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मानव तन मुक्ति का साधन
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मानव तन मुक्ति का साधन

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** मानव तन में भेजा प्रभु ने, जनम मरण से मुक्ति हेतु। राम नाम सुमिरन में लग जा, ये ही बन जाएगा सेतु। मानव तन......... ईश्वर है करुणा का सागर, सबपर करुणा बरसाता है। जिसकी दृढ़ आस्था ईश में, पात्र उसी का भर पाता है। अपने मन को निर्मल करले, अन्तर इष्ट को देखेगा तू। मानव तन............ सारी सृष्टि है प्रभु की रचना, हम सब ही हैं उसके बच्चे। राग द्वेष को दूर भगा दो, बन जाओगे साधक सच्चे। डूब गया प्रभु की भक्ति में, सब में प्रभु को देखेगा तू। मानव तन.......... ईश्वर की सुंदर बगिया में, फूलों की सुगंध बहती है। प्रतिपल प्रेम लुटाता ईश्वर, संतों की वाणी कहती है। आस्था की झोली फैला दे, कृपा के मोती पायेगा तू। मानव तन........... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह ...
माँ की कैसे करें विदाई?
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माँ की कैसे करें विदाई?

अंजनी कुमार चतुर्वेदी "श्रीकांत" निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** नौ दिन नवराते में माँ के, खुशियाँ खूब मनाईं। नवविवाहिता सभी बेटियाँ, जैसे घर हों आईं। सजे-धजे माता के मंदिर, अनुपम छटा निराली। कहीं शैलपुत्री, कुष्मांडा, कहीं-कहीं माँ काली। पूजन अर्चन और जवारे, शोभा अनुपम प्यारी। मनमोहक परिधान सजी माँ, करती सिंह सवारी। अलख भोर से भक्त जनों ने, पूजा थाल सजाया। ले नैवेद्य, प्रसादी, चूनर, माँ को भोग लगाया। नवमी पूज, प्रसाद लगाया, और नारियल फोड़े। होती माँ की आज विदाई, तन प्राणों को छोड़े। लगा गुलाल एक दूजे को, पर्व विदाई मनाया। अब विदाई की बेला आई, सबका मन घबराया। चरण शरण पाई जिस माँ की, शुभाशीष भी पाई। ममतामयी मातु की बोलो, कैसे करूँ विदाई? कैसे करें विदाई माँ की, है दिमाग चकराया। नौ दिन तक सेवा कर माँ-सा, जिसका आँचल पाया। सोच नहीं ...
सत के लिए ही लड़ना
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सत के लिए ही लड़ना

प्रमेशदीप मानिकपुरी भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़) ******************** मन को ही मार करके तन को खुवार करके जीवन में आगे बढ़ना सत के लिए ही लड़ना धर्म की ध्वज के लिए खुद को अर्पित करना असत्य से कभी डरना सत के लिए ही लड़ना मानव में समभाव जगे सदाचरण का भाव जगे लोकहित काज करना सत के लिए ही लड़ना शक्ति व साधना संग मे जगत के बिखरे रंग मे उम्मीद से आगे बढ़ना सत के लिए ही लड़ना उदवेलित मन में आश जीवन में दिव्य प्रकाश धर्म को नहीं है छलना सत के लिए ही लड़ना एक आश एक विश्वास जग में सब कुछ खास उस पर विश्वास करना सत के लिए ही लड़ना परिचय :- प्रमेशदीप मानिकपुरी पिता : श्री लीलूदास मानिकपुरी जन्म : २५/११/१९७८ निवासी : आमाचानी पोस्ट- भोथीडीह जिला- धमतरी (छतीसगढ़) संप्रति : शिक्षक शिक्षा : बी.एस.सी.(बायो),एम ए अंग्रेजी, डी.एल.एड. कम्प्यूटर में पी.जी.डिप्लोमा रूचि : काव्य लेखन, आ...
बुलाती आज माता हैं
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बुलाती आज माता हैं

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** बुलाती आज माता हैं, सजा दरबार प्यारा है। मनोहर मातु छवि देखो बड़ा शृंगार न्यारा है।। लगा जयकार माता की, करें उपकार भी काली। वहीं अम्बे वही दुर्गे, वहीं मंशा महाकाली।। भरें झोली हमारी माँ, सदा जीवन निखारा है। सवारी शेर की करतीं विराजें माँ कमल आसन। करो गुणगान माता के, जलाओ दीप तुम पावन।। चढ़ाओ लाल चुनरी भी, सभी का माँ सहारा है। पड़े जब जब चरण मां के, शुभद होते सभी काजा। नवाते शीश दर पे सब, भले हो रंक या राजा।। उतारें पार भक्तों को, उन्होंने जब पुकारा है। परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ" निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश) पति : पुरुषोत्तम भट्ट माता : स्व. सुमित्रा पाठक पिता : स्व. हरि मोहन पाठक पुत्र : सौरभ भट्ट पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट पौत्री : निहिरा, नैनिका सम्प्रति : स...
गणेश-वंदना
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गणेश-वंदना

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** हे विघ्नविनाशक, बुद्धिप्रदायक, नीति-ज्ञान बरसाओ। गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ।। कदम-कदम पर अनाचार है, झूठों की है महफिल। आज चरम पर पापकर्म है, बढ़े निराशा प्रतिफल।। एकदंत हे ! कपिल-गजानन, अग्नि-ज्वाल बरसाओ। गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ।। मोह, लोभ में मानव भटका, भ्रम के गड्ढे गहरे। लोभी, कपटी, दम्भी हंसते हैं विवेक पर पहरे।। रिद्धि-सिद्दि तुम संग में लेकर, नवल सृजन सरसाओ। गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ।। जीवन तो अब बोझ हो गया, तुम वरदान बनाओ। नारी की होती उपेक्षा, आकर मान बढ़ाओ।। मंगलदायी, हे ! शुभकारी, अमिय आज बरसाओ। गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ।। भटक रहा मानव राहों में, गहन तिमिर का आलम। आया है पतझड़ जोरों पर, पीड़ा का है मौसम।। प्रथम पूज्य हे...
गजानंद स्वामी
आंचलिक बोली, भजन

गजानंद स्वामी

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** रिद्धी-सिद्धि के तै स्वामी, तोरेच गुन ल गावत हँव सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! हे गणपति, गणनायक स्वामी, महिमा तोर बड़ भारी हे माथ म मोर मुकुट सजत हे, मुसवा तोर सवारी हे !! साँझा बिहिनिया करौव आरती, लाड़ु भोग लगावंत हँव सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! माता हवय तोर पारबती अउ पिता हवय बम भोला दिन दुखियन के लाज रखौ, बिनती करत हँव तोला !! पान, फूल अउ नरियर भेला, मै हर तोला चघावंत हँव सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! अंधरा ल अखीयन देथस अउ बाँझन ल पुत देवइयां बल, बुद्धी के तै हर दाता, सबके बिगड़े काम बनइयां ।। हे गणराज, गजानंद स्वामी मै हर तोला मनावंत हँव सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्ष...
भगति म मन ल लगाबो
आंचलिक बोली, भजन

भगति म मन ल लगाबो

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी भजन भगति म मन ल लगाबो चल भईया भगति म मन ल रमाबो रे जिनगी ले मुक्ति हम पाबो रे भव सागर ले तर जाबो रे चल भईया भगति म ... चल दीदी अमृत गंगा म डुबकी लगाबो जी राम कथा म मन ल रमाबो जी जिनगी ल सुफल बनाबो... (२) शबरी ल जानने, मीरा ल मानेन भगति के मिशाल हे..(२) मोर भाई.. बढ़ निक लागे तुलसी के बानी जिनगी बर हावे...( २) संजोए मोर भाई राम कथा ल गांव- गांव..(२) पहुंचाबोन जी जिनगी ल सुफल बनाबो भव सागर ले तर जाबो जी... चल भईया चल दीदी भगति म मन ल लगाबो जी... जिनगी ले मुक्ति हम पाबो जी दुनिया म अंजोर बगराबो जी भव सागर ले तर जाबो जी मोर भईया मोर दीदी भगति म मन रमाबो जी... परिचय :- खुमान सिंह भाट पिता : श्री पुनित राम भाट निवासी : ग्राम- रमतरा, जिला- बालोद, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह...
आत्मा परमात्मा
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आत्मा परमात्मा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** आत्मा परमात्मा का अंश है, स्वीकार करले। और उसके मार्गदर्शन में ही, तू सत्कर्म करले। आत्मा परमात्मा ... आत्मा कर्मो का तेरे, पूरा लेखा है बनाती। इसीसे दुष्कर्म के पहले, सदा तुझको जगाती। इसलिए आत्मा के हर संदेश, को स्वीकार करले। आत्मा परमात्मा ... कमल कीचड़ में है उगता, पर सदा ही स्वक्ष रहता। सांप चंदन में लिपटते, पर नहीं वो विषाक्त होता। तू सुरक्षाकवच अपनी, आत्मा का ही पहनले। आत्मा परमात्मा ... श्रेष्ठतम योनि में भेजा और, रहता साथ हरपल। कार्य सब ईश्वर के मिटकर, होगा तब हर कार्य निश्चल। हांथ जग के कार्य करते, शवांसो को सुमिरन से भर ले। आत्मा परमात्मा ... आत्मा हरपल तेरे कर्मो, की शाक्षी बन रही है। और निज अंशी से जुड़ने, के भी अवसर दे रही है। नहीं जा तू कंदरा में, बस प्रभु की शरण लेले। आत...
प्रभु नाम महिमा
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प्रभु नाम महिमा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** मेरे प्रेम को मान इतना दिया प्रभु, कि मैं स्वयं को भूलता जा रहा हूं। तुम स्वामी हो मेरे, मैं सेवक तुम्हारा, इसी भाव को पोस्ता जा रहा हूं। मेरे प्रेम को ... तुम्ही ने लिखाई है, प्रभु नाम महिमा, तुम्ही ने कहा "प्रेम" भक्ति में बह जा। तेरे मार्गदर्शन में कुछ पग बढ़ाए, तो मैं राम जी की कृपा पा रहा हूं। मेरे प्रेम को ... तुम हर पल रमें हो प्रभु नाम जप में, सभी को बताते हो, बस युक्ति है ये। जिसे भा गई युक्ति, और रम गया जो, वो कलयुग में भी मुक्ति ही पा रहा यूं। मेरे प्रेम को ... प्रभु नाम महिमा को जो भक्त गाते, वे हर मंच पर हैं, बहुत मान पाते। तेरे गीत गायक का साधन हैं बनते, इसी प्रेरणा से लिखे जा रहा हूं। मेरे प्रेम को ... तुम्ही नाम महिमा के सर्वज्ञ ज्ञाता, जो हो पूर्ण अर्पित वो "मानस" लिखवाता। प्रभु नाम...
बृज का उलाहना कान्हा को
भजन, स्तुति

बृज का उलाहना कान्हा को

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** कान्हा, तुम गये तो लौट न आए राह तकें गोकुल, वृंदावन नंदलाल को तरसे हर मन नंदगांव, बरसाना व्याकुल गउएं मुरली सुनने को आतुर घर से न निकलें, टेर लगाएं। बोलीं राधा - आए कन्हैया धरती पर अपना कर्तव्य निभाने को उनका सारा जग अपना तुम पहचान न पाए कान्हा को। जिस धरती ने उन्हें पुकारा दौड़ वहीं कान्हा आए पूतना, तृणावर्त, बकासुर वध कर बृज के रक्षक कहलाए। बृज की मइया, बृज की गइयां बृज के गोप, बृज की गोपियां बृज में कान्हा रास रचाएं बृज ने गीत भक्ति के गाए बहा स्नेह की निर्मल धारा तम का बंधन काटा सारा। बढ़ा कंस का अत्याचार मथुरा की धरती करे पुकार प्रलोभन प्रवृत्ति, राक्षसी बल अनाचार का प्रचंड प्रसार आर्तनाद सुन पहुंचे कान्हा मथुरा की धरा को पहचाना। हुई राक्षसों की भारी‌ हार मिटा कंस, किया उद्धार ...
हनुमत ऐसा भाव बहा दो
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हनुमत ऐसा भाव बहा दो

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** हनुमत ऐसा भाव बहा दो, जिससे सुंदर गीत बन सकें। पूर्ण समर्पित हो मन तुमको, और भक्ति रसधार बह सके। हनुमत ऐसा भाव ... तुमने जिस पर कृपा दृष्टि की, उसका ही उद्धार हो गया। जिसको स्वामी से मिलवाया, वो ही भव से पार हो गया। मुझको मार्ग दिखाते रहना, जिससे सेवक धर्म निभ सके। हनुमत ऐसा भाव ... तुमने प्रभु राम से अपने, राजा की संधी करवाई। अभय दान दिलवा राजा को, बाली को मुक्ति दिलवाई। राम काज को भूला राजा, नीति बताई, प्राण बच सके। हनुमत ऐसा भाव ... तेरे संत हृदय ने दंभी, रावण को सद्ज्ञान था दिया। पर निज अहंकार के कारण, उसने इसका मान ना किया। रावण ने कुल नाश कराया, प्रभु हाथों से मुक्ति मिल सके। हनुमत ऐसा भाव ... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता ...
श्रीराम
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श्रीराम

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** श्रीराम ही शक्ति के दाता दर्शन मात्र से सारे सुख पाता। जब ध्यान लगाएं हरदम तुझमें पुनीत विचार सब समाए मुझमे। श्री राम की छवि बड़ी निराली कण-कण में समाई खुशहाली। सारा जग होता तुझसे ही रोशन प्राणी पाते धन धान्य और पोषण। सांस-सांस में है बसा नाम तुम्हारा श्रीराम ही तो है बस मेरा सहारा। हे श्रीराम सारा जग तो है तुम्हारा जग में तुम बिन कोई नही है हमारा। पूजन करो और बोलो जय श्री राम दुःख दूर होगा मिलेगा सुख आराम। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प...
नवमी तिथि मधुमास पुनीता
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नवमी तिथि मधुमास पुनीता

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** राम जन्मदिन शुभ अवसर है जनगण मन उत्सव सा प्लावित है राम हैं भारत कीआत्मा नर रूप धरा आये परमात्मा ये भारत के प्राणपुरुष हैं राम हैं मर्यादा, हाथ धनुष है। जब घायल हो भारत माता क्षत विक्षत हो मर्यादा भारत की अस्मत पानी होती और धर्म की हानि होती धरणी तब आवाहन करती मनुष्य रूप आयें तब धरती भारत धरती करे पुकार राम रूप आये अवतार राम पे कोई न चक्र चले प्रत्यंचा पर जब तीर चढ़े संकेत राम का है आना युद्ध न्याय का जीता जाना। रामलला की छवि हर मन है राम बसे जन जन के हिय हैं राम धरे धनुसायक हैं राम हमारे नायक हैं आस्था, मन, अंतःकरण पर्याय राम भारत के जीवन राम बिना नहि कुछ स्वीकार राम हैं प्राणों के उद्धार भक्त तुम्हारे तुम्हरे द्वार तुम्हें नमन है बारंबार तुम्हें नमन है बारंबार।। परिचय :- डॉ. किरन अवस...
अयोध्या
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अयोध्या

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** नगरी हो अयोध्या सी जहाँ राम का वास हो घण्टियों, शंखों का जहाँ सुमधुर ध्वनियों का नाद हो मेरे राम सदा ह्रदय बसे बस इतना सा मीठा ख्वाब हो। ध्वज सदा लहराए कीर्तन एक साथ हो मंगल आरती गाए संग राम का विश्वास हो नगरी हो अयोध्या सी जहां राम का वास हो। फूलों से सुशोभित मंदिर को दर्शन जावे मंत्रमुग्ध हो ध्यान लगावे मांगे और कई है आशा रामजी करेंगे पूरी अभिलाषा नगरी हो अयोध्या सी जहां राम का वास हो। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवा...
राम नाम महिमा
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राम नाम महिमा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** राम का नाम मुक्ति का साधन सरल, शक्ति दो नाम लेखन बढ़ाता चलूं। ऐसी गंगा बहा दो हृदय में प्रभु, आखिरी सांस तक नाम सुमिरन करूं। राम का नाम मुक्ति.......... नाम महिमा अकल्पित, असीमित है प्रभु, ज्ञान अनुरूप महिमा को गाता रहूं। भाव मां दे रही, शक्ति हनुमत ने दी, मैं तो बस लेखिनी को चलाता रहूं। राम का नाम मुक्ति........... बहुत संतो ने महिमा सुनाई सदा, पर नहीं कोई संपूर्ण को गा सका। नाम पर शोधकर लोग डॉक्टर बने, पर नहीं कोई भी अंत को पा सका। मुझको हनुमतकृपा राम सेवा मिली, सांस जब तक चले, मैं निभाता रहूं। राम का नाम मुक्ति........ सोते जगते सदा, साथ में नाम हो, कार्य जग के करूं, मन में बस राम हो। नाम के जाम इतने पिला दो हनु, जिसको देखूं उसी में मेरा राम हो। मेरी सांसों में बस नाम चलने लगे, राम ही राम मैं ग...
मेरे श्री रामलला
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मेरे श्री रामलला

प्रतिभा दुबे "आशी" ग्वालियर (मध्य प्रदेश) ******************** चैत्र नवमी से पहले ही पौष मास में आ गया नव वर्ष कुछ यूं हमारा राम नाम की भक्ति बिना नहीं हम भक्तों का गुजारा।। मर्यादा में रहकर जीती, श्री राम ने अपनी पारी सत्य सनातन की जीत हुई है, अब सब भक्त बजावे ताली।। मेरे श्री राम अयोध्या धाम विराजे राम लला, सिया, लक्ष्मण हनुमान संग पधारे अयोध्या जगमग हुई है, रोशन जैसे दिवाली भारत सारा मिल कर यह उत्सव मनावे।। श्री राम जन्म भूमि पर, भक्त जन फूल पसारे राह देख रहे थे जैसे मिल इस अवसर का सारे, निमंत्रण तो नाम हैं बस इस तीरथ का ये कार्य यह निमंत्रण सबका है ये सारे भारत वासी जाने।। परिचय :-  श्रीमती प्रतिभा दुबे "आशी" (स्वतंत्र लेखिका) निवासी : ग्वालियर (मध्य प्रदेश) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मे...
राम नाम की ज्योति
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राम नाम की ज्योति

प्रतिभा दुबे "आशी" ग्वालियर (मध्य प्रदेश) ******************** राम नाम की सहर्ष इस ज्योति को हृदय में जगाए रखना तुम ! आंगन को अपने सुंदर पुष्पों से मधुबन सा सजाए रखना तुम।। मर्यादा में रहकर सम्मान मिला हैं मेरे श्री राघव को ! प्राण प्रतिष्ठा फिर से होगी घर अयोध्या बनाएं रखना तुम।। राम लला के रूप में देखो राघव फिर से विराजेंगे, अयोध्या नगरी पावन होगी वे जन-जन के बीच पधारेंगे।। धन्य धन्य है वह मनुज बहुत जो अयोध्या में ही जन्म लिए, राम नाम के छांव में रहकर निर्धन भी जैसे धन्य धनवान हुए।। कई वर्षो तक संघर्ष चला है अपने ही अस्तित्व के लिए, राम नाम जिसने न जाना वह पापी अब दूर हुए।। देखो पुण्य प्रताप बहुत है राम नाम के जाप में सत्य सनातन जीत हुई है कलयुग के भी इस राज में।। धन्य धन्य वह कार सेवक है, जिन्होंने जान की बाजी लगा दी थी! भगवा पह...
देवाधिदेव
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देवाधिदेव

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** देवाधिदेव भोलेशंकर, परमेश्वर गंगाधारी। शिव-शंकर का अनुपम दर्शन, मानव हित मंगलकारी।। रवि विरन्चि हो धर्म सनातन, सत्यनिष्ठ हो कैलाशी। सात्विक पावन सुभग सौम्य प्रभु,घट-घट बसते अविनाशी।। गौरा संग बिराजें शंभू , प्रभु जग सारा बलिहारी। वैद्यनाथ नागेश्वर भोले, केदारनाथ अभिनंदन। सोमनाथ भीमाशंकर हो, त्र्यंबकेश्वर शंभु वंदन।। त्रिकालदर्शी कपाल भैरव, शशिशेखर भभूति धारी। ओंकारेश्वर घृष्णेश्वर हो, रामेश्वर प्रभु त्रिलोचनम्। मल्लिकार्जुन महाकाल शिवा, विश्वनाथ नीलकंठकम्।। बर्फानी औघड़दानी हो, भस्म मण्डितम बलिहारी।। भाँग धतूरे का भोग लगे, चंदन कर्पूर प्रभु सुहाते। दूग्ध रूद्राक्ष अक्षत अकवन, जल बिल्बपत्र नित भाते।। ताप मिटा बाघम्बरधारी, हे खण्डपरशु हितकारी। गाते महिमा पुराण सारे, दर्शन की प...
शिवायन
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शिवायन

विजय गुप्ता "मुन्ना" दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** शिव का नाम जगत में सबसे छोटा पर, देवों के देव महादेव ही शिव अखंड श्रद्धा पूर्ण नमन। ब्रम्हांड में शून्य स्थान नहीं कभी रहता, दिव्य चेतना से परिपूर्ण हर कोना ज्ञान भंडार चमन। ज्यतिर्लिंगों से शंख आकृति रचेता बम बम लहरी। अनंत चेतना है शाश्वत शिव प्रथम गुरु, स्वयं-भू शिव के दो नेत्र सूर्य चंद्र तीसरा विवेक नयन। भूत वर्तमान भविष्य स्वर्ग मृत्यु पाताल, त्रिलोक स्वामी भोले भक्ति में दास भक्त करते जतन। शिव का नाम जगत में सबसे छोटा पर, देवों के देव महादेव ही शिव अखंड श्रद्धा पूर्ण नमन। ज्यतिर्लिंगों से शंख आकृति रचेता बम बम लहरी। देवी सती स्मृति वश देह पर भस्म रमाते, शिव आभूषण भस्म के भस्मी तिलक में भक्त भजन। नागराज वासुकी बने सागर मंथन रस्सी, नागसर्प माला भी गहना शिव शंकर को भाए गहन। शिव का नाम जगत में सबसे छोटा पर,...
श्री राम
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श्री राम

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** प्रभु राम का आभार है, हो सृष्टि पालन हार। निष्ठा रखें हैं न्याय में, प्रभु धर्म के आधार।। करुणा हृदय बसती प्रभो, करते तिमिर का नाश। रघुकुल शिरोमणि राम हैं, वो तोड़ दें यम पाश।। संबल हमें देते प्रभो, रामा गुणों की खान। मैं हूँ पुजारिन राम की, रघुवर मुझे पहचान।। रघुनाथ तेरी दास मैं, दे दो जरा उपहार। टूटे नहीं विश्वास है, रघुवर रखो अब ध्यान। नारी अहिल्या तारते, करते सदा सम्मान।। देते सुखों की छाँव है, रघुवर प्रभो वरदान। पावन धरा की राम ने, करते सभी गुणगान।। नायक जगत के आप हैं, कर स्वप्न भी साकार।। वंदन करे नित आपका, आकर प्रभो अब थाम। चरणों पड़े तेरे सदा, दातार प्यारे राम।। शबरी कहे रघुवर सुनो, पहुँचा जरा अब धाम। आशीष दो स्वामी मुझे, जपती रहूँ नित नाम।। छाया मिले सुख की हमें, उत्तम मिले संस्कार।।...
हे द्वारिकाधीश, तुम आ जाओ
भजन, स्तुति

हे द्वारिकाधीश, तुम आ जाओ

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** कहां छुपे हो कान्हा तुम कहां सुदर्शन चक्र तुम्हारा कहां तुम्हारी गीता है क्यों चुप पांचजन्य तुम्हारा। क्यों इतने दुर्योधन पलते हैं क्यों शिशुपाल दिनों दिन सीमा पार किया करते हैं सख्यभाव है कहां तुम्हारा। न्याय दिलाने पांडव को तुम बने सारथी, गीता गाई आज पुकारे भारतमाता मन क्रंदन, अंखियां भर आईं। द्रोपदियों का नित चीरहरण कैसे यह तुम सहते हो छत्तिस टुकड़े हो जाएं क्यों न न्याय दिलाते हैं। कबतक मन को थीरज दें हे कान्हा तुम आ जाओ फिर से गीता आन रचो हर भारतवासी के मन आन बसो। सबके मन को स्वछ बनाओ पुनः जीवन का अर्थ बताओ सबको धुन बंसी की सिखाओ हे कान्हा, तुम आ जाओ हे द्वारिकाधीश, तुम आ जाओ। (बंसीधुन=प्रेमधुन) परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर निवासी : सिलिकॉन सिट...
हे राम, हे राम
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हे राम, हे राम

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** हे राम, हे राम तुम्हें नमन है बारम्बार, बारंबार दाशरथि बन विष्णु आए, सकल लोक में मंगल छाए राम बिना नहि उद्धार, नहि उद्धार तुम्हें नमन है बारंबार, बारम्बार।। तुम्हें नमन है बारंबार, परम पिता परमेश्वर नाम जातुधान से मुक्त कराया, धरनी हित ´पुरुषोत्तम ´राम राम करेंगे बेड़ा पार, बेड़ा पार तुम्हें नमन है बारंबार, बारंबार।। राम न केवल तुम अवतार, तुम अवतार अवतरण तुम्हारा है ´दर्शन, हर पहलू का विश्लेषण तुम्हीं जगत के पालनहार, पालनहार तुम्हें नमन है बारंबार, तुम्हें नमन है बारंबार।। परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका) शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान सर्टिफ...
भक्तिमयी नवरात्रि
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भक्तिमयी नवरात्रि

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** सिंह पर सवार होकर जब नवदुर्गा, शरदऋतु में भक्तों के घर है आती भक्तों के हर घर आंगन में खुशियां खूब महक आती शारदीय दुर्गोत्सव की बेला सुहावनी भक्तिमय मधुरिम आनंदित अंतरिम सुखमय मङ्गलमयदायक प्रेरणादायक जीवनगीत संगीत है सुनाती भक्तों में चाव, भक्ति का मां चढ़ाती सजधज कर मां, नवरात्रि पर आती आसन पर बैठ देवी मां, भक्तों में उत्साह उमंग फुर्ती भक्ति शक्ति की कृपादृष्टि मां दुर्गा बरसाती भक्ति की धूम मां के भक्तों में मां दुर्गा मचाती भक्ति भाव की शक्ति से भक्तिधरा की खिलखिलाहट भक्तों में नजर आती अलबेली भक्ति अन्तर्मन में भक्तवृन्द के मुखारविंद से मां की भक्ति खूब नवरात्रि पर है बिखरती नजर चारो और आती नवरात्रि पर देवी माँ दुर्गा का भक्तिभाव से होता जगराता भक्तों के ह्रदय में। मां दुर्गा की भ...
मां कालरात्रि
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मां कालरात्रि

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** माता तेरा रूप निराला, कहीं शांत कहीं आग की ज्वाला। कहीं अंबे कहीं काली माता, कही खड़ग कही खप्पर ज्वाला। सौम्य रूप तुझमें हम पाते, महिषासुर मर्दिनी है तु काली। शिव के ऊँपर चढ़कर तू भागी, चंडी रूप ले रक्तबीज संहारे। नर मुंड की माला धारे, असंख्य रूप में शुंभ निशुंभ संहारे। हाथों में तलवार खड्ग मां, विद्युत की है गले में माला। चक्र त्रिशूल वज्र तुम्ह धारे, चंडी रूप से शिव भी भागे। भक्तो की हे मां यही पुकार, कलयुग में मां तुम्ही पधारे, असंख्य राक्षस आतताई माता। कन्या का अति शोषण करते, कन्या असुरक्षित है यहां माता। आज खड़क ले आओ मां, निशाचरो को मिटाओ मां। दुष्टों का वध कर जाओ मां। परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन...
चंदन पटली की चौकी पर
भजन

चंदन पटली की चौकी पर

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** शारदेय नवरात्रि आ गई, अब पांडाल सजे हैं। घर-घर बंदनवार शोभते, औ रण तूर्य बजे हैं। माता रानी आज आ रहीं, घर-घर बजे बधाई। हुआ आगमन शुभ्र शरदका, आज शुभ घड़ी आई। नवराते माता रानी के, मिलकर सभी मनाते। वंदनवार फूल मालायें, चुन-चुन पुष्प बनाते। चंदन पटली की चौकी पर, माता आज बिराजें। सुंदर कलश सजे हैं प्यारे, मृदु धुन बाजे बाजें। मंगल गीत गूँजते चहुँ दिश, लगा रहे जयकारा। सजा हुआ माता रानी का, है पंडाल न्यारा। भक्त मंडली भजन गा रही, चौकी है माता की। बनी रहे सारे भक्तों पर, कृपा आज दाता की। पूजा की थाली लेकर अब, भक्त मंडली जाती। लाल चुनरिया ओढ़ शीश पर, भजन प्रेमसे गाती। रक्त पुष्प सँग लाल चुनरिया, माता को भाती है। भक्त मंडली माँ दुर्गा से, आशीषें पाती है। माता की चौकी अति प्यारी, माँ को मोहित करती। मानव के जी...