हनुमान जी की महिमा
प्रेम नारायण मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
********************
भक्त हनुमान जी हैं दयालु बहुत,
राम भक्तों की रक्षा वे करते सदा।
दैत्य माने नहीं राम महिमा को जो,
उनपे हनुमान जी ने चलाई गदा।
भक्त हनुमान जी......
राम का नाम लेता विभीषण मिला,
मित्र माना उसे,अपना परिचय दिया।
हो गया धन्य वो,राम सेवक से मिल,
माता सीता का उसने,पता था दिया।
गये वो वाटिका माँ के दर्शन किये,
उनकी सांसों में बस "राम" चलता सदा।
भक्त हनुमान जी......
दम्भी रावण को सद्ज्ञान देने के मित,
माँ से अनुमति ले विध्वंस की वाटिका।
छोड़ा ब्रम्हास्त्र तो नमन कर बंध गए,
छोड़ने की नहीं की कोई याचिका।
दिया सद्ज्ञान रावण को दरबार में,
वो अहंम में था डूबा न उसको जँचा।
भक्त हनुमान जी........
दिया रावण ने आदेश मारो इसे,
आ विभीषण ने नीति बताई उसे।
शत्रु का दूत है,अन्य कुछ दंड दो,
नीति सम्मत नहीं है न मारो इसे।
पूँछ मे...