खिसियानी बिल्ली
राजेन्द्र लाहिरी
पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
********************
कर नहीं पा रहा कुछ भी
छोटा है तो छोटा ही सोचे,
हंस-हंस कर लोग बोले
खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे।
बहुत उम्मीद पाल,
जल्द बदल सकता है हाल
सोच नेताजी ने चुनाव लड़ा,
होकर निर्दलीय खड़ा,
घोषणाएं बड़ा-बड़ा,
सेवा की आस में चुनाव में पड़ा,
पर ये क्या किस्मत निकला सड़ा,
जमानत जप्त करा शर्म से गड़ा,
सात पीढ़ी के लिए तो थे सोचे,
पर खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे।
बड़े साहब से थी मधुर संबंध की चाह,
शायद निकल आये तरक्की की राह,
चापलूसी में गुजर रही जिंदगी
पर किस्मत निकला श्याह,
साहब दोस्ती न सका निबाह,
असमंजस है अब किस तरीके से
साहब का मोर पंख खोंचे,
खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे।
परिचय :- राजेन्द्र लाहिरी
निवासी : पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रच...



















