पंडाल बनाम अवध महल के राम
विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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(ताटंक छंद)
रामायण महाभारत कथा कलयुग को सौगाते हैं
दिखे हरेकयुग खोटे चरित्र, कुटिलचाल अपनाते हैं
रावण गुणवान अहंकारी, जिससे धरा थर्राए थी
भाई विभीषण जपते राम, गाली खरा सुनाए थी
बहन शूर्पणखा चालाकी, लंका मरा बनाये थी
भाईबहन की साजिशों से, कलयुग में मिट जाते हैं
रामायण महाभारत कथा कलयुग को सौगातें हैं
दासी मंथरा कुटिलता से, रामतिलक रुकवाती है
कैकेयी प्रभावित होकर, हक दशरथ से पाती है
समक्ष भरत के आते ही जो, मंगलथाल सजाती है
दशरथ वचनपालन खुशी से, वनगमन रामजाते हैं
रामायण महाभारत कथा, कलयुग को सौगातें हैं
संतानमोह और कुटिलभाव, तात पर हैं जरा भारी
दुर्योधन की धमकियां सुनते, सदा सहमाडरा जारी
मामा शकुनि भी लेवे शपथ, दूषित परंपरा सारी
पितापुत्रों मामाभांजों की, अनेक घर की बातें हैं
रामायण महाभारत कथा, कलयुग को सौगातें हैं
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