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पद्य

मेरा है सम्मान तिरंगा
कविता

मेरा है सम्मान तिरंगा

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** आन लिए फहराता नित ही, मेरा है सम्मान तिरंगा। शान सजा शुभ-मंगल लाता, सच में नवल विहान तिरंगा।। बलिदानों ने रंग दिखाए, तब हमने आज़ादी पाई। जला-जलाकर वस्त्र विदेशी, सबके तन पर खादी आई। सम्प्रभुता को धारण करता, मेरा है अरमान तिरंगा। शान सजा शुभ-मंगल लाता, सच में नवल विहान तिरंगा।। शौर्य सिखाता रंग केसरी, श्वेत सादगी की बातें। हरा हमें देता हरियाली, वैभव की नित सौगातें।। चक्र भारती की जय करता, हरदम है गुणगान तिरंगा।। शान सजा शुभ-मंगल लाता, सच में नवल विहान तिरंगा।। जय जवान का नारा लब पर, जय किसान का गान हो। लोकतंत्र का मान रहे नित, सद्भावों की आन हो।। तीन रंग की शोभा न्यारी, जाने सकल जहान तिरंगा। शान सजा शुभ-मंगल लाता, सच में नवल विहान तिरंगा।। सीमाओं की शान बढ़ाता, जन-गण-मन की आन निभाता...
मैं भारत कहलाता हूँ
कविता

मैं भारत कहलाता हूँ

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** मैं धर्म गुरु मैं ज्ञान गुरु मैं आध्यात्म का भी गुरु कहलाता हूँ मैं भारत कहलाता हूँ। मै सूत्रधार मैं मार्गदर्शक मैं नीति न्याय का ध्वजा फहराता हूँ मैं भारत कहलाता हूँ। मैं वेद गीता मैं ही भागवत मैं रामायण, पुराण ग्रंथों का सिरजनहारा हूँ मैं ही भारत कहलाता हूँ। मैं समृद्धि मैं ही वैभव मैं कुबेर सोने की चिड़िया कहलाता हूँ मैं ही भारत कहलाता हूँ। मैं शक्तिशाली मैं सैन्य सामरिक मैं ज्ञान विज्ञान योग का परचम फहराता हूँ मैं ही भारत कहलाता हूँ। मैं स्वतंत्र मैं गणतंत्र मै जनता,जनार्दन लोकतंत्र कहलाता हूँ मैं ही भारत कहलाता हूँ। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरच...
सिमटते परिवार
कविता

सिमटते परिवार

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सभ्य होते समाज में, सिमट रहे हैं परिवार रीनी टिंकू मम्मा पापा, छोटा सा रह गया संसार क्या इसको कहते हैं विस्तार? चाचू का वो घोड़ा बनना, दादा संग सैर पे जाना दादी ताई की कहानी, भुआ का वो लोरी गाना कहाँ गम हुए ये किरदार? पापा जाते हैं काम पर, किटी पार्टी मम्मी की है बच्चे घर स्कूल से आते, टी वी संग मौज मनाते हैं कहाँ गए सारे संस्कार? नूडल्स पिज्जा पास्ता खाकर सेहत का हो गया कल्याण ताज़े सब्ज़ी दाल चांवल, चूल्हे की रोटी गरम-गरम भूले क्यों पापड़ अचार? जब सब साथ में रहते थे, हर दिन उत्सव होता था त्यौहार मनाते मिलजुल कर खुशियों का वो जमघट था ये कैसे गुमसुम परिवार? बुजुर्ग हो या कोई बीमार, सेवा सबकी होती थी एक कमाता सब खातेथे, गुजर बसर हो जाता था क्यों टूट गए रिश्ते सारे? परिचय : सरला मेहता निवा...
शिक्षक
कविता

शिक्षक

सोनल सिंह "सोनू" कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) ******************** शिक्षक, जो हौसला बढ़ाये, शिक्षक, जो सही राह दिखाये, शिक्षक, जो हिम्मत न हारे, शिक्षक, जो धैर्यवान हो, शिक्षक, जो ऊर्जावान हो, शिक्षक, जो क्षमाशील हो, शिक्षक, जो रचनात्मक सोच रखे, शिक्षक, जो निरंतर सीखता जाये, शिक्षक, जो बच्चों को समझे, शिक्षक, जो बच्चों की सुने, शिक्षक, जो प्रोत्साहित करे, शिक्षक, जो खुशियाँ बाँटे, शिक्षक, जो सपने देखना सिखाये, शिक्षक, जो सपने पूरा करना सिखाये, शिक्षक, जो जीवन जीने की कला सिखाये, शिक्षक, जो बच्चों के साथ बच्चा हो जाए, शिक्षक, जो बच्चों के मन में उतर जाये, शिक्षक, जिसे हर बच्चा चाहे। परिचय - सोनल सिंह "सोनू" निवासी : कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कवित...
मां की ममता मिलती हैं सबको
कविता

मां की ममता मिलती हैं सबको

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** मां की ममता मिलती हैं सबको कोई अच्छूता नहीं कद्र करने की बात है कोई करता कोई नहीं मां वात्सल्य प्रेमामई ममता मिलती हैं सबको कोई अच्छूता नहीं कद्र करने की बात है, कोई करता कोई नहीं मां का आंचल अपने सपूतों के लिए हरदम खुला बंद नहीं अपनी तकलीफों दुखों से घिरी पर ममता की छांव हटाई नहीं चार बातें कड़वी भी सुनीं तुम्हारी पर ममता की छांव हटाई नहीं तुमने कद्र भले की हो या नहीं पर मां ने ममता घटाई नहीं हैं ऐसे भी कुछ लोग मां की ममता का आंकलन करते नहीं बस दिखावे में जीतें हैं मां की ममता का सम्मान करते नहीं समझ लो ऐसे लोगों, मां की ममता नसीब करेगा भगवान भी नहीं बस मां की ममता आंचल में समाए रहो फिर पूजा पाठ की जरूरत नहीं मां का वात्सल्य प्रेमा मई ममता मिलती हैं सबको कोई अच्छूता नहीं कद्र करन...
सब मिलेगा
कविता

सब मिलेगा

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** बहुत पावन और पवित्र दिन आज कल चल रहे है। कही श्रीगणेशजी का जयकारा तो कही पर्यूषण महापर्व राज। चारों तरफ का वातावरण है बहुत ही भक्तिमय। जो देखते ही ह्रदय में धर्म ज्योत को जला रहा है।। तेरे द्वार से गया न खाली कोई भी मांगने वाला। रखते हो सब पर अपना हाथ उनकी खुशाली के लिए। बस मन में श्रध्दा और सुबरी आप में होना चाहिए। तभी परिणाम अनुकूल ही आपको निश्चित मिलेंगे।। बहुत कुछ खोकर भी आप विचलित न हो। न चिंता करे और न ही खुदको गमों डूबोये। बस लक्ष्य को देखे और आगे बढ़ते रहे। सफलता तुम्हें निश्चित ही एक दिन मिल जायेगी।। मन को निर्मल और शांत रखे। अपने भावों को शुध्द करे। और भावनाओं को आप समझे। फिर उसी अनुसार कार्य करें।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं।...
आधार छंद
छंद, दोहा

आधार छंद

भीमराव झरबड़े 'जीवन' बैतूल (मध्य प्रदेश) ******************** आधार छंद - दोहा सपनों के आकाश में, पंछी बन संसार। दिखा रहा जादूगरी, रिश्तों को संहार।।१ दृष्टि प्रवंचक घूरती, तन का स्वेद निचोड़, तृषित नैन से भूख के, बहे अश्रु की धार।।२ व्यथित हुई हैं चींटियाँ, भूल गयी प्रतिरोध। यह मौसम जो दे रहा, कोड़े की फटकार।।३ संस्कारों का आवरण, तार-तार कर शर्म। बना रहा मन क्रूरतम, धर्म मनुजता मार।।४ सड़कों पर ज्वालामुखी, घर-घर में आक्रोश। समरसता को दे दिया, उन्मादक आहार।।५ तख्ती बैनर झंडियाँ, जलसों के परवाज। मार रहे सौहार्द को, बन घातक हथियार।।६ सत्ता के घर कैद में, सुख की धवल प्रभात। चढ़ सीने पर दीन के, करे बदन विस्तार।।७ परिचय :- भीमराव झरबड़े 'जीवन' निवासी : बैतूल मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी ...
तुम्हारे जाने के बाद
कविता

तुम्हारे जाने के बाद

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** चाह है मेरी तुम्हें पाने की, तुम आती हो बहुत याद। मन लगता नहीं कहीं मेरा, तुम्हारे चले जाने के बाद।। भूल जाता हूं कि मैं कौन हूं, खुद का पता है ना ठिकाना। प्यार में तेरे बन कर पागल, गली में घूमता प्रेम दीवाना।। गूंज रहा है तेरा नाम फिजा में, हर जगह दिखता तेरी तस्वीर। छोड़ कर अकेले चली गई हो, मेरी प्रेरणा तू है मेरी तकदीर।। अब ना देर करो जीवन साथी, लौट आओ तुम बिन मैं अधूरा। तुम अमूल्य हो मणींद्र से ज्यादा, तेरा प्यार मेरे लिए है पूरा-पूरा।। मेरे मनमीत, प्रेयसी, अर्धांगिनी, सुन लो निशब्द दिल की पुकार। तड़प रहा हूं तुम्हें पाने के लिए, तुमसे ही है प्रिय मेरा घर संसार।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहायक शिक्षक सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पु...
मेरे गुरु
कविता

मेरे गुरु

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** विद्या और ज्ञान सागर सा मेरे गुरु चुन चुन मोती देते जब भी राह भटक मैं जाती अपने हाथ पतवार थामते ईश्वर को कब जाना मैंने गुरु में उनकी छवि देखा कभीं सख्त कभी सरल हैं जग का बोध गुरु कराते हैं गलतियों को सदा सुधारते सत् पथ पर लेकर चलते हैं भ्रम के जालों को मिटाकर मन में ज्ञान ज्योति जलाते हैं जीवन में उत्कर्ष हमारा होता अनुशासन जीवन में वो लाते हर मुश्किल से लड़ने को हमें गुरु ही हमको तैयार करते हैं परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्री...
शिक्षक चालीसा
दोहा

शिक्षक चालीसा

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* पांच सितम्बर गुरुदिवस, राधा कृष्ण मनाय। शिक्षक सारे राष्ट्र का, निर्माता कहलाय।। जयजय गुरुवर शिक्षक भाई। सारा जग है करत बड़ाई।।१ गुरु विश्वामित द्रोण कहाये। सांदिपन ने कृष्ण पढ़ाये ।।२ तुम चाणक बन राष्ट्र बनाते। चन्द्रगुप्त को राज दिलाते।।३ तुम गुरुवर बन कला सिखाते। जनगणमण भी गान कराते।।४ राजनीति शिक्षा में आई। तब से गुरु की साख गिराई।।५ शिक्षक के हैं भेद अनेका। शिक्षा कर्मी गुरुजी एका।।६ संविदा उच्च सहायक जानो। व्याख्याता प्राचार्य बखानो।।७ अतिथि की नही तिथी बताते। जीवन दुखड़ा सभी सुनाते।।८ समय का फेर बदलते देखा। आय व्यय का करते लेखा।।९ कर्मचारी बन वेतन पाते। सकल योजना तुम्हीं चलाते।१० बच्चों को भोजन खिलवाते। मिड डे की भी डाक बनाते।।११ समग्र अयडी भी बनवाओ। ता पीछे मेपिंग करवाओ।।१२...
शिक्षक का ज्ञान
कविता

शिक्षक का ज्ञान

रूपेश कुमार चैनपुर (बिहार) ******************** ज्ञान का सागर हैं शिक्षक, महासागर हैं शिक्षक, जीवन का मान हैं शिक्षक, सृष्टि का अवतार हैं शिक्षक। हमें ज्ञान की ज्योति देते हैं, हमें नवज्योति दिखाते हैं, विज्ञान प्रौद्योगिकी कला को सिखाते हैं, हमें माता-पिता से ऊंचा पद प्रतिष्ठा देते हैं। सृजन के सृजन से, हमें चलना सिखाते हैं, हमें अंधेरों से, रोशनी की राह दिखाते है । ब्रह्मा का रूप तुम-कों मैं, हमेशा दिल से देते हैं, शिक्षक सृजन है सृष्टि का, पूरा विश्व मानता हैं। परिचय :- रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा : स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! निवास : चैनपुर, सीवान बिहार सचिव : राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य स...
जब-जब मेरी कलम ने…
कविता

जब-जब मेरी कलम ने…

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** जब-जब मेरी कलम ने दर्द ए इंसानियत लिखा हैवानियत छटपटाने लगी दरिंदगी का दम घुटने लगा। ईर्ष्या स्वयं से जलने लगी नफरतों का नाश होने लगा। जब-जब मेरी कलम ने दर्द ए इंसानियत लिखा रुढियाँ रोने लगी घृणा स्वयं से घृणित होने लगी पाखंड पांव पीटने लगा। जब-जब मेरी कलम ने दर्द ए इंसानियत लिखा रूहें सिसकियाँ भरने लगीं आंसुओं की बारिश होने लगी हर पत्थरदिल पिघलने लगा जब-जब मेरी कलम ने दर्द ए इंसानियत लिखा वैमनस्य की कालिमा छंँटने लगी मानो गंदगियाँ दिलों की धुलने लगी अंधकार अमावस्या की रात्रि का लुप्त होने लगा नभ-जल-थल में सूर्य का प्रकाश प्रकाशित होने लगा हर हृदय पटल पर प्रेम और विश्वास का आह्लाद होने लगा। जब-जब मैंने दर्द ए इंसानियत लिखा। परिचय :-  प्रभात कुमार "प्रभात" निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत शि...
किसी का हमदर्द बने
कविता

किसी का हमदर्द बने

प्रमेशदीप मानिकपुरी भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़) ******************** दर्द बढ़ जाता है तो सीने मे हूक सी उठती है | तन्हाई का आलम भी तब नागिन सी डसती है || दर्द की अहसास भी अजीब सुकून देता है | जो पास ना हो उसका भी अहसास देता है || दर्द को महसूस कर उसे बाँटने से घटती है | दुख के बादल फिर तो धीरे-धीरे छटकती है || आओ दर्द बाँट कर एक दूजे का सहारा बने | दर्द संग जीने मरने के नये नये अफ़साने बने || एक दूजे को सम्बल दे जीने का अधिकार दे | दर्द मिटा कर एक दूजे को आदर एवं प्यार दे || दर्द का नाम अमर है इश्क के हर इम्तिहान मे | दर्द तो मिलेगा ही दिल जला हो अगर प्यार मे || दर्द मे जीना,दर्द मे मरना,दर्द भी अहसास है | दर्द का जीवन से रिश्ता गहरा और खास है || दर्द मे किसी का हमदर्द बने भुलाकर क्लेश | अब दर्द मे जीवन जीना सीखना पड़ेगा प्रमेश || परिचय :- प्रमेशदीप मानिकपुरी पित...
सुनहरी शाम
कविता

सुनहरी शाम

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सुनहरी शाम के बादल भी झुक आऐ। तुम ना आए प्रिय तुम ना आए। बही बयार शीतल और मेघ नीर लाए तुम ना आए प्रिय तुम ना आए। पोखरों के पास का किट स्वर प्रिय रवि चले अंतर तल में संबल क्षितिज का लिए तुमन आए प्रिय तुम ना आए। एक बार फिर बादल घिर आए याद के कोकिला का मधुर स्वर छू गया शाम मधु पा मधु गुंजन भी कर रहे भौर से मेरे उपवन के आंगन में काग बोले देर से फिर भी तुम ना आए प्रिय तुम ना आए।। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आ...
अत्याचार
धनाक्षरी

अत्याचार

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** मनहरण घनाक्षरी कुछ तो करो विचार, पशु पर अत्याचार, किसलिए करते हो, उनमें भी जान है। क्या गलत क्या सही है, जानता मनुज ही है, उन प्राणियों को ऐसा, नहीं कुछ ज्ञान है।। प्रेम से उन्हें खिलाओ, काम जो भी करवाओ, क्रोध उन पर करो, कहाॅं की ये शान है। साथी हैं वो भी हमारे, सहते हैं कष्ट सारे, राम सब में है प्राण, एक ही समान है। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक म...
प्राण
कविता

प्राण

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ******************** जीवन की वास्तविकता है प्राण, पंछी सा उड़ जाएगा एक दिन यह प्राण जीवन की हंसने-रोने की ध्वनि ना सुन पाएगा सुख-दुख के संवाद कभी ना सह पाएगा, जब जीवन से मुक्त हो जाएगा यह प्राण ! पग-पग ये जीवन उलझी हुई किताब आदि अंत ना सुलझा पाया ये इंसान, समय के चक्षु में शुष्क नीर जैसा थम जाता है यह प्राण, उत्कृष्ट पाने की अभिलाषा, हर पल खुश रह कर जीने की ललक, असंतुष्ट इच्छाओं को पूर्ण करने की पराकाष्ठा, समझते समझाते क्षण भंगुर सा सृष्टि में विलीन हो जाता है यह प्राण ! मोहपाश में ना बाँध सका इसे कोइ, स्वतंत्र विचरण करने को व्याकुल, कोलाहल की ध्वनि से दूर, शांत वन में लुप्त होने को आतुर है यह प्राण ! नित नए जीवन का ग्रंथ बनाते, आशा को विश्वास का संगीत सुनाते, धीरज धर परमात्मा का संदेश सुनाते, जीवन का अखंड सत्य...
जीवन का सफर
कविता

जीवन का सफर

निधि गुप्ता (निधि भारतीय) बुलन्दशहर (उत्तरप्रदेश) ******************** जिंदगी का सफर जहां है, रहस्यमई, वहीं है रोमांचकारी भी, कभी है गम, इसमें तो, कभी है असीम खुशी... एक गुत्थी है यह, जो कभी किसी से ना सुलझी, किस पल में क्या होगा? है पहेली उलझी उलझी... जिंदगी का सफर, अनवरत चलता रहता है, क्या है?, उद्देश्य इसका, कभी पता नहीं चलता है... अनुभव जीवन के सफर में, कुछ खट्टे, कुछ मीठे होते हैं, सुख-दुख, लाभ-हानि, आशा-निराशा सभी साथ होते हैं... किसी के लिए, बुरा होना कर्मफल है, किसी के लिए, बुरा करना राजनीति.... किसी के लिए, क्षमा करना मानव धर्म है, किसी के लिए, अपराध करना, अपनी नीति.... कोई पैसे के लालच में ईमान बेच दे, कोई सेवाभाव में समर्पण कर दे, किसी के लिए सबका, भला सोचना मानव धर्म है, किसी के लिए, सबको नीचा दिखाना राजधर्म है.... कभी-कभी, सफर में जीवन के, अ...
नादान जीवन
कविता

नादान जीवन

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** कुछ नादानियां कुछ अठखेलियां बाकी है मुझ में। क्षण-क्षण घूमती मृत्यु के बीच में जीवांत जीवन बाकी है मुझ में। झूठ के चलते बवंडर में सत्य का जलता हुआ दीपक बाकी है मुझ में। जीवन मृत्यु के बोध में हे! ईश्वर तेरा ध्यान बाकी है मुझ में। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहा...
मेरे गजानन पधारे
भजन, स्तुति

मेरे गजानन पधारे

संजय कुमार नेमा भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** शिव पार्वती के लल्ला गजानंद पधारो।। मेरे अंगना गजानन पधारो। दस दिनों के आराधना के पर्व लेकर।। गजानन भादो मास की चतुर्थी पर, खुशियों उमंगो संग हमारे गजानन पधारे। मूषक वाहन संग घर घर गणपति जी विराजे।। शिव पार्वती के लाडले मेरे गजानन पधारे। खुशियों उमंग संग, ढोल बाजे संग हमारे गजानन पधारे। बड़े-बड़े पंडालों में गणपति सजकर विराजे।। गणपति जी के माथे पर तिलक सिंदूर साजे । मोदक लड्डू संग भर-भर थाल भोग लगाते।। केला कदली और मेवा गणपति जी को भाते। प्रथम पूज्य प्रभु विघ्नहर्ता कहलाते। अपने शरीर के अंगों से बुद्धि विनायक।। तीन लोकों, को बिन बोले ज्ञान देते। बड़ा माथा तेज बुद्धि नेतृत्व क्षमता दिखलाते। छोटी आंख से देख सुनकर निर्णय लेने की, सीख देते। सूप जैसे कान हिला कर संदेश देते।। कभी किसी की बुराई मत सुनो। लंबी सूं...
शराब एक सामाजिक बुराई
कविता

शराब एक सामाजिक बुराई

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** शराब पीना है बहुत खराब, टूटे हैं इनसे बहुतों के ख़्वाब। शराब उन्हें पी जाते हैं, जो पीते हैं बहुत शराब।। शराब से जिन्दगियां हुई बर्बाद, घर परिवार में होती है रूसवाई। अनेक वारदातों का जड़ है शराब शराब है एक सामाजिक बुराई। गर शराब छूट जाए भाई, दाम्पत्य जीवन हो सुखदाई। जो नित शराब की लत लगाई, घर में नित कलह,आफ़त आई।। शराब नैतिकता का करता पतन है, शराबी तो अपने में रहता मगन है। दारा,वत्स का हो रहा जीवन स्याह, शराबी को नहीं किसी की परवाह।। बच्चों के क़िस्मत फूटे हैं, माताओं के सुहाग लूटे हैं। अपनों से अपने छूटे हैं, शराब से कितने घर टूटे हैं।। शराब कभी न पीना तुम, सादा जीवन जीना तुम। शराबियों से सदा रहना दूर, सुसंगत सर्वदा करना तुम।। परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" ...
देव गजानन
भजन, स्तुति

देव गजानन

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** प्रथम पूज्य तुम देव गजानन भक्तों के तुम प्रिय सदानन। माता-पिता को करके वंदन की प्रदक्षिणा गौरी नंदन। मातृ भक्त प्रभु तुम-सा न दूजा सर्व देवों में प्रथम हो पूजा। सृष्टि के तुम हो प्रतिपालक यश और श्री के तुम संचालक। मोदक प्रिय तुम मंगल दाता शुभ कारक तुम सिद्धि प्रदाता। करे "विवेक" कर जोड़ निवेदन जग कल्याण करो शिवनंदन। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक...
भारत अभिलाषित हिंदी
कविता

भारत अभिलाषित हिंदी

रेखा कापसे "होशंगाबादी" होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) ******************** हिंदी भाषा से मिली, हिंद देश पहचान। तनया संस्कृत की कहे, बढ़े जगत में शान।। बढ़े जगत में शान, मनुज मुख सदा विराजे। मिले विश्व सम्मान, हिंद का डंका बाजे।। कुमुद कहे ज्यों होत, सुसज्जित माथे बिंदी। भारत का अभिमान, सरल अभिलाषित हिंदी।। हिंदी भाषा है सरल, कठिन इसे मत मान। मौखिक वाचिक व्याकरण, कथन करें आसान।। कथन करें आसान, छंद साधित अभिलाषा। अलंकार रस छंद, विशेषण युत परिभाषा।। कहे कुमुद शुचि श्रेष्ठ, स्वच्छ तटिनी कालिंदी। जग जीवन आधार, कहे निज भाषा हिंदी।। हिंदी व्यापक रूप में, धरे विश्व में पाँव। अनुपम स्थापित कूप है, विद्वानों की छाँव।। विद्वानों की छाँव, वृहद शाखा विन्यासित। विविध सुत्र आधार, बनें साहित्य सुशासित।। कुमुद लिखे शुभ ग्रंथ, करें शोभित नित बिंदी। सुखद राष्ट्र अभिमान, हृदय में बसती ...
मेडिटेशन
कविता

मेडिटेशन

प्रभजोत कौर "जोत" मोहाली (पंजाब) ******************** अगर कोई पूछे तुझसे मेडिटेशन करते हो क्या खुद को वक्त देते हो क्या बङे फख्र से कहना तुम साहिबा, हाँ, खुद का बहुत ध्यान रखता हूँ खुद से बातें भी करता हूँ सुकून बहुत मिलता है जब उस पगली की बकबक सुनता हूँ लफ्ज़ों में पिरो देती है खामोशी मेरी सुन लेती है मीलों से धङकन मेरी पल भर रूठ भी नही सकती मुहब्बत करती है हर खता को मेरी वो है तो मेडिटेशन भी हो जाती है इश्क में उसके रब से मुलाकात हो जाती है सबसे ज्यादा प्यार किया है उससे वो भी मीरा सी मग्न हो जाती है परिचय :- प्रभजोत कौर "जोत" निवासी : मोहाली (पंजाब) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छाय...
चला आऊं शहर में तेरे
कविता

चला आऊं शहर में तेरे

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** तु कह दे तो मैं चला आऊं शहर में तेरे, बुला तो सही एक बार मुझे शहर में तेरे, मैं भी देखूं शान-ओ-शौकत शहर की तेरे, मैं भी घुमू लूं गली-गली शहर की तेरे, छोटा सा गांँव है मेरा बसता है दिल में मेरे, निकल कर गांँव से अपने देख लूं शहर को तेरे, चकाचौंध की जिंदगी सुनी है मैंने शहर की, वो सब देख लूं आकर एक बार शहर में तेरे, डर मुझे है लगता कहीं खो ना जाऊं भीड़ में, तूं भी कहीं ना पहचाने मुझ को शहर में तेरे, है रोशनाई मेरे गांँव के प्यार में ज्यादा, देख लूं आकर आबोहवा शहर में तेरे, यों ना कहना आया नहीं गांँव को छोड़ कर, मिलने तुम से आ रहा हूंँ अब शहर मेेंं तेरे, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है...
प्रभु से विनती…
भजन

प्रभु से विनती…

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** प्रभु करो करुणा तो तेरा, "प्रेम" भक्ति गीत गाये, जो सुने उनको, उन्ही में डूब, उनको गुनगुनाये। प्रभु करो करुणा.... राम जी ने की कृपा तो, भाव खुद बहने लगे है, और उनकी महिमा का गुणगान हम करने लगे हैं। गीत हों स्वर में संजोए, श्रेष्ठ गायक जग सुनाएं। प्रभु करो करुणा.... तुमने की किरपा तो तुलसीदास ने मानस लिखी है, भाव से जिसने किया है पाठ, तो भक्ति दिखी है। जो करे रसपान नित, वो इससे जीवन युक्ति पाए। प्रभु करो करुणा.... जिस हृदय करुणा जगी, वो श्रेष्ठ मानव ही बनेगा, भूलकर वो स्वार्थ अपना, दीनों के दुख को हारेगा। हर तरफ दिखने लगे तू, वो भी तुझमें डूब जाये। प्रभु करो करुणा... नाम तेरा मुक्तिदायी, इसको बस जपता रहूँ अब, सांसे गिनती की मिली हैं, क्या पता रुक जायें ये कब। "प्रेम" अब सुमिरन में तेरे,...