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पद्य

उनकी याद में …
कविता

उनकी याद में …

बृजेश आनन्द राय जौनपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** उनकी याद में ऑखें लगी, बरसात हो गई! बीते सपनों से मुझे जगा, ये 'रात' सो गई !! यही रात जो प्यासे जग की किस्से सुनती थी यही रात जो चॉदनियों में हॅस-हॅस मिलती थी यही रात कि जिसमें छत पे पायल छमके थे यही रात जो अभिसारों में खोकर रहती थी यही रात आज ऑसुओ की लड़ियॉ पिरो गईं! बीते सपनों से मुझे जगा, ये रात सो गई!! यही रात जिसमें सब-लुटकर तुमको पाया था यही रात जिसमें गीतों-से हृदय सजाया था यही रात जिसमें अम्बर में तारे बिखरे थे यही रात, रूप से तेरे, हम भी निखरे थे यही रात आज हर सुख पे संघात हो गई ! बीते सपनों से मुझे जगा, ये रात सो गई !! यही रात है जिसमें तुमको अपलक देखा था यही रात है जिसने तुमसे विधि को लेखा था यही रात में रूपवती इक सजनी सोई थी यही रात है जिसने मीठी यादें बोई थी यही रात आज विरहों-भरी इक...
झुटी मुस्कान
कविता

झुटी मुस्कान

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मन रोता है कहीं किसी कोने में कहीं तनहाई मुंह चिढ़ाती है कब तक पैबंद लगाएं झूठी मुस्कान के जिंदगी रीति-रीति बीती जाती है। कहने को बहुत कुछ है, लब खुलते नहीं देखी अपनों की जिंदगी गिरेे हुए फ़ूल उठाता नहीं कोई। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, ...
कानुडा थारो कई-कई भेद बताऊ
भजन

कानुडा थारो कई-कई भेद बताऊ

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** कई-कई भेद बताऊ, सांवरिया थारो कई कई भेद बताऊ।। मामा जेल में जनम लियो हैं, यशोमती गोद खेलायो। कन्हैया थारो कई-कई भेद बताऊ।। द्रोपदी को तुने चीर बढायो, साडी़ मै लिपटायो कानुडा थारो कई-कई भेद बताऊ।। मीरा ने जब जहर पियो हे, विष को अमृत बनायो , कानुडा थारो कई-कई भेद बताऊ।। यमुनाजी मै नाग को नाथ्यो फण फण निरत करायो, कानुडा थारो कई-कई भेद बताऊ।। गोवर्धन को तुने नख पर धार्यौ, ब्रज मण्डल को बचायो, गिरिधारी थारो कई-कई भेद बताऊ।। सखा सुदामा को गले से लगाया, प्रेम का भाव जगाया, साँवरिया थारो कई-कई भेद बताऊ।। म्हारे अंगना में कान्हा तुम हो पधारो, गुटवन गुटवन काना चलकर आओ, लाला भाव दर्शाओ । कन्हैया थारो कई-कई भेद बताऊ।। परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्...
दोगले दाग़दार होते हैं
ग़ज़ल

दोगले दाग़दार होते हैं

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण" इन्दौर (मध्य प्रदेश)  ******************** दोगले दाग़दार होते हैं। फिर भी वे होशियार होते हैं।।१।। सावधानी यहाँ जरूरी है, चूकते ही शिकार होते हैं।।२।। आप जितने सवाल करते हो, तीर से धारदार होते हैं।।३।। जिन पलों में कमाल होता है, बस वही यादगार होते हैं।।४।। दाँत होते नहीं परिन्दों के, क्यों कि वे चोंचदार होते हैं।।५।। चोर शातिर मिजाज ही होंगे, या कहो आर - पार होते हैं।।६।। शूल क्या आजकल बगीचे के, फूल भी धारदार होते हैं।।७।। वार करते न सामना करते, इसलिए ही शिकार होते हैं।।८।। नोंक तीरों की रगड़ पत्थर पर, तब कहीं धारदार होते हैं।।९।। बालकों को अबोध मत समझो, वे बड़े होनहार होते हैं ।।१०।। "प्राण" कहते न बोलते उनके, हर जगह इन्तजार होते हैं।।११।। परिचय :- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण" निवासी : इन्दौर (मध्य ...
चुनाव और प्रत्याशी
कविता

चुनाव और प्रत्याशी

डॉ. रमेशचंद्र मालवीय इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मुझ प्रत्याशी की सुनो, वो तुम्हारी सुनेगा तुम एक वोट दोगे, वो दस नोट देगा। भूख लगे तो खाना खाना प्यास लगे तो पानी पीना नोट इसलिए देता हूँ कि वोट से है मेरा मरना जीना नोट के बदले वोट ही देना और कोई तुम चोट न देना। माना कि तुम वोट के खातिर अपनी अकड़ दिखाओगे बोतल-कम्बल तो दूंगा ही जो मांगोगे, वो सब पाओगे वोट चाहिए मुझे तो केवल और कोई तुम खोट न देना। पक्के घर मैं दिलवा दूंगा बिजली पानी मिल जाएगा एक वोट के बदले प्यारे जीने का सुख मिल जाएगा यह चुनाव का सीज़न है तुम बाद़ाम अख़रोट न देना। तुम ही मेरे माई बाप हो तुम ही मेरे भाग्यविधाता हाथ जोड़ता पांव में पड़ता और झुकाता अपना माथा अच्छी खासी जीत दिलाना भागते भूत लंगोट न देना। परिचय :- डॉ. रमेशचंद्र मालवीय निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प...
बुढ़ापा
कविता

बुढ़ापा

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** गुज़रा ज़माना नहीं, वर्तमान भी होता है बुढ़ापा, सचमुच में चाहतें, अरमान भी होता है बुढ़ापा। केवल पीड़ा, उपेक्षा, दर्द, ग़म ही नहीं, असीमित, अथाह सम्मान भी होता है बुढ़ापा। ज़िन्दगी भर के समेटे हुए क़ीमती अनुभव, गौरव से तना हुआ आसमान भी होता है बुढ़ापा। पद, हैसियत, दौलत, रुतबा नहीं अब भले ही, पर सरल, मधुर, आसान भी होता है बुढ़ापा। बेटा-बहू, बेटी-दामाद, नाती-पोतों के संग, समृध्द, उन्नत ख़ानदान भी होता है बुढ़ापा । मंगलभाव, शुभकामनाएं, आशीष, और दुआएं, सच में इक पूरा समुन्नत शुभगान भी होता है बुढ़ापा। घुटन, हताशा, एकाकीपन, अवसाद और मायूसी, गीली आँखें पतन, अवसान भी होता है बुढ़ापा । संगी-साथी, रिश्ते-नाते, अपने-पराये मिल जायें यदि, तो खुशियों से सराबोर महकता सहगान भी होता है बुढ़ाप...
कोशिश कर …
कविता

कोशिश कर …

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** फासले भी गुजर जाएंँगे, मंजिल भी मिल जाएगा। कोशिश कर जीवन में, हर समस्या का हल पाएगा। हार न मान ,उदास न बैठ, तुम्हारा भी जरूर नाम होगा। कोशिश कर, हर बाधा से, जूझना आसान काम होगा। आंँधियों का दौर चलता रहेगा, इस जीवन चक्र में। मरूभूमि की तपिश सहन कर, जीवन भी आसान होगा। राह भटकाने वाले भी, मिलते रहेंगे इस जगत में। अडिग रह लक्ष्य पर, जरुर तुम्हारा मुकाम होगा। कोशिश से ही जीवन में, हर काम आसान होगा। जीवन का फलसफा सीख, तेरा पथ आसान होगा। आसमां पर उड़ने वाले, परिंदे अपना हुनर जानते हैं। कोशिश कर, उन परिंदों की भांँति, गगन अवश्य तुम्हारा होगा। परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" निवासी -  गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाध...
गिद्ध भोज
कविता

गिद्ध भोज

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** गिद्ध बड़े मजे से दावत उड़ाते हैं, बिना मेहनत से मिला खाते हैं, आज भी गिद्धों की बैठक हो रही है, बैठक भी वहीं जहां मिल गया गोश्त, आज झगड़ा भी नहीं सभी हैं दोस्त, आज तो बस जाम और साकी है, ऐसा खाये कि केवल हड्डी बाकी है, सबने देखा आज फिर कोई मरा है, हमारे लिए मैदान हरा ही हरा है, मगर ये क्या? इस मरने वाले को तो चार लोग कंधे पर उठाए हैं, आगे व पीछे भीड़ लगाए हैं, गिद्ध निराश हो गए, कई तो उदास हो गए, तब वृद्ध गिद्ध ने बोला, भाइयों इसका मांस हम नहीं खा सकते, क्योंकि ये इंसान है, ये अपने पीछे होने वाले नोचपने से अंजान है, इसे तो अभी जलाएंगे या दफ़नायेंगे, फिर कुछ दिनों के लिए ये सब गिद्ध बन जाएंगे, अब ये मरने वाले का शरीर नहीं नोचेंगे, बल्कि उनके परिवार वालों को नोचेंगे, हम तो वातावरण सा...
अनुशासन
गीत

अनुशासन

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** देता गौरव है अनुशासन, देखो अलख जगाएगा। अनुशासन के पालन से ही, नव परिवर्तन आएगा।। अनुशासन में बँधे निरन्तर,  सूरज चंदातारे हैं। सुबह शाम की भी है सीमा,  सधे अचर  चर सारे हैं।। अनुशासन ही  देता जीवन, अंधकार छँट जाएगा। देता गौरव है अनुशासन, देखो अलख जगाएगा।। डोरी जानो संस्कारों की, सिखलाता जिम्मेदारी। नेक राह पर हमें चलाता, हर कोई है आभारी।। बच्चे बूढों के चेहरों पर, यही रौनकें लाएगा।। देता गौरव है अनुशासन, देखो अलख जगाएगा।। पालन करो कड़ाई से तुम, और सभी को सिखलाओ। अगर राह में बाधा आये, महिमा इसकी बतलाओ।। फिर तुम नव इतिहास लिखोगे, जग सारा सुख पाएगा। देता गौरव है अनुशासन, देखो अलख जगाएगा।। परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ" निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश) पति : पुरुषोत्तम भट्ट ...
जय हो श्री बालाजी
भजन

जय हो श्री बालाजी

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** श्री बालाजी मेरे और मैं श्री बालाजी के संग सहारे जा रहे नाचते गाते सभी भक्त दर्शन को बिना विचारे सबके मनमोहक और सजे-धजे धाम के राज दुलारे श्री बालाजी मेरे और मैं सदैव श्री बालाजी के संग सहारे। सनातन धर्म की जय हो हिंदू राष्ट्र के भक्त पुकारे समस्याओं का समाधान चमत्कार से दरबार मे निखारे दूर दराज से पग-पग आकर नमन करें भक्त तुम्हारे श्री बालाजी मेरे और मैं सदैव श्री बालाजी के संग सहारे। अर्जी और मंत्र जाप के जरिये हो जाते हर काम हमारे कलयुग में कैसा चमत्कार काम हो रहे श्री बालाजी सहारे लगावे दिया करके याद नित्य पाठ करें और आरती उतारे श्री बालाजी मेरे और मैं सदैव श्री बालाजी के संग सहारे। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी...
डिजीटल पर मानव अटल
कविता

डिजीटल पर मानव अटल

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** आज का आधुनिक युग मानव कदापि रहा न रुक बेहिसाब काम के बोझ में डिजीटल में गया खुद झुक ।। डिजीटल क्या आ गया युग का दैनिक बदला काम कर लिया सब खूब आसान खूब बदल लिया काम ।। डिजीटल पर भरोसा फर्स्ट डिजीटल पर खूब है व्यस्त डिजीटल प्यारा घर परिवार सगे सम्बन्धी पड़ोसी का कोरा दिखावटी है स्नेह प्यार ।। है डिजीटल कहता है मानव खुद खुश व्यस्त और मस्त कौन है अपना कौन पराया डिजीटल का है स्वाद पाया मानव का मन डिजीटल ने चुंबक से ज्यादा चिपकाया ।। दुख सुख की सारी चिंता का डिजीटल को दुख दर्द बताया दुनिया में मानव खुद मानव से जिंदगी को डिजीटल है बनाया ।। शिक्षित क्या अशिक्षित कलम कागज छोड़ा हाथ के बजाय सबकुछ डिजीटल के भरोसे नोकरी व्यापार कारोबार डिजीटल से उपार्जन रोजगार दो जून रोटी जुगाड़ करने समूचा रिश्ता न...
पितर हमारे
कविता

पितर हमारे

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** पितृ पक्ष में सारे पितर हमारे आशीषों संग धरा पर हैं पधारे स्वागत है मन -प्राण व आत्मा से उनके प्रेम से हृदय हमने हैं सँवारे शुभ्र स्नेह व आशीषों से भरे हम जीते हैं उनकी स्मृतियों के सहारे प्रतिदान उनके‌ दान का है असंभव भाव-सुमन अर्पित, फल्गु के किनारे उनके बताये आदर्शों पर चलकर हम बनायें उन्हें, सदा ही परम सुखारे। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में गद्य, पद्य विधा में लेखन, प्रकाशित पुस्तक : "अस्माकं संस्कृति," (संस्कृत भाषा में) सम्मान : नव सृजन संस्था द्वारा "हिन्दी रत्न" सम्मान से सम्मानित, मु...
करवा चौथ
कविता

करवा चौथ

सोनल मंजू श्री ओमर राजकोट (गुजरात) ******************** भूख नहीं लगती है स्त्री को, करवाचौथ निभाने में, चाहे कितनी देर लगा ले चाँद आज नज़र आने में, उम्र बड़ी होगी या नही ये तो किसी को पता नहीं, आशा है प्यार बढ़ ही जायेगा यूँ त्याग दिखाने में।। आज जी भर संवरती, सोलह श्रृंगार करती है, सज के सुर्ख जोड़े में चाँद का दीदार करती है, उपहार मिले या ना मिले उसे कोई परवाह नहीं, पति की चाहत मिले, इसी का इंतजार करती है। तुम्हारा नाम अपनाती है उसका मान बन जाना तुम, जहाँ पर पा सके सुकूं ऐसा विश्राम बन जाना तुम, परीक्षा प्रेम की दे देगी चुनेगी जंगलों के काँटे भी, पत्नी गर सीता बन जाती है तो राम बन जाना तुम।। परिचय - सोनल मंजू श्री ओमर निवासी : राजकोट (गुजरात) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप...
चेहरा भाव
दोहा

चेहरा भाव

विजय गुप्ता "मुन्ना" दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** मानो कहकर सोचना, दे जाता अवसाद। जो सोचकर कहे सदा, मनमोहक हो नाद।। चेहरा भाव जानिए, अंतर्मन की चाल। कलम समझ तो अनवरत, भाषा मालामाल।। हाव_भाव गुण देन से, जीवन कुछ आसान। दोहरापन छिपा कहीं, कर लेते पहचान।। मुख से प्रकट कुछ करे, मन में रखे दुराव। भिन्न रूप अति सहजता, दिखता है स्वभाव।। पढ़कर भाषा अंग की, माना होती जीत। बचना हो जब गैर से, उसकी है ये रीत।। रिश्तों संग कटुता कभी, देती जब आभास। सहज ढंग परखो इन्हें, सुखद रहे आवास।। विभिन्न अर्थ नकारते, अपनी जिद की टेक। सदाचार ही खो गया, जो बन सकता नेक।। साफ झलकते भाव की, परख शक्ति ही शान। शब्द चयन आधार से, मृदु कुटिल पहचान।। गुण अवगुण दोनों रहें, जग मानव का सार। सहनशील हरदम नहीं, अवश्य करो विचार।। परख अनोखी चाहतें, संभव रहे बचाव। हर पहलू के रूप दो, गलत ...
उपजाऊ रेत
गीत

उपजाऊ रेत

भीमराव झरबड़े 'जीवन' बैतूल (मध्य प्रदेश) ******************** कविता के गाँव हुई, उपजाऊ रेत। लहकने लगे हैं अब, छंदों के खेत। शब्दों के सागर से, चुन-चुन के रत्न। सजा रहा आँगन को, धैर्य का प्रयत्न। पढ़ें गीत सोहर के, चिंतन अनिकेत।। लहकने लगे हैं अब, छंदों के खेत।।१ बाल रहे द्वार दीप, प्रमुदित अनुप्रास। संधि करे नैनों से, चपल सब समास। शिल्प कथ्य साध रहा, व्याकरणिक प्रेत।। लहकने लगे हैं अब छंदों के खेत।।२ लगे रंग रोगन में, सधे अलंकार। लीप रहे भाषा की, खुरदुर दीवार। रसिक व्यंजना परसे, नौरस समवेत।। लहकने लगे हैं अब छंदों के खेत।।३ परिचय :- भीमराव झरबड़े 'जीवन' निवासी : बैतूल मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के सा...
मतलब के रिश्ते-नाते है
कविता

मतलब के रिश्ते-नाते है

प्रमेशदीप मानिकपुरी भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़) ******************** धन दौलत तक माँ बाप से नाता है सबल होते ही तोड़े सब से नाता है अंत मे सब छोड़कर चले जाते है मतलब के सब रिश्ते और नाते है दौलत हो तो सब के रिश्तेदार है गरीब का कब कहाँ कोई यार है गरीबो से लोग रिश्ते भी छुपाते है मतलब के सब रिश्ते और नाते है अपना-अपना सब को कहते है पर पीड़ा अपने तक ही रहते है वक्त पड़े कोई साथ नहीं आते है मतलब के सब रिश्ते और नाते है लोग आते है और लोग जाते है जग मे निज-निज धर्म निभाते है कितने लोग जीवन मे ऐसे आते है मतलब के सब रिश्ते और नाते है परिचय :- प्रमेशदीप मानिकपुरी पिता : श्री लीलूदास मानिकपुरी जन्म : २५/११/१९७८ निवासी : आमाचानी पोस्ट- भोथीडीह जिला- धमतरी (छतीसगढ़) संप्रति : शिक्षक शिक्षा : बी.एस.सी.(बायो),एम ए अंग्रेजी, डी.एल.एड. कम्प्यूटर में पी.जी.डिप्लोमा रूचि : काव्य लेखन, ...
दर्ज ना हो …
कविता

दर्ज ना हो …

डॉ. अवधेश कुमार "अवध" भानगढ़, गुवाहाटी, (असम) ******************** फाड़ दो सब चिट्ठियाँ, कॉपी, किताबें, दर्ज ना हो देश का अभिमान जिसमें। काट दो इतिहास से वे पेज सारे, दर्ज ना हो वीरता - बलिदान जिसमें। खून के बदले मिला हमको तिरंगा, मत समझना मुफ़्त की सौगात है ये- तोड़ दो गद्दार के हर बाजुओं को, दर्ज ना हो हिंद - हिंदुस्तान जिसमें।। परिचय :- डॉ. अवधेश कुमार "अवध" सम्प्रति : अभियंता व साहित्यकार निवासी : भानगढ़, गुवाहाटी, (असम) शपथ : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कह...
सागर गहरा कितना क्या है
ग़ज़ल

सागर गहरा कितना क्या है

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** सागर गहरा कितना क्या है। मछुआरों ने ही समझा है। तेज हवा, लहरों से लड़ना, पतवारों की जीवटता है। गिर-उठकर चलना कश्ती ने, तूफानों से ही सीखा है। भाप बने या बर्फ वही जल, जाकर सागर में गिरना है। सूरज - अग्नि से बनकर भी, धरती का जल से रिश्ता है। मंथन के दौरान जो चाहा, सब कुछ सागर से निकला है। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास : अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति : शिक्षक प्रकाशन : देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान : साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच प...
अयोध्या
गीत

अयोध्या

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** देखो इन्तजार खत्म हुआ, अयोध्या मे मंदिर तैयार हुआ। भव्य मंदिर हे रामलला का, सुन्दर सुशील मनमोहक कला का रामलला अति सुन्दर लगते। सीता भी सयानी लगती। आगया देखो शुभ मुहूर्त आज। "जम्मूद्वीपे भारत खंडे आर्यार्वर्ते भारतवर्षे, एक नगरी है विख्यात अयोध्या नाम की , यह जन्मभूमि है परम पूज्य श्री राम की"। मगन हुये सब संत समाज, रामलला बिराजेगे आज। सुंदर तोरण द्वार सजे है, रांगोली हर घर द्वार सजेगी। पंक्तिबद्ध श्रृंखला दीपों की, जगमग-जगमग अयोध्या नगरी आज। कंचन बरस रहा मेघो से, श्वेत अश्व सुंदर है सजे हैं, घोड़ा बग्गी भी तैयार। चले अयोध्याधाम हे आज। रामलाल का भव्य मंदिर हे तैयार। जय श्री राम जय श्रीराम, जय-जय श्री अयोध्या जी धाम। परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य...
सहनशक्ति का पर्याय लहर
कविता

सहनशक्ति का पर्याय लहर

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** क्यों टकराती हो कूल से जानती हो ना तुम्हें लौटना होगा पुनः पवन के थपेड़े खाने के लिए तुम लहर हो, नारी हो सहन शक्ति का पर्याय बनो। तड़ाग के स्थिर जल में तुम्हें बहना नहीं टकराकर पुनः लौटना है प्रत्यागमन कर पवन के साथ अटखेलिया करते समय बीतता है बीच-तड़ाग के बीच में ही तड़ाग तुम्हें छोड़ देगा कूल के लिए। तुम जानती नहीं, ना समझ पाती हो पवन, पानी का वार्तालाप जो स्वयं के सुख के लिए तड़ाग के सौंदर्य के लिए तुम्हें टकराने के लिएं कूल तक भेजते हैं। दूर बहुत दूर से तुम्हें छटपटाता देख उल्लासित हो पवन, पानी मिलकर तुम्हें धकेलते है अपनी सुंदरता के लिए प्रकृति प्रेमी को उल्लसितकरने के लिए उसे गुनगुनाने, कलम चलाने को बाध्य करते हैं ताकि साहित्य नया रचा जा सके जो जन् मानस में स्फुरण भर सके।। ...
हिन्दी
कविता

हिन्दी

बृजेश आनन्द राय जौनपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** उत्तर, दक्षिण ,पूरब, पश्चिम, एक सभी का नारा 'हिन्दी' भारत में जनमन की 'जीवन-शिक्षा-धारा'।। सर्व-प्राचीना-संस्कृत-जननी भगिनी जिसकी सब भारत भाषा दर-दर की बोली 'शिशु-सरल' निर्मल जिसकी मातृ अभिलाषा इन बोली, उपभाषा में बसता प्राण हमारा हिन्दी भारत में जनमन की 'जीवन-शिक्षा-धारा'।। माँ की लोरी, पिता का गान गिनती, पहाड़ा,अक्षर-ज्ञान कविता, कहानी और विज्ञान विकसित-सोच-समझ-अनुमान मातृभाषा में ही अपने- पलता संस्कार हमारा हिन्दी भारत में जनमन की- 'जीवन-शिक्षा-धारा'।। अंग्रेजी, फ्रेंच, इटाली, जर्मन रूसी, चीनी, कोरियाई, बर्मन हित्ती, ग्रीक, युनानी, रोमन अल्बानी, तुर्की, फारसी, अर्बन होंगी बहुत सी भाषाएँ पर हिन्दी सबसे मधुरा-प्यारा हिन्दी भारत में जनमन की- 'जीवन-शिक्षा-धारा'।। ब्रज, बुन्देली, कौरवी...
यादें
कविता

यादें

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** ज़ख्म हरे होने में देर नहीं लगती यादों को कूरेदोगे तों अश्क निकल आएंगे यादों का सैलाब पीछा नहीं छोड़ता है तुम से कारवां कारवां से सैलाब बन जाओ, यादों को जश्न सा मनाओ यारों बीत गया सो रित गया आगे बढ़ो नये आयाम थामो। जेहनं में जिंदगी के फलसफे लिखे हैं l इन फलसफो का इतिहास बनाओं यारों।। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी...
गाँधी जी का रूप निराला
कविता

गाँधी जी का रूप निराला

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** गाँधी जी का रूप निराला, गमछा लकडी चश्मा काला। शान्ति से क्रान्ति तुम करते, सविनय, दाण्डी, अग्रेंजो तुम भारत छोड़। राष्ट्र पिता भारत के तुम हो, पक्के देश भक्त भी तुम हो, अग्रेंजो की ठठरी बारी, विदेशी कपडो की होली बारी, पहुँचाया सबको निजधाम, भारत माता की जय-जय कार। कितने जुल्म सहे लोगो ने। कितने अत्याचार सहे लोगो ने, हार ना मानी जीते हे आप। विश्व गुरु फिर बनेगा आप। जय हिंद जय भारत। परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन विशिष्ट उपलब्धियां : १. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल जबलपुर से सम्मानित २. अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन से सम्मानित ३. १५००+ कविताओं की रचना व भजनो की रचना रूचि : कविता लेखन...
हम डूब जाएं पानी में
कविता

हम डूब जाएं पानी में

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** (२०१२,२०१३ दामिनी घटनाओं से आहत) देश डूब जाए पानी में तब न होगा रेप, न होंगी हत्याएँ न ही क़त्ल की चर्चा होगी, न ही डाके की घटना होगी। किंतनी गुड़िया आहत होंगी, कितनी देंगी क़ुर्बानी कितनी कलियाँ मुरझाएँगीं, कितने जीवन होंगे पानी पानी। कितनी गुड़िया चीख़ेंगीं, कितनी गुडियां तड़पेंगीं कितनी गुड़िया क़ुरबान चढ़ेंगी, प्रतीक्षा प्रलय की अगवानी में। देश डूब जाए पानी में। न गुड़िया घायल होंगीं, न गुड़िया को ग्लानि होगी न उसकी सिसकी गूँजेंगीं, न भारत की अस्मत पानी होगी गुडियां बच भी जाएँ तो क्या, घायल की गति घायल ही जाने उसके मन में क्रंदन होगा, आग लगे अब पानी में। देश डूब जाए अब पानी में। परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश) वर्त...
खुश्क तबियत
ग़ज़ल

खुश्क तबियत

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण" इन्दौर (मध्य प्रदेश)  ******************** खुश्क तबियत हरी नहीं मिलती। और फिर रसभरी नहीं मिलती।।१।। लोग कहते कि चाँदनी देखो, चाँदनी साँवरी नहीं मिलती।।२।। नाज़ नखरे हजार होते हैं, रूपसी बावरी नहीं मिलती।।३।‌। नाज़नीनों को भटकते देखा, आप सी सहचरी नहीं मिलती।।४।। हूर तक को उतार लेता पर, आप जैसी परी नहीं मिलती।।५।। इश्क नमकीन हुस्न मीठा है, प्रीति भी चरपरी नहीं मिलती।।६।। "प्राण" की प्यास आखिरी होगी, ज़िन्दगी दूसरी नहीं मिलती।।७।। परिचय :- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण" निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी...