कुरुक्षेत्र में
माधवी तारे
लंदन
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अब की बार चुनावी कुरुक्षेत्र में
चाकू, खंजर, तीर, तलवार
खूब लड़ रहे थे आपस में
कौन ज्यादा गहरा जख्म दे
शब्द पीछे बैठे मुस्कुरा रहे थे
जिव्हा की लेकर तेज तलवार
आई थी महिलाएं भी मंच पर चतुरतर
पद की गरिमा भूलकर
अपनी वाणी की कला दिखाने
और शब्द पीछे बैठे मुस्कुरा रहे थे
कुछ सत्तांधों ने एक होकर
किया भ्रमण था देश भर
सिंहासन की चाह पकड़कर
झूठे वादों की वर्षा करने
माहौल बिगाड़ने वाले मनोरुग्णो ने
चपत मुंह की खाई आखिर
सत्य पीछे बैठा मुस्कुरा रहा था...
पूर्वकालीन कारनामों को
होना था उजागर देश भर
तभी तो रामलला ने तीसरी बार
कर दिया मोदी जी का बेड़ा पार
सनातनता जागृत हो
पीछे मुस्कुरा रही थी
पक्ष-विपक्ष तो हैं
लोकतंत्र की दो सुदृढ़ बाहें
वैचारिक मेल-मिलाप से
देश को उन्नति के पथ पर लाए
फिर क्यों प्रथमग्रासे
मक्षिका पतन करने
उतावले...