हिंदी की कहानी
सीताराम पवार
धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश)
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अंग्रेजी बोलने वाले भी अपने घर में
हिंदी बोला करते हैं इसमें मानहानि नहीं होती।
कहने वालों की जुबानी नहीं होती वरना
भारत में हिंदी की कहानी कहां नहीं होती।
हमारा दिल हिंदी के लिए नहीं धड़कता तो
दुनिया हिंदी की दीवानी यहां नहीं होती।
कामयाब तो हुई थी अंग्रेजी यहां अंग्रेजों के
राज में हिंदी का कुछ बिगाड़ नहीं पा।
हिंदी दिल से निकलती हैं व दिलों तक पहुंचती है
बोलने वालों की नादानी नहीं होती।
हिंदी भारत की संस्कृति मे रची बसी है
इसलिए हिंदी ही हमारी असली पहचान है,
अंग्रेजी बोलने वाले भी अपने घर में हिंदी
बोला करते हैं इसमें मानहानि नहीं होती।
संतान गर्भ में हिंदी सिखती हैं गर्भ से बाहर
आके पहले मां का उच्चारण करती है।
भारत माता की संतान हिंदी बोलने वाली है
हिंदी बोलने वाले में बदगुमानी नहीं होती।...