शिव स्तुति
अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश
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संग गौरीश, गंग धर शीश।
शिवा के रंग, पान कर भंग।।
मनोहर रूप, अखिल के भूप।
कंठ धर नाग, वरे वैराग।।
काम के काल, वस्त्र सिंह खाल।
गरल रस प्रीत, हरि के मीत।।
भस्म श्रृंगार, क्रोध विकराल।
चंद्रमा भाल, प्रभु महाकाल।।
जयति अवनीश, राम के ईश।
नमित दशशीश, एव सुरजीत।।
नाश कर दंभ, नृत्य बहुरंग।
मगन नित योग, भेष जिम जोग।।
छंद-
भव-स्वामी नमामि हे नाथ प्रभो।
अविकार विकार सदा ही हरो।।
जड़ बुद्धि जो बैरी रिपु सी लगे।
निर्वाण मिले संताप मिटे ।।
त्यज भूधर को हिय आन बसो।
तुम कोटिक सूर प्रकाश प्रभो।।
तम को जिम मन अज्ञान रुँधे।
अलोक जिमि हिरदय मा शुभे।।
बड़वार बतावत भूल भगत।
अभिमान के दंश सराबर हो।।
तब क्षीर से नीर को थोथा करे।
तुम ऐंसे ही दिव्व मराल प्रभो।।
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परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम - अर्चना अनुपम
जन्म - २१/१०/१९८७
मूल...