मन नहीं करता
मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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तमाशबीन इस जग में
जीने का मन नहीं करता
गड्ढे में सड़कें हैं
चलने का मन न ही करता
नक्शों में सड़कें दिख तो जातीं हैं
उन्हें पगडंडी कहने का मन नहीं करता
पेड़ों पर शाखें हैं जमीन में जड़ें हैं
फूल तो दूर पत्तों को
देखने का मन न ही होता।
नदियों में पानी नहीं,
धरतीं को छेद रहे
पर धरती का सानी नहीं
चुल्लू भर पानी में
डूब मरने का मन करता।
बड़ों के ठाट वही
छोटो की बात वहीं।
भूखे नगौ की बात कहां
श्मशान में कफ़न
जलाने का मन नहीं करता
परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पी...