नैया रूपी इस जीवन की
पंकज शर्मा "तरुण"
पिपलिया मंडी (मध्य प्रदेश)
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नैया रूपी इस जीवन की,
एक तुम्हीं पतवार हो।
तुम ही हो यह सुख का सागर,
खुशी भरा संसार हो।।
महक रहा जो घर का आंगन,
हो माली इस बाग की।
सजा सुरों में गीत मधुर जो,
जय जय वंती राग हो।।
मिला सती से जो शंकर को,
वही एक आधार हो।
तुम ही हो यह ....
सहन किए हैं जो तुमने वह,
पल संकट के याद हैं।
उसी त्याग का है यह प्रतिफल,
परिजन सब आबाद हैं।।
आशिषों से भरी वर्षा का,
मान रहे, आभार हो।
तुम ही हो यह ....
दया दृष्टि के वरदानों को,
कभी न्यून करना नहीं।
अत्याचारों की आंधी को,
जीवन में सहना नहीं।
नहीं नार हो तुम देवी,
हम, पुरुषों का संसार हो।।
नैया रूपी इस जीवन की,
एक तुम्हीं पतवार हो।
तुम ही हो यह सुख का सागर,
खुशी भरा संसार हो।।
परिचय :- पंकज शर्मा "तरुण"
निवासी : पिपलिया मंडी (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : म...