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कविता

हिन्दू नववर्ष प्यारा
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हिन्दू नववर्ष प्यारा

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** हम हैं हिन्दुस्तानी, है हिन्दुस्तान हमारा । चलो मनाएं साथी, हिन्दू नववर्ष प्यारा ।। संस्कारों की धरती है यह, भारत भूमि हमारी । जान से भी बढ़कर लगती है, हम सब को यह प्यारी ।। यही हमारी आन बान और, यही है शान हमारा चलो मनाएं साथी, हिन्दू नववर्ष प्यारा चैत्र शुक्ल प्रतिपदा है पावन, इस दिन इसे मनाते । करके शक्ति की आराधन, मन में जोश जगाते ।। श्रृष्टि के कण कण में छाईं, अद्भुत रूप नजारा चलो मनाएं साथी हिन्दू नववर्ष प्यारा रीत रिवाजों से है पूर्ण, इसकी शान निराली । संस्कृति से सजी ये धरती, खुशिऑ देने वाली ।। ऑंख उठाकर देख रहा है, आज इसे जग सारा चलो मनाएं साथी हिन्दू नववर्ष प्यारा मंगलमय हो वर्ष नया यह, गीत खुशी के गाएं । स्वागत में इसके आओ हम, मंगल दीप जलाएं ।। राम मिला कुदरत से हमको, यह...
स्वप्न बहते रहे
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स्वप्न बहते रहे

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** पल-पल क्षण क्षण बीता यादों के झुरमुट में स्वप्न बहते रहे मेरे अंतर्मन में मुट्ठी भर आकाश झांकता। बने झरोखे से झींगुर कहता मैं साथ हूं रात के सन्नाटे में। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आद...
तूम प्रीत की बारिश करना
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तूम प्रीत की बारिश करना

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** तूम प्रीत की बारिश करना बरखा के सावन की तरह मैं आकुल हूँ बस तेरे लिए प्यासा समंदर की तरह। तुम मेरी चाँद बन जाना निशा में पूनम की तरह। मैं बस तुझे निहारा करूँ आतुर चकोर की तरह। तुम मेरी बहार बन जाना महकते फूलों की तरह। मैं बस यह गुनगुनाता रहूँ बावरा भ्रमरों की तरह। तुम मेरी साया बन जाना मेरे हमसफ़र की तरह। मैं हरदम तेरे साथ रहूँ फूलों में खुशबु की तरह। तुम मेरी बरखा बन जाना सावन में बूंदों की तरह। ये तन मन भी भीग जाए प्यासा धरती की तरह। तुम मेरी धड़कन बन जाना मेरे सीने में दिल की तरह। ये जीवन मधुमय हो जाए वसन्त के बहारों की तरह। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचि...
भावों की खुशबू
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भावों की खुशबू

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** सब कुछ योजनानुसार चल रहा अचानक जो हुआ उम्मीद से बहुत आगे, सब कुछ इतना तीव्र था कि समझना मुश्किल था। ऐसा भी हो सकता है, मन हाँ-न के उहापोह में उलझकर रह गया। पर सब कुछ सामने था मेरे साथ हो रहा था नकार भी कैसे सकता था, पर सपने जैसा था, जिसकी खुशी सँभाल पाना कठिन था मुझ जैसे पथरीले इंसान के लिए तभी तो आँखों में आँसू तैर गए बस किसी तरह सँभाल सका खुद को। मन विह्वल मगर गर्व की अनुभूति करता उस अनजानी अनदेखी शख्शियत के साथ हुआ जब हमारा प्रथम आमना सामना मन श्रद्धा से भर गया, उसके कदमों में झुकने को लालायित हो उठा, बड़ी मुश्किल से खुद को सँभाला और रख दिया अपना हाथ उसके सिर पर क्योंकि हिम्मत नहीं हुई उसके अपनत्व भरे भाव को नकारने की असम्मानित करने की क्योंकि मैं ऐसा ही हूँ। मगर ...
नारी तुम सशक्त हो
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नारी तुम सशक्त हो

डॉ. जयलक्ष्मी विनायक भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** नारी तुम सशक्त हो कभी लक्ष्मी, कभी दुर्गा कभी झांसी की रानी कांटों की राह पर चलती नि:सहाय निर्बला नहीं आंधी की तरह कष्टों को चीरती प्रबल वात तुम, प्रचंड पर्वत की तरह अटल हो। कभी झुकती नहीं, रुकती नहीं, टूटती नहीं तुम समर्थ हो। तुम मन से प्रबल तन से सबल, देवी का स्वरुप हो। तुम करुणा का सागर मानव जाति का संबल हो। भर्तायर की सच्ची सहचरी, राखी के बंधन को अक्षुण्ण रखती बहना, वात्सल्य की छाया देती जननी, स्नेह की डोर से बंधी पुत्री, नारी विविध रुप तुम्हारे अभूतपूर्व, अलौकिक, अतुलनीय जग जननी, वंदनीय तुम्हे शत शत नमन हो। परिचय :-   भोपाल (मध्य प्रदेश) निवासी डॉ. जयलक्ष्मी विनायक एक कवयित्री, गायिका और लेखिका हैं। स्कूलों व कालेजों में प्राध्यापिका रह चुकी हैं। २००३ में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर संगीत ...
मेरा साथी कौन
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मेरा साथी कौन

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************  एक दिन मुझे भगवान् मिले मैंने उनसे पूछा कि भगवन् आप मुझे बताएं कि मेरा साथी कौन मैं राही मेरी मंजिल है कौन मैं पंछी मेरा घोसला है कौन मैं तूफान मेरा साहिल है कौन मैं हूँ नाव मेरा नाविक है कौन मैं इठलाती नदिया मेरा सागर है कौन मैं वनफूल मेरा वनमाली है कौन मैं मिट्टी मेरा कुम्हार है कौन मैं नश्वर शरीर मेरी आत्मा है कौन मैं लोभी मेरी तृप्ति है कौन मैं मोह का ताला मेरी कुंजी है कौन प्रभु मुस्कुराते हुए बोले हे मानव तेरा सच्चा साथी तेरा सारथी हूँ मैं तू राही तेरी मंजिल हूँ मैं तू पंछी तेरा घोसला हूँ मैं तू तूफान तेरा साहिल हूँ मैं तू चलती नाव तेरा नाविक हूँ मैं तू इठलाती नदिया तेरा सागर हूँ मैं तू वनफूल तेरा वनमाली हूँ मैं तू है मिट्टी तेरा कुम्हार हूँ मैं तू नश्वर शरीर तेरी अंतरात्मा हूँ मैं तू परमलोभी तेरी तृप्त...
हमें वो याद आते हैं
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हमें वो याद आते हैं

प्रशान्त मिश्र मऊरानीपुर, झांसी (उत्तर प्रदेश) ******************** जरा सी बात से अक्सर, हम इतना टूट जाते हैं। वो हमको भूल बैठे हैं, हमें वो याद आते हैं। हमारी गिनती होती है, शहर के गुनहगारों में, गलतियां कोई करता है, सजा बस हम ही पाते हैं। वो अब तक मुझसे रूठा है, कोई उसको मनाओ अब, वहां वो रूठ जाते हैं, यहां हम टूट जाते हैं। ज़माने की हकीकत को अभी तुम जानते हो क्या, जिन्हें हम दिल से चाहेंगे, वही अक्सर रुलाते हैं। मेरे सारे गुनाहों की सजा मुझको मुनासिब हो, वो मेरी खातिर क्यूं तड़पे, जिसे हम ही सताते हैं। यहां हम छोटी बातों को लगाकर दिल से बैठे हैं, वो अक्सर दिल से रोते हैं, मगर सबसे छुपाते हैं। मैंने इन चंद छंदों में है दिल का दर्द लिख डाला, पढ़कर तुम भुला देना, हम लिखकर भूल जाते हैं। परिचय :-  प्रशान्त मिश्र निवासी : ग्राम पचवारा पोस्ट पलरा तहस...
अस्तित्व
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अस्तित्व

प्रीति तिवारी "नमन" गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) ******************** अपनी इच्छाओं के वश हो, ना मुझे जंजीर बांधो, सृजन, करुणा प्रेम संबल से हृदय की पीर साधो। दमन की दीवारें तोड़ो, होने दो अन्तस उजाला, मिटाकर विभेद मन के, प्रेम की ओढें दुशाला। सुरमयी सी साँझ में, खुद को अकेला पाओगे जब, पवन के झोंकों के संग कोई गीत मेरा गाओगे तुम। माँ-बहन बेटी प्रिया पत्नी सभी है रूप मेरे, जन्म से लेकर मरण तक, निरंतर कर्तव्य मेरे। दुख व संकट के समय में, मैं सदा संबल बनी हूँ, उलझनों की गिरहा खोलू, सवालों के हल बनी हूँ। आसमां मुझसे ना छीनो, हैं जमीं मे पांव मेरे, पंख ना नेकी के काटो, उड़ने को हैं ख्वाब मेरे। सांस में हूँ, धड़कनों में, यादों में नयनों से बहती, आह ना निकले हृदय से, दर्द, सारे हँसके सह्ती। सच, दया और न्याय करुणा, धरा सा व्यक्तित्व मेरा, बिन ...
जिंदगी के ख्वाब
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जिंदगी के ख्वाब

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** शराब पीकर रातों को बने शहंशाह सुबह हो जाते भिखारी बच्चे स्कूल जाते समय पापा से मांगते पॉकेट मनी ताकि छुट्टी के वक्त दोस्तों को खिला सके चॉकलेट| फटी जेब और खिसियानी हंसी बच्चों को दे न पाती पॉकेट मनी और उनके लिए कभी कुछ कर न पाती बच्चों के चेहरे की हंसी को छीन लेती इसलिए होती शराब ख़राब| सुनहरे ख्वाब दिखाती किंतु वादे पूरे ना कर पाती डायन होती शराब पूरे परिवार को खा जाती और उजाड़ जाती जिंदगी में बने हुए ख्वाब। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक...
माफ़ी
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माफ़ी

साक्षी उपाध्याय इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** क्या संभालेगा ये बेदर्द ज़माना तुम्हें, जो जताता है झूठी मुहब्बत तुम्हें, अच्छा हुआ जो तुमने हमसे नफरत की, हम देते हैं बेपनाह नफरत करने कि इजाज़त तुम्हें। जब तुम्हारे खिलाफ होगा ये ज़माना, तो तुम लौट के आ पाओगे क्याॽ एक दिन तुमने हमसे दगा किया था, अपना चेहरा भी हमें दिखा पाओगे क्याॽ अगर तुम्हें हमारी ज़रा भी परवाह है, तो सुनो सुनाते हैं सच्ची बात तुम्हें कई बार डुबा देते हैं तुम्हारे दिल के जज़्बात तुम्हें। अगर तुम अपनी सारी खताओं को कुबूल करते हो, तो हम देते हैं माफ़ी, तोहफा-ए-खैरात तुम्हें ।।.. परिचय :- साक्षी उपाध्याय आयु : १५ वर्ष निवास : इन्दौर (मध्य प्रदेश) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भ...
मेरा नव वर्ष आ गया
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मेरा नव वर्ष आ गया

रामकुमार पटेल 'सोनादुला' जाँजगीर चांपा (छत्तीसगढ़) ******************** मेरा नव वर्ष आ गया अब, सजी धरा विशेष है। सुरेश महेश दिनेश रमेश, हाथ जोड़े शेष है। आदिशक्ति की वंदना करत, प्रसन्नता छाई है। नया वर्ष हिंद की आपको, हृदय से बधाई है। जन जन का जो जन त्राण करे, चाह जन कल्याण हो। मृत चेतन में जो प्राण भरे, चले न शब्द बाण हो। ऐसे सज्जन हेतु यह वर्ष, विशेष मंगलमय हो। शोषित होकर पोषण करते, कृषक वर्ग की जय हो। रंग-बिरंगे फूल खिले हैं, प्रकृति देख हर्षित है। हिंदू नव वर्ष हमारा तो, सदियों से चर्चित है। भँवरे कोयल स्वागत करते, मधुर गीत सुना रहे। त्रिविध बयार इत्र छिड़क चली, सभी के मन भा रहे। सबको उचित न्याय मिले और, सबका सम भाव बने। सबको समान सम्मान मिले, मन हो नहीं अनमने। रामकुमार के मन में यही, आज बात आई है। हिन्दू नया वर्ष की सबको, हृदय से बधाई है। च...
काश तुम
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काश तुम

आयुषी दाधीच भीलवाड़ा (राजस्थान) ******************** काश तुम भी वो सब कुछ कर पाती, जो तुम करना चाहती हो। काश तुम.... क्यो तुम अपने सपनो को दबाए रखती हो, अपनो की खुशी के लिए। क्यो तुम्हे ही हर बार झुकना पडता है, अपनो की खुशी के लिए। क्यो तुम्हे ही हर बार समझना पड़ता है, अपनो की खुशी के लिए। काश तुम भी वो सब कुछ कर पाती, जो तुम करना चाहती हो। काश तुम... काश तुम एक लड़की होकर भी, वह सब कुछ कर पाती जो, तुम करना चाहती हो। काश तुम.... परिचय :-  आयुषी दाधीच शिक्षा : बी.एड, एम.ए. हिन्दी निवास : भीलवाड़ा (राजस्थान) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्...
आया रे हिंदू नव वर्ष महिना
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आया रे हिंदू नव वर्ष महिना

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** आया रे हिंदू नव वर्ष महिना भाया रे हिंदू नव वर्ष महिना चैत्र माह शुक्ल प्रतिपदा साजे नवरात्रि पर ढोल मंजिरा बाजे मन भाया रे नव वर्ष महिना.. पेड़ों में नये-नये कोंपलें आती वसुंधरा माॅं की शोभा बढ़ाती हर्षाया रे नूतन वर्ष महिना.. राम नवमी में श्रीराम जनमे आदर्श को अपनाओ मन में सरसाया रे नव वर्ष महिना.. मनोरम दृश्य प्रकृति ने सॅंवारी हैं शिक्षा दीक्षा से संस्कृति न्यारी हैं आया रे सहर्ष नव वर्ष महिना.. सुख व समृद्धि जीवन में भरा हो हर्षोल्लास उमंग मन में उमड़ा हो बताया रे श्रवण हर्षित जीना.. परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू निवासी : भानपुरी, वि.खं. - गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़ कार्यक्षेत्र : शिक्षक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं म...
नवसंवत्सर मंगलमय हो
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नवसंवत्सर मंगलमय हो

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** "नल" अभिधान नव संवत् का, राष्ट्रार्थ उपयुक्त जलमय हो | माँ भारती की समस्त संततियों को, नव संवत्सर मंगलमय हो ||मां भारती की...... धर्म ध्वजा लहराऐं प्रति गृह, वसुधा सारी तो निरामय हो | हो आपदा मुक्त धरा ये अब, जग सारा अब सुखमय हो || माँ भारती की.... अयोध्या जैसी दिव्य बनेगी, काशी मथुरा भी दिव्यमय हो | विश्व गुरु बने पुनः आर्यावर्त, शिक्षा भारत की अमृतमय हो || माँ भारती की ... धर्म ध्वजा प्रति द्वार की, शंख-घंटा ध्वनि अमृतमय हो | उपवास शिव शक्ति उपासकों का, जग के लिए परम-कल्याणमय हो || माँ भारती की .... उपासना राष्ट्र सेवक-नायक की, राष्ट्र के लिए सुसमृद्धिमय हो | शिव-शक्ति उपासकों की उपासना से, भारत सदा प्रगतिमय हो || माँ भारती की.... माँ भारती की समस्त संततियों को, नव संवत्सर मंगलमय हो | माँ भारती की समस्त ...
नव वर्ष पर प्रार्थना
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नव वर्ष पर प्रार्थना

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** परमेश्वरा ! नववर्ष पर वर दो नव परिभाषा, नव आशाएँ हरी भरी हो दसों दिशाएँ मल्हार नदियाँ गुनगुनाए अधखिली कलियाँ ना मुरझाए परमेश्वरा ! नववर्ष पर वर दो दीन हीन दुःखी मुस्काए महामारी बेकारी जाए आतंक भ्रष्टाचार मिट जाए रामराज्य धरा पर आ जाए हे परमेश्वरा ! नव वर्ष पर वर दो सर्वजन सुखी हो जाए सरहदों पर शांति छाए नव उड़ानें अंतरिक्ष सजाए परचम भारत का लहराए परमेश्वरा ! नव वर्ष पर वर दो परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख,...
करोना
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करोना

पूजा महाजन पठानकोट (पंजाब) ********************  काश ऐसे दिन जल्द आएं कि जीवन से करोना का नामो निशान मिट जाए फिर वही पुराने दिन लौट आए खुशियों से जीवन का हर कण-कण मुस्काए काश ऐसे दिन जल्द आए .... परिचय :- पूजा महाजन निवासी : पठानकोट (पंजाब) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻 आपको यह ...
हे नववर्ष अभिनन्दन है..
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हे नववर्ष अभिनन्दन है..

राजेन्द्र कुमार पाण्डेय 'राज' बागबाहरा (छत्तीसगढ़) ******************** हिन्दू नववर्ष तुम्हारा अभिनन्दन है हर्षित है जग सारा करता तुम्हारा वन्दन है सूरज की नवल किरणें करती जग वन्दन है अभिनन्दन-अभिनन्दन नववर्ष तुम्हारा वन्दन है फूले किंशुक पलाश फूली सरसों पीली फूले फूल तीसी नीली-नीली हुलसित पक गई खेतों में गेहूँ की सुनहरी बालियाँ कमल खिली लगी मुस्कुराने ताल हुई हर्षित बागबां महक उठे जब खिले फूल फूलन खेतों में मेड़ों में सुवासित कछारन कूलन अतृप्त मन प्यासी धड़कन मिटने लगी जलन आनन्दित होकर चुन चुन गजरा बनाई मालिन धरा ने ओढ़ ली सुनहरी चादर की किरणें मोतियों ज्यों चमकने लगी पत्तों में ओस की बूंदें लहक लहक लहकने लगी कानों के बूंदें स्मित रक्तिम अधरों पर मुस्कुराती जल बूंदें सतरंगी रंगों से रंगने लगी घर आंगन और बाग बहकने लगी आम अमरैया दहके मन की आग फूले फूल टेसू के ऐसे ...
मेरी परछाई
कविता

मेरी परछाई

डॉ. कुसुम डोगरा पठानकोट (पंजाब) ******************** मेरी परछाई बन मेरे साथ रही मेरी गुड़िया अब तक ना जाने पति का घर देखते ही क्यूं मुझसे दूर हो गई क्यूं मेरे आंचल को उदास कर गई वो उसका आंचल में छिप जाना और लोगों के देख घबरा कर पल्लू को जोर से पकड़ लेना आज मेरी परछाई क्यूं मुझसे दूर हो गई मेरा आंचल उदास कर गई। वो छुई मुई सी कली का रेत के घरौंदे बनाना भाई के दोस्तों संग क्रिकेट खेलना कुत्तों को दूर से ही देख घबरा जाना घर के अंदर ही बात बात पर इजाज़त लेना मुझे किसी के साथ देख कर ईर्षा करना घर में मेरी छवि बन इठलाना चुपके-चुपके मेरी नकल करना आज मेरी परछाई मुझसे दूर हो गई क्यूं मेरा आंचल को उदास कर गई.... परिचय :- डॉ. कुसुम डोगरा निवासी : पठानकोट (पंजाब) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है...
फासले
कविता

फासले

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जिंदगी की राहों में मिले कई मुकाम थे गुजर गए, गुजर गए वो फासले हर कोई नया मिला हर किसी ने शिकवे किए फिर, फिर दिल के आईने में झांक कर कर गए फासले चले गए दूर बहुत दूर रह गए अकेले कल जो अपने साथ थे। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक ...
मेरा हिन्दू नववर्ष
कविता

मेरा हिन्दू नववर्ष

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** विक्रम संवत में है हिदू नववर्ष चैत्र शुक्ल का है प्रथम दिवस भक्ति से शक्ति यह फैलाता है नव संवत्सर कहलाता शुभदिन सृष्टि सृजन किया था ब्रह्मा ने हिन्दूराज्य विस्तारा था शिवा ने राज्यस्थापन विक्रमादित्य का राजा राम अवध अवतरित हुए फसलें पकती जब बसन्त आता ये निराला जन्म नव भाव जगाता धानी चुनरियाँ माँ धरा ओढ़ लेती झूलेलाल अवतरण भी छा जाता गुड़ीपड़वा पे पूरण पोली श्रीखंड नीमपर्ण मिश्री का करते हैं सेवन सुस्वास्थ्य कामना प्रभु से करते हैं परम्पराओं से ही होता है कल्याण वीणापाणि का करें आओ आव्हान विद्या बुद्धि वाणी कला का वरदान हर घर के द्वारे सज जाए वन्दनवारे हर इंसान बने भारत का अभिमान परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित...
आंखो से अभी तक उजाला न गया
कविता

आंखो से अभी तक उजाला न गया

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** "खिलौना समझ कर वो दिल तोड़कर जब चलते बने" दर्द ए दिल को मेरी ये कलम से शब्दों मे ढाला न गया गम के निकले इन अश्कों को आंखों से निकाला न गया। उसने दिल को दर्द दिया ही इसलिए यारों क्योंकि उससे मेरे ये इश्क का इजहार संभाला न गया। वफा है या बेवफाई है हमने भी समझने में जल्दी की है वक्त रहते उसके इस दिल को खंगाला न गया। नियत उसके प्यार की आंखों में पढ़ नहीं पाए हम जब किया उसने प्यार का इजहार हमसे भी टाला न गया। खिलौना समझ कर वो दिल तोड़ कर जब चलते बने इस नाजुक दिल को फर्श पर हमसे भी उछाला न गया। हमने तो आबे हयात समझा था उसके इश्क को यारो मगर ये जहर निकला दिल की आंच से उबाला न गया। इश्क में इंसान अंधा होता है हमने भी ये सुना है यारो मगर ये दिले मजबूर की आंखों से अभी तक उजाला न गया। परिचय :- सीतारा...
तू शीतल मंद समीर
कविता

तू शीतल मंद समीर

अख्तर अली शाह "अनन्त" नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** तू शीतल, मंद समीर बनी, ठंडक मुझको पहुंचाती है। जब क्रोधित मैं हो जाता हूं, तू प्यार के नग्में गाती है।। ठंडा करना तेरा गुण है, तू गहरा शांत सरोवर है। मैं सरिता का चंचल चेहरा, निर्भीक बनी तू पत्थर है।। हर चोट सहज ही सह लेती, हंसती मूरत मदमाती है।। जब क्रोधित मैं हो जाता हूं, तू प्यार के नग्में गाती है।। संतोषी है तू साबिर है, खुश उसमें जो मिल जाता है। राजी तू रब की मर्जी पर, हर मौसम तुझ को भाता है।। घर भर को तृप्त करें पहले, कब भूख तुझे तड़पाती है। जब क्रोधित मैं हो जाता हूं, तू प्यार के नग्में गाती है।। ठंडी पट्टी जब माथे की, तपते तन की बन जाती तू। छू मंतर कर देती दुख सब, यूँ चारागर कहलाती तू।। "अनंत" तू ममाता की देवी, शीतलता तेरी थाती है। जब क्रोधित मैं हो जाता हूं, तू प्यार क...
मौसम संमदर किनारा
कविता

मौसम संमदर किनारा

अलका जैन इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मौसम संमदर किनारा मेहबूब पैसै लोक डाउन ने सब पर पानी फेरा करोना जीते जी मार डाला यार मंझधार में साथ रहे किनारे पर वो अजनबी बन गया हाय रो मत दुनिया में होता लाख बहाने मरने के यार तू सिर्फ एक सहारा जिंदगी का बस मै नहीं तू ही तू कस्मे वादे प्यार वफा बेकार जिस्म की चाहते सबसे पहले नया दौर मेहबूबा चाहे इश्क नादानी करें महफ़िल यार दोस्त खुशी पैमाना दुनिया बदला पैमाना मंहगी वस्तु खुशी दे तेरा को देख खुश कोई लहू संग अश्क बह रहे अश्क बाहाये समझा कौन दर्द ए मुफलिस दर्द-दर्द और दर्द मुफलिस की जिंदगी हुनर को दाद दे कौन माया दिवानी कला को मान दे कोन हुनरमंद कैसे हूनर निखारे यारो अश्क तेरे ही नहीं दीवाने दुनियाभर की आंखों नम क्या तू क्या जाने अश्क पीता जा और जी मिलेगी मंजिल एक दिन तुझे भी भटक घूमना ना छोड़ हुनर...
टेसू के फूल
कविता

टेसू के फूल

डॉ. जयलक्ष्मी विनायक भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** क्या तुम अश्रुसिक्त नयनों की लालिमा हो ? अस्त होते अलसायी सूर्य की गरिमा हो? क्या किसी प्रज्वलित ज्वाला की धधक हो? शूरवीर योद्धा की रक्तरंजित तलवार हो ? जो कुछ भी हो एक टीस सी उठती है तुम्हें देखकर ओ टेसू के फूल पर्णहीन हो, दिखते हो कितने गरिमाशील, होली के आगमन के प्रतीक, चंद दिनों के मेहमान, क्षणिक ख़ुशी के मीत कहाँ कमल का फूल कहाँ टेसू एक कीचड़ का मित्र दूसरा गगन का दीप एक लक्ष्मी का वास दूसरा दिलाता होलिका की याद पर है दोनो फूल लालिमायुक्त, क्षणिक, झणभंगुर। परिचय :-   भोपाल (मध्य प्रदेश) निवासी डॉ. जयलक्ष्मी विनायक एक कवयित्री, गायिका और लेखिका हैं। स्कूलों व कालेजों में प्राध्यापिका रह चुकी हैं। २००३ में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर संगीत और साहित्य में योगदान के लिए लोकमत द्वारा ...
क्या बना दिया ?
कविता

क्या बना दिया ?

भारमल गर्ग जालोर (राजस्थान) ******************** देख रहे हो ऐसे यह तुमको नहीं ख़बर यह आद'मी था कभी धुआं बन गया ।। जिस मांझी ने हमको बताया तू है कहां ? उस मांझी ने दिखाया मेरा हुनर बन गया ।। पल भर की खुशियां किसको नहीं पता उन रेशमी धागों ने जीवन बना दिया ।। मैं जा रहा था अकेला इक रस्ते से कहीं इक खिड़की ने देखा दिन बना दिया ।। सोच रहे हो जिसको वो नहीं आज कल मसअ'ला देखते ही वीराना बना दिया ।। नज़रों का तो हैं यह सारा खेल मेरे दोस्त मैं सोचने लगा कि तुझे क्या बना दिया ।। यह तुम्हारा सोचना हैं बड़ी सोचने की बात तू समझा नहीं तुझे आशिक़ बना दिया ।। उस साख से पत्ता टूटते ही लगी ख़बर इक घर के दीए को तारा बना दिया ।। आई हवाएं सुरीली जैसे कोई मीत संगीत विलक्षण तेरी यादों ने क्या-क्या बना दिया ।। परिचय :- भारमल गर्ग निवासी : सांचौर जालोर (राजस्थान...