भौतिक सत्ता
डॉ. राजीव डोगरा "विमल"
कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
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जिंदगी जोंक सी
रक्त पान कर रही है।
मौत के नगर में
जिंदगी से खिलवाड़ कर रही है।
काले उजले दिन में
देश का गणतंत्र
सुखे पत्ते की तरह
ठिठुर कर अस्फुट हो
शिकायत कर रहा है।
भौतिकता का कंकाल
महानगर की दहलीज लांघकर
विक्षुब्ध कर सब को
महाविनाश कर रहा है।
देश की राजसत्ता
पंख उखाड़ कर मध्य वर्ग के
जनसत्ता के नाम पर
रंगमहल का चुनाव कर रही है।
परिचय :- डॉ. राजीव डोगरा "विमल"
निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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