ये महकती खुशबू
राजेन्द्र लाहिरी
पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
********************
सिर्फ फूल ही
नहीं देते खुशबू
फल भी देते,
आज भी देते हैं
कल भी देते हैं,
यहीं नहीं रिश्ते
भी महकते हैं,
संत, गुरू, पीर,
फरिश्ते महकते हैं,
आचार व्यवहार
महकते हैं,
सबसे ज्यादा
विचार महकते हैं,
पता नहीं किसी को
महसूस होता है या नहीं
पर हर वो संत,
गुरू, महापुरुष,
जिन्होंने गरीब, प्रताड़ित,
वंचितों के जीवन में
आमूलचूल परिवर्तन
लाने का प्रयास किया,
समता,समानता,
बंधुता का विचार लाया,
सबके मन मस्तिष्क
में गहरा छाया,
बुद्ध की महक पूरे
विश्व में छाया है,
जिसने सत्य अहिंसा
शांति का मार्ग बताया है,
वहीं खुशबू हमने
महसूस किया
महामना
ज्योति बा फुले में,
शिक्षा की देवी
सावित्री बाई फुले में,
तभी आज झूल पा रहे
शिक्षा के झूले में,
कबीर, रैदास,
नानक, पेरियार,
गुरू घासीदास,
नारायणा गुरू,
और भीम न...