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भजन

जय हो माता महागौरी
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जय हो माता महागौरी

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** नवरात्रि मां दुर्गा आठवीं शक्ति, तू महागौरी। कहलाती, मां तेरा रूप। अवर्णनीय, अतुलनीय तेरा। पूर्ण गौर वर्ण। मां तू शंख चंद्र अरू कुंद। पुष्प सम शश्वेत गौरवर्ण कांतिमान शोभित। मां तेरे सकल वस्त्र, आभूषण। शश्वेत धवल, दिव्य जगमग करें। मां तू बैल पीठ सवार विराजित। मां तू चतुर्भुजाधारी। ऊपर दाँया कर अभय मुद्रा। नीचे दाँया कर अरू मुद्रा संग अति शांत मुद्रा सोहै। मां ऊपर बाँये कर डमरु अरु। नीचे बाँये कर वर मुद्रा सोहै। मां तेरी शक्ति अमोघ फलदाई। तेरी आराधना उपासना। हम सब को पाप मुक्त करें। तेरा भक्त पावन अक्षय पुण्य। अधिकारी बने। तू जगत माता हम सबकी। मां तू महाकाली दुर्गा रूप। शरण आने वाले का तू। संकट मिटावै। शनिवार तेरी पूजन जो करै। उसके बिगड़े कारज सुधारै। जय हो माता महागौरी तेरी। ...
शैलपुत्री
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शैलपुत्री

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** नवरात्र प्रारंभ प्रथम। दिवस माता शैलपुत्री। भारत भू आगमन। हम सब करें पूजन वंदन। तुम माता शैलराज। हिमालय पुत्री शैलपुत्री। कहलाए तुम संग दुर्गा पूजा। प्रारंभ तुम्हारा वाहन वृषभ। जिस पर विराज तुम आई। दाहिने कर त्रिशूल अरु बाँए। कर कमल पुष्प सोहे। प्रथम दिवस उपासना में योगी। स्व मन मूलाधार चक्र स्थित कर। योग साधना आरंभ कर। माता शैलपुत्री सुमिरै। रोली, अक्षत लगा भोग लगा। मां शैलपुत्री मनावे। आशीर्वाद पावे। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्...
नवरात्रि आई रे
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नवरात्रि आई रे

शैलेष कुमार कुचया कटनी (मध्य प्रदेश) ******************** दरबार सजा है माता का सिंह पर सवार होके आई माता रानी भीड़ लगी है मंदिर में माता की पूजा करलो माता विनती सबकी सुन लो नवरात्रि आई रे नवरात्रि आई जगह जगह माता है विराजे माँ के दर्शन कर लो नर नारी सब भोग लगावे हलुआ पूरी माता को खिलावे नवरात्रि आई रे नवरात्रि आई माता प्यारी प्यारी दुःखो को हरने वाली माता का जो व्रत रखता है माता के प्रतिदिन दर्शन करता है। उसकी झोली कभी ना होती खाली नवरात्रि आई रे नवरात्रि आई माता सबकी पूरी मुरादे कर दो सुखी सारे संसार कर दो जगह जगह भंडारे होवे कन्या भोज लोग करावे नवरात्रि आई रे नवरात्रि आई परिचय :-  शैलेष कुमार कुचया मूलनिवासी : कटनी (म,प्र) वर्तमान निवास : अम्बाह (मुरैना) प्रकाशन : मेरी रचनाएँ गहोई दर्पण ई पेपर ग्वालियर से प्रकाशित हो चुकी है। पद : टी, ए वि...
गणेश वंदना
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गणेश वंदना

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जय बप्पा गणेशा, सकल विश्व विशेषा रिद्धि सिद्धि प्रदाता, शुभंकर श्री गणेशा !... विघ्न विनाशक देवा, गज महाकाय सेवा, सर्व मंगल मूर्ति देवा, लंबोदर मोदक मेवा, नाशो दुख कलेशा !..... मूषक यान प्रणेता, अखिल विश्व विजेता, वेद शास्त्र अध्येता, स्वाध्याय दान देता, भांति भांति गणवेशा !.... शील स्वभाव भंडारी, सदा प्रसन्न उपकारी, धीर उदार जय कारी, भव ताप भय हारी, कल्याणक उपदेशा !... एकदंत हर पीरा, गजा धारी शरीरा, महाधीर वीर गंभीरा, सिंदूर वदन शरीरा, मन मंदिर कर प्रवेशा !.... गोरा पुत्र आज्ञाकारी, भोले सुत बलिहारी, सुख संपदा के स्वामी, माता पिता अनुगामी, सुख समृद्धि प्रदेशा !..... सर्व ज्ञाता अंतर्यामी, दीनदयाल शुभनामी, शांत धीर सुविचारी, प्रथम पूज्य अधिकारी, सकल ज्ञान अन्वेशा !... मंगल मूर्ति व...
गणेश जी की वंदना
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गणेश जी की वंदना

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** गणेश जी की वंदना हे प्रथम पूज्य गजराज, तुम्हारी जै जै हो। है पार्वती के लाल, तुम्हारी जै जै हो। है प्रथम पूज्य ... प्रभु तुम बुद्धि के दाता हो, और तुम ही भाग्य विधाता हो। मंगल करते सब काज, तुम्हारी जै जै हो। है प्रथम पूज्य... रिद्धि सिद्धि के स्वामी हो तुम, जग के अंतरयामी हो तुम। तुम रखते सबका ध्यान, तुम्हारी जै जै हो। है प्रथम पूज्य... विघ्न विनाशक नाम तुम्हारा, हम भक्तो को तेरा सहारा। हैं चरण तेरे सब धाम, तुम्हारी जै जै हो। है प्रथम पूज्य ... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा स...
कृष्णा
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कृष्णा

आशीष कुमार मीणा जोधपुर (राजस्थान) ******************** शब्दों मे तुझे बाँध न पाऊँ बुद्धि से तुझे माप न पाऊँ कैसे तेरी थाह लगाऊं मैं क्या लिखुँ तुझको प्रभु। कृष्ण लिखुँ, गोविंद लिखुँ केशव, माधव, कुँज लिखुँ बृजनन्दन, घनश्याम लिखुँ तुमको राधे श्याम लिखुँ मैं क्या लिखुँ तुझको प्रभु। यशोदा का लाल लिखुँ नाग कालिया काल लिखुँ सुदामा सखा बाल लिखुँ कंस का अंतकाल लिखुँ मैं क्या लिखुँ तुझको प्रभु। अर्जुन का गीता ज्ञान लिखुँ द्रोपदी का ध्यान लिखुँ मीरा का गिरधर गोपाला विष बना अमृत का प्याला मैं क्या लिखुँ तुझको प्रभु। तुमको नन्द किशोर लिखुँ या फिर माखन चोर लिखुँ मुख में ब्रह्मांड दर्शन लिखुँ या फिर चक्र सुदर्शन लिखुँ मैं क्या लिखूँ तुझको प्रभु। परिचय :- आशीष कुमार मीणा निवासी : जोधपुर (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौल...
कान्हा से उलाहना
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कान्हा से उलाहना

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** कान्हा गोकुल में माखन खिलाया नही, कैसे मानूँ की माखन खिलाते हो तुम। किसी छीके पे माखन टंगा ही नहीं, कैसे मानूँ की माखन चुराते हो तुम। कान्हा गोकुल.... तेरी किरपा से आया हूँ ब्रजधाम में, वो ही आता है जिसको बुलाते हो तुम, आस्था तेरे चरणों मे जिसकी घटी, उससे तत्काल ही रुठ जाते हो तुम। कैसे मानूँ कि.... सब हैं राधा को तेरी नमन कर रहे, इसलिए सबमें ही नज़र आते हो तुम, जो भी तेरे लिए है तड़पता यहां, उसके अंतर में फौरन समाते हो तुम। कैसे मानूँ.... गायें गोकुल की तो कहीं जाती नहीं, दूध माखन कहाँ चला जाता है फिर। तुमको सब ज्ञात है, दृष्टि व्यापक तेरी, देखना है कि कब रोक पाते हो तुम। कैसे मानूँ की .... तेरे गोकुल का प्रसाद माखन नहीं, इसलिए तुमसे शिकवा किया "प्रेम" ने, तुमने ग्वालों को माखन खिलाया बहुत, दे...
कान्हा को जन्मदिन आयौ
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कान्हा को जन्मदिन आयौ

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** कान्हा को जन्मदिन आयौ कान्हा को जन्मदिन हम। सबकौ लगे प्यारो अरू अति न्यारो। हम सबके उर उमंग। उल्लास भी। संग में लायौ। कान्हा को जन्मदिन आयौ। मैं तो बहु नाचूंगी गाऊगी। बहु खुशियां मनाऊंगी। कान्हा कौ जन्मदिन आयौ। मौरो कान्हा आएगो। बांसुरी बजाएगौ, हम सब। बासुरी धुन सुन कान्हा प्रेम। मगन हो सुध-बुध खो जावेगै। कान्हा आवैगो हम सबकी पीरा। हरेगो, हम सबकी इच्छा पूरी करेगो। कान्हा को जन्मदिन आयौ। कान्हा हम सबन कौ दर्शन देवेगो। कान्ह आवेगो हम सबको करोना। मुक्त करेगो वो हम सबको सादो। जीवन वापस करेगो। कान्हा को जन्मदिन आयौ। अति प्यारौ अरू। अति न्यारो हम सब के उर। उमंग उल्लास लायौ, मै तो बहु नाचूँगी। गाऊँगी, कान्हा को जन्मदिन मनाऊँगी। कान्हा के दरस पा सुध-बुध। खो वाए। एकटक अपलक न...
पधारे हैं नंदलाला
कविता, भजन

पधारे हैं नंदलाला

नंदिता माजी शर्मा मुंबई, (महाराष्ट्र) ******************** मुक्त करने जननी को, पावन करने अष्टमी को, जोड़ने कर्ता से करनी को, देखो ! पधारे हैं नंदलाला... यशोदा के चंचल लला, बांधे मोर, मुकुट, छल्ला, गोकुल में मचाने हो-हल्ला, देखो ! पधारे हैं नंदलाला... हाथ में बिराजे हैं बंसी, हर्षित हो झूमे पशु पंछी, अधरो में मुस्कान यदुवंशी, देखो ! पधारे हैं नंदलाला... धेनूओं के निशदिन रखवाले‌, गोपियों के नटखट ग्वाले, नित नव लीला धरने निराले, देखो ! पधारे हैं नंदलाला... राधिका के सखा मुरलीधर, रुक्मिणी के पति परमेश्वर, मीरा के इष्ट देव गिरिधर, देखो ! पधारे हैं नंदलाला... सिखाने जग को प्रेम का रास, भरने जन-जन में उल्लास, सबको रंगने प्रेम, दया,विश्वास, देखो ! पधारे हैं नंदलाला... परिचय :- नंदिता माजी शर्मा सम्प्रति : प्रोपराइटर- कर्मा लाजिस्टिक्स निवासी :...
तुम हो अपरिभाषित
कविता, भजन

तुम हो अपरिभाषित

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ******************** कारागार में जन्म लिया, गोकुल का ललना बनकर, देवकी मां की गोद मिली, यशोदा मां का मिला दुलार, वासुदेव के तनय बने तुम, नंद के गोपाल कैसे लिखूं!! क्या लिखूं!! तुम तो हो अपरिभाषित, चाहे मैं जितना लिखूं ।। हे नंद के लाल ।। गोपियों के प्रिय बने, राधा के प्रियतम , रुक्मिणी के श्री हो, सत्यभामा के श्रीतम, राक्षसों का वध किया, संसार को निर्मल किया, हर जन जन को मोहित किया, अपना सबकुछ त्याग दिया, कैसे लिखूं !! कितना लिखूं!! तुम रहोगे अपरिभाषित चाहे मैं जितना लिखूं ।। हे नंद के लाल ।। आत्म तत्व के चिंतन तुम, परमेश्वर परमात्मा तुम स्थिर चित्त योगी तुम्हीं, परमार्थ का अर्थ तुम्हीं। नभ जल अग्नि वायु, बनकर प्राण तुम्हीं बन जाते हो, पंचतत्व में विलीन हो, अजर अमर कहलाते हो, क्या लिखूं, कितना लिखूं त...
कृष्ण अवतार
गीत, भजन

कृष्ण अवतार

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** हम तेरे दर्शन को आये है बहुत दूर से कृष्ण। सिर्फ एक बार मुझे चरण को छू लेने दो। हम तेरे दर्शन को आये है बहुत दूर से कृष्ण।। रोज सपने में दिखते हो मुझे प्यारे कृष्ण। कहाँ है पर है नहीं तेरा ठिकाना मेरे कृष्ण। किस जगह की छवि मुझे रोज दिखते हो। उस जगह पर मुझे तुम बुला लो कृष्ण।। हम तेरे दर्शन को आये है बहुत दूर से कृष्ण।। अपनी आँखों से तुम देखते हो जग से। हर किसी पर तेरे दृष्टि रहती है कृष्ण। मेरे आँखों में भी दिव ज्योति दे दो। ताकि मैं सुबह शाम तेरे दर्शन कर सकूँ।। हम तेरे दर्शन को आये है बहुत दूर से कृष्ण।। अपनी लीलाएं दिखाकर सबको लूभाते हैं। खेल-खेल में अंत राक्षको का कर दिया। और कंस मामा को भी संदेश देते गए। फिर एक दिन क्रीड़ा के द्वारा ही कृष्ण ने। कंस का वध करके मथुरा को मुक्त किया।। हम तेरे दर्शन को आये है बहु...
जग के पालन हार
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जग के पालन हार

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** सजल- मात्रा- २२ जग के पालन हार धरा पर आये हैं । सांवरिया सरकार धरा पर आये हैं ।। द्वापर में था दुष्टों का आतंक बड़ा । यमपुर उन्हे पठाने को वे आये हैं ।। भव के सारे बंधन को जो हरते हैं । आज वही कारागृह में खुद आये हैं ।। भक्तों के भगवान् देवकी के लाला । मानव तन धर लीला अजब दिखाये हैं ।। बाल लीला दिखलाये जाकर के ब्रज में । नंद यशोदा के कान्हा कहलाये हैं ।। ग्वाल बाल संग खेले यमुना के तट में । बैठ कदंब तरू मुरली मधुर बजाये हैं ।। माखन खूब चुराये ग्वालों के संग में । गोकुल के गलियों में उधम मचाये हैं ।। संग सखाओं के जाते गइया लेकर । वृंदावन में मोहन गऊ चराये हैं ।। चीर हरण कर दुनिया को वे सीख दिये । सखियों के संग में वे रास रचाये हैं ।। दुष्ट अनेकों का उनने संहार किया । भक्तों को ...
हनुमान जी से विनती
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हनुमान जी से विनती

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** मिला दो राम से हनुमत .... मिला दो राम से हनुमत, तेरा गुणगान गाएंगे। बताओगे जो भी युक्ति, उसे करके दिखाएंगे। मिला दो राम से ... प्रभु आराध्य हैं तेरे, मेरे आराध्य तो तुम हो। कृपा जो राम की पाया, उसे क्या कार्य दुष्कर हो। तेरी भक्ति फलित होगी, तो प्रभु भक्ति को पाएंगे। मिला दो राम से... तुम्ही ने की कृपा सुग्रीव पर, तो राम को पाया। दिया सेवा का अवसर और, उसे भय मुक्त करवाया। तेरी करुणा कृपा से ही, तो दिल मे राम आएंगे। मिला दो राम से... तेरे स्वामी की सेवा का, जो अवसर मैंने पाया है, तुम्ही से शक्ति लेकर के, उसे मैंने निभाया है। हैं जबतक प्राण तन में, हम तो ये सेवा निभाएंगे। मिला दो राम... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह...
शिव स्तुति
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शिव स्तुति

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** ॐ नमः शिवाय...... ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय, इसी मंत्र के नित्य जाप से सकल काम बन जाय। बोलो ॐ नमः .... प्रभू राम ने सागर तट पर शिव की करी थापना, किया शिवार्चन और भोले से मन की कही कामना। करी प्रेरणा 'राम' लिखो तो हर पत्थर तर जाय। बोलो ॐ नमः.... प्रथम पूज्य हैं पुत्र इन्ही के, देवों में ये महादेव हैं। बेलपत्र और भांग धतूरा, संग पुष्प चढ़ते अनेक हैं। तू सावन भर जल अर्पित कर, इनकी भक्ति पाय। बोलो ॐ नमः.... रहते जब समाधि में स्थित, शिव हैं राम नाम को ध्याते। प्रभु राम होते प्रसन्न तो, इससे अक्षय शक्ति पाते। कुछ ना रखते पास में अपने, सब कुछ देत लुटाय। ॐ नमः शिवाय..... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलि...
शिव आराधना
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शिव आराधना

सुनील कुमार बहराइच (उत्तर-प्रदेश) ******************** शिव ‌भोले हम भक्त तुम्हारे बेआस-बेसहारे लो हम तो आ गए अब शरण में तुम्हारे शिव ‌भोले हम भक्त तुम्हारे मुफलिस गरीब हम हैं औकात क्या हमारी आन पड़ी है हम पर आज विपदा भारी मझधार में फंसे हैं मिलते नहीं किनारे शिव ‌भोले हम भक्त तुम्हारे लो हम तो आ गए अब शरण में तुम्हारे शिव ‌भोले हम भक्त तुम्हारे तेरी दया से चलती ये दुनिया सारी एक तुम ही दाता सारा जग है भिखारी हम पर दया जो कर दो बन जाए बिगड़ी हमारी शिव ‌भोले हम भक्त तुम्हारे बेआस-बेसहारे लो हम तो आ गए अब शरण में तुम्हारे शिव ‌भोले हम भक्त तुम्हारे दर से न तेरे लौटा कोई ले‌ के झोली खाली हम पर भी दया कर दो हे नीलकंठधारी बिगड़ी मेरी बना दो बस इतनी अरज हमारी दर पर तेरे खड़े हैं ले के झोली खाली झोली मेरी भी भर दो हे त्रिनेत्रधारी। परिचय :- सुनील कुमार निवासी ...
आदिदेव महादेव
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आदिदेव महादेव

महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' सीकर, (राजस्थान) ******************** श्रावण मास सोमवार को, भोले का यश गाना हैं। रख श्रद्धा आदिनाथ की, भवसागर तर जाना हैं।..... वंदन चंदन कर तिलक लगाएं, अर्पित करते पुष्पों की माला। आदिदेव महादेव का ध्यान धरें, सबके हित उत्तम करने वाला। गौरीशंकर भक्ति में चित्त लगाना हैं। रख श्रद्धा आदिनाथ की भवसागर तर जाना हैं।..... तात कार्तिकेय-गणनायक की, आभा बड़ी निराली हैं। मयूर केतु-गजानन की, छवि नैन सुखदायी हैं। माँ गिरिजा व विश्वनाथ का अलौकिक श्रृंगार करना है। रख श्रद्धा आदिनाथ की भवसागर तर जाना हैं।..... परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता' निवासी : सीकर, (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्ष...
गुरुदेव की भक्ति
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गुरुदेव की भक्ति

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** भक्ति मैं करता तेरे साझ और सबेरे। चरण पखारू तेरे साझ और सबरे। चरण पखारू तेरे साझा और सबरे। तेरे मंद-मंद दो नैन मेरे मनको दे रहे चैन। तेरे मंद-मंद दो नैन...। क्या ज्ञान क्या अज्ञानी जन, आते है निश दिन मंदिर में। एक समान दृष्टि तेरी पड़ती है उन सब जन पर। पड़ती है दृष्टि तेरे उन सब पर। तेरे कर्णना भर दो नैन मेरे मनको दे रहे चैन। तेरी कर्णना भरे दो नैन मेरे मनको दे रहे चैन।। त्याग तपस्या की ऐसे सूरत हो। चलते फिरते तुम भगवान हो। दर्शन जिसको मिल जाये बस। जीवन उनका धन्य होता। जीवन उनका धन्य होता। तेरा जिसको मिले आशीर्वाद। उसका जीवन हो जाये कामयाब। तेरा जिसको मिले आशीर्वाद। उसका जीवन हो जाये कामयाब।। ऐसे गुरुवर विद्यासागर के चरणों में संजय करता उन्हें वंदन, करता उन्हें शत शत वंदन।। परिचय :- बीना ...
हनुमत्कृपा
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हनुमत्कृपा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** भक्त है हनुमान जी हैं दयालु बहुत, अपने भक्तों की चिंता वे करते सदा, उनके भक्तों को जग में सताते हैं जो, ऐसे दुष्टों पे चलती है उनकी गदा। भक्त... उनकी महिमा उन्ही को सुनाने के मित, उनके भक्तों ने कुछ सिद्ध मंदिर चुने, पूर्ण निर्विघ्न उनका ये संकल्प हो, इसलिए भक्तों ने ताने बाने बुने। आस्था जिनकी हो हनु के चरणों मे दृढ़, उनके मारग की कांटे वे चुनते सदा। भक्त... भक्तों को तीव्र गर्मी सता थी रही, हनु ने मेघों को आदेश था दे दिया। उनके आदेश को शीश धर मेघों ने, पाठ के दिनों मौसम सुहाना किया। झांक अंतर में सब कष्ट हरते है वो, ये ही हनुमान जी की निराली अदा। भक्त... राम सुमिरन करो, नित चालीसा पढ़ो, मन मे हनुमत की भक्त्ति पनप जायेगी। भक्ति में डूब पाया अगर तेरा मन, जग की कोई भी सुविधा नहीं भायेगी। कूप से निकलकर ...
शिव की महिमा
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शिव की महिमा

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** आज मानव भी अपना तीसरा नेत्र तो खोलें, अंतरघट में बसे अंतर्यामी साक्षी से तो बोलें, वही त्रिलोचन तो ज्ञान चक्षुधारी शिव कहलाते हैं। समाज में फैले कुरीतियों को स्व-विवेक से भगायें, हर रोज नित नये आयाम लेकर सहजता से अपनायें। वही हर-हर महादेव शिव सिद्धीश्वर कहलाते हैं .... भौतिक जीवन को त्यागकर सत्य की अनुभूति करायें, भूत, भविष्य, वर्तमान तीनों कालों के रहस्य बतायें। वही हितकारी शिवशंभु त्रिकालदर्शी कहलाते हैं .... बारह मासों में एक बार सावन जरूर आते हैं, कल्याणकारी भोलेनाथ भी तो ससुराल आते हैं। वही पूजा-पाठ घर मंदिर ही शिवालय कहलाते हैं ..... रिमझिम फुहार ही तो विवेक वैराग्य जगाते हैं, झूठी मिथ्या कल्पनाओं को तो दूर भगाते हैं। वही जो जटा से ज्ञान की गंगा जटाशंकर बहाते हैं ...... रजो, तमो, सतो ...
मैं भी बोलूं जय साईं राम
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मैं भी बोलूं जय साईं राम

अरविन्द सिंह गौर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** दुनिया में कितने साईं भक्त हैं। मेरी भक्ति कितनी कम है। साईं सेवा करते वो हर दम है। मेरी सेवा कितनी कम है। में ही साई सेवक हूं मेरा अहम दूर हुआ। साईं भक्तों मेरा भरम दूर हुआ। साईं ने दूर किया अभिमान साईं बाबा करते कल्याण। "अरविंद" साईं भक्तों को करें प्रणाम। साईं में बसते सब के प्राण। साईं देते सबको ज्ञान। श्रद्धा सबूरी रख इंसान। साईं सच्चरित्र का करो नित्य पाठ। "श्री साईं बाबा प्रचार केंद्र इंदौर" का यह दिव्य अभियान। मैं भी बोलूं जय साईं राम। सब कोई बोलो जय साईं राम। परिचय :-  अरविन्द सिंह गौर जन्म तिथि : १७ सितम्बर १९७९ निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) लेखन विधा : कविता, शायरी व समसामयिक सम्प्रति : वाणिज्य कर इंदौर संभाग सहायक ग्रेड तीन के पद में कार्यरत घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित क...
कान्हा से उलाहना
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कान्हा से उलाहना

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** कान्हा गोकुल में माखन खिलाया नही, कैसे मानूँ की माखन खिलाते हो तुम। किसी छीके पे माखन टंगा ही नहीं, कैसे मानूँ की माखन चुराते हो तुम। कान्हा गोकुल... तेरी किरपा से आया हूँ ब्रजधाम में, वो ही आता है जिसको बुलाते हो तुम, आस्था तेरे चरणों मे जिसकी घटी, उससे तत्काल ही रुठ जाते हो तुम। कैसे मानूँ कि... सब हैं राधा को तेरी नमन कर रहे, इसलिए सबमें ही नज़र आते हो तुम, जो भी तेरे लिए है तड़पता यहां, उसके अंतर में शीघ्र समाते हो तुम। कैसे मानूँ.... गायें गोकुल की तो कहीं जाती नहीं, दूध माखन कहाँ चला जाता है फिर। तुमको सब ज्ञात है, दृष्टि व्यापक तेरी, देखना है कि कब रोक पाते हो तुम। कैसे मानूँ की ... तेरे गोकुल का प्रसाद माखन नहीं, इसलिए तुमसे शिकवा किया "प्रेम" ने, तुमने ग्वालों को माखन खिलाया बहुत, देखना ...
राम नाम की महिमा
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राम नाम की महिमा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** नाम जपते चलो "राम" गाते चलो... नाम जपते चलो राम गाते चलो, मुक्ति के मार्ग पर पग बढ़ाते चलो। बोलो राम बोलो राम... नाम जप तेरे अंतर को पावन करे, नाम जप ही तेरे मन में भक्ति भरे। पकड़कर नाम जप की ही पतवार को, अपनी नैय्या किनारे लगाते चलो। बोलो राम बोलो राम... राम ही सत्य है मान पायेगा जो, डूबकर राम ही राम गायेगा वो। जग की आशक्ति से मुक्त होना है तो, राम रस में ही मन को डुबाते चलो। बोलो राम बोलो राम... नाम में डूब तुलसी मगन हो गए, लिखके मानस वो जैसे गगन हो गए। "प्रेम" तुम भी रहो "राम" में ही मगन, उनकी सेवा से सांसें बढ़ाते चलो। बोलो राम बोलो राम... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं,...
मां सरस्वती के चरणों में वंदना
कविता, भजन

मां सरस्वती के चरणों में वंदना

मंजू लोढ़ा परेल मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** देखो वसंत पंचमी का शुभ दिन आया, मां सरस्वती के अवतरण का मंगल दिन आया, सफेद वस्त्रों में सुसज्जित मुख पर असीम शांति, होठों पर मीठी मुस्कान, आंखों से छलक रहा स्नेह का निर्झर, कितनी सुंदर मेरी मां है भारती-वागेश्वरी। हाथों में है तेरे वीणा, सुरों की तु सुरीली देवी, तुझसे ही है सारा संगीत, राग-रागनियाँ और मधुर लहरियाँ, कितनी मीठी शहद सी तेरी वाणी, मेरी मां है वीणापाणी। हंस पर तु विराजित, मोतियों सी तु दमकती, तेरे चेहरे पर छलकता नूर कर देता मन का सारा संताप दूर, हर लो हमारा अज्ञान, दे दो हमें ज्ञान मेरी मां है हंसवाहिनी। तु बह्मा पुत्री-वेदों की अधिकारी, शब्द-शब्द में तु समायी, मां से शुरू हुआ संसार, तुझसे ही पाया अक्षर अंक का ज्ञान, दे दो हमें वरदान, बना लो अपना अधिकारी -वारिस मेरी मां हे शारदे...
माँ सरस्वती की वंदना
भजन

माँ सरस्वती की वंदना

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** माँ तुम्हारी वंदना में क्या लिखूं, तुम ही बताओ। यदि मेरा है हृदय निर्मल, आके निज आसन लगाओ। माँ तुम्हारी वंदना..... तुम ही हो विद्या की देवी, सबको विद्या दान करती। कवि के अंतर भाव देकर, भक्ति रस का सृजन करती। गीत कवि लिखते रहें, स्वरबद्ध करके तुम गवाओ। माँ तुम्हारी वंदना..... तुम ही स्मृद्धिदात्री, भक्तों पे करुणा बहाती, जो हैं जग माया में उलझे, उनको हो तुम ही जगाती। लिख रहा है "प्रेम" महिमा, बैठ अंतर गुनगुनाओ। माँ तुम्हारी वंदना....... मेरा कुछ भी नहीं जग में, क्यों कि खाली हांथ आया। तुमने दे संस्कारी बच्चे सुख स्मृद्धि से सजाया। "प्रेम" के गीतों को माँ तुम, श्रेष्ठ भक्तों से गवाओ। माँ तुम्हारी वंदना.... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित ...
हनुमान जी की महिमा
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हनुमान जी की महिमा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** भक्त हनुमान जी हैं दयालु बहुत, राम भक्तों की रक्षा वे करते सदा। दैत्य माने नहीं राम महिमा को जो, उनपे हनुमान जी ने चलाई गदा। भक्त हनुमान जी...... राम का नाम लेता विभीषण मिला, मित्र माना उसे,अपना परिचय दिया। हो गया धन्य वो,राम सेवक से मिल, माता सीता का उसने,पता था दिया। गये वो वाटिका माँ के दर्शन किये, उनकी सांसों में बस "राम" चलता सदा। भक्त हनुमान जी...... दम्भी रावण को सद्ज्ञान देने के मित, माँ से अनुमति ले विध्वंस की वाटिका। छोड़ा ब्रम्हास्त्र तो नमन कर बंध गए, छोड़ने की नहीं की कोई याचिका। दिया सद्ज्ञान रावण को दरबार में, वो अहंम में था डूबा न उसको जँचा। भक्त हनुमान जी........ दिया रावण ने आदेश मारो इसे, आ विभीषण ने नीति बताई उसे। शत्रु का दूत है,अन्य कुछ दंड दो, नीति सम्मत नहीं है न मारो इसे। पूँछ मे...