प्रेम धुन सुन रही
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भारती कुमारी
(बिहार)
कुछ उम्मीदें बुन रही,
शरद चाँदनी पी रही,
मन हीं मन जी रही,
प्रिये तुझे चुन रही,
प्रेम धुन सुन रही।
खुद में सिमट रही,
हृदय कुछ कह रही,
धरती से अम्बर तक,
तुझे हीं मन ढूंढ रही,
प्रेम धुन सुन रही।
नयन प्रेम पथ निहारती,
बस पल-पल पुकारती,
आ जाओ अब प्रिये,
मन मधुर प्रीत में खो रही,
प्रेम धुन सुन रही।
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लेखक परिचय :- भारती कुमारी
निवासी - मोतिहारी , बिहार
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