चामर छंद
ज्ञानेन्द्र पाण्डेय "अवधी-मधुरस"
अमेठी (उत्तर प्रदेश)
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(चामर छंद- (दीर्घ+लघु) ×७+१ दीर्घ - २ = १५ वर्ण, दो या चारों सम पदान्त, चार-चरण)
बाम अंग बैठ के उमा महेश संग में ।
चंद्रमा निहारतीं भरे बड़े उमंग में ।।
हैं गणेश कार्तिकेय नंदि पास में खड़े ।
सोहते सभी अतीव एक एक से बड़े ।।
गंग लोरतीं कपार घूमतीं यहाँ-वहाँ ।
मुंडमाल क्षार देह है पुती कहाँ-कहाँ ।।
हैं अनंत हैं अनादि देव जे पुकारते ।
देव है बड़े महान दु:ख ते निवारते ।।
रूद्र देव आदि देव धूम्र वर्ण धूर्जटी ।
विश्वरूप आयुताक्ष* भंग रात-द्यौ घुटी ।।
कामरूप सोमपा शिवा शिवा शिवा शिवा ।
शंकरा महेश्वरा अराधिए नवा शिरा ।।
कंठ है पवित्र गंग केश में बहा करें ।
नृत्य तांडवा शिवा डमड्ड पे किया करें ।।
ग्रीव में भुजंग माल हार ज्यूँ झुला करे ।
तीन नेत्र अग्नि रूप माथ पे दहा करे ।।
शंभु पूजिए अवश्...