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सरोठा

जीवन हो गतिमान … सरोठा
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जीवन हो गतिमान … सरोठा

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** जीवन हो गतिमान, यही कामना मैं करूँ। बढ़े सभी की शान, सुख को जियरा में भरूँ।। हर पल में आनंद, अच्छाई को यदि वरूँ। बुरे काम कर बंद, अपना सारा दुख हरूं।। मैं-मैं करना छोड़, हम के पथ पर हम चलें। अहंकार को तोड़, मृदु बन जाएँ, क्यों खलें।। कितना कटु है आज, तज दें यह कहना अभी। सबके दिल पर राज, कर सकते हैं अब सभी।। कितना प्यारा रूप, संतों का लगने लगा। लगे खिली हो धूप, हर गुण लगता है सगा।। जीवन मंगल गान, खुशियों का मेला लगा। कर लो अनुसंधान, मन होता नित शुभ पगा।। फैल रहा अँधियार, साधें हम आलोक अब। अवसादों को मार, बन जाएँ खुशहाल सब।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५-०९-१९६१ निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), एल.एल.बी, पी-एच.डी. (इतिहास) सम्प्रति : प्राध्यापक...