प्रियतम
***********
भारती कुमारी (बिहार)
हो गयी अग्नि परीक्षा,
सम्मान कर लो आत्मा की।
व्यथा ह्रदय की सुन लो,
बस वाणी में अमृत घोलो।
.
तेरी मधुर प्रेम की प्यासी,
सम्मान कर लो अनुनय प्रेम की।
खिलकर मुरझाना पसंद है,
बस अपमान की व्यथा में ना धकेलो।
.
गर्व मैं करूँ तपस्वीनी-सी,
ध्यान मैं तेरा धरूँ मनस्वीनी-सी।
पहचान हो जगत में दीपशिखा-सी,
बस प्रियतम की चरणामृत पान करूँ।
.
लेखक परिचय :- भारती कुमारी
निवासी - मोतिहारी , बिहार
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें...