उनकी याद में …
बृजेश आनन्द राय
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
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उनकी याद में ऑखें लगी, बरसात हो गई!
बीते सपनों से मुझे जगा, ये 'रात' सो गई !!
यही रात जो प्यासे जग की किस्से सुनती थी
यही रात जो चॉदनियों में हॅस-हॅस मिलती थी
यही रात कि जिसमें छत पे पायल छमके थे
यही रात जो अभिसारों में खोकर रहती थी
यही रात आज ऑसुओ की लड़ियॉ पिरो गईं!
बीते सपनों से मुझे जगा, ये रात सो गई!!
यही रात जिसमें सब-लुटकर तुमको पाया था
यही रात जिसमें गीतों-से हृदय सजाया था
यही रात जिसमें अम्बर में तारे बिखरे थे
यही रात, रूप से तेरे, हम भी निखरे थे
यही रात आज हर सुख पे संघात हो गई !
बीते सपनों से मुझे जगा, ये रात सो गई !!
यही रात है जिसमें तुमको अपलक देखा था
यही रात है जिसने तुमसे विधि को लेखा था
यही रात में रूपवती इक सजनी सोई थी
यही रात है जिसने मीठी यादें बोई थी
यही रात आज विरहों-भरी इक...