बिलख रहे रस अलंकार हैं
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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बिलख रहे रस अलंकार हैं,
चुप है छंद तरंग।
रहे उदासी गीतों पर भी,
न ग़ज़लों में उमंग।।
नवगीतों का दौर चला बस,
उसकी है भरमार।
नव बिंबों में खोया जीवन,
होती है तकरार।।
कौन पहेली बूझे इसकी,
बदले सभी प्रसंग।
रोज़ तंज़ बस रिश्तों पर,
महँगाई का नाम।
नव चिंतन नव संप्रेषण भी,
चले मुक्ति संग्राम।।
नई सदी की नई विधा यह,
नवल रूप नव रंग।
भावों में भी जोश अनोखा,
पैनी कटार ओज।
जन-जन मोहित रचनाओं पर,
करें सत्य की खोज।।
डाले रुढ़ियों पर नकेल भी,
करता अद्भुत जंग।
परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्...