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पद्य

निगाहे इश्क़ में
ग़ज़ल

निगाहे इश्क़ में

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ अरकान- मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन कैसी निगाहे इश्क़ में तासीर हो गई। जिस पर पड़ी नज़र तेरी तस्वीर हो गई।। निकला न ख़ून जिस्म से घायल हुआ हुँ यूँ। क़ातिल नज़र थी ऐसी जो शमशीर हो गई।। बाहों मे बंध के हो गया क़ैदी किसी का मैं। माला गले की पांव में ज़ंजीर हो गई।। घर में बचा है कुछ न जरूरत है कुछ मुझे। दीवानगी मेरी मेरी जागीर हो गई।। कल तक सभी थे साथी जहाँ में "निज़ाम" के। तन्हा हूँ आज कैसी ये तक़दीर हो गई।। परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीयहिंदी रक्...
तीज
कविता

तीज

होशियार सिंह यादव महेंद्रगढ़ हरियाणा ******************** सावन शुक्ल तृतीया, कहाए पर्व तीज, हरियाली चहुं ओर, टिड्डे जाते हैं रीझ, पूरे देश में पर्व मनाते, परंपरा है पुरानी, शिव पार्वती की पूजा, सुनते हैं कहानी। सावन के झूले पड़े, मन में उठे हिलौर, झूला देती सखियां, छुप हुआ चितचोर, सावन की घटा छाई, नाचे मन का मोर, पानी लेने चल पड़े, बिजली चमके घोर। हरियाली तीज आई, मिलती मिठाई घेवर, आपस में बात करते, भाभी संग में देवर, बतासों का उपहार, आये बेटी के ससुराल, नई नवेली दुल्हन के, मन में एक सवाल। दादुर सुर में गा रहे, टिड्डे छेड़े राग मल्हार, साजन सजनी तरस रहे, ऑँखों में है प्यार, एक साथ पड़ रही, नभ से बूंद कई हजार, चकवा चकवी ताक रहे, अब डूबेंगे प्यार। विरह में डूबी हुई, एक नवेली झूला झूले, सोच रही क्या बात हुई, साजन हमको भूले, आये ना यह विरह की रात, करती है बेचैन, जब विदेश से साजन आये, तब ...
इन्तजार
ग़ज़ल

इन्तजार

मधु टाक इंदौर मध्य प्रदेश ******************** इन्तजार में तेरा आशियाँ बनाती रही दरवाजे पर यूँ बंदनवार लगाती रही लौट ही आयेगा दिल की जमी पर खुद को झूठी दिलासा दिलाती रही सूरत यार की दिल में सजा रखी है अपनी चाहत शिद्दत से निभाती रही इस बात का यकीन है तू नहीं मेरा तेरा ही नाम की मेंहदी रचाती रही मुहब्बत का अहसास ऐसे जताया जमी पर ही जन्नत दिखाती रही गुम हुई हूँ इस तरह विरानियो में दुनिया से खुद को ही छुपाती रही तुझे इल्म नहीं है मेरी मुहब्बत का तेरे अश्क़ मेरी आँखों से बहाती रही खुद में ही खुदा को पा लिया है "मधु" पत्थरों से ये झूठा रिश्ता निभाती रही परिचय :-  मधु टाक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा स...
हरियाली तीज
कविता

हरियाली तीज

विमल राव भोपाल म.प्र ******************** गिरिराज किशोरी पुत्री नें शिवनाथ सो ब्याह रचावन कों हरियाली सो श्रृंगार रच्यों हरियाली तीज मनावन कों सब सखियन संग श्रृंगार कियो श्रावण कों मास सज्यो झूला हरियाली तीज करों री सखी शिव पार्वती कों मिल्यो दूल्हा हिल मिल सखियन संग गाऊँगी श्रद्धा सो तीज मनाऊँगी बन पार्वती मैं भोले की भस्मी मैं आज रमाऊँगी परिचय :- विमल राव "भोपाल" पिता - श्री प्रेमनारायण राव लेखक, एवं संगीतकार हैं इन्ही से प्रेरणा लेकर लिखना प्रारम्भ किया। निवास - भोजपाल की नगरी (भोपाल म.प्र) विशेष : कवि, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रदेश सचिव - अ.भा.वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन संस्थान म.प्र, रचनाएँ : हम हिन्दुस्तानी, नई दुनिया, पत्रिका, नवभारत देवभूमि, दिन प्रतिदिन, विजय दर्पण टाईम, मयूर सम्वाद, दैनिक सत्ता सुधार में आए दिन लेख एवं रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं। घोषणा पत्र : म...
राखी अब आने वाला है
कविता

राखी अब आने वाला है

विशाल कुमार महतो राजापुर (गोपालगंज) ******************** बंधेगा अब रिश्तों डोर, गलियों में भी होगा शोर, भाई-बहन में होगी खुशियां, चारो ओर चारो ओर हर भाई-बहन के चेहरों पे खुशियों को लाने वाला है, धागे में सिमटे स्नेह प्यार भईया को जताने वाला है , सुन भाई मेरे, सुन भाई मेरे अब राखी आने वाला है। अब राखी आने वाला है। कभी गुस्सा कभी प्यार, कभी भईया की बुराई करें। कभी झगड़ा, कभी लड़ाई करें फिर भी बहना कि रक्षा भाई करें। इस धागे में प्यार अपार है, ये बात बताने वाला है सुन भाई मेरे, सुन भाई मेरे अब राखी आने वाला है। अब राखी आने वाला है। माथे पर तिलक लगायेगी, भईया को मिठाई खिलायेगी। जब राखी कलाई में बांधेगी, फिर उपहार भईया से मांगेगी। राखी का फर्ज भी प्यारा भईया भी निभाने वाला है, सुन भाई मेरे, सुन भाई मेरे अब राखी आने वाला है। अब राखी आने वाला है। परिचय :- विशाल कुमार महतो निवासी : राजापुर (...
ऐ युवा हिन्दूस्तान सुनों
कविता

ऐ युवा हिन्दूस्तान सुनों

मंगलेश सोनी मनावर जिला धार (मध्यप्रदेश) ********************** हम ना भूलेंगे देश के वीरों का बलिदान सुनों। उठो, जागो, कमर कसो, ऐ युवा हिन्दूस्तान सुनों।। शत्रु चढ़ आया सरहद पर, देश की आन ना जाने पाए, जान भी जाये पर सम्मान न जाने पाए। डटे रहना, सीना तानें, मेरे वीर जवान सुनों, उठो, जागो, कमर कसो, ऐ युवा हिन्दूस्तान सुनों।। कहां हो देश का दुश्मन हमें ललकार रहा, कभी गलवान, कभी डोकलाम में फुंफकार रहा। देश की सेना के बाहुबल और पुरुषार्थ सुनों, उठो, जागो, कमर कसो, ऐ युवा हिन्दूस्तान सुनों।। विश्व ने माना वीर प्रसूता भारती के फौलादी इरादों को, मौन किया हमने, पराक्रम से, रणभेरी व शंखनादों को। हे अर्जुन के गांडीव और अभिमन्यु के बाण सुनों, उठो, जागो, कमर कसो, ऐ युवा हिन्दूस्तान सुनों।। परिचय :-  मंगलेश सोनी युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार निवासी : मनावर जिला धार (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्...
मेरा मन – नीला आकाश
कविता

मेरा मन – नीला आकाश

सोनल पंजवानी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आसमान की मुट्ठी से इक नीला सा सच निकला जो कहता था तुम चलो ना चलो पर रहोगे साथ ही मेरे ख़्वाबों और खयालों में यूँ पलोगे साथ ही एक तपिश से झूझता हर सच कुछ न कर पाया और मन की ओस ने तुम्हे समेट लिया दिल ने सराबोर कर दिया इक मीठी याद से अब तुम ही कहो कैसे जा पाओगे इस मन आँगन से कि तुलसी की क्यारी और आँगन की सौंधी मिट्टी तक में तुम्हारी जड़ें सिमटी हुई हैं। परिचय :- सोनल पंजवानी शिक्षा : एम. कॉम, इंटीरियर डिजाइनिंग जन्म : २९ जून निवास : निपानिया, इंदौर (म. प्र.) व्यवसाय : इंटीरियर डिजाइनिंग रूचि : साहित्य पठन, चित्रकारी, म्यूरल, पेंटिंग्स, संगीत इत्यादि सम्मान : इतिहास एवम् पुरातत्व शोध संस्थान, बालाघाट की ओर से 'कुल भूषण श्री' अलंकार से सम्मानित, इतिहास एवम् पुरातत्व शोध संस्थान, बालाघाट की ओर से 'हिन्द केसरी श्री' अलंकार से सम्मानि...
गुरु की शिक्षा
कविता

गुरु की शिक्षा

राज कुमार साव पूर्व बर्धमान (पश्चिम बंगाल) ******************** गुरु वही है........... जो हमें जीने का मार्ग दिखाएं, अच्छे- बुरे की पहेचान करवाएं, हमारे जीवन को गतिमान बनाएं, हर कठिन सवालों का सरलता पूर्वक हल करवाएं, संसार में फैले हुए कुरीतियों से हमें बचाएं, हमें समय के महत्व को बताएं, समाज में हमें जीने योग्य बनाएं हमारे जीवन में आने वाली हर संकट से निपटने का सही मार्ग दिखाएं, जाति- धर्म का पाठ पढ़ाए, हमें कर्तव्यर्निष्ठ बनाएं, हमारा भविष्य बनाएं, हमें समाज में शिक्षित बनाएं।। परिचय :- राज कुमार साव निवासी : पूर्व बर्धमान पश्चिम बंगाल घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने ह...
शिक्षक की पुकार
कविता

शिक्षक की पुकार

डॉ. राजेश कुमार मौर्य मधुबनी ******************** विद्यार्थी हैं देश के भविष्यनिधि। शिक्षकगण भी हैं एक कस्तूरी। अच्छे भविष्यनिधि का करना है यदि निर्माण। सच्चे मन से रखना होगा हमको इनका अभी ध्यान। इनसे ही होगा राष्ट्र की पहचान यही होंगे निर्माता और बनेंगे कर्णधार। इस मुसीबत से इन सब को बचाना है। घर से बाहर बहुत जरूरी होने पर ही बाहर जाना है। प्रत्येक विद्यार्थी-शिक्षक है अनमोल। हल्के में न इसको तौल। इनके जीवन को ना खतरे में डालो। कुछ दिन परीक्षाओं को अभी और टालो। मनोदर्पण का उद्देश्य हो जाएगा साकार। सबके प्रयास से ही होंगे इस मुसीबत से पार। प्रज्ञाता भी देखो आया। ऑन लाइन शिक्षण के नियम बताया। शिक्षक संग मातपिता करेंगे पालन। दुष प्रभाव से बचेंगे अब सभी के लालन। परीक्षायें व अन्य शैक्षणिक कार्य जीवन से है नहीं बड़े। ऐसी इच्छायें न कर दे सबको मौत के द्वार खड़े। इनको ना देना ऐसे ही छोड़। य...
नारी ही है
कविता

नारी ही है

बबली राठौर पृथ्वीपुर टीकमगढ़ (म.प्र.) ******************** कहीं-कहीं त्याग की नारी और मूर्ति महिमा है इसके रूप कई और वो माँ की छाँव ममता है सहनशील रखने वाली खुशलता की प्रतीक है घर परिवार को अपना जीवन देने वाली नारी ही है कहीं दुर्गा तो कहीं काली बनी पूजी जाने वाली भी नारी ही है आज कल तो ये सब एक सपना सा लगने लगा है प्राचीन काल की संस्कृति क्योंकि घिसने लगी है फिर भी इस जमाने में कई औरतें सभ्यता संभाले हैं पहचान, गरिमा को अपना वक्त देने वाली नारी ही है कहीं दुर्गा तो कहीं काली बनी पूजी जाने वाली भी नारी ही है औरत अगर चाहे तो अपने घर को स्वर्ग भी बना देती है मगर ना समझे अपने को, गलत राहें चल नरक जीवन कर लेतीं हैं ना समझी अपना कर अपनी जिन्दगी को खिलौना बनातीं हैं लालच, महत्वकांक्षा को अपना सतित्व खोने वाली नारी है कहीं दुर्गा तो कहीं काली बनी पूजी जाने वाली भी नारी ही है परिचय :- बबली...
कल्पना
कविता

कल्पना

ओमप्रकाश सिंह चंपारण (बिहार) ******************** विरह की अगन बनकर तूम भी बहुत पल जल चुकी हो। अब प्यार की पावस बनकर जरा बरस कर देखो। गीत बनकर पुष्प बन हार बनकर पा चुकी महिमा बहुत सृंगार बनकर। बोलो अब मौन ब्रत तोड़ो मेरे शुष्क हृदय में उतरकर। अपने अधरों में छुपे हास को विखरो कल्पना जन्म जन्मान्तरों के बंधनों से। उन्मुक्त होकर फिर ये अनन्त नाद फिर से भर दो। तुम कालचक्र हो केशव का माया बंधन को छिन्न भिन्न कर दो। पल भर में दिव्य चेतना की अमृत रस ह्रदय पटल में भर दो। शंकर की डमरू बन कर तुमअनन्त नाद भर दो। माँ सरस्वती की विणा बन कर तुम कल्पना अनन्त स्वर भर दो। कल्पना तुम ही तो कवियों की सवामिनी हो। अनन्त राग रागनी हो प्यास और नदिया तुम्ही हो। तुम्ही पाप और पुण्य हो परिचय :- ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा) ग्राम - गंगापीपर जिला - पूर्वी चंपारण (बिहार) सम्मान - राष्ट्रीय हिंदी र...
सावन का महीना
गीत

सावन का महीना

संजय जैन मुंबई ******************** मधुर मिलन का ये महीना। कहते जिसे सावन का महीना। प्रीत प्यार का ये महीना, कहते जिसे सावन का महीना। नई नबेली दुल्हन को, प्रीत बढ़ाता ये महीना।। ख्वाबो में डूबी रहती है, दिन रात सताती याद उन्हें। होती रिमझिम रिमझिम वारिश जब भी, दिल में उठती तरंगे अनेक। पिया मिलन को तरस रही है, इस सावन के महीने में वो।। रोग लगा है नया नया, ब्याह हुआ है अभी अभी। करे इलाज कैसे इसका, मिट जाए ये रोग नया। पिया मिलन तुम करवा दो, सावन के इस महीने में।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेख...
नारी उत्पीड़न
कविता

नारी उत्पीड़न

रवि कुमार बोकारो, (झारखण्ड) ******************** रो रही हूँ सिसक-सिसक्कर ना पोंछता कोई आँसु है, आँसु की नदियाँ बह चली रोकना भी अब बेकाबू है। नैन निहारे ताक रही है खड़ी घर मे चौखट सहारे, क्यूं होता हे नारी उत्पीड़न? सोंच रही हे नैन सुलाये। माँ चाहिए बहन चाहिए चाहिए प्यारी-सी पत्नी। फिर क्यूं गर्भपात कराते हो? जब गर्भ में बेठी थी बेटी। इनको भी अधिकार चाहिए समाज से थोड़ा प्यार चाहिए, माँ की ममता- बहन का प्यार नारी से है घर संसार। परिचय :- रवि कुमार निवासी - नावाड़ीह, बोकारो, (झारखण्ड) घोषणा पत्र : यह प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीयहिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टा...
तब गाँव हमें अपनाता है
कविता

तब गाँव हमें अपनाता है

मुकेश गाडरी घाटी राजसमंद (राजस्थान) ******************** आई विडम्बना ऐसी की दूर गया में गाँव से, कुछ धन कमाने को में चल पड़ा शहर की ओर। प्रदूषण से जब होने लगे घुटन शहर में, गाँव जाना तब मन मेरा करता है ....... तब गाँव हमें जो अपनाता है। शिक्षा ग्रहण के लिए विदेश जो जाते, ना मिले जब संस्कार परिवार के तब जीवन है अधूरा। चौपाटी पर बैठ गप्पे जो मारना मन को बढ़ा भाता, गाँव ना जाकर मन विचलित मेरा हो जाता है ......... तब भी गाँव हमें जो अपनाता है। खेत पर जाकर भूमि पुत्र बन जाना, बीज को मिट्टी में मिला कर सोना उगवाते। चारों तरफ हरियाली देखने को मिल जाती, तकनीक का मंत्र ऐसा आया सब उसमें डूब गए। जन लोग शहर की ओर पलायन कर जाते हैं....... तब भी गाँव हमें जो अपनाता है। परिचय :- मुकेश गाडरी शिक्षा : १२वीं वाणिज्य निवासी : घाटी (राजसमंद) राजस्थान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया...
फुटपाथ
कविता

फुटपाथ

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** देख ले वो जिंदा है या मुर्दा है जो शख्स सोया है फुटपाथ पर कोई रोता है कोई मुस्कुराता है जिंदगी, मौत दोनों है फुटपाथ पर कोई खेल रहा कोई बेच रहा है अमीरगरीब बच्चा है फुटपाथ पर तंग गलियों में जो नही बिकता है सबकुछ बिकता है फुटपाथ पर गांववाले न जाने शहर की बात शहर जीता मरता है फुटपाथ पर बस यही एक बात सुकून देती है नस्लभेद नही होता है फुटपाथ पर। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं,...
हरियाली तीज
कविता

हरियाली तीज

डॉ. भगवान सहाय मीना बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, (राजस्थान) ******************** साजन, सावन की सुरंगी आई बहार, कोयल बोले वाणी रस की। अब तो आ गया है तीज का त्योहार, आजाओं मेरी नहीं बस की। सूनी सेज तड़पती तेरे बिन, हे ! ननद के वीर। ससुराल का क्या सुख, मैं जाउंगी अपने पीहर। तेरे वादे झूठे, खिंचे पानी पर लकीर। यह बढ़ते ही जातें, जैसे द्रोपदी का चीर। परसों के दिन आ गये, मेरी सहेली के साजन। उदास हरियाली तीज, तेरे बिन सूना लगें सावन।। परिचय :- डॉ. भगवान सहाय मीना (वरिष्ठ अध्यापक राजस्थान सरकार) निवासी : बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, राजस्थान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर ...
कितना ख़्याल वो रखता हैं
कविता

कितना ख़्याल वो रखता हैं

निर्मल कुमार पीरिया इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मेरी हर चीज, सहेज कर रखता हैं, ये ख्याल भी हैं कि, मन मे बसाये रखता हैं... चाहा जब करना बातें, बैठ सामने शीशे वो, मन भर ख़ुद ही से, पहरो गुफ़्तगू करता हैं... मेरा हर ख्याल सहेज कर रखता हैं। मेरा हर लम्हा, सहेज कर रखता हैं, मलमली सी वो यादे भी, दिल मे बसाये रखता हैं... संगी सतरंगी लम्हें को, कभी रुठे,भीगे हर पल को, पलछिन मुस्काते लम्हों संग, तरतीब से वो पिरोता हैं... मेरा हर वक़्त सहेज कर रखता हैं। मेरा हर हिस्सा, सहेज कर रखता हैं, महकी बाहें,बहकी बातें, शरमाती वो मदमाती रातें... अलकों में अटके चाँद का, साँसों में महकी साँस का, रक्त सीप में टके जो मोती, नखशिख,नजरो से सजाता हैं.. मेरा हर रंग रूप सहेज कर रखता हैं। मेरा हर वक़्त सहेज कर रखता हैं। मेरा हर ख्याल सहेज कर रखता हैं। मेरी हर चीज ,सहेज कर रखता हैं... परिचय :- निर्मल कु...
सावन से
गीत

सावन से

डॉ. चंद्रा सायता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** तुम जाकर भैया से मेरे, ये संदेशा कहना दूर बसा तू आ न सकेगी ये तेरी बहना। भाई-बहन की प्रीत का पर्व जब-जब आता। क्या बाबुल क्या अपने परायो को है यह हर्षाता। रूसा रूसी मनुहार बिन मजा नहीं था आता। नयन नीर ना तू अब अश्रु बनकर बहना। कर में बांधकर राखी माथ तिलक लगाती। चंदा सा मुख देख-देख मैं वारी-वारी जाती। वह रक्षा प्रण लेता, मैं स्नेह दीप जलाती। प्यारी प्यारी सूरत तू इन आंखों में रहना यह देस छोड़कर तेरा यूं परदेस चले जाना। अनचाहे ही मैंने इसको विधि-विधान है माना टूट गया हिरदे-आंचल ताना और वाना। ना मिल सकने का ही तो शूल मुझको सहना। याद आज भी आते मुझको वो सावन के झूले। वो राखी वाले हाथ कहो बहना कैसे भूले? क्या जानू. मैं शाखों पे कब गुलाब थे फूले। तेरा प्यार बना रहेगा मेरा जीवन गहना। तुम जाकर भैया से मेरे ये संदेशा कहना। दूर बसा त...
चला जाऊँगा
ग़ज़ल

चला जाऊँगा

आदर्श उपाध्याय अंबेडकर नगर उत्तर प्रदेश ******************** रहकर तुम्हारी यादों में कुछ दिन और फिर मैं अपनी मंजिल की ओर चला जाऊँगा। क्यूँ रो रहे हो मेरे ख़ातिर ऐ दुनिया वालों कुछ दिन बाद तुम्हारी यादों से चला जाऊँगा। ये दुनिया इन्सान को इन्सान नहीं समझती इन्सानियत से थककर मैं अब चला जाऊँगा। ये दुनिया क़ाबिलियत को क़ाबिल नहीं समझती क़ाबिलियत को ज़मीं पर रखकर मैं चला जाऊँगा। लोग तारीफ़ की ही तारीफ़ करना चाहते हैं ख़ुद की तारीफ़ सुनने यमलोक चला जाऊँगा। दुनिया ये मोहब्बत को मोहब्बत नहीं देती मोहब्बत पाने माँ की गोद में चला जाऊँगा। क्या है ख़ुदा और क्या है उसकी ख़ुदाई देखने सब उसके पास चला जाऊँगा। जब - जब सताएगी मुझे माँ की याद झट से मैं उसके पास चला जाऊँगा। रहकर तुम्हारी यादों में कुछ दिन और फिर मैं अपनी मंजिल की ओर चला जाऊँगा। परिचय :- आदर्श उपाध्याय निवासी : भवानीपुर उमरी, अं...
सावन ना बरसा
कविता

सावन ना बरसा

मनीषा शर्मा इंदौर म.प्र. ******************** मेरा ये बावरा मन पिया मिलन को तरसा सखी अब के बरस भी सावन ना बरसा छाते रहे यादों के बादल तो बहुत बादलों को देख मन घड़ी भर हर्षा सखी अब के बरस भी सावन ना बरसा बरस भर किया था सावन का इंतजार पल-पल बीता ऐसे जैसे कोई अरसा सखी अब के बरस भी सावन ना बरसा बीता जाए सावन नाआए बैरी पिया लागे मोहे अब तो कुछ- कुछ डर सा सखी अब के बरस भी सावन ना बरसा बहुत संभाला था मैंने खुद को मगर छलक ही गया दो नैयनन का कलसा सखी अब के बरस भी सावन ना बरसा परिचय :-  मनीषा शर्मा जन्म : २८/८/१९८२ शिक्षा : बी.कॉम., एम. ऐ. लेखन शुरुआत वर्ष : लेखन में रुचि बचपन से है लेखन विधा : कविता ,व्यंग्य ,कहानी समसामयिक लेखन। व्यवसाय : आकाशवाणी केंद्र इंदौर उद्घोषक निवासी : इंदौर म.प्र. घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां...
आज का नेता
कविता

आज का नेता

राजेन्द्र यादव सरैंया, नरोसा जनपद- लखनऊ ******************** कुर्सी के ही लिए यहां पर सब हथकंडे होते हैं। नारेबाजी शोर शराबे बैनर झंडे होते हैं। लोकतंत्र की मर्यादा की उनको है परवाह नहीं। जिनकी काली करतूतों से जनता है आगाह नहीं। जनता की नजरों में इनकी लंबी-लंबी खाईं है। बांट बराबर खाने वाले सब मौसेरे भाई हैं। बड़े निराले कर्म है इसके गिरगिट हैं मंडूक यही। परे बुद्धि से जानों इनको गोली हैं बंदूक यही। संघर्ष सदन का नाता है केवल जनता की हमदर्दी। छुट्टे सांड़ राजनीति के करते हैं गुंडागर्दी। जनसेवक हैं बड़े देश के बेतन एक रुपैया है। उपहारों में सोना चांदी धन की आमद गैया है। स्वर्ण पात्र में मदिरा ऊपर पावनता में गंगे हैं। सातों के सम्राट अहाते लुच्चे और लफंगे हैं। जोड़ तोड़ उपकरण सजाते राजनीति की खेती में। मरुस्थल में नीर बहाए भीति उठाए रेती में। भृष्ट आचरण के जनसेवक हैं हमको स्वीका...
तू कहाँ जा चला जा रहा
कविता

तू कहाँ जा चला जा रहा

प्रकाश पटाक सुंद्रैल सतवास (देवास) ******************** सम्मान की खोज में, लालचों के बोझ में, अहंकार को लादकर, अपनो को बिसारकर, तू कहां चला जा रहा?, मैं समझ न पा रहा। अनंत आशाएं लिए हुए, मर-मर कर जिए हुए, भूख-प्यास त्याग कर, भला बुरा न विचार कर, तू कहां चला जा रहा?, मैं समझ न पा रहा। कर्तव्यों की साँझ हुई, भावनाएं बांझ हुई, मुखौटों कों ओढ़कर, स्वयं को कही छोड़कर, तू कहां चला जा रहा?, मैं समझ न पा रहा। कामनाओं को छोड़कर, स्वयं को तू जान ले, आनंद की खोज में भव को बिसार दे, मत भटक संसार में अहं पर तू चोट कर, भौतिकता की चाह में गर्त में क्यों जा रहा। तू कहां चला जा रहा?, मैं समझ न पा रहा। परिचय :- प्रकाश पटाक पिता : श्री गजेंद्र पटाक माता : श्रीमती ललिता पटाक निवासी : ग्राम. सुंद्रैल तहसील- सतवास जिला- देवास घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी...
मेरा वजूद
कविता

मेरा वजूद

दीपमाला पांडेय खंडवा (मध्य प्रदेश) ******************** सोचती हूं ऐसा वजूद से अनोखा रिश्ता है मेरा आकलन कितना भी कर लूं मां अंत में चेहरा दिखता तेरा.... आज उम्र के उस पड़ाव में हूं जिस में आकर चाह कर भी मैं रुक ना सकी तेरे सिवा दर्द मेरा कोई आंख पढ़ ना सकी.... जीवन रूपी समंदर में हर कोई मजे से डूब रहा अपने वजूद को अनंत गहराइयों में ढूंढ रहा.... तूने ही तो स्वाभिमान से जीना सिखाया अपने वजूद को पाना सिखाया... तो क्यों किसी के सहारे जिऊं लाचारी बेबसी का घूंट पीऊ अब मौन क्यो रहूं अपने अधिकारों के लिए लड़ूं.... क्योंकि आज भी अगर अपना वजूद ढूंढने निकल जाऊं तो खो जाऊंगी दुनिया की भीड़ में.... और ताउम्र जूझती रह जाऊंगी अपने ही वजूद की तलाश में... परिचय :- दीपमाला पांडेय निवासी : खंडवा मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहान...
सावन
कविता

सावन

सौरभ पाण्डेय ओमनगर सुलतानपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** सावन आया है, आयी है बरसात नाचों गवों, ये है सावन की रात। देख झूम उठा है, मन सबका इस सावन की, बरसात में भैया। सूखे पेड़ भी हरे हो गए रे भैया, इस सावन की बरसात में। मोर ने भी पंख उठा दिए है, इस बारिश के सावन में। खिल उठे है, किसान के चेहरे, देख कर सावन की बूंदों को। कुछ महीनों का, मौसम है रे भैया, आयो मिलकर, खुशी मनायेंगे। झूमेंगे गये नाचेंगे रे भैया, सावन की खुशी मनायेगी। परिचय :- सौरभ पाण्डेय निवासी : ओमनगर सुलतानपुर (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी...
कविता

सावन का महीना

राज कुमार साव पूर्व बर्धमान (पश्चिम बंगाल) ******************** सावन का पवित्र महीना है आया शिव भक्तों के चेहरों पर मुस्कान है लाया बम-बम भोले और हर -हर महादेव के गूंज चारों दिशाओं में है छाया शिव भक्तगण जोश से भरे कंधे पर कावरिया लेकर गंगा जल से भगवान शिव को जलभिषेक है कराया भोले भंडारी को भाता है सावन सब शिव के भक्तगण मनोवांछित फल पाता।। परिचय :- राज कुमार साव निवासी : पूर्व बर्धमान पश्चिम बंगाल घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीज...