नीम की महक
संजय वर्मा "दॄष्टि"
मनावर (धार)
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फूलों से लदे
हरे-भरे नीम की महक
दे जाती है मन को सुकून
भले ही नीम कड़वा हो।
पेड़ पर आई जवानी
चिलचिलाती धूप से
कभी ढलती नहीं
बल्कि खिल जाती है
लगता, जेसे नीम ने
बांध रखा हो सेहरा।
पक्षी कलरव करते पेड़ पर
ठंडी छाँव तले राहगीर
लेते एक पल के लिए ठहराव
लगता जेसे प्रतीक्षालय हो नीम।
निरोगी काया के लिए
इन्सान क्यों नहीं जाता
नीम की शरण
बेखबर नीम तो प्रतीक्षा कर रहा
निबोलियों के आने की
उसे तो देना है पक्षियों को
कच्ची-कडवी, पक्की मीठी
निबोलियों का उपहार।
परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि"
पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन)
शिक्षा : आय टी आय
निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश)
व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों...