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भजन

शिव शंकर भोले भंडारी
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शिव शंकर भोले भंडारी

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** शिव शंकर भोले भंडारी, भरते हैं भंडार । नीलकंठ कैलाश विराजे, देते वर उपहार।। हाथ रखें त्रिशूल हैं भोला, देते हैं सौगात। मोक्षदायिनी जटा जूट में, जैसे पुण्य-प्रभात।। शीश विराजत चंद्र प्रभो के, गल मुंडो की माल। तांडव जब करते शंकर हैं, काँपे फिर तो काल।। जीवन संगिनी पार्वती हैं, रहें नंदी सवार। प्रभु निष्कामी हैं अन्तर्यामी, त्रिलोकी महाकाल। सुखकारी हैं मंगलकारी, करते मालामाल।। बामदेव गंगाधर शंकर, त्रिपुरारी गिरिनाथ। भूतनाथ शशिशेखर देवा, रहें गणों के साथ।। व्योमकेश पशुपति पिंगल हैं, कर लो जयजयकार। ओम नमों का जाप करो सब, निराकार भगवान। सकल विश्व की रक्षा करते, ज्योति लिंग पहचान।। मोक्ष दिलाते भक्तो को प्रभु, हरते संकट नाथ। शिव महिमा गा रहे देवता, भस्म रखें सब माथ।। दुखभंजन हैं अलख निरंजन, प्रभु हैं ...
ओ यशोदा मैया
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ओ यशोदा मैया

प्रतिभा दुबे ग्वालियर (मध्य प्रदेश) ******************** माता यशोदा की गोद में खेले कृष्ण कन्हाई अब सोच रहे हैं कैसे करूं मैं अब मैया से विनती, खाने को सखा राह देख रहे हैं।। खेल-खेल में कृष्ण सखाओं संग, मक्खन की हांडी को ताड़ रहे हैं जैसे ही मैया हांडी माखन से भरदे मैया को मक्खन के लिए बोल रहे हैं। अब आई बारी मक्खन खाने की मैया दे मधुर मुस्कान वे बोले रहे हैं ओ री यशोदा माई मैं तेरा लल्ला करवा देना मेरा मक्खन से मुंह झूठा।। माटी ना खाऊंगा सच में कहता हूं गईया चराऊंगा में नित सांझ,सवेरे एक हांडी भर दे माखन से मेरी तू राधा ,सखा सब रास्ता देख रहें है।। कोई की मैया ना देवे हैं मक्खन जितनी प्यारी है तू ओ मेरी मैया चोरी करूंगा न मक्खन की अब से दे जो तू मुझे एक माखन की हंडिया ।। ओ मैया जब देगी मक्खन की हंडिया कन्हैया का तेरा यह वादा है ओ मैया काम...
नित प्रवाहिनी माँ नर्मदे
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नित प्रवाहिनी माँ नर्मदे

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** नित प्रवाहिनी नर्मदे, तेरा ताप अपार। देती है तू जीव को, पुण्यों का उपहार।। रेवा मैया तू सदा, करती है उपकार। बनकर के वरदान तू, कर देती भवपार।। दर्शन तेरे उच्चतम, नीर सुधा का रूप। शिवतनया हे ! नर्मदे, तू नित खिलती धूप।। रेवा माता मेकला, पापहारिणी ख़ूब। नाश करे दुष्कर्म का, बन पूजा की दूब।। कंकर को शंकर करे, वंदनीय हे! मात। गहन तिमिर को मारने, लाती रोज़ प्रभात।। रेवा तेरी वंदना, करता सकल समाज। जीवनरेखा बन करे, जनजीवन का काज।। मेकल से उद्भूत हो, बहती सागर-ओर। तेरी महिमा का कभी, किंचित है नहिं छोर।। रेवा तू प्राचीनतम्, जग को दे आशीष। करुणामय तेरी दया, करता उन्नत शीश।। प्रकट हुई तू इस धरा, हरने हर संताप। तेरी महिमा को भला, कौन सकेगा माप।। चुनरी का अर्पण तुझे, करे पाप-संहार। सतत् बहे रेवा ...
हे मॉ, हे मॉ सरस्वती
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हे मॉ, हे मॉ सरस्वती

बृजेश आनन्द राय जौनपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** हे माँ, हे माँ सरस्वती विद्या-दायिनी, माँ भगवती! नत-सिर, निमीलित नयन प्रणम्य शिरसा, करूँ निवेदन रुग्ण है आज, विश्व-जीवन उद्धार का कुछ करो चिन्तन हे माँ, हे माँ प्रज्ञावती विद्यादायिनी, माँ भगवती! संकट में है मनुज-जीवन नाश का है सर्वत्र-दर्शन अज्ञानता का है प्रवर्तन करो, करुणा का आवर्तन हे माँ, हे माँ विद्यावती विद्यादायिनी, माँ भगवती! वीणा की मधु-रागिनी से कमण्डल-प्रवाहिनी से दिव्य-ज्ञान-संजीवनी से सर्व-प्राण का संचार कर दो हे माँ, हे माँ जीवनदात्री विद्यादायिनी, माँ भगवती! अस्तित्व का सागर लहराए मन, जीवन-गीत गाए अमरता की ज्योतिपुंज फिर मनुजता में समा जाए हे माँ, हे माँ मनुष्यमती विद्यादायिनी, माँ भगवती! परिचय :-  बृजेश आनन्द राय निवासी : जौनपुर (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणि...
तुझ बिन
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तुझ बिन

आकाश प्रजापति मोडासा, अरवल्ली (गुजरात) ******************** तुझ बिन मैंने कैसी ये प्रीत लगाई रे राधे-राधे नाम जपते तेरी याद आई रे तुझ बिन कैसी प्रीत लगाई रे प्रेम की अभिभाषा तुझ से ही तो मुझे समझाई रे जीवन की नई दिशा तुझ से ही तो पाई रे तुझ बिन कैसी ये प्रीत लगाई रे राधा रानी भी तो कृष्ण को न मिल पाई रे फिर भी एक दूजे के हमराही रे तुझ बिन मैंने ये कैसी प्रीत लगाई रे राम सीता जैसी हमारी जोड़ी मिल आई रे जनम जनम के प्रेम के हम साथी रे तुझ बिन मैंने कैसी प्रीत लगाई रे किया तुझ से जब से मैंने प्रेम रे हुआ मैं तो इस दुनियां से मुक्त रे तुझ बिन मैंने कैसी प्रीत लगाई रे पास होकर भी हम एक दूजे से क्यों दूर रे जीवन भर साथ का है फिर भी क्यों मोह रे तुझ बिन मैं कैसे प्रीत लगाऊं रे तू ही मेरा जीवन है तू ही काया रे सदेव तुझ से ही प्रेम करूंगा तू ही मेरी छाया रे तुझ से ही...
हर कण में मैं हूँ
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हर कण में मैं हूँ

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** मुझको भला क्यों ढूंढ रहे हो कण-कण में मैं ही बसता हूँ साँझ-दिवस घनघोर दुपहरी जड़- चेतन में मैं ही रहता हूँ हर पल हर घड़ी में रहता हूँ समय का चक्र भी मैं ही तो हूँ घनघोर अंधेरा और प्रकाश में राह सभी को मैं दिखलाता हूँ अंतस में साथ तुम्हारे रहता हूँ सत्य का भान सदा करवाता हूँ मुझको सुन लो अपने भीतर बातें तुमसे हर पल मैं करता हूँ जंगल के वीराने में भी मैं हूँ हाट-बाजार के शोर में मैं हूँ तनहा कब छोड़ा है तुमको हर पल साथ तुम्हारे मैं हूँ परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छा...
वैष्णवों का मनोरथ
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वैष्णवों का मनोरथ

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** देखो! नववर्ष की आई है दिव्य बेला, गोकुल में सजेगा हम वैष्णवों का मेला, श्रीजी की प्यारी हमारी यमुना महारानी शांत, नीलमणि वर्ण हमारी प्यारी पटरानी, भजन कीर्तन से करें आपका गुणगान स्वीकार कर पूजा हमारी, राखो हमारो मान श्रीजी बाबा कृपा से रचा गोकुल में चुनरी मनोरथ काज यमुना महारानी पटरानीजी पूर्ण कीजो हमरी पावन आस।। सोलह सिंगार से हमें आपको है सजाना, सुंदर चुनर भी हमें आपको है ओढाना अपनी स्वीकृति दे महारानी आप हमारा कार्य सफल बनाना सौभाग्य रहे सदा साथ हमारे, ऐसा आशीष हमको है पाना।। छवि मनमोहक मधुर तान से सबका मन जो भरमाये अपनी सुध-बुध-भूल के गोपियां खिंची चली वो आयें चलो रे! श्री गिरिराजजी बाबा का दर्शन लाभ पाएं गोविंद कुंड में हम सभी सफल मनोरथ कराएं श्रीजी बाबा, महारानीजी पूर्ण कीजिए हमारा मनोरथ आस लग...
नव सृजन
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नव सृजन

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** मानवता की सेवा में लग, तू भी अपना भाग्य जगा ले। ईश्वर है करुणा का सागर, तू भी उसकी करुणा पा ले। मानवता की सेवा... ईश्वर ने करुणा कर मानव तन, मुक्ति के हेतु दिया है। पर माया के दल-दल में, फंसकर हमने दुरपयोग किया है। जो जग माया में उलझे हैं, उनको तू प्रभु धाम दिखा दे मानवता की... जिनको प्रभुका धाम भा गया, प्रभु भक्ति में रम जाएंगे। सुमिरन होने लगा नाम का, तो माया से बच जाएंगे। तीर्थाटन का स्वाद चखाने, को जीवन उद्देश्य बना ले। मानवता की... जिसको प्रभु सम्पन्न बनाता, वो धन का उपयोग करेगा, नहीं बढ़े पग सन्मार्ग पर, तो धन का दुलयोग करेगा तू सन्मार्ग दिखाकर उसको, उसके धन को धन्य बना ले। मानवता की... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि म...
प्रभु कार्यों का निमित बना जो
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प्रभु कार्यों का निमित बना जो

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** प्रभु कार्यों का निमित बना जो, प्रभु उसकी रक्षा करता है। जग दायित्व पूर्ण करवा कर, उनको जग विरक्त करता है, प्रभु कार्यों का .... है परिवार दिया ईश्वर ने, उसके सब कर्तव्य निभाओ। अच्छा बुरा करो प्रभु अर्पित, और कृतज्ञता भाव बढ़ाओ। पूर्ण समर्पित हो प्रभु को तो, माँ की तरह ध्यान धरता है। प्रभु कार्यों का .... ईश्वर की प्रेरणा से ही कुछ, भक्ती गीत सृजित होते है। जो माया में चिपके है वे, भाग्य सुलाकर खुद सोते है। जो प्रभु भक्ति ओर बढगये, उनकी भक्ति पुष्ट करता है। प्रभु कार्यों का .... ६० साल के आगे आयु, प्रभु निज सुमिरन हेतु दे रहा। कुछ तुझमे देखा है सात्विक, इसीलिए है कृपा कर रहा। जो प्रभु सुमिरन में रम जाता है, उसके साथ सदा रहता है। प्रभु कार्यों का .... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : ज...
जग नियंता की शक्ति
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जग नियंता की शक्ति

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** जग नियंता की शक्ति को पहचान तू, सारी सृष्टि है प्रभु की बनाई हुई। लेखनी बस चलाते हैं हम जैसे कवि, हर इक कविता है ईश्वर की गाई हुई। जग नियंता...... मत अहम पाल की तू सृजन कर रहा, जिसपे करता कृपा प्रभु, भजन कररहा। अपनी शक्ति से जीवित नहीं है कोई, सबकी सांसे हैं प्रभु की चलाई हुई। जग नियंता....... जो करेगा भजन वो रहेगा मगन, डूब पाया अगर तो छुएगा गगन। गया सके राम महिमा को तुलसी तभी, ये थी हनुमत की सरिता बहाई हुई। जग नियंता.......... तू लगा इसमें डुबकी और हो धन्य जा, वो लुटाता है प्रतिपल, तू जो लूट पा। जन्म के साथ माँ तन से अमृत मिला, सारी औषधियाँ प्रभु की उगाई हुई । जग नियंता........ परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित...
मां लक्ष्मी के आठ स्वरूप
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मां लक्ष्मी के आठ स्वरूप

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** धर्म ग्रंथों और पुराणों में मां लक्ष्मी के अष्ट स्वरूपों का वर्णन है मान्यता है मां लक्ष्मी की कृपा बिना जीवन में समृद्धि संपन्नता पाना असंभव है मां के अष्ट लक्ष्मी स्वरूप अपने नाम स्वरूप के अनुसार भक्तों के दुख दूर करती हैं सुख समृद्धि देकर वैभव बढ़ाती है धन की वर्षा से जीवन सफल बनाती है आदिलक्ष्मी धन लक्ष्मी धान्य लक्ष्मी स्वरूपों सहित गज लक्ष्मी संतान लक्ष्मी वीर लक्ष्मी जय लक्ष्मी विद्या लक्ष्मी अष्ट स्वरूप है हर स्वरूप से कृपा रहमत बरसाती है लक्ष्मी मां का सशक्त अस्त्रों में मुद्रा अस्त्र है अलक्ष्मी चंद्रदेव शुक्राचार्य भाई बहन हैं मां का दिवस शुक्रवार जीवनसाथी विष्णु है सवारी गरुड़ उल्लू शेषनाग कमल है ओम श्री श्रेये नमः मूल मंत्र हैं वैंकुठ मणिद्वीप क्षीरसागर निवास स्थान है महालक्ष्मी...
सृजन
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सृजन

डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ******************** शितल-शितल चंदा की किरण है। महकी-महकी आज पशन है। तरल तरंग मन में उमडे है उमड-उमड मन गीत है गाता। सुख है, दु:ख है समझ ना पाये मन भी बडा चपल चंचल है। डाल-डाल पर भँवरा मंडराये कली-कली को फूल बनाये। दूर कही बांसुरी बजाए राधा-राधा किशन बुलाए। मनवा महके, तनवा दहके सृष्टी का कैसा सृजन है। परिचय :-  डाॅ. रेश्मा पाटील निवासी : निपाणी, जिला- बेलगम (कर्नाटक) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके...
आज का सृजन
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आज का सृजन

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** "राम" रस में डूबकर देखो, तुम्हें भक्ति मिलेगी। होंगे खुश हनुमान जी, उनसे तुझे शक्ति मिलेगी। राम रस में डूबकर... "राम" प्रिय लगने लगा तो, काम खुद घटने लगेगा। डूब पाया "राम" में तो, जग से मन हटने लगेगा। माया जब घेरेगी तो, हनुमान से युक्ति मिलेगी। "राम" रस में डूबकर.... प्रभु ने मानव तन दिया, उपकार उसका मान प्राणी। श्रेष्ठ योनि में है जन्मा, मधुर करले अपनी वाणी। शारदे माँ रीझ जाएंगी तो, अभिव्यक्ति मिलेगी। "राम" रस में डूबकर.... सूर, मीरा और कबीरा डूबे, प्रभु महिमा को गाया। भक्ति गंगा में नहाने, के लिए भक्तों ने गाया। "राम" सेवा में लगा तनमन को, तो मुक्ति मिलेगी। "राम" रस में डूबकर.... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचन...
जीवन सफल बना दो माँ
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जीवन सफल बना दो माँ

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** जीवन के अंधेरों को दूर भगा दो माँ, नैया मेरी पार लगा दो माँ, ये जीवन जो तुमने दिया, जीवन की राह आसान बना दो माँ, आते हैं तेरे दर पर, बन कर सब सवाली, मुझ पर भी कृपा कर, मेरा भविष्य उज्जवल बना दो मांँ, दुःख दर्द सब दुर कर, मेरा जीवन सफल बना दो माँ, लक्ष्य जीवन का मेरे, उसको साकार बना दो माँ, मांँ होकर सब जानती हो, दीन दुखियों का दर्द पहचानती हो, मुझ पर भी दया दृष्टि बनाकर, सब काम मेरे आसान बना दो माँ, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्द...
महागौरी वन्दन
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महागौरी वन्दन

आचार्य नित्यानन्द वाजपेयी “उपमन्यु” फर्रूखाबाद (उत्तर प्रदेश) ******************** महामाता महागौरी जगत कल्याणकारी हैं। तुम्हारी आस हमनें नाव दरिया में उतारी है।। शिवानी शैलजा अम्बा त्र्यम्बक तोषिणी गौरी। चतुर्भुज रूप है अनुपम, धरे हैं चंद्रमा मौरी।। लिए त्रयशूल दाएँ कर, बजातीं वामकर डमरू। वृषभ आरूढ़ हैं माता, चलें हैं संग में भैरू।। जिन्होनें भक्त के कल्याण हित लीला प्रसारी है।।१! सुता हिमवान की हो तुम, चुना पति शंभु शंकर को। कठिन तप से पड़ी काली, रिझाया तब शुभंकर को।। पिया सितकंठ आये तब, दिया वर गौर वर्णा हो। बनी शंकर प्रिया शुभ्रा, शिवानी हो अपर्णा हो।। तभी से गौरवर्णा हो, वदन कर्पूर क्यारी है।!२! तुम्हीं दुर्गा तुम्हीं काली, तुम्हीं तो अन्नपूर्णा हो। तुम्हीं शाकाम्भरी देवी, महिष की दम्भ चूर्णा हो।। सुनैना दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्गतारिणि हो। भवानी दुर्गभा अम्बा, श...
नौं दिन माता रानी के
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नौं दिन माता रानी के

संजय कुमार नेमा भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** नवरात्र का त्योहार मां की शक्ति और भक्ति का आया। सब मिल करें नौं दिन माता रानी के, विविध स्वरूपों की आराधना एवं साधना। प्रथम दिवस होती पर्वतराज शैलपुत्री की आराधना। द्वितीय दिवस आती, देवी ब्रह्मचारिणी अपने स्वरूप का दर्शन देने।। जप की माला एवं कमंडल लेकर। तीसरा दिवस आता देवी चंद्रघंटा स्वरूप का, वाहन है इनका शेर। असुरों के सहार के लिए।। हाथों में सजते सभी अस्त्र-शस्त्र। चौथा दिवस करते पूजा माता के कुष्मांडा स्वरूप के। इनके स्वरूप में समाया पूरा ब्रह्मांड का तेज, अपने स्वरूप में ही पायी तेजस्वी जगत आभा की। पांचवा दिवस आता आराधना का देवी के स्कंदमाता स्वरूप का।। माता दर्शन देती ममत्त्व का,‌ बैठी गोद में लेकर बालक रूप भगवान स्कंद का। छठवां दिन आराधना का आया माता दर्शन देती कात्यायनी रुप में।...
माँ भगवती
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माँ भगवती

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** मातु अम्बे शुभे चण्डिका, भगवती हैं पुकारो रमा। दिव्य रूपा धरा रक्षिका, प्रार्थना है पधारो रमा।। दैत्य रिपु घातिनी मालिनी, शक्तिशाली जगत तारिणी। मातु करुणामयी शालिनी, मातु शुभदा शुभे कारिणी।। सृष्टि पालन भवानी करें, मातु है दैत्य संहारिणी। आदि रूपा अलौकिक बड़ी, जोड़ते कर कमल धारिणी।। मातु महिमा सभी गा रहे, भाग्य सबके निखारो रमा। शाम्भवी धर्म संस्थापिका, ज्योत्सना ज्ञान की कामना। माँ सुधा प्रीत की दे पिला, धर्म अरु त्याग की भावना।। कर कृपा नंदिनी माँ सदा, हे विनय आज वरदायिनी। माँ नमन है वचन नित्य दे, पावनी मातु सुख दायिनी।। दूर कर कष्ट सुख दे जरा, भक्त टेरे सँवारों रमा। पापहंता शिवा भामिनी, शस्त्र धारण करे कालिका। सर्वभूतेषु ममतामयी, स्कंद माता जगत पालिका।। स्वर्ण आभा बिखेरे सदा, ...
तेरा चमक रहा दरबार
भजन, स्तुति

तेरा चमक रहा दरबार

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** "मैया तेरे दरबार की, धूल का मैं एक टुकड़ा, हरि नाम दास हूं बड़ा, सुनले मेरा दुखड़ा" तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा...।। गड़ ऊंचे मंदिर मैया विराजी, नवरूपों में सजी महारानी। सज रहे गांव गली चौराहे, नवरूपों में झांकी विराजी। देखो चल रहा जागरण ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा। तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा...।। "सुन ले मेरा दुखड़ा मैया, थोड़ा ना कर इंतजार, बेचारा नही मैं लाल हूं, मुझपर कर उपकार" तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा...।। नंगे-नंगे पांव मैं चलकर आया, ऊंची-ऊंची सीढ़ियां मैं चढ़कर आया। धूपबाती की ज्योत जलायी, लाल रोली का तिलक लगाया। देखो भक्त करे जयकारा ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा।। तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भ...
दीप जलाएं बैठा हूं
कविता, भजन, स्तुति

दीप जलाएं बैठा हूं

आकाश सेमवाल ऋषिकेश (उत्तराखंड) ******************** चकाचौंध की रौनक न मां, दीप जलाएं बैठा हूं। संगीत-गीत न तंत्र-मंत्र न, जय माता दी कहता हूं।। स्वर्ण कलश न, न स्वर्ण मूर्ति, न स्वर्णजड़ित सिंघासन है। काष्ठ आड में रखा है तुझको, जर्जर वस्त्र का आसन है। नैवेद्य नहीं फल-फूल नहीं मां,, मैं, गुड चढ़ाएं बैठा हूं।। चकाचौंध की रौनक न मां, दीप जलाएं बैठा हूं। कर्पूर नहीं मां धूप नहीं, न कर पाऊं श्रृंगार तेरा। नूपुर नहीं, करधनी नहीं, ना भोगने योग्य आहार तेरा। इत्र नहीं, सिन्दूर नही मां, सर झुकाए बैठा हूं।। चकाचौंध की रौनक न मां, दीप जलाएं बैठा हूं। परिचय :- आकाश सेमवाल पिता : नत्थीलाल सेमवाल माता : हर्षपति देवी निवास : ऋषिकेश (उत्तराखंड) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
गुरुदेव
कविता, भजन

गुरुदेव

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** जय हो! महाज्ञानी गुरुदेव ज्ञानदाता। सच्चा पथ प्रदर्शक भगवान विधाता।। सूर्य के समान चमक रहा है विद्याधर। साक्षात अंतरात्मा को प्रकाशित कर।। अबोध बालक में जागृत किया बोध। विशेषज्ञ बन किए वृहद नवीन शोध।। ज्ञानी गुरु जड़ बुद्धि में ला देता चेतन। प्रेरणा से लक्ष्य का करवाता है भेदन।। मन में जगा देता है सीखने की इच्छा। मूल्य निर्धारण के लिए लेता परीक्षा।। नैतिकता और संज्ञान में बनाता प्रवीण। खेल, नृत्य, गीत, संगीत में करता उत्तीर्ण।। अंधकार का बनाया उज्जवल भविष्य। सत्य की पहचान कर दिखाया दृश्य।। कोविद ही लाता है जन-जन में सुधार। समाज कल्याण करता प्रभु के अवतार।। वंदना करो गुरु का चरण कमल पकड़। मांग लो तुम आशीष विवेक का जड़।। सहज मानव को योद्धा बना जीतवाता। जीवन जीने की आदर्श कला सिखाता।। परिचय : अशोक कुमार ...
पितृ आरती
गीत, भजन, स्तुति

पितृ आरती

राम स्वरूप राव "गम्भीर" सिरोंज- विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** आरती पूज्य पूर्वज की, हमारे कुल के अग्रज की श्राद्ध तिथि आज है जिनकी, दिवंगत कुल के अग्रज की क्वार पक्ष कृष्ण मनभावन, स्मृति अपनों हो पावन नयन जो दे गए सावन, यजन उनके चरण रज की आरती पूज्य पूर्वज की.... डाव, कुशघांस से अर्पण, दुग्ध तिल जौं का कर मिश्रण हो तर्पण मंत्र का पाठन, दोश हर मंगल कारज की आरती पूज्य पूर्वज की... श्राद्ध का शुभ दिवस आया, दिवंगत प्रिय की सुधि लाया दान उनके निमित्त भाया, आरती पूज्य की... श्राद्ध की षोडश तिथि न्यारी, ग्याजी हैं सरित सारी पितामह, तात, ताऊ, मातु, ताई, भाई-भावज की आरती पूज्य पूर्वज की, हमारे कुल के अग्रज की पितृ देवाय च विद्महे, कुल अग्रजाय च धीमहि, तन्नो पूर्वज प्रचोदयात परिचय :- राम स्वरूप राव "गम्भीर" (तबला शिक्षक) निवासी : सिरोंज जि...
हरि अनंत हरि कथा अनंता
कविता, भजन, स्तुति

हरि अनंत हरि कथा अनंता

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** हरि अनंत हरि कथा अनंता, रामायण है गाती। श्री हरि की महिमा का वर्णन, रामचरित बतलाती। हे अनंत हे कृपासिंधु प्रभु, सब जन शरण तुम्हारी। भव बंधन को दूर करो तुम, रखना लाज हमारी। भाद्र मास की चतुर्दशी को, शुक्ल पक्ष जब आता। सारा जनमानस नत होकर, तुमको शीश झुकाता। चतुर्दशी तिथि है अति पावन, है अनंत का पूजन। चौदह गाँठ लगा धागे में, बाँह बाँधता जन-जन। कथा सुनाते नारायण की, अनंत चतुर्दशी प्यारी। वेद पुराण सभी गाते हैं, श्री हरि महिमा न्यारी। जो ध्याता अनंत फल पाता, भवसागर तर जाता। जो हो जाता लीन आप में, दुख कलेश हर जाता। रहते शेषनाग सैया पर, जग के पालन करता। चरण शरण प्रभु रहूँ आपकी, सब सुख मंगल करता। शुभ आशीष आपका पानें, पूजन सब करते हैं। हैं अनंत, प्रभु सबकी झोली, खुशियों से भरते हैं। ...
मोक्ष पथ को जाने
गीत, भजन

मोक्ष पथ को जाने

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** गीत/भजन छोड़ दो मिथ्या दुनियां, सार्थक जीवन के लिए। इससे बड़ा सत्य कुछ, और हो सकता नहीं। चाहत अगर प्रभु को पाने की हो । तो ये मार्ग से अच्छा कुछ, और हो सकता नहीं।। छोड़ दो.......।। मन में हो उमंग प्रभु को पाने की। करना पड़ेगा कठिन तपस्या तुम्हें। मिल जाएंगे तुमको प्रभु एक दिन। बस सच्ची श्रध्दा से उन्हें याद करो।। छोड़ दो........।। आत्म कल्याण का पथ ये ही हैं। बस इस पर चलने की तुम कोशिश करो। मोक्ष का द्वार तुम को मिल जाएगा। और जीवन सफल तेरा हो जाएगा।। छोड़ दो.......।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindir...
मेरे गजानन पधारे
भजन, स्तुति

मेरे गजानन पधारे

संजय कुमार नेमा भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** शिव पार्वती के लल्ला गजानंद पधारो।। मेरे अंगना गजानन पधारो। दस दिनों के आराधना के पर्व लेकर।। गजानन भादो मास की चतुर्थी पर, खुशियों उमंगो संग हमारे गजानन पधारे। मूषक वाहन संग घर घर गणपति जी विराजे।। शिव पार्वती के लाडले मेरे गजानन पधारे। खुशियों उमंग संग, ढोल बाजे संग हमारे गजानन पधारे। बड़े-बड़े पंडालों में गणपति सजकर विराजे।। गणपति जी के माथे पर तिलक सिंदूर साजे । मोदक लड्डू संग भर-भर थाल भोग लगाते।। केला कदली और मेवा गणपति जी को भाते। प्रथम पूज्य प्रभु विघ्नहर्ता कहलाते। अपने शरीर के अंगों से बुद्धि विनायक।। तीन लोकों, को बिन बोले ज्ञान देते। बड़ा माथा तेज बुद्धि नेतृत्व क्षमता दिखलाते। छोटी आंख से देख सुनकर निर्णय लेने की, सीख देते। सूप जैसे कान हिला कर संदेश देते।। कभी किसी की बुराई मत सुनो। लंबी सूं...
देव गजानन
भजन, स्तुति

देव गजानन

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** प्रथम पूज्य तुम देव गजानन भक्तों के तुम प्रिय सदानन। माता-पिता को करके वंदन की प्रदक्षिणा गौरी नंदन। मातृ भक्त प्रभु तुम-सा न दूजा सर्व देवों में प्रथम हो पूजा। सृष्टि के तुम हो प्रतिपालक यश और श्री के तुम संचालक। मोदक प्रिय तुम मंगल दाता शुभ कारक तुम सिद्धि प्रदाता। करे "विवेक" कर जोड़ निवेदन जग कल्याण करो शिवनंदन। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक...