टकरा गईं आँखें
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रचयिता : शिवम यादव ''आशा''
हुस्न की दीवार से वो तो टकरा गई
चाँदनी चाँद से भी है शरमा गई
मज़हबी लोग भी मोहब्बत को
करने लगे
तेरी मोहब्बत ही मज़हब पर
असर कर गई
तेरी चाहत ने उसपर
कयामत है ढाई
आंखों से आंखें
लड़कर भी हैं मुस्कुराईं
चाह में दर बदर
तेरा इस कदर मिलना
तू शाम थी या सुबह
मेरे समझ में न आई
लेखक परिचय :- नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं, अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !!
काव्य संग्रह :- ''राहों हवाओं में मन "
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