौं से लेकर अंतिम व्यंग्य स्वेदशी दीपावली तक पढ़ने से मेरे मस्तिष्क में सहसा आया कि आज का इंसान इतनी भागदौड़ करता है फिर भी उसके जीवन मे शांति नहीं है। आदमी क्या क्या जुगाड़ नहीं करता है। तेरी भौं भौं मेरी म्याऊं में नेताओ के झूंठे वादे ...
सकारात्मक अर्थपूर्ण सूक्तियाँ : पुस्तक समीक्षा
साहित्य

सकारात्मक अर्थपूर्ण सूक्तियाँ : पुस्तक समीक्षा

राजेश कुमार शर्मा "पुरोहित" भवानीमंडी (राज.) ******************** पुस्तक समीक्षा कृति :- सकारात्मक अर्थपूर्ण सूक्तियाँ प्रकाशक :- अयन प्रकाशन , नई दिल्ली लेखक :- हीरो वाधवानी मूल्य :-३००/- पृष्ठ :-१६७ समीक्षक :- राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित" प्रस्तुत कृति लेखक ने अपनी माँ लीला बाई व पुत्र हैरी वाधवानी को समर्पित की है। अजमेर राजस्थान में जन्में का कार्य स्थल मनीला फिलीपींस है। आपने अभी तक अदबी आइनो, प्रेरक अर्थपूर्ण कथन और सूक्तियाँ, सकारात्मक विचार कृतियाँ लिखी है। आज कई लेखक गीत ग़ज़ल कविताएं कहानियां लिखकर संकलन निकाल रहे है परंतु हीरो वाधवानी जी नद सूक्तियों प्रेरक प्रसंगों को छपवा कर एक बेहतरीन कृति पाठको तक पहुंचाने का कार्य किया है। इस कृति के सम्बंध में बालकवि बैरागी, डॉ. पुष्पलता अधिवक्ता उच्च न्यायालय, कवि दादू प्रजापति, वन्दना वाणी, मीनाक्षी सिंह, उमाप्रसाद लोधी, हरि शर्मा सहि...
कोमल किसलय (काव्य संग्रह) : पुस्तक समीक्षा
पुस्तक समीक्षा, साहित्य

कोमल किसलय (काव्य संग्रह) : पुस्तक समीक्षा

राजेश कुमार शर्मा "पुरोहित" भवानीमंडी (राज.) ******************** पुस्तक समीक्षा कृति :- कोमल किसलय (काव्य संग्रह) लेखक :- ग्यारसीलाल सेन प्रकाशक :- सुधाकर साहित्य समिति, झालावाड़ (राजस्थान) मूल्य :-१२५/- पृष्ठ :- ८९ समीक्षक :- राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित" झालावाड़ राजस्थान के वरिष्ठ कवि एवम साहित्यकार विचारक, चिंतक ग्यारसीलाल सेन ख्यातिनाम लेखक है। आपने अपनी काव्य कृतियों से राष्ट्र में अलग ही पहचान बनाई है। नवोदित कवियों के आप प्रेरणा स्रोत हैं। प्रस्तुत कृति कोमल किसलय काव्य संग्रह उनके पिता श्री किशनलाल जी व माता केशर देवी को समर्पित कृति है। मुखावरण बहुत सुन्दर है। सेन के ट्रेवल पिक्चर्स, अभिव्यक्ति का आत्मदान, आदि निबन्ध संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। आपकी रचनाएँ राष्ट्र की पत्र पत्रिकाओं में नियमित छपती है। प्रस्तुत कृति की भूमिका देश के सुप्रसिद्ध कवि बालकवि बैरागी जी ने लिखी है ज...
कबीर सिंह
फिल्म

कबीर सिंह

=================================== रचयिता : शिवांकित तिवारी "शिवा" फिल्म की वास्तविक कहानी:-शुरुआत से फिल्म एक सीन के साथ शुरू होती है जहां एक आदमी और औरत बिस्तर पर सो रहे हैं और पीछे से समुद्र की तेज़ लहरों की आवाज़ आ रही है। इन्हीं लहरों की आवाज़ के साथ हम कबीर सिंह की तूफानी ज़िंदगी में एंट्री लेते हैं। वो एक मेडिकल सर्जन है और फुटबॉल चैंपियन है। लेकिन अंदर ही अंदर कई समस्याओं से घुट रहा है जिनमें बेतहाशा गुस्सा एक है। कबीर सिंह की नज़रें जैसे ही प्रीति (कियारा आडवाणी) पर पड़ती हैं, वो बागी बन जाता है , ऐसा बागी जिसके पास अब एक मक़सद भी है। एक शरमाई सी सहमी सी लड़की, प्रीति भी कबीर को अपने दिल की बात बताती है लेकिन उनका रिश्ता ज़्यादा दिन तक नहीं चलता है। इसके बाद कबीर खुद को तबाही के रास्ते पर ले चलता है। शराब, नशा और सेक्स, हर चीज़ उसे उसके दुख से दूर ले जाने की कोशिश...