अब आदमी जलने लगा
गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी"
बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश)
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देखके दूसरों की सम्रद्धि,
अब आदमी जलने लगा,
करता जो जिनकी मदद,
वो ही उनको छलने लगा।
कैसे आयेगा ज़िंदगी में,
कोई किसी के काम अब,
स्वार्थ सिद्ध होते हो जाते,
लोग नमक हराम तब।
लोभ, मोह-ओ-कुंठा की,
तन-मन में भरी गंदगी,
धरके बगुला जैसा भेष,
करे प्रभु की नित बन्दगी।
बिखरा है दिग-दिगन्त,
छल-छदम भरा व्यवहार,
बनकर हम सब रौशनी,
मुखरित करें यह संसार।
भलाई से नही तोड़ना,
भूलकर भी नाता कभी,
एक दिन मिट ही जाएगी,
बुराई से पोषित छवि।
अपनी आंखों के सामने,
देखना दगाबाज़ का नाश,
होगी विजय सत्य की ही,
अंर्तमन ऱखना तू विश्वास।
परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी"
निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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