भटकते युवक
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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भटक रहे हैं युवक राह से,
करें शत्रु का वरण।
अंधा युग रखता है जैसे,
दलदल में नवचरण।।
भूले रीति संस्कार को सब,
भूले प्रणाम नमन।
ज्ञान ध्यान की बात नहीं,
उजड़ा आस का चमन।।
मात-पिता का आदर नहीं,
कहाँ मिलेगी शरण।
भूले सभ्यता संस्कृति भी,
करते बैठे नकल।
राग आलापें सब विदेशी,
नाम न लेते असल।।
आचरण में खोट भी उनके,
करते नारी हरण।
नशे में डूबे नवयुवक अब,
मूल्यों का बस पतन।
मोल लेते कई बीमारी,
करें होम यह बदन।।
जिंदा जलते होश नहीं कुछ,
दुखद सब समीकरण।
तेज़ाबी माहौल हुआ सब,
होती रहती जलन।
नित दुर्घटना करें शहजादे,
देखो बिगड़े चलन।।
घिसटे पहियों में भविष्य फिर,
हुआ मान भी क्षरण।
परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्...