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बाल साहित्य

मेरे पापा
कविता, बाल कविताएं

मेरे पापा

रीति सिन्हा हाजीपुर ******************** कहो अगर गुड़िया लाने को, ले आते वो पूरी दुकान। मेरे लिए जादूगर है वो और मैं हूँ उनकी जान। सुबह में काम पर जल्दी जाते रात को देर से लौट के आते। खून पसीना करके एक, घर को क्या वो खूब चलाते। सारे सपने भूल के अपने, सपनों से बढ़कर है अपने। वही तो हैं घर का रखवाला, उन्हीं ने तो घर को सँभाला। अपने दर्द का जिक्र न करते, परिवार की फिक्र हैं करते। मुझे जरा सी चोट लगे तो, पापा कच्ची नींद में सोते। माँ की आँखें बरबस रोती, पिता अश्रु को पी जाता है। माँ का नेह सभी को दिखता, पिता भी तो छुपकर रोता है। परिचय :-  रीति सिन्हा निवासी :  हाजीपुर शिक्षा : संत पाॅल्स हाई स्कूल कक्षा - 6 घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि ...
यादगार जन्मदिन
बाल कहानियां

यादगार जन्मदिन

नितेश मंडवारिया नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** विदिशा अपना पांचवा जन्मदिन मनाने छुट्टियों में नानाजी के घर वाराणसी आयी हुई थी। जब वह धूल से खेलती तो माँ आकांक्षा उसे मना करती, वह दौड़ते हुए नानाजी के पास जाती और शिकायत करती देखिए नानाजी, माँ मुझे खेलने नहीं देती। नानाजी नाराजगी जताते कहते आकांक्षा! क्यों मना करती? खेलने दो। यह सुनकर विदिशा खुश हो जाती और खेलने निकल जाती। कभी मौसी प्रज्ञा के साथ बिल्ली के म्याऊं म्याऊं की नक़ल करती, तो कभी मामा नितेश और वैभव के साथ पकड़म पकड़ाई खेलती। तो कभी परनानी को कहती कहानी सुनाओ। तो कभी परनाना के कंधो पर जा बैठती। तो कभी नानी को कहती मंदिर घुमाने चलो। नानाजी ने शाम को भजन संध्या रखी, धूमधाम से विदिशा का जन्मदिन मनाया। इस प्रकार छुट्टियों के बीतते देर न लगी और जाने का दिन आ गया। घर से जाने वाले दिन वह कहने लगी नानाजी, आप भी मेर...
२६ जनवरी
बाल कविताएं

२६ जनवरी

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** २६ जनवरी गणतंत्र दिवस पर यह सपना साकार करें बाल, वृद्ध सब मिलकरके एक जतन हम आज करें। वतन में फैली महा कुरीतियाँ सब मिल के बहिष्कार करें इन्हें न पलनें दें भारत में निराकरण हम आज करें। आज की दुनियाँ बड़ी निराली धन की महिमा है अति भारी धर्म, कर्तव्य और त्याग नहीं है धर्म आज का केवल 'धन' है। आज के युग की महामारी केवल बढ़ती भौतिकता जीवन मूल्यों का नहीं मोल है भूल चुके सब नैतिकता। धन का मद है महापापमय धन का सद् उपयोग करें 'उचित काल में उचित प्रयोग का' हम बच्चों को संस्कार दें। बाल वृद्ध सब मिल कर के, एक जतन हम आज करें। नेकनियत और सच्चाई जिस जिसके भी पास हैं वही है सच्चा देशभक्त और ईश्वर उसके साथ है यही संदेशा हम बच्चों में घर-घर आज प्रसार करें बाल वृद्ध सब मिलकर के एक जतन हम आज करें। परिचय...
दादी-नानी
कविता, बाल कविताएं

दादी-नानी

डॉ. भगवान सहाय मीना जयपुर, (राजस्थान) ******************** दादी-नानी की बरगद सी छांव में। बच्चे सीखते ज्ञान बैठकर पांव में। प्रज्वलित दीप की स्वर्णिम चमक, आलोकित बिखर रही आंगन में। द्वय शेर शावक से सुकुमार बाल, यूं एकाग्रचित्त ध्यान मग्न कथा में। कब कैसे तोड़े है विकट चक्रव्यूह, और क्या करें उग्र ज्वालामुखी में। जगत में उलझन भरी पगडंडियों, पर चले दुर्गम पथों के छलाव में। संस्कृति, संस्कार, सीख, सभ्यता, समझ लो फर्क शहर और गांव में। धर्म अर्थ काम मोक्ष की परिभाषा, सारे गुण कर्तव्यनिष्ठ पुरूषार्थ में। सुनते सार गर्भित कथा कहानियां, सहायक सुदृढ़ चरित्र निर्माण में। मन वचन कर्म से नर अवधूत बने, धर्म समाहित मां के सच्चे ज्ञान में। परिचय :- डॉ. भगवान सहाय मीना (वरिष्ठ अध्यापक राजस्थान सरकार) निवासी : बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रम...
संस्कारों की गुल्लक
कविता, बाल कविताएं

संस्कारों की गुल्लक

प्रीति तिवारी "नमन" गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) ******************** मेरे बच्चे मेरे पास आकर कहते हैं, माँ हमें पैसे दो हम अपनी गुल्लक भरेंगे। मैने मुस्कराकर कहा आओ न, करती हूँ मलामाल तुमको, मुझे मिली परवरिश के संस्कारों की दौलत से, सुंदर आचरण करेगें।। समाहित करूँगी तुम्हारे व्यक्तित्व में एक अच्छी आदत। संघर्षों में साहस, सच का सामना करने में हो ना घबराहट।। बड़े-बुजुर्गों, गुरुओं हर नारी का हो सम्मान। छोटों से हो प्रेम परस्पर, हृदय ना हो अभिमान।। दूसरों की मदद करुणा दया सेवा भाव हो शामिल। आत्मविश्वास-उमंग आध्यात्मिकता प्रेम सहानुभूति से परस्पर रहें घुल-मिल।। विनम्रता आत्म निर्भरता, सच्चाई के साथ सदा खुश रहना। सादा जीवन, सादा भोजन, बुरा ना कुछ मुँह से कहना।। श्री हरि नाम से काज शुरूँ हों, नित्य पढें अच्छी पुस्तक, सादे-सच्चे दोस्त बनाये...
चंदा मामा
गीत, बाल कविताएं

चंदा मामा

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" आमला बैतूल (मध्यप्रदेश) ******************** तर्ज-: चंदा मामा दूर के चंदा मामा पास है, हम सबके साथ है। भारत माँ के बच्चे गाएं, हम सबको एहसास है। चंदा मामा खुश है, भारत माँ भी खुश है। संसार सारा खुशियां मनाएं, हम सबको विश्वास है। चंदा मामा प्यारा है, भारत माँ का दुलारा है। विश्वगुरु भारत बन जाए, हम सबको यह आस है। चंदा मामा भाई है, भारत माँ की कलाई है। रक्षासूत्र चंद्रयान ले गए, भारत का प्रेम संदेश है। चांद ने फहराया तिरंगा है, हिंदुस्तान की शान तिरंगा है। इसरो ने चंद्रयान- ३ चलाए, भारत में हर्षोल्लास है। चंदा मामा पहले दूर थे, भारत माँ के अब पास है। "हरिप्रेम" सदा गुण गाएं, जन-जन में मिठास है। परिचय :-  हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" निवासी : आमला बैतूल (मध्यप्रदेश) गोविन्द कॉलोनी, आमला वार्ड : रानी लक्ष्मी बाई (क्र....
मेरा जादूगर गणु
बाल कहानियां

मेरा जादूगर गणु

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बाल लघुकथा "वीनू ! क्या कर रहा है घण्टे भर से। अब थोड़ा हाथ में किताब भी पकड़ ले।" "बस आता हूँ माँ। ज़रा मेरे गणु के हाथ पैर तो बना दूँ। हाँ, बड़ा सा सिर बनाकर उनमें गणित के सवाल और सारे फार्मूले भी भर दिए हैं। देखता हूँ गणु कितना बुद्धिमान है।" "वीनू ! हाँ ठीक है पर उदर थोड़ा मोटा होना चाहिए।" "अरे मम्मा ! सूप जैसे कानों से सुनकर बुरी बातों का कचरा फटक देंगे तो बची हुई अच्छी बातें समा जाएगी इस पेट में। और क्या।" माँ को मोतीचूर के मोदक बनाने के लिए मशक्कत करते देखकर वीनू की जिज्ञासा जागी, "आपको भी मेहनत करने में ही मजा आता है। सीधे बेसन के लड्डू बना लेती।" "बेटू ये सब दाने बंधकर बताते हैं कि एकता का फल मीठा होता है, लड्डू जैसा।" वीनू की कॉमेंट्री चल ही रही है, "लो माँ ! देखो मेरे गणु को।" ध्यान से देख रही माँ टोकती है, "बच्चे ! ...
हुआ सवेरा एक
बाल कविताएं

हुआ सवेरा एक

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** हुआ सवेरा एक है मिटा अंधेरा अनेक है, जीवन की लालिमा छाई बुराई की कालिमा भगाई, नन्हें मुन्ने फूलों ने सुबह ही रौनक लगाई, पंछियों के चहचहाहट ने हर बुरी नजर भगाई, नील गगन में उड़ती रंग बिरंगी चिड़ियों ने सबके चेहरे पर सुबह ही मुस्कुराहट लाई। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविता...
उपवन
बाल कविताएं

उपवन

गायत्री ठाकुर "सक्षम" नरसिंहपुर, (मध्य प्रदेश) ******************** चलो आज उपवन चलते हैं, चल कर फूलों से मिलते हैं। देखेंगे हम रंग बिरंगी क्यारी, शोभा रहती है हरदम न्यारी। लाल रंग का बच्चो ये गुलाब, देखो कितना उस पर शबाब। हर पल कांटो के साथ रहता, फिर भी महका करता गुलाब। यह है सूरजमुखी का फूल, इसको कभी न जाना भूल। सूर्योदय के साथ ही उगता, सूर्य की तरफ ही मुँह रहता। नारंगी रंग का यह एक गेंदा, लगता बच्चो कितना सुंदर। अलग बनावट के इनके पत्ते, हरा पीला रंग छुपाये हैं अंदर। परिचय :- गायत्री ठाकुर "सक्षम" निवासी : नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्र...
चुन्नू मुन्नी दोनों प्यारे
धनाक्षरी, बाल कविताएं

चुन्नू मुन्नी दोनों प्यारे

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मनहरण घनाक्षरी भाव- ममता चुन्नू मुन्नी दोनों प्यारे, दोनों मिल कुल तारे, भाग्य पे मैं इतराऊँ वारी वारी जाऊँ रे। उठे मेरे साथ साथ, दोनों ही बटाए हाथ, मेरी आँखों के हैं तारे, मैं तो इतराऊँ रे। दादा दादी के दुलारे, इनके तो वारे न्यारे, आशीष सदा ये पाते, खुशियाँ मैं पाऊँ रे। लोग कहे मुझे अच्छा, यही फल होता सच्चा, सफ़ल जनम हुआ, प्रभु गुण गाऊँ रे। परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने ह...
झर्र बिलैया
गीतिका, बाल कविताएं

झर्र बिलैया

प्रमोद गुप्त जहांगीराबाद (उत्तर प्रदेश) ******************** टी ली, ली ली झर्र बिलैया। खा गई अक्षु, सारी मलैया। अम्मा से कट्टी क्यों कर लूं वह तो मेरी जय-जय मैया। करवाऊंगी, मैं सबकी पिट्टी जब भी आयेंगे, आबू भैया। किट्टू हैं, मेरी प्यारी दीदी संग-संग नाचें ता-ता थैया। मैं भी पढ़के दिखलाऊँगी- चाचा जी मेरे, बहुत पढैया। जब हम अच्छे काम करेंगे- तो फ्रेंड बनेंगे सभी सिपैया। रोज खिलाया करती हप्पा- जब-जब घर आती है गैया। परिचय :- प्रमोद गुप्त निवासी : जहांगीराबाद, बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) प्रकाशन : नवम्बर १९८७ में प्रथम बार हिन्दी साहित्य की सर्वश्रेठ मासिक पत्रिका-"कादम्बिनी" में चार कविताएं- संक्षिप्त परिचय सहित प्रकाशित हुईं, उसके बाद -वीर अर्जुन, राष्ट्रीय सहारा, दैनिक जागरण, युग धर्म, विश्व मानव, स्पूतनिक, मनस्वी वाणी, राष्ट्रीय पहल, राष्ट्रीय नवाच...
परीक्षा
कविता, बाल कविताएं

परीक्षा

केदार प्रसाद चौहान गुरान (सांवेर) इंदौर ****************** वैसे तो हमारा जीवन भी एक परीक्षा है जो कदम कदम पर हम अनुभव करते हैं यह भी एक शिक्षा है जीवन में सफलता अर्जित करने के लिए हम रात दिन पुस्तक पढ़ते हैं उम्मीदों की सीढ़ियां चुनकर प्रतिदिन आगे बढ़ते हैं हमें जो मुकाम हासिल करना है उसके लिए करते हैं मेहनत और सपने बूनते है बच्चे अपनी पसंद का सब्जेक्ट चुनते हैं मन लगाकर पढ़ाई करने वाले बच्चे आसानी से सफल हो जाते हैं अपनी मंजिल पर पहुंच जाते हैं फिर मनचाहा फल पाते हैं पेपर हो चाहे किसी भी सब्जेक्ट का उससे नहीं घबराते हैं जो बच्चे टेंशन नहीं लेते हैं परीक्षा का वह बहुत ही आसानी से सफल हो जाते हैं मेरी सलाह है आपसे परीक्षा से कभी नहीं घबराना चाहिए बनाकर टाइम टेबल पढ़ाई में जुट जाना चाहिए समय पर खाना, समय पर पढ़ना समय पर सोना और ...
हम बच्चे मन के कच्चे
बाल कविताएं

हम बच्चे मन के कच्चे

प्रमोद गुप्त जहांगीराबाद (उत्तर प्रदेश) ******************** हरदम बाइक कार चलानी, डांटे अक्षु को उसकी नानी। उछल-कूद व धमा-चौकड़ी करती हो अपनी मनमानी। हम बच्चे मन के कच्चे है- कभी-कभी करते शैतानी । खेल समय पर खेलो भैया डांट पड़े ना तुमको खानी। सही समय पर पढ़ने जाओ भैया आबू और किट्टू रानी। हम खेलेंगे और खूब पढ़ेंगे निश्चित ही मंजिल है पानी। परिचय :- प्रमोद गुप्त निवासी : जहांगीराबाद, बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) प्रकाशन : नवम्बर १९८७ में प्रथम बार हिन्दी साहित्य की सर्वश्रेठ मासिक पत्रिका-"कादम्बिनी" में चार कविताएं- संक्षिप्त परिचय सहित प्रकाशित हुईं, उसके बाद -वीर अर्जुन, राष्ट्रीय सहारा, दैनिक जागरण, युग धर्म, विश्व मानव, स्पूतनिक, मनस्वी वाणी, राष्ट्रीय पहल, राष्ट्रीय नवाचार, कुबेर टाइम्स, मोनो एक्सप्रेस, अमृत महिमा, नव किरण, जर्जर कश्ती, अनुशीलन, मानव ...
किताब रानी… किताब रानी
बाल कविताएं

किताब रानी… किताब रानी

नितिन राघव बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) ******************** किताब रानी किताब रानी मुझे सुनाओ एक कहानी मछली पीती बस है पानी बन जाती पानी की रानी किताब रानी किताब रानी मुझे सुनाओ एक कहानी लोमड़ी बड़ी चालक स्यानी करती बस अपनी मनमानी किताब रानी किताब रानी मुझे सुनाओ एक कहानी पेड़ों की सब पर महरबानी देते रहते हवा और पानी किताब रानी किताब रानी मुझे सुनाओ एक कहानी बड़ी अच्छी है मेरी नानी मुझे सुनाए गजब कहानी किताब रानी किताब रानी मुझे सुनाओ एक कहानी खाती चिड़िया दाना पानी गीत सुनाए अपनी जुबानी किताब रानी किताब रानी मुझे सुनाओ एक कहानी परिचय :- नितिन राघव जन्म तिथि : ०१/०४/२००१ जन्म स्थान : गाँव-सलगवां, जिला- बुलन्दशहर पिता : श्री कैलाश राघव माता : श्रीमती मीना देवी शिक्षा : बी एस सी (बायो), आई०पी०पीजी० कॉलेज बुलन्दशहर, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ...
चिड़िया
बाल कविताएं

चिड़िया

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** चिड़िया उड़ती चू-चू करती, पंख फैलाकर नील गगन में उड़ती कभी यहांँ कभी वहाँ । नन्हें-नन्हें पंखों से भरती बड़ी-बड़ी उड़ाने । छूकर क्षितिज को कभी हँसती कभी मुस्काती। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डा...
सलोना बचपन
कविता, बाल कविताएं

सलोना बचपन

राजेन्द्र कुमार पाण्डेय 'राज' बागबाहरा (छत्तीसगढ़) ******************** याद है मुझे आज भी बचपन की वो अठखेलियाँ बारिश के पानी नाचते कूदते भीगना संग साथियाँ सबका साथ साथ रहना खाना पीना सोना बैठना दादा दादी नाना नानी से सुनते हुए हम कहानियाँ भाई बहनों और दोस्तों के साथ मौज मस्ती करना कभी खेतों में कभी तालाब कभी जाते अमरईयाँ पेड़ों पर चढ़ करके दीवारें फांदना तोड़ने को आमियां कभी तितली के पीछे कभी पकड़ते पतंग की डोरियां पढ़ना लिखना खेलना कूदना कांटे या चुभे कंचियाँ सायकिल के टायरों को चलाते रेस लगाते साथियाँ चिल्लमचों से भरी हुई जिंदगी भी सुकून देती रुशवाईयां नीले आसमां के तले निहारते उड़ते पतंग संग पुरवइयां गांव में शादी हो व्याह हो या कोई अन्य कोई भी अठखेलियाँ सब साथी मिलकर झूमते नाचते गाते नाचे संग गवईयाँ खूब लड़ते झगड़ते हम फिर मिल जाते बिन रागियाँ गुल्ली डंडा भौंरा...
आओ बच्चों तुम्हें बताएँ
गीत, बाल कविताएं

आओ बच्चों तुम्हें बताएँ

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** आओ बच्चों तुम्हें बताएँ समझो बाल सम्मान की । बाल दिवस का त्योहार है आज संस्कारों से भरा खान की ।। माता पिता के राजदुलारे चाचा नेहरू कहलाते हैं । बच्चों के वे हैं प्यारे इसीलिए बाल दिवस मनाते हैं। गाँधी टोपी पहनते कुरता और लाल गुलाब लगाते हैं। नेहरू का जन्म दिवस मनाएँ उनके आदर्शों को अपनाते हैं । देखो ऊपर तस्वीर है जिनके नेहरू की पहचान की बाल दिवस का त्योहार है आज संस्कारों से भरा खान की । खेलो कूदो और बनो गुणवान पढ लिखकर बनाओ पहचान । माता पिता का कहना मानो बड़े बुजुर्गों का करो सम्मान । मिला तुम्हें बाल अधिकार जीवन स्तर का ये वरदान । भेदभाव न करो शिक्षा की लड़की लड़का एक समान । जीवन की मूलभूत जरूरत है समझो रोटी कपड़ा मकान की । बाल दिवस का त्योहार है आज संस्कारों से भरा खान की । ज...
बाल काव्य के अंतर्गत प्रस्तुत हैं कुण्डलियाँ छंद सर्जन
छंद, बाल कविताएं

बाल काव्य के अंतर्गत प्रस्तुत हैं कुण्डलियाँ छंद सर्जन

रजनी गुप्ता 'पूनम चंद्रिका' लखनऊ ******************** उठ कर देखो लाडले! आसमान की ओर। पक्षी कलरव कर रहे, खिली सुहानी भोर।। खिली सुहानी भोर, लालिमा नभ में छाई। अरुण रश्मियाँ साथ, उषा है लेकर आई।। अब तो रख दो पाँव, सहारे से वसुधा पर। रजनी बीती तात, लाडले देखो उठ कर।। होती है हर हाल में, मस्ती खूब धमाल। बाबा घोडा़ बन गए, चुन्नू करे कमाल।। चुन्नू करे कमाल, फटाफट चले सवारी। टिक-टिक की आवाज, कभी है चाबुक मारी।। मात- पिता को छोड़, खेलते दादा-पोती। दादी भी खुशहाल, देखकर उनको होती।। खाते हलुवा खीर जब, बचपन में हम साथ। रहे खुशी से झूमते, लिए हाथ में हाथ।। लिए हाथ में हाथ, दुलारें माता हमको। भर-भर कर आशीष, सदा देतीं वह सबको।। नाचें कूदें और, पिता से पैसे पाते। जाते फिर बाजार, वहाँ पर लड्डू खाते।। खाते हैं चुन्नू सदा, पूड़ी और पनीर। नहीं मिले उनको अगर, खो देते हैं धीर।। खो देते हैं धीर, धरा पर लोटे ज...
बचपन के साथी बचपन का खेल
बाल कविताएं

बचपन के साथी बचपन का खेल

अन्नू अस्थाना भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** कहां गए वो खेलने वाले साथी कहां गई वो, खिलौने वाली टोली, हम खेला करते थे एक साथ सभी साथी चिंटू, रोली, मोली, गोली। गुल्ली-डंडा, कंचे, दोड़म भाग, खींचा करते थे रस्सा-रस्सी, पुगड़ा,पुगड़ी एक साथ। खेला करते थे हम गिप्पा-गिप्पी थम्बा-थम्बी लंगड़ा-लंगडी, मारम पिट्टी और पिटडू कि होती बौछार जरूरत नहीं पड़ती थी हमें, जिम-विम जाने कि, आयाम-व्यायाम करने कि। शुद्ध हवा का संचार, सदा बना रहता आने जाने में। अंधेरा होते ही खेल लेते थे हम, छुपन-छुपाई हरदम नहीं डरते थे तब हम, क्योंकि खेल खिलौने वाली टोली बनाए रखती हड़कंम। अब छिप गए कहां, दीपू, चिंटू, गोली, रानी, टीनू तुम बाहर आ जाओ बच्चों, देखो आ गया खेल खिलौने वाला छोड़ो बच्चों बंद करो खेल मोबाइल का बाहर निकलो शुद्ध हवा का संचार करो अपने जीवन के अस्तित्व की लड़ाई में लेखक परिचय :-...
बच्चों का दर्द
कविता, बाल कविताएं

बच्चों का दर्द

सपना दिल्ली ******************** कोई तो समझे बच्चों का दर्द शिक्षा के नाम पर हम पर होता अत्याचार बस्ता तले दबे कंधे चारों पहर बस पढ़ाई का क़हर। घर में पढ़ाई स्कूल में पढ़ाई वापिस आकर टूशन में पढ़ाई इतना ही नहीं घर आने पर फिर पढ़ाई। जीना मुश्किल कर दिया है इस पढ़ाई ने हम बच्चों का सोते-जागते दिमाग में चलता रहता बस पढ़ाई-पढ़ाई का ही दृश्य। जैसे ही पढ़ाई से ध्यान भटके शुरू हो जाती घर पर डांट स्कूल में डांट टूशन में डांट जैसे सबने हमे डाँटने की डिग्री ही पाई हो। न उछल-कूद न कोई शरारत न मौज-मस्ती मानो बचपन ही सिमट गया हमारा, इस पढ़ाई में। सबको लगता बच्चा होना सबसे आसान न कोई टेंशन न कोई परवाह जीवन में बस मौज-मस्ती! होता बिलकुल उलट पढ़ाई का बोझ लादा जाता इतना नीचे दबकर दम घुटा हम मासूमों का। बच्चा क्यों नहीं बन जाते एक दिन के लिए हमारे जैसा फिर समझ पाओगें हमारे मन के मासूम अहसासों को। फिर तुम बच्च...
बुद्धिमान बालक
बाल कहानियां

बुद्धिमान बालक

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* बहुत पुरानी बात है। दक्षिण भारत में एक दयालु, न्यायप्रिय, प्रजा हितेषी एक राजा थे। उन्हें पशु-पक्षियों से बहुत प्यार था। वे पशु-पक्षियों से मिलने के लिए वन में जाते थे। हमेशा की तरह एक दिन राजा पशु-पक्षियों को देखने के लिए वन में गए। अचानक आसमान में बादल छा गए और तेज-तेज बारिश होने लगी। बारिश होने के कारण उन्हें ठीक से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, राजा रास्ता भटक गए। रास्ता दूंढते-ढूंढते किसी तरह वे जंगल के किनारे पहुंच ही गए। भूख-प्यास और थकान से बेचैन राजा, एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठ गए। तभी राजा को उधर से आते हुए तीन बालक दिखाई दिए। राजा ने उन्हें प्यार से अपने पास बुलाया, बच्चों यहां आओ। मेरी बात सुनो। तीनों बालक हंसते-खेलते राजा के पास आ गए। तब राजा बोले-मुझे बहुत भूख और प्यास लगी है, क्या मुझे भोजन और पानी मिल सकता है। बालक बोले, ...
बेटी स्कूल में
बाल कविताएं

बेटी स्कूल में

  डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* पाॅच बरस पूरे भये, बेटी गई स्कूल। गिनती गिनना सीखती, नहीं करती हैं भूल।। बोली बोले तोतली, भाषा अंग बनाय। टन टन घंटी की सुने, दौड़त दौड़त आय।। बेटी ठाड़ी सावधान, जन गण मन को गाय। कॉपी पेंसिल हाथ में, आम अनार बनाय।। इमली खट्टी जान के, रहती इससे दूर। उल्लू औरत सीख गइ उच्चारण भरपूर।। ए बी सी डी रटत है, पोयम करती गान। हाथ धोए भोजन करें, बोतल पीवे पानि। खेल खेलती रेस्ट में, रहती नंबर एक। गुड्डा गुड़िया साथ हैं, राखे अपनी टेक।। परिचय :- आगर मालवा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आगर के व्याख्याता डॉ. दशरथ मसानिया साहित्य के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां दर्ज हैं। २० से अधिक पुस्तके, ५० से अधिक नवाचार है। इन्हीं उपलब्धियों के आधार पर उन्हें मध्यप्रदेश शासन तथा देश के कई राज्यों ने पुरस्कृत भी किया है। डॉं. मसानिया विगत १० वर्षों से हिं...
चूहा
बाल कविताएं

चूहा

मईनुदीन कोहरी बीकानेर (राजस्थान) ******************** लुकते-छिपते धीरे धीरे । बार-बार आता चूहा ।। कपड़ों के अंदर घुस जाता। कुतर-कुतर करता चूहा।। जब तक नहीं पकड़ा जाता। धमा चौकड़ी करता चूहा।। चुन्नू - मुन्नू भागे-दौड़े । आंखें मटका डराता चूहा।। दादी कहती पिंजरा लाओ। तब जाकर मानेगा चूहा।। परिचय :- मईनुदीन कोहरी उपनाम : नाचीज बीकानेरी निवासी - बीकानेर राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमार...
आखरी पत्ता नहीं… बचा हुआ एक पत्ता यानि और पत्तों की उम्मीद…
गुण श्रेष्ठता, नैतिक शिक्षा, संस्कार

आखरी पत्ता नहीं… बचा हुआ एक पत्ता यानि और पत्तों की उम्मीद…

ज्योति जैन इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** https://youtu.be/VRRxrIyGRX0                           यूं तो मैं आम दिनों में भी अपनी पसंद के सारे काम कर लेती हूँ पर फिलहाल लॉकडाऊन में चूंकि बाहर नहीं जाना होता, सो और अतिरिक्त कार्य भी हो जाते हैं, जिनमें बागवानी भी शामिल है। इन दिनों माली भैया नहीं आ रहे सो पुराने सीज़नल पौधों के सूखते चले गमलों में नये रोपे लगाने बैठी थी। मुझे ध्यान आया कि पिछले दिनों चौकोर गमला माली ने एक ओर रख दिया था, ये कहकर कि उसकी वॉटर लिली सूखकर खत्म हो चुकी है। वो मेरा पसंदीदा पौधा है। वॉटर लिली ज़रा से में फैलकर अपने छोटे-छोटे गोल पत्तों से गमले की सुन्दरता और बढ़ा देती है। मैंने सबसे पहले वही गमला हाथ में लिया। वॉटर लिली सूख चुकी थी। पर ये क्या...! एक बिल्कुल नन्ही सी, गोल पत्ती उस सूखी मिट्टी से झांक रही थी। मैंने फौरन उसमें पानी डाला। पिछले दस द...
आसमानी संकट
बाल कहानियां

आसमानी संकट

राजनारायण बोहरे इंदौर मध्य प्रदेश ******************** प्रोफेसर गगन की नींद टूटी तो उन्होंने खड़े होकर अपने हाथ-पांव फैलाये, और अंगडाई ली। फिर आगे बढ़कर सामने रखे टेलीविजन का बटन दबा दिया। टेलीविजन के पर्दे पर सुनहरे रंग के अक्षरों में एक वाक्य लिखा हुआ दिखाई दिया- ’’आज दिनांक एक जून सन् २१४५ है। भारत की जमीन से आठ लाख किलोमीटर दूर घूम रहे इस अंतरिक्ष केन्द्र पर आपका स्वागत है। चलिये हम अंतरिक्ष केन्द्र की पूरी बस्ती के हालचाल जानें।’’ प्रोफेसर गगन ने आवाज लगाई-’’संजय जल्दी से मेरी कसरत की मशीन ले आओ।’’ कुछ सैकेण्ड बाद ही उस कमरे की दांयी दीवार में बना दरवाजा खुला और उसमें से मशीन का बना एक आदमी (रोबोट) अपने हाथों में पाइपों से बनी झूले जैसी एक मशीन घसीटता हुआ कमरे में दाखिल हुआ। प्रोफेसर गगन इस मकान में अकेले रहते हैं। उनकी सेवा करने के लिये एक मात्र रोबोट है। वह...