बाती में जब …
रशीद अहमद शेख 'रशीद'
इंदौर म.प्र.
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बाती में जब कभी समाहित होता स्नेह!
दीपशिखा से तभी प्रकाशित होता स्नेह!
उस बस्ती में कभी नहीं रहता है चैन,
जिस बस्ती से अगर विलोपित होता स्नेह!
लाभ उठाते धरा निवासी सारे लोग,
हर सरिता से सतत् प्रवाहित होता स्नेह!
कालजयी हैं अनुपम हैं वे सब रचनाएँ,
जिनसे जग में नित्य प्रसारित होता स्नेह!
महिला कोई प्रसू कहाती है जिस रोज़,
अविभाजित है मगर विभाजित होता स्नेह!
कलह नहीं हो सकती हावी उस घर में!
निशि-दिन प्रति क्षण जहाँ विराजित होता स्नेह!
उल्फ़त के ही दीप जलाया करो ''रशीद'
नफ़रत से हर ओर समापित होता स्नेह!
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लेखक परिचय :- नाम ~ रशीद अहमद शेख
साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’
जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१
जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत
शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी•...