धरती का श्रृंगार
शत्रुहन सिंह कंवर
चिसदा (जोंधरा) मस्तुरी
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पेड़ पौधा है जिन्दगी का आधार
जल वायु से मानव जगत उजियार
वनों में है अपना जहान
जिसमे है लाख, तेंदू, महुआ, चार
होता है इससे अपना गुजार
हम भी करे इस धरती का श्रृंगार
लगाके वृक्ष एक वरदान
हो एक नए भारत का उत्थान
जो हो जग में विस्तार
वृक्ष लगाओ जिंदगी बचाओ।
परिचय :- शत्रुहन सिंह कंवर
निवासी : चिसदा (जोंधरा) मस्तुरी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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