शिकायत
संजय वर्मा "दॄष्टि"
मनावर (धार)
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क्या बादल
इंसानों से बात नही करते
बेचैन निगाहे
ताकती बादलों को।
मन ही मन दुआएं
माँगती ऊपर वाले से
बादलों से कहे की
बरस जा
काले घन को देख
मयूर नाचता
पीहू पीहू बोल मनाता।
बादलअपना अभिमान
दुनिया को दिखाता
गर्जन कर
बिजलियां चमकाता।
ये देख रहवासी
बरसने की अर्जियां
वृक्षों -हवाओं से
मौसम की कोर्ट में लगाने लगे।
वृक्षो ने खिंचे
बादलों को अपनी औऱ
हवाएं टकराने लगी
बादलों को आपस में।
वृक्ष ,हवाओं ने
छेड़ दिया युध्द
बादलों से
अभिमान हुआ खत्म
झुकना ही पड़ा
आखिर बादलो को।
खेतों की फसलों का
ग़ुस्सा हुआ थम।
सब ने मिलकर की
बादलों पर
कार्यवाही
जब भी घुमडो
हमारे सर पर
बरसना जरूर।
अबकी बार
ऐसा नही करोगे तो
घन श्याम से करेंगे
तुम्हारी शिकायत।
परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि"
पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा
जन...