हिंदुस्तान की पहचान हिन्दी
प्रमेशदीप मानिकपुरी
भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़)
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हिंदुस्तान की पहचान जो
जन गण का अभिमान जो
भावो की है जो आरती
यही तो है हिन्दी
ग्रंथो का आधार जो
सुरसरी की धार जो
भारत माता की बिन्दी
यही तो है हिन्दी
गीत, गजल और कविता
पर्वत, सागर और सरिता
समृद्धि की पहचान जो
यही तो है हिन्दी
भारतीयो की अस्मिता
भाव से सदा सुपुनीता
आवाम की आवाज जो
यही तो है हिन्दी
आन, बान, शान है
सबका स्वाभिमान है
संस्कृति की करे आरती
यही तो है हिन्दी
मन के सभी भावो मे
कंही चंचल कंही ठहराव मे
समृद्ध जो है समुद्र सा
यही तो है हिन्दी
व्याकरण से प्रबुद्ध जो
सात्विक और शुद्ध जो
सुवासित है जो अलंकार से
यही तो है हिन्दी
भिन्न-भिन्न राग रंग मे
जीवन के प्रत्येक रंग मे
संस्कार की झलक जिसमे
यही तो है हिन्दी
भारत की मातृभाषा बने
देश एकता के रंग मे सने
बने देश का अब शान...