दूरिया : तुम्हारी फिक्र होती हैं
निर्मल कुमार पीरिया
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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हैं दूरी चंद कदमों की,
हवा का रुख सहमा हैं,
जी लू मन भर संग तेरे,
फिज़ाओ में जहर सा है...
तबियत अब नही लगती,
महकते इन नजारों संग,
छू पाये ना कोई साया,
अजब कैसी बेबसी हैं...
सुहानी भोर की मधुरता,
अब तो रास नहीं आती
सरेशाम हैं सिमट जाते,
तुम्हारी फिक्र होती हैं...
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परिचय :- निर्मल कुमार पीरिया
शिक्षा : बी.एस. एम्.ए
सम्प्रति : मैनेजर कमर्शियल व्हीकल लि.
निवासी : इंदौर, (म.प्र.)
शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं
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