है कण्टक से पूर्ण प्रेम पथ
रशीद अहमद शेख 'रशीद'
इंदौर म.प्र.
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सावधान रहना है प्रेमी
प्रेम-यात्रा नियम कड़े।
है कंटक से पूर्ण प्रेम पथ
ज़रा संभल कर पाँव पड़े
पथ पर पाहन पड़े नुकीले
धधक रहे अंगारे हैं।
तिमिर अमा का दिशा-दिशा में,
ओझल चाँद-सितारे हैं।
गहरी दुविधा की सरिता है,
कठिनाई के अचल खड़े।
है कण्टक से पूर्ण प्रेम पथ,
ज़रा संभल कर पाँव पड़े।
मन विचलित तन में पीड़ा है,
ज्वर से तापित अंग सभी।
अंधकार आँखों के सम्मुख,
धुंधले-धुंधले रंग सभी।
पग घायल, छाले फूटे हैं,
अवरोधक हैं बड़े-बड़े।
है कण्टक से पूर्ण प्रेम पथ,
ज़रा संभल कर पाँव पड़े।
नयनों में है फिर भी आशा,
अद्भुत है विश्वास बसा।
संकल्पित हैं तन-मन दोनों,
व्रत है कोई पर्वत-सा।
जगत साक्षी है चरणों ने,
कितने ही इतिहास घड़े।
है कण्टक से पूर्ण प्रेम पथ,
ज़रा संभल कर पाँव पड़े
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परिचय - रशीद अहमद शेख 'रशीद'
साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’
जन्मति...