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पद्य

बांसुरी वादन
कविता

बांसुरी वादन

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** बांसुरी वादन से खिल जाते थे कमल वृक्षों से आँसू बहने लगते स्वर में स्वर मिलाकर नाचने लगते थे मोर गायें खड़े कर लेती थी कान पक्षी हो जाते थे मुग्ध ऐसी होती थी बांसुरी तान। नदियाँ कलकल स्वरों को बांसुरी के स्वरों में मिलाने को थी उत्सुक साथ में बहाकर ले जाती थी उपहार कमल के पुष्पों के। ताकि उनके चरणों में रख सके कुछ पूजा के फूल ऐसा लगने लगता कि बांसुरी और नदी मिलकर करती थी कभी पूजा। जब बजती थी बांसुरी घन, श्याम पर बरसाने लगते जल अमृत की फुहारें अब समझ में आया जादुई आकर्षण का राज जो की आज भी जीवित है बांसुरी की मधुर तान में। माना हमने भी बांसुरी बजाना पर्यावरण की पूजा करने के समान है जो की हर जीवों में प्राण फूंकने की क्षमता रखती हमारी कर्ण प्रिय बांसुरी। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता ...
गुरुओं का आभार
कविता

गुरुओं का आभार

इंद्रजीत सिहाग गोरखाना नोहर (राजस्थान) ******************** गुरु क्या होते हैं सबको आज बताने आया हूं, मैं सभी गुरुओं का आभार जताने आया हूं। अगर गुरु वशिष्ठ ना होते तो शायद राम श्री राम ना होते, अगर गुरु सन्दीपन ना होते तो शायद कृष्ण घनश्याम ना होते। गुरु द्रोणाचार्य बिन कोई कैसे अर्जुन बन सकता है, गुरु रमाकांत आचरेकर बिन कोई कैसे सचीन बन सकता है। गुरु नरहरिदास बिन कोई कैसे सगुण का पाठ पढ़ा सकता, गुरु रामानन्द बिन कोई कैसे निर्गुण का पाठ पढ़ा सकता है। गुरु गोखले ने गांधी जैसा उज्ज्वल भविष्य दिया, गुरु रामावतार, बलवंत ने आपको नादान बालक दिया।। गुरु क्या होते हैं सबको आज बताने आया हूं, मैं सभी गुरुओं का आभार जताने आया हूं। परिचय :-  इंद्रजीत सिहाग गोरखाना निवासी : नोहर (राजस्थान) सम्प्रति : शिक्षक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हू...
बस हॅंसी हैं वो तो होने दो
ग़ज़ल

बस हॅंसी हैं वो तो होने दो

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** वज़्न- २१२२ २१२२ २१२२ १२ बस हॅंसी हैं वो तो होने दो नज़र में मेरे नइं। यूॅं किसी से झूठ कह दूॅं ये हुनर में मेरे नइं।। तुम कहीं अपना चलाओ जाके जादू हुस्न का। औरों को होगी ज़रूरत तेरी घर में मेरे नइं।। ज़िंदगी तो एक धोका है फ़ना होंगे सभी। हैं मुसाफ़िर सब कोई साथी सफ़र में मेरे नइं।। सच हमेशा कहता हूॅं मैं लड़ता हूॅं सच के लिए। बस ख़ुदा का डर है डर दुनिया का डर में मेरे नइं।। जो अगर कुछ सीखना है तुमको मुझसे ऐ 'निज़ाम'। तो अदब से पास बैठो मेरे सिर में मेरे नइं।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के ...
व्याकुल नर
हाइकू

व्याकुल नर

तुकाराम पुंडलिक खिल्लारे परभणी (महाराष्ट्र) ******************** व्याकुल नर - उजड़ी शाख पर गिरते पर हुई सुबह - रातरानी की गंध चूसती धूप चारसू फैला कोहरा ही कोहरा - सवेरा गिला रंग होली का - मकान में बिखरा गंध कितना दानापानी ले पंछी घोंसले लौटा - चूजे गायब निर्जन ताल पंछी स्नान करते - फूल गिरते वर्षा में धूप - चला रहा मनुष्य इंद्रधनुष्य लो लौट आयी गरीब की खुशीयाँ - बासी रोटीयाँ सो गई रात - चुलबुलाते पत्ते चाँद का पाँव लाॅकडाऊन - सडक पर आये वन के जीव शिशू का स्पर्श जाग उठी ममता - सँभाले आँसू परिचय :-  तुकाराम पुंडलिक खिल्लारे निवासी : लोकमान्य नगर, परभणी (महाराष्ट्र) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्ष...
बचपन
कविता

बचपन

उषा बेन मांना भाई खांट अरवल्ली (गुजरात) ******************** कभी मेरे चहरे पर खुशी होती थी, गमों से दूर का रिश्ता था, आज जो कुछ हुँ मैं, उससे अच्छा तो मेरे बचपन का जीवन ही अच्छा था। कोई कुछ भी कहे, उनकी बातो का, मुझे जरा भी बूरा नही लगता था, आज जो कुछ हुँ मैं, उससे अच्छा तो मेरे बचपन का जीवन ही अच्छा था। दिन भर खेलती रहती थी, ना पढ़ाई की चिंता थी, ना नौकरी पाने की तमन्ना थी, आज जो कुछ हुँ मैं, उससे अच्छा तो मेरे बचपन का जीवन ही अच्छा था। स्कूल जाती थी, मैडम से रोज मार खाती थी, उनकी मार का मुझ पर कोई असर नहीं होता था, आज जो कुछ हुँ मैं, उससे अच्छा तो मेरे बचपन का जीवन ही अच्छा था। बचपन पुरा हुवा बड़े हुए, जिंदगी में एक नया मोड आ गया, इस नये मोड से अच्छा तो मेरे बचपन का जीवन ही अच्छा था। आज जो कुछ हुँ मैं, उस से अच्छा तो मेरे बच...
मित्रता
दोहा

मित्रता

डॉ. भगवान सहाय मीना जयपुर, (राजस्थान) ******************** मित सच्चा देखिए, कर दिया जान निसार। यारी ऐसी कहां मिले, ज्यों पीयूष इसरार। जल में डूबा देखकर, याद आया इकरार। संकट में साथ देना, इक-दूजे से करार। यार-यार पर कर दिया, अपने प्राण निसार। अपने मित्र के लिए, सब भूल गया इसरार। मां की ममता भूला, अब्बा का भूला प्यार। सबसे ऊपर हो गया, यार के खातिर यार। हिंदू मुस्लिम सिख ले, दिल से सच्चा प्यार। मानव से मानव मिले, ज्यों पीयूष इसरार। पोखर भी रोया होगा, देख अनोखा यार। मरकर भी न जुदा हुआ, सच्चा इनका प्यार। परिचय :- डॉ. भगवान सहाय मीना (वरिष्ठ अध्यापक राजस्थान सरकार) निवासी : बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि र...
साहित्य की देवी
कविता

साहित्य की देवी

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** हे ! महादेवी हिंदी साहित्य की तपस्विनी तुम वर्तमान कलमकारों की प्रेरणा स्रोत बनीं। नीहार में भरी रसधार प्रेम की तुम आधुनिक मीरा हिंदी साहित्य की बनीं। दुख, संवेदनशीलता तो कभी सुख व प्रसन्नता के भावों की रचनाओं में प्रकाशित मिश्रित अभिव्यक्ति बनीं। हिंदी छायावादी युग का सशक्त स्तंभ बनीं। इतना ही नहीं तुम गद्यलेखन व रेखाचित्र की भी महान हस्ताक्षर बनीं। नवीन आयामों को स्थापित करती हिंदी छायावादी युग का एक सशक्त स्तंभ बनी नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्य गीत, अग्नि रेखा, सप्तपर्णा यामा में मानो आपकी ही आत्मा हैं रची बसी। हे ! महादेवी, तपस्विनी तुम भारत माँ की स्वतन्त्रता में सहभागी बनीं। सामाजिक कल्याण, महिला उत्थान की नवल पथप्रदर्शक बनीं। तुम वर्तमान कलमकारों की प्रेरणा स्रोत बनीं। परिचय :-  प्रभ...
किरदार पुराना है…
कविता

किरदार पुराना है…

डॉ. संगीता आवचार परभणी (महाराष्ट्र) ******************** वो भी क्या जमाना था! इन्सानियत का दौर था, रिश्तों मे गहरा विश्वास था, बातों मे भी अपनापन था! बडा सुनहरा वो समा था, दोस्ती का भी मकाम था, बुजुर्गो का सही सम्मान था, उनको भी सब समान था! ये भी क्या एक जमाना है? जरूरतों का सिर्फ सामान है, बस मतलब का माहौल है, रिश्तों मे करारा मलाल है! लोग तो यूँही पूछ बैठते हैं, किस जमाने मे हम रहते हैं? रहते नये जमाने मे जरूर है! आदतों मे किरदार पुराना है! परिचय :- डॉ. संगीता आवचार निवासी : परभणी (महाराष्ट्र) सम्प्रति : उप प्रधानाचार्य तथा अंग्रेजी विभागाध्यक्ष, कै सौ कमलताई जामकर महिला महाविद्यालय, परभणी महाराष्ट्र घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने पर...
“सिरतोन म संस्कार नंदा जाही का”
आंचलिक बोली, कविता

“सिरतोन म संस्कार नंदा जाही का”

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी बिटिया रानी महतारी ले कहिथे दाई तै तो बड भागी हो गेस वो अपन जिगर के टुकड़ा ल दुरिहा डारें, तोर मया मोर बर थोरकुन नई पल पलईस सुने हव महतारी बर लईका मन आंखी के तारा होथे फेर देखत हव मैय तो नामे हव मोर संजोए सपना म पानी फेर दे बड दिन ले मोरों एक ठन आस रीहिस सुने हव महतारी मन लईका ऊपर कोनो आंच नई आवन दे फेर ये कईसन टाईप ले लापरवाही ? महु ल तो घालो एक बार अपन छाति ले ओधा लेतेस, अऊ खंधेडीं म बिठाके धुमा लैय आतेस वो दुरूग अऊ भिलाई फेर नई ...! तहु ह दुनिया बर एक झन मिसाल बन गे वो अपने लईका के मुंह म पेरा गोंजे अऊ आनी-बानी के जिनिस चबरहा कुकर ल खावाए देखेव तोर मया ल मोर मन कलप जथे वो सिरतोन म घर अऊ परिवार दुरिहाय खातिर तैय तो बड़े जन उदिम निकाल डरें ... परिचय :- खुमान सिंह भाट पिता : श्री पुनि...
धरती पर पितृपक्ष में आए हैं
कविता

धरती पर पितृपक्ष में आए हैं

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** भारत में प्राचीन मान्यता है पितृपक्ष में यमराज पितरों को अपने परिजनों से मिलने मुक्त करते हैं इसलिए धरती पर पूर्वज आए हैं मान्यता है कि श्राद्ध करने से घर में सुख शांति पाए हैं यह समय पुण्य करने का है समस्याओं का निवारण पाए हैं पितृपक्ष आए हैं। पूर्वजों की याद लाए हैं।। आशीष भरपूर हम पाए हैं। परिवार वालों की स्मृति संजोए हैं।। जीवन से मुक्त हुए। जो शाश्वत क्रम वो हुए।। जीवन भर प्रेरणा दिए। हम सबका जीवन संजो दिए।। आज फिर छाया तुम्हारी। पूरे परिवार ने महसूस किए हैं।। कन्याओं को भोजन के रूप में। तुम्हारे पवित्र मुख में भोज अर्पण किए हैं।। परिचय :- किशन सनमुखदास भावनानी (अभिवक्ता) निवासी : गोंदिया (महाराष्ट्र) शपथ : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना पूर्णतः मौलिक, स्वरच...
प्रेम
कविता

प्रेम

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** प्रेम उम्र नहीं एहसास देखता है। प्रेम लगाव नहीं तड़प देखता है। प्रेम मुस्कुराहट नहीं आंखों में बहते अश़्क देखता है। प्रेम हमउम्र नहीं हमराही देखता है। प्रेम बहस नहीं झुकाव देखता है। प्रेम बहता हुआ पानी नहीं जलती हुई आग देखता है। प्रेम ह्रदय का रूप नहीं चेहरे का महकता स्वरूप देखता है। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, ...
ख़ता से दूर बन्दगी रखना
ग़ज़ल

ख़ता से दूर बन्दगी रखना

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** ख़ता से दूर बन्दगी रखना। निभा सको तो दोस्ती रखना। बना रहे हो जब मकाँ अपना, यहाँ, वहाँ से इक गली रखना। जहाँ मुश्किल कभी सुनो,समझो, वहाँ सभी से कुछ बनी रखना। हवा अक्सर जिधर से आती है, उधर की खिड़कियाँ खुली रखना। जुबाँ कहने में चूक जाएगी, बुरी-भली में कुछ कमी रखना। कभी मिले, कभी नहीं भी मिले, ज़रा सम्भाल कर ख़ुशी रखना। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि र...
कश्मीर
कविता

कश्मीर

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** कश्मीर ऋषि कश्यप की भूमि, अदिति माँ से सिंचित नगरी भारत के मस्तक की बिंदी, कश्मीर है भारत का प्रहरी ऋषि च्यवन की तपोभूमि, तनमन-रोग किया उपचार सुश्रुत संहिता की जड़ी बूटी है, मानवता को अनुपम उपहार। कश्मीर है कवि कल्हण की भूमि, जिस पर अभिमान रहा हमको 'राजतरंगिणी' की रचना कर, कश्मीरी इतिहास दिया सबको। 'पंचतंत्र 'की जन्मभूमि यह, विष्णुशर्मा के ज्ञान की नगरी धरती पर्वत और पठारों की, भारत के सम्मान की नगरी। सोमदेव की 'कथासरित्' की, देववाणी के अतुल ज्ञान की रामायण काल की 'खीर भवानी', भृगु ऋषि की' अमरेश्वर 'नगरी यह भारत की प्राचीन है नगरी, कश्मीर है भारत की देहरी इतिहास रचा इसने भारत का, कश्मीर है भारत का प्रहरी।। परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (म...
गुरुदेव
कविता, भजन

गुरुदेव

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** जय हो! महाज्ञानी गुरुदेव ज्ञानदाता। सच्चा पथ प्रदर्शक भगवान विधाता।। सूर्य के समान चमक रहा है विद्याधर। साक्षात अंतरात्मा को प्रकाशित कर।। अबोध बालक में जागृत किया बोध। विशेषज्ञ बन किए वृहद नवीन शोध।। ज्ञानी गुरु जड़ बुद्धि में ला देता चेतन। प्रेरणा से लक्ष्य का करवाता है भेदन।। मन में जगा देता है सीखने की इच्छा। मूल्य निर्धारण के लिए लेता परीक्षा।। नैतिकता और संज्ञान में बनाता प्रवीण। खेल, नृत्य, गीत, संगीत में करता उत्तीर्ण।। अंधकार का बनाया उज्जवल भविष्य। सत्य की पहचान कर दिखाया दृश्य।। कोविद ही लाता है जन-जन में सुधार। समाज कल्याण करता प्रभु के अवतार।। वंदना करो गुरु का चरण कमल पकड़। मांग लो तुम आशीष विवेक का जड़।। सहज मानव को योद्धा बना जीतवाता। जीवन जीने की आदर्श कला सिखाता।। परिचय : अशोक कुमार ...
कुरुक्षेत्र
कविता

कुरुक्षेत्र

सीमा रंगा "इन्द्रा" जींद (हरियाणा) ******************** धर्म युद्ध का शंखनाद बज उठा काल चक्कर चला ऐसा यहां पर ऐसा धर्म चक्र चलाया श्री कृष्ण ने पांच पड़े सौ पर भारी यहां पर ज्योतिसर में दिया गीता उपदेश धर्म की खातिर छिड़ा ऐसा युद्ध यहां पर ब्रह्मसरोवर, शक्तिपीठ, थानेश्वर मंदिर तीर्थ, सरोवरों से भरी धरा यहां पर सांस्कृतिक विरासत समेटे हुए मारकंडा, सरस्वती की बहती धारा यहां पर उगाता गेहूं, बासमती चावल प्रदेश ये मिटती जनमानस की भूख यहां पर रौनक रहती साधु-संतों की हमेशा देश-विदेश से आते पर्यटक यहां पर लाल मिट्टी की बात अनोखी बताती भू शौर्य की गाथा यहां पर गिना जाता पावन नगरी में इसे अभिषेक करने आते सभी यहां पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की बात अनूठी विद्यार्थियों के ज्ञान का भंडार यहां पर परिचय :-  सीमा रंगा "इन्द्रा" निवासी :  जींद (हरियाणा) ...
बुजुर्गो की दशा
मुक्तक

बुजुर्गो की दशा

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** मुक्तक बुजुर्गो की दशा देखो, हुई कैसी लाचारी है। जीवन के इस अवस्था में, परेशानी भी भारी है ।। बड़े मजबूर रहते हैं, ये कितने कष्ट सहते हैं। स्वंय का बोझ ढोते हैं, मगर हिम्मत न हारी है।। सताता है अकेला पन, मगर रहते अकेले हैं। जीवन में जो भी गम आया, सभी हंस कर ये झेले हैं।। बड़े खुद्दार होते हैं, भले छिपकर ये रोते हैं। नहीं कोई काम है आता, यही दुनिया के मेले हैं।। खपाई उम्र ये पूरी, सदा जिन पर हैं ये अपने। सदा करते रहे पूरे, उन्ही लोगों के ये सपने।। नहीं अब पास वो इनके, रहम पर जो रहे इनके। चलन कैसा है अब आया, पराए हो गए अपने।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित क...
पितृ आरती
गीत, भजन, स्तुति

पितृ आरती

राम स्वरूप राव "गम्भीर" सिरोंज- विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** आरती पूज्य पूर्वज की, हमारे कुल के अग्रज की श्राद्ध तिथि आज है जिनकी, दिवंगत कुल के अग्रज की क्वार पक्ष कृष्ण मनभावन, स्मृति अपनों हो पावन नयन जो दे गए सावन, यजन उनके चरण रज की आरती पूज्य पूर्वज की.... डाव, कुशघांस से अर्पण, दुग्ध तिल जौं का कर मिश्रण हो तर्पण मंत्र का पाठन, दोश हर मंगल कारज की आरती पूज्य पूर्वज की... श्राद्ध का शुभ दिवस आया, दिवंगत प्रिय की सुधि लाया दान उनके निमित्त भाया, आरती पूज्य की... श्राद्ध की षोडश तिथि न्यारी, ग्याजी हैं सरित सारी पितामह, तात, ताऊ, मातु, ताई, भाई-भावज की आरती पूज्य पूर्वज की, हमारे कुल के अग्रज की पितृ देवाय च विद्महे, कुल अग्रजाय च धीमहि, तन्नो पूर्वज प्रचोदयात परिचय :- राम स्वरूप राव "गम्भीर" (तबला शिक्षक) निवासी : सिरोंज जि...
बसेरा होगा
कविता

बसेरा होगा

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** चहकने दो मुझे आंगन में झूलती बेलो के साथ। दौड़ने दो मुझे देहरी के उस पार बहने दो मुझे निर्बाध गति से कल-कल मत बांधो हमें चहकनदो, दौड़ने दो हमें। फूलों से आंगन सजेंगे कल-कल करता जल धरा को सींचेगा हरित करेगा श्यामला धरा को हरियाली नाचेगी टेसू फूलेंगे रवि वर्ण में बिखरेंगे बसंत बहार में फूलों से आंगन सजेंगे। काटो मत वृक्षों को कहीं पंछी ठौर होगा किल-किल का कलरव होगा चुग्गा चुगने मुंह खोलता होगा चहक-चहक चिड़िया गाती होगी कोयल कूक सुनाती होगी काटो मत उसे वह किसी का बसेरा होगा। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर...
हिंदवासी तुम हिंदी बोलो
कविता

हिंदवासी तुम हिंदी बोलो

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** ज्ञान की भाषा हिंदी है विज्ञान की भाषा हिंदी है जन मन के संप्रेषण के कौशल की भाषा हिंदी है। मीरा की भाषा हिंदी है कबीरा की भाषा हिंदी है गीत संगीत और महाकाव्य को गढ़ती भाषा हिंदी है। पूरब की भाषा हिंदी है पश्चिम की भाषा हिंदी है उत्तर से दक्षिण तक के विस्तार की भाषा हिंदी है। शासन की भाषा हिंदी है शिक्षण की भाषा हिंदी है रविंद्रनाथ के जन-गण में गूंज रही भाषा हिंदी है। दर्शन की भाषा हिंदी है प्रदर्शन की भाषा हिंदी है मन में भावों के कोपल के अंकुरण की भाषा हिंदी है मेरी भाषा हिंदी है तेरी भाषा भी हिंदी है भारत के जनजीवन की गौरव गाथा भी हिंदी है फिर क्यों हमने भुलाई हिंदी है पर भाषा की लगाई बिंदी है भूल गए हम सब पल में रिश्तों की भाषा हिंदी है। भाषा की रानी हिंदी है फिर भी बेगानी हिंदी है अपने...
यही तो है हिन्दी
कविता

यही तो है हिन्दी

प्रमेशदीप मानिकपुरी भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़) ******************** हिंदुस्तान की पहचान जो जन गण का अभिमान जो भावो की है जो आरती यही तो है हिन्दी ग्रंथो का आधार जो सुरसरी की धार जो भारत माता की बिन्दी यही तो है हिन्दी गीत, गजल और कविता पर्वत, सागर और सरिता समृद्धि की पहचान जो यही तो है हिन्दी भारतीयो की अस्मिता भाव से सदा सुपुनीता आवाम की आवाज जो यही तो है हिन्दी आन, बान, शान है सबका स्वाभिमान है संस्कृति की करे आरती यही तो है हिन्दी मन के सभी भावो मे कंही चंचल कंही ठहराव मे समृद्ध जो है समुद्र सा यही तो है हिन्दी व्याकरण से प्रबुद्ध जो सात्विक और शुद्ध जो सुवासित है जो अलंकार से यही तो है हिन्दी भिन्न-भिन्न राग रंग मे जीवन के प्रत्येक रंग मे संस्कार की झलक जिसमे यही तो है हिन्दी भारत की मातृभाषा बने देश एकता के रंग मे सने बने देश का अब शान...
अधरों की अमर वाणी है हिन्दी
कविता

अधरों की अमर वाणी है हिन्दी

उषाकिरण निर्मलकर करेली, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** मेरे नन्हें अधरों की किलकारी है हिन्दी। हर तोतली आवाज में, बड़ी प्यारी है हिन्दी। जवां हुई जो मेरे संग-संग हाँ, मेरा हमसफर, मेरा हमराही है हिन्दी। मेरी आन, मेरा गुरुर, मेरा अभिमान है हिन्दी। मेरा नाम, मेरा काम, मेरी पहचान है हिन्दी। ये मेरा व्यक्तित्व है, अस्तित्व है मेरा, और मेरे लिए तो मेरा हिंदुस्तान है हिन्दी। सबको अपनें आँचल में समेटे हुए, संस्कृत से जन्मी, मॉं का अवतार है हिन्दी। अनुपम, अलंकृत, अनमोल, अनुशासित, और पूर्ण परिभाषित संस्कार है हिन्दी। मानों चिरकाल से चिरपरिचित, चिरस्मरणीय, चिरयौवना और चिरस्थायी है हिन्दी। हर रूप में है अति सुशोभित, कभी दोहा, कभी छंद, कभी चौपाई है हिन्दी। सुरभित सुमन की भाँति महकती, साहित्य की शुभाषितानी है हिन्दी। शब्दों का जो अथाह सागर है, अधरों की अमर वाणी ...
पित्तर
आंचलिक बोली, कविता

पित्तर

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** जियत ले दाई ददा ला पानी बर तरसाये, मरे मा पित्तर मनावत हस, बरा सुहारी खुरमी बनाके, काउआ ला तै खिलावत हस ! वा रे जमाना ते काउआ ला ददा बनावत हस ! जनमदिस परवरिश करिस तेला ते बुल जावत हस, जइसे करबे वइसे पाबे यही कहानी बनावत हस ! वा रे जमाना ते काउआ ला ददा बनावत हस ! जियत ले ते रोज लडे, काली अइस ते बाई के चक्कर मा आये, दाई ददा के खाना पीना ला बंद कराय पापी में तुहु अब गिन्ती आये ! जियत ले खाये बर तरसाय मरे मा गांव गांव ला नेवता देवत हस, वोकरे धन संपत्ति ला रख के होशियारी देखावत हस.! वा रे जमाना ते काउआ ला ददा बनावत हस.! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी : मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्...
हरि अनंत हरि कथा अनंता
कविता, भजन, स्तुति

हरि अनंत हरि कथा अनंता

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** हरि अनंत हरि कथा अनंता, रामायण है गाती। श्री हरि की महिमा का वर्णन, रामचरित बतलाती। हे अनंत हे कृपासिंधु प्रभु, सब जन शरण तुम्हारी। भव बंधन को दूर करो तुम, रखना लाज हमारी। भाद्र मास की चतुर्दशी को, शुक्ल पक्ष जब आता। सारा जनमानस नत होकर, तुमको शीश झुकाता। चतुर्दशी तिथि है अति पावन, है अनंत का पूजन। चौदह गाँठ लगा धागे में, बाँह बाँधता जन-जन। कथा सुनाते नारायण की, अनंत चतुर्दशी प्यारी। वेद पुराण सभी गाते हैं, श्री हरि महिमा न्यारी। जो ध्याता अनंत फल पाता, भवसागर तर जाता। जो हो जाता लीन आप में, दुख कलेश हर जाता। रहते शेषनाग सैया पर, जग के पालन करता। चरण शरण प्रभु रहूँ आपकी, सब सुख मंगल करता। शुभ आशीष आपका पानें, पूजन सब करते हैं। हैं अनंत, प्रभु सबकी झोली, खुशियों से भरते हैं। ...
हिन्दी हमारा अभिमान है
कविता

हिन्दी हमारा अभिमान है

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** हिन्दी में ही व्याकरण है हिन्दी से ही आचरण है। हिन्दी से ही सरल,सहज हर समस्या का निराकरण है।। हिन्दी भाषा हमारी शान है हिन्दी से ही हमारा सम्मान है। छंद,रस,अलंकार से सुसज्जित हिन्दी हमारा अभिमान है।। हिन्दी हमारी मातृभाषा है हिन्दी जीवन की आशा है। परचम लहराए हिन्दी का हम सबकी यही पिपासा है।। हिन्दी हम सबके लिए खास है इनसे बढ़ता आत्मविश्वास है। हिन्दी से सात सुरों का सरगम सुरीली नगमों का साजोसाज है।। बड़ी प्यारी भाषा है हिन्दी सबके मन भाती है हिन्दी। लगती सुरीली भाषा हिन्दी जैसे सजे माथे की बिन्दी।। परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" निवासी -  गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।...
संसार हमारा है हिंदी
ग़ज़ल

संसार हमारा है हिंदी

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** व्यवहार हमारा है हिंदी। आचार हमारा है हिंदी । लिखने, पढ़ने की बातों का, आधार हमारा है हिंदी। बदले बोली, पग-पग दूरी, विस्तार हमारा है हिंदी। पद, गीत, कविता, छंदों में, सब सार हमारा है हिंदी। रिश्ते अपने, सच्चे इससे, संसार हमारा है हिंदी । जन-जन के सच्चे भावों में, सब प्यार हमारा है हिंदी। इस दौरे जहाँ की शिक्षा में, हथियार हमारा है हिंदी। अपनायी भाषाएँ सबकी, इक हार हमारा है हिंदी। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जात...