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भजन

बड़े बाबा की भक्ति
गीत, भजन

बड़े बाबा की भक्ति

संजय जैन मुंबई ******************** विधा : गीत भजन तर्ज : (हम मेहनत कस इस दुनिया से अपना .....) श्री आदिनाथ की भक्ति को श्रुत धाम हम जाएंगे। एक बार नही सौ बार नहीं हम जीवन भर जाएंगे। हम आदिनाथ की......।। माया के चक्कर में पड़कर अपना जीवन तू गवा रहा। और झूठ फरेब करके तू दौलत बहुत कमा रहा। ये दौलत साथ न जायेगे जिस दिन तू मर जायेगा। तब तुझे बड़े बाबा याद आएंगे पर तेरा सब कुछ मिट जाएगा।। श्री आदिनाथ की भक्ति को श्रुत धाम हम जाएंगे। एक बार नही सौ बार नहीं हम जीवन भर जाएंगे। हम आदिनाथ की......।। क्यों अपने मनुष्य जीवन को तू युही गंवा रहा। मिला है तुझे मनुष्य जीवन तो कुछ दया धर्म भी करता जा। यही सब तेरे साथ में जाने वाला है तो तू क्यों इसे गंवा रहा।। श्री आदिनाथ की भक्ति को श्रुत धाम हम जाएंगे। एक बार नही सौ बार नहीं हम जीवन भर जाएंगे। श्री आदिनाथ की......।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश...
जय माँ महिषासुर मर्दिनी
कविता, भजन

जय माँ महिषासुर मर्दिनी

डॉ. पंकजवासिनी पटना (बिहार) ******************** जय मांँ महिषासुर मर्दिनी जग के सकल कष्ट निवारिणी है अस्तित्व ब्रह्मांड का तुमसे ही आदिस्वरूपिणी जब न था सृष्टि का अस्तित्व था अंधकार ही अंधकार चहुँओर जग में बिखरा हुआ तब तुम ही सृष्टि-रचनाकार सूर्य सी देदीप्यमान तुम सा न कोई कांतिवान सकल जग की प्रसविणी, माँ कूष्मांडा सृष्टि रूपिणी अपनी मंद स्मिति से तूने की ब्रह्मांड की उत्पत्ति अपने उपासकों को देती लौकिक पारलौकिक उन्नति आधि-व्याधि विमुक्तिनी तू मांँ सुख-समृद्धि प्रदायिनी विकार - महिषा का कर मर्दन मांँ तू शुभ भाव संचारिणी युग में फैली अराजकता सबका शमन करो कल्याणी! परिचय : डॉ. पंकजवासिनी सम्प्रति : असिस्टेंट प्रोफेसर भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय निवासी : पटना (बिहार) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अ...
हे माँ तुझको नमन है
कविता, भजन

हे माँ तुझको नमन है

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** हे माँ तुझको नमन है स्वीकार करो माँ हे माँ तुझको नमन है बारम्बार नमन है हे माँ तुझको नमन है स्वीकार करो माँ ऐसा वर माँ मुझको दो करता रहूं गुणगान जीवन पथ पर अडिग न होऊं हे माँ तुझको नमन है स्वीकार करो माँ प्रेम प्यार मुझमें भर दो जो आए खाली न जाए कर्म वचन से न मैं रहूँ दूर सदा हे माँ तुझको नमन है स्वीकार करो माँ भक्ति में शक्ति है माँ सदा रहूँ चरणों में तेरे इतनी शक्ति मुझे दे दो झूठ कभी न बोलूं मैं माँ हे माँ तुझको नमन है स्वीकार करो माँ अबोध बालक हूँ मैया करो मेरा कल्याण दया दृष्टि डालो मुझ पर दो मैया तुम ऐसा वरदान हे माँ तुझको नमन है स्वीकार करो माँ हो तुम जगत दात्री माँ मोहन की रख लो लाज जो आता शरण में तेरे जगदात्री करो स्वीकार हे माँ तुझको नमन है स्वीकार करो माँ परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी...
तुम कहाँ हो?
कविता, भजन

तुम कहाँ हो?

विरेन्द्र कुमार यादव गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश) ******************** माँ तुम यहाँ हो कि वहाँ हो, माँ तुम इस संसार में कहाँ-कहाँ हो। मैने सुना माँ तुम इस संसार के कण-कण में हो, माँ तुम कहाँ हो, माँ तुम कहाँ हो। माँ करके सिंह सवारी, माँ लगे सारे संसार को प्यारी। माँ पहने चुनर-साड़ी, जग को लगे तू माँ प्यारी। माँ तुम्हे पूँजे जग के सब नर-नारी, तुमपे वारी-वारी जाये ये जनता सारी। पंडित जी लो मैया की नजर उतारी।। कोई बेचे माँ गली-गली घूम-घूम तरकारी, कोई करे माँ की कृपा से नौकरी सरकारी। मुझे चाहिये माँ कृपा तुम्हारी, सदा बनी रहे हमारे ऊपर दयादृष्टि तुम्हारी। माँ तुम यहाँ हो माँ तुम वहाँ हो, माँ तुम सारे जहाँ के कण-कण में हो। माँ तुम हर गाँव-गाँव और शहर-शहर में हो, माँ तुम हर एक के मन मंदिर में हो। माँ तुम इस नौरातम में गली-गली डगर-डगर के पंडालो में सजी हो, हर गाँव-गाँव शहर-शहर में माँ तुम्ही ही तुम्ह...
हे योगेश्वर
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हे योगेश्वर

ओमप्रकाश सिंह चंपारण (बिहार) ******************** हे योगेश्वर यह नागेश्वर- हे अभ्यंकर हे शिवशंकर! जागो जागो है प्रलयंकर- ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय! जागो -जागो हे भोले शंकर- संघार करो तू दानव दल का! कर फिर से तू नव नर्तन- मानवता की धर्म ध्वज को! अडिग करो ही नागेश्वर- खोलो त्रि नेत्र हे प्रलयंकर- "मणिकर्णिका" महासमसान है! मां-गंगा की पुनीत तट पर- महासमसान में धधक रही! अनवरत चिता की ज्वाला- अर्ध रात्रि में निशा रात्रि में- विचरण करते कई "अवधूत" मतवाला! मैं अकिंचन इनके जीवन रहस्य- को समझ न पाया हे भोले शंकर! तंत्र मंत्र योग क्षेम सब तेरी ही माया- भटक रहा मैं भी "महाश्मशान" में! हे काशीनाथ हे विश्वनाथ सब तेरी ही माया- श्री तैलंग स्वामी महा अवधूत ने- यहां किए थे कठिन साधना! कमरू के स्वर मेरे हृदय में भर- करो कृपा हे विश्वेश्वर ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय यह "महामंत्र"है पंचाक्षर! परिचय :- ओ...
आशीष मिला तो….
गीत, भजन

आशीष मिला तो….

संजय जैन मुंबई ******************** तेरा आशीष पा कर, सब कुछ पा लिया हैं। तेरे चरणों में हमने, सर को झुका दिया हैं। तेरा आशीष पा कर .....। आवागमन गालियां न हत रुला रहे हैं। जीवन मरण का झूला हमको झूला रहे हैं। आज्ञानता निंद्रा हमको सुला रही हैं। नजरे पड़ी जो तेरी, मानो पापा धूल गए है। तेरा आशीष पा कर.....।। तेरे आशीष वाले बादल जिस दिन से छाए रहे हैं। निर्दोष निसंग के पर्वत उस दिन से गिर रहे हैं। रहमत मिली जो तेरी, मेरे दिन बदल गये है। तेरी रोशनी में विद्यागुरु, सुख शांति पा रहे है। तेरा आशीष पा कर ....।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रि...
गुरु सेवा
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गुरु सेवा

संजय जैन मुंबई ******************** गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे, चरणों में अपने हमको बैठा लो। सेवा में अपनी हमको लगा लो, गुरुदेव मेरे गुरुदेव मेरे। मुझको अपने भक्तो की दो सेवादारी। आयेंगे सत संघ सुनने, जो भी नर नारी, मै उनका सत्कार करूँगा, बंधन बारंबार करूँगा।। गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे, चरणों में अपने हमको बैठा लो। मुझको अपने रंग में, रंग लो तुम स्वामी। में अज्ञानी मानव हूँ , तुम अन्तर्यामी। मेरे अवगुण तुम विश्रा दो, मन में प्रेम की ज्योत जला दो।। गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे, चरणों में अपने हमको बैठा लो। सेवा में अपनी हमको लगा लो, गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे। गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे, चरणों में अपने हमको बैठा लो।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन...
श्री राधा जन्माष्टमी पर
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श्री राधा जन्माष्टमी पर

तेज कुमार सिंह परिहार सरिया जिला सतना म.प्र ******************** सूना सूना सा था मेरे मन का अगन आज बेला सुहानी, सुहानी लगन राधा रानी के स्वागत में झूमे जगत झूमती है जमी नाचता वृंदावन बज रहे ढोल कांसे बजते मृदंग लहराते ध्वज तोरण बरसते सुमन खोली कलियों ने पलखे जो अलसायी सी लागे दुल्हन से ब्रज औऱ बृंदाबन राधा राधा कहे पर भव से हुए पल्लवित हो कुटुम्ब मैन जग बढ़े मिल गयी यदि चरण रज श्री राधे की समझ लो उसके बस में कन्हैया हुए सोते जगते भजन कर श्री राधे का पाप मोचक नाम मंत्र है श्री राधे का हैं अभिन्ना वो तो द्वारिकाधीश की भव पार करे नाम कीर्तन श्री राधे का परिचय :- तेज कुमार सिंह परिहार पिता : स्व. श्री चंद्रपाल सिंह निवासी : सरिया जिला सतना म.प्र. शिक्षा : एम ए हिंदी जन्म तिथि : ०२ जनवरी १९६९ जन्मस्थान : पटकापुर जिला उन्नाव उ.प्र. आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्...
शिवनाम माला
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शिवनाम माला

तेज कुमार सिंह परिहार सरिया जिला सतना म.प्र ******************** जय महादेव जय कैलाशपति जय शिवसंकर जय उमापति जय भोले नाथ जय त्रिपुराररी जय त्रयम्बक जय भंडारी जय महाकाल जय चंद्रशेखर जय रुद्र शम्भू जय गंगाधर जय हर, स्मरहर जय महेश जय खण्डपरसु जयगिरिश जय वामदेव जय नीलकण्ठ जय त्रिपुरान्तक जय श्रीखण्ठ जय मृत्युंजय जय व्योमेश जय वीरू पाक्ष जय ईश्वर महेश जय खण्ड परसु जय विश्वनाथ जय कृति वासा जय पशुपतिनाथ जय जय पिनाकी जय शिति कण्ठा जय अनन्त नाम जय उत्कंठा नित नाम जप जो भिनसारे भव बन्ध कटे यम के द्वारे परिचय :- तेज कुमार सिंह परिहार पिता : स्व. श्री चंद्रपाल सिंह निवासी : सरिया जिला सतना म.प्र. शिक्षा : एम ए हिंदी जन्म तिथि : ०२ जनवरी १९६९ जन्मस्थान : पटकापुर जिला उन्नाव उ.प्र. आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित क...
जय मंगलमूर्ति
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जय मंगलमूर्ति

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** जय मंगलमूर्ति ...श्री गणेशा। जय विघ्न विनाशक। हरो कष्ट कलेशा।। संपूर्ण विश्व का उद्धार हो। जीवन का आविर्भाव हो। विपदा में दुनिया है सारी। बस तुम पर आस बंधी भारी। अब कोरोना का संहार हो। जीवन का नवनिर्माण हो। जय मंगलमूर्ति ....श्री गणेशा। जय विघ्न विनाशक हरो कष्ट कलेशा। सारी दुनिया थम -सी गई है। तेरी करुणा जम- सी गई है। संकट में शुभ और लाभ है। व्यवसायों से लक्ष्मी थम- सी गई है। जय मंगलमूर्ति श्री गणेशा। करो कृपा अब कल्याण हो। दरिद्रता का कुछ समाधान हो। रिद्धि-सिद्धि का विस्तार हो। कोरोना का पातक काल हो। जय मंगलमूर्ति ....श्री गणेशा। जीवन का अब विकास हो। चिंता का कुछ ह्रास हो। शुभ काज का आविर्भाव हो। नित नव नवीन संसार है। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट...
गुरु वंदना
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गुरु वंदना

अन्नपूर्णा जवाहर देवांगन महासमुंद ******************** गुरु मेरे सांई गुरु मेरे दाता गुरु मेरे जीवन के भाग्य विधाता गुरु बिन डगमग मेरी जीवन नैया गुरु ही तो मेरे हैं नाव खेवइया गुरु बिन भवसागर पार कौन लगाता गुरु मेरे जीवन के भाग्य विधाता तम से भरी दुनियाँ में राह दिखाये ज्ञान ज्योति उर में वही तो जलाये गुरु बिन सदमार्ग हमें कौन दिखाता गुरु मेरे जीवन के भाग्य विधाता गुरु से ही पाऊँ मै भगवन दर्शन गुरु को ही अर्पण करूँ सारा जीवन गुरु चरणन में निशदिन माथ नवाता गुरु मेरे जीवन के भाग्य विधाता संताप मरुस्थल में गुरु ठंडी छांव है जीवन सफर का केवल वे ही ठांव है गुरु मेरे हृदय पूज्य गुरु मेरे ज्ञाता गुरु मेरे जीवन के भाग्य विधाता . परिचय :- अन्नपूर्णाजवाहर देवांगन जन्मतिथि : १७/८/१९७६ छुरा (गरियाबंद) पिता : श्री गजानंद प्रसाद देवांगन माता : श्रीमती सुशीला देवांगन पति : श्री जवाहर देवांग...
हे मां सरस्वती
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हे मां सरस्वती

दामोदर विरमाल महू - इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** हे मां सरस्वती तू मुझको ऐसा ज्ञान दे ३ इस जहां की हर नज़र मुझी पे ध्यान दे। मैं करता रहूँ अपनी कलम से तेरी सेवा २ मिलता रहे बस तेरी कृपा का मुझे मेवा। २.. इस सृष्टि में हर कोई मुझको ऐसा मान दे... हे मां सरस्वती तू मुझको ऐसा ज्ञान दे। इस जहां की हर नज़र मुझी पे ध्यान दे। मां वीणापाणि शारदे दे ऐसी संगती २ हर रूप में तू साथ रहे मात भगवती २.. वर्णन तेरा ही कर सकूं वो वरदान दें... हे मां सरस्वती तू मुझको ऐसा ज्ञान दे। इस जहां की हर नज़र मुझी पे ध्यान दे। सबसे प्रथम प्रभात तेरी वंदना करूँ २ तेरे अलावा मैं कहीं किसी से ना डरूँ २.. तेरे नाम से ही जग मुझे ये सम्मान दे... हे मां सरस्वती तू मुझको ऐसा ज्ञान दे। इस जहां की हर नज़र मुझी पे ध्यान दे। परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास कर...
कलयुग के भगवान
गीत, भजन

कलयुग के भगवान

संजय जैन मुंबई ******************** तुम हो कलयुग के भगवान गुरु विद्यासागर। तुम हो ज्ञान के भंडार गुरु विद्यासागर। हम नित्य करें गुण गान गुरु विद्यासागर।। बाल ब्रह्मचारी के व्रतधारी सयंम नियम के महाव्रतधारी। तुम हो जिनवाणी के प्राण गुरु विद्यासागर। हम नित्य करे गुण गान गुरु विद्यासागर।। दया उदय से पशु बचाते भाग्योदय से प्राण बचाते मेरे मातपिता भगवान गुरु विद्यासागर । हम नित्य करे गुण गान गुरु विद्यासागर।। जैन पथ हमको चलाते खुद आगम के अनुसार चलते। वो सब को देते विद्या ज्ञान गुरु विद्या सागर। हम नित्य करे गुण गान गुरु विद्यासागर। तुम हो कलयुग के भगवान गुरु विद्यासागर। ज्ञान के सागर विद्यासागर हम नित्य करे गुण गान गुरु विद्या सागर।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर क...
सरस्वती वंदना
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सरस्वती वंदना

परमानंद निषाद छत्तीसगढ, जिला बलौदा बाज़ार ******************** हे हंस वाहिनी, ज्ञान दायिनी। ज्ञान का प्रकाश दो,ज्ञान का प्रकाश दो। तुम स्वर की देवी है तुझसे संगीत, हर शब्द तेरा है तुझसे गीत। विद्या तुम देने वाली, ज्ञान का प्रकाश भरो। मोह, माया और अज्ञान का, संसार से उसका अंत करो। सिर झूंका कर मांगू मां, मेरा सपना स्वीकार करो। तेरे चरणों में आया हूं, करदो मेरा उद्धार मां। श्वेत हंस की करे सवारी, और श्वेत वस्त्र धारण किये। मां शारदे श्वेत हंस में बैठे, कंद पर रखे अपना चरण। मांग रहा हूं तुझको मां, मैं विद्या का वरदान। मैं तेरे शरण मे आया हूं मां, दो मुझे विद्या का वरदान। . परिचय :-परमानंद निषाद निवासी - छत्तीसगढ, जिला - बलौदा बाज़ार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहान...
दिवाने मन
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दिवाने मन

अभिषेक कुमार श्रीवास्तव समस्तीपुर (बिहार) ******************** दिवाने मन भजन बिना दुख पैहौ ॥ टेक॥ पहिला जनम भूत का पै हौ सात जनम पछिताहौ। काँटा पर का पानी पैहौ प्यासन ही मरि जैहौ॥ १॥ दूजा जनम सुवा का पैहौ बाग बसेरा लैहौ। टूटे पंख मॅंडराने अधफड प्रान गॅंवैहौ॥ २॥ बाजीगर के बानर हो हौ लकडिन नाच नचैहौ। ऊॅंच नीच से हाय पसरि हौ माँगे भीख न पैहौ॥ ३॥ तेली के घर बैला होहौ आँखिन ढाँपि ढॅंपैहौ। कोस पचास घरै माँ चलिहौ बाहर होन न पैहौ॥ ४॥ पॅंचवा जनम ऊॅंट का पैहौ बिन तोलन बोझ लदैहौ। बैठे से तो उठन न पैहौ खुरच खुरच मरि जैहौ॥ ५॥ धोबी घर गदहा होहौ कटी घास नहिं पैंहौ। लदी लादि आपु चढि बैठे लै घटे पहुँचैंहौ॥ ६॥ पंछिन माँ तो कौवा होहौ करर करर गुहरैहौ। उडि के जय बैठि मैले थल गहिरे चोंच लगैहौ॥ ७॥ सत्तनाम की हेर न करिहौ मन ही मन पछितैहौ। कहै कबीर सुनो भै साधो नरक नसेनी पैहौ॥ ८॥ . परिचय :- अभिषेक कुमार श्रीव...