तेज हवा का झोंका
सुरेखा सुनील दत्त शर्मा
बेगम बाग (मेरठ)
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मोम के जैसा मन है उसका
गर्म हवा के झोंके से पिघल गया होगा
बड़ी चंचल थी कड़कती बिजली ओं की तरह
तेज बारिश ने किसी के घर पर गिरा दिया होगा
कभी वक्त के हाथों फिसल गया होगा
नादान दिल ही तो है किसी और का हो गया होगा
समंदर नहीं है नदी ही तो है
किसी और नदी में समा गया होगा
कब तक चलता वो कांटे भरे रास्तों पर
कोई मखमली रास्ता मिल गया होगा
बारिश के बाद सतरंगी जीवन उसका
किसी इंद्रधनुष्य सा आसमान में समा गया होगा
कोई तेज हवा का झोंका आ गया होगा
हमसे दूर उड़ाकर ले गया होगा
मोम के जैसा मन है उसका
गर्म हवा के झोंके से पिघल गया होगा।।
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परिचय :- सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा
साहित्यिक : उपनाम नेहा पंडित
जन्मतिथि : ३१ अगस्त
जन्म स्थान : मथुरा
निवासी : बेगम बाग मेरठ
साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास
प्रकाशित साहित्...