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कविता

आजादी दिवस
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आजादी दिवस

पूजा महाजन पठानकोट (पंजाब) ******************** दोस्तों... ना भूलो इस दिन को यह दिन है खुशियों का मिली थी आजादी हमें इस दिन तोड़ी थी गुलामी की जंजीरें हमने इस दिन आओ मिलकर मनाएं इस दिन को रखे खुशहाल सदा ही इस दिन को परिचय :- पूजा महाजन निवासी : पठानकोट (पंजाब) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻...
आना चाहती हो मगर…
कविता

आना चाहती हो मगर…

आशीष तिवारी "निर्मल" रीवा मध्यप्रदेश ******************** ये बात तुम नही तुम्हारे नैन कहते हैं मुुझसे मिलने को बड़े बेचैन रहते हैं। आना तो चाहती हो मगर आओ कैसे? कसमकस में तुम्हारे दिन-रैन रहते हैं। उठवा लेने की धमकी देती हो मुझको जब कि मेरे बंगले पे गनमैन रहते हैं। 'निर्मल' पावन गंगा ही ना समझ मुझे हम कभी 'गोवा',कभी 'उज्जैन' रहते हैं। मेरी शख्सियत का अंदाजा न लगा तू तेरे मुहल्ले में मेरे 'जबरा फैन' रहते हैं। परिचय :- आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल वर्त...
अपना भारत
कविता

अपना भारत

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** मैं हिल मिलकर रहने में विश्वास बहुत करता हूँ। अपने अरमानो को भी साकार मैं करता हूँ। देश प्रेम के भावों को जग वालों को समझता हूँ। और देश प्रेम की ज्योति को हर घर में जलता हूँ।। कितना प्यार कितना न्यारा ये देश हमारा भारत है। लोकतंत्र को मानने वाला देश हमारा भारत है। दुनियां को दर्पण दिखता वो देश हमारा भारत है। लाखों महापुरुषो और भगवानों ने जन्म लिया है भारत में।। राम कृष्ण तुलसी सूर आदि भी जन्मे है इस भारत में। भक्ति संगीत का भी बड़ा उदहारण हमारा भारत है। दुनियां की नजरो में धार्मिक देश हमारा भारत है। इसलिए तो मंदिर मस्ज़िद गुरुद्वारे फैले हुये है इस भारत में।। भारत के कण कण में बसते लाखों देवी देवता। चारों दिशाओं में फैले है लाखों वीर योध्दा। भगत चंद्रशेखर मांग पांडे दुर्गा लक्ष्मी अहिला जैसी महिलाये...
मोहिनी मूरत
कविता, स्तुति

मोहिनी मूरत

सुरभि शुक्ला इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** मोहिनी मूरत मोहिनी मूरत सांवली सूरत सबका मन मोहे सिर पर मोर मुकुट सजे पैरों में पैजनियां बाजे मोहिनी मूरत सांवली सूरत सबका मन मोहे अधरों लगी बांसुरी बजाएं गोपियों का मन हर्षाएं मोहिनी मूरत सांवली सूरत सबका मन मोहे झूठ मूठ की बात बनाएं मैया को सताएं मोहिनी मूरत सांवली सूरत सबका मन मोहे ग्वालों के संग मटकी फोड़े छिप-छिप कर सब खाएं परिचय :-   सुरभि शुक्ला शिक्षा : एम.ए चित्रकला बी.लाइ. (पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान) निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश) जन्म स्थान : कानपुर (उत्तर प्रदेश) रूचि : लेखन, गायन, चित्रकला सम्प्रति : निजी विद्यालय में पुस्तकालयाध्यक्ष आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्ष...
अलख निरंजन
कविता

अलख निरंजन

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** जाग मछंदर गोरख आया अलख निरंजन नाद सुनाया। महाकाल का भगत बनाया चौसठ योगिनी ९० भैरव का गान सुनाया। ५२ वीर भी संग लाया, जाहरवीर को शिष्य बनाया महावीर संग भगवती काली का गुण गाया। जाग मछंदर गोरख आया आदेश आदेश आदेश कर सब में अलख जगाया। मेलडी मसानी को संग लाया भूत-प्रेत को मार-मार भगाया। जाग मछंदर गोरख आया अलख निरंजन नाद सुनाया। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट...
कान्हा
कविता

कान्हा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** मास भाद्रपद कृष्ण पक्ष। अष्टमी तिथि आई संग कान्हा जन्म दिवस की उमंग। उत्साह लाई, देवकी सुत जायो। कन्हैया के तात वसुदेव कहाए। आयो आयो आज कृष्ण। जन्म दिवस आयौ भारत-भू पर चहुँओर सबहि उर अपार हर्ष। उमंग छायौ सबहि शुभ मंगल। गीत गायौ अरू अनंत आनंद। पायौ, कृष्ण लीला अति न्यारी। जन्म कारागार घोर अंधेरी। निशा भयो, जन्म होते ही बंदी। गृह सबहि द्वारपाल अति गहन। निंद्रा सोवत कारागृह द्वार। सबहि लगे ताले स्वतः टूटे। कंस के अत्याचार से बचाने देवकी वसुदेव स्व संतान। जीवन बचाने चले नंद गाँव। कान्हा को डलिया में रखकर। उफनती यमुना नदी पार कर। पहुंचे नंद गांव माता यशोदा। निकट कान्हा सुलाए अरू। यशोदा की कन्या अपने संग। कारागृह ले आए कान्हा ने। अपने जन्म की ऐसी निराली। रचना रची,सकल भारतवासी। कान्ह ज...
लोगो की दिलो में रहना सीखे
कविता

लोगो की दिलो में रहना सीखे

प्रमेशदीप मानिकपुरी भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़) ******************** लोगो की सोच में नहीं दिलो में रहना सीखे मुहब्बत अपनों से नहीं जँहा से करना सीखे धन दौलतआनी जानी पुरुषार्थ कमाना सीखे लोगो की सोच में नहीं दिलो में रहना सीखे जब लेखन को बैठे दिल की कलम से ही लिखें लेखनी चले तो जीवन संघर्ष की कहानी लिखें मुक़ददर का लिखा मिलेगा कर्म करना सीखे लोगो की सोच में नहीं दिलो में रहना सीखे मधुर संबंधों की प्रति पल जग में जीत लिखें मधुर मुस्कान के साथ जीवन के गीत लिखें सीखने को जीवन कम है,हर पल नया सीखे लोगो की सोच में नहीं दिलो में रहना सीखे आओ सब मिलकर जीवन को मधुर बनाये मिला जितना जीवन खुशियों से उसे सजाये निशदिन जीवन मे एक नई इबारात सीखे लोगो की सोच में नहीं दिलो में रहना सीखे जीवन मे बढ़ते बढ़ते मंजिल तक जाना है राह कठिन है मगर मंजिल तो पहचाना है मिलेगी मंजिल तय है कर्म कर...
खूबसूरत दुनिया
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खूबसूरत दुनिया

सरिता सिंह गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** वो दुनिया इतनी खूबसूरत होगी, ऐसा न मैंने सोचा था जहां न थी कोई बन्दिशें, न बेड़ियों ने मुझे रोका था। आज़ाद पंछी की तरह भरी थी ऊंची उड़ान मंज़िल की राहों से नहीं थी मैं अंजान। अंधेरे रास्तों पर रोशनी की लेकर मशाल खड़ी थी एक बड़ी भीड़ विशाल। देने मुझे हौसला, कि उन्हें मुझ पर भरोसा था, वो दुनिया इतनी खूबसूरत होगी, ऐसा न मैंने सोचा था। हर कदम विश्वास की, रोशनी का था मेला , हर तरफ थी मुस्कुराहट, न था कोई अकेला। न किसी की शख्सियत पे, था किसी का तंज़ न किसी के आँखों में, था कोई भी रंज। हर तरफ से खुशियों के समाने का झरोखा था वो दुनिया इतनी खूबसूरत होगी, ऐसा न मैंने सोचा था पर जो देखा सत्य है वो, या कोई सपना था ? है भरम मन का मेरे या ख्वाब टूटा अपना था खोल आँखें ढूंढती हैं, फिर वही दुनिया नई जिसकी चाहत में निगाहें ...
विशाल वसुंधरा
कविता

विशाल वसुंधरा

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** लहराता सागर फैलता कोहरा बढ़ता रवि स्वर्ण किरण से रजत शिखर हिमालय प्रशस्त होता रवि फणी से। विहग वृंद वनपशु विचरते वसुंधरा के वक्ष पर वन कुसुमों हा स्य श्रवण कर अली करते हैं गुंजन।। मंद पवन के झोंके से आता मधुर स्पंदन हरि हरियाली हरिताभ हुईं हैं वसंता दृष्टि सी पाकर रवि तपन वसुंधरा विशाल हुई है। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से ...
तुम तो तनमन में समाए हुए हो
कविता

तुम तो तनमन में समाए हुए हो

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** तुम तो तनमन में समाए हुए हो मुझे पाने की तुमको जरूरत नही है। तुम तो मेरे यादों समाए हुए हो तेरी झलक पाने की जरूरत नही है। मेरी आंखों में तुम तो बसी हो तुम्हे पास आने की जरूरत नही है। मेरी साया तुम ही तो बनी हो तुम्हे पाने की मुझको जरूरत नही है। मेरी चाहत मुहब्बत तुम्ही हो मुझे कसमें खाने की जरूरत नही है। मेरा प्यार हमसफर तुम ही हो मुझे वादा करने की जरूरत नही है। मेरे सपनो में नींदों में तुम ही हो तेरा दीदार करने की जरूरत नही है। मेरी हकीकत मेरी मुद्दत तुम हो मुझे सफाई देने की जरूरत नही है। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविता...
सफ़लता का अंकुर
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सफ़लता का अंकुर

प्रीति धामा दिल्ली ******************** न जाने कब मेरी असफलताओं की, बंजर भूमि से, वो एक सफ़लता का अंकुर फूटेगा! न जाने कब मेरी इन पथराई आंखों में, वो जागृत करने वाला ख़्वाब सजेगा! उदास हूँ,ग़मगीन भी, शिकायतों की ढ़ेरो तख्तियाँ, मन में समेटे मैं बस मौन हूँ! कब,कहाँ,और कैसे ये सवाल लिए, एकांत हूँ,अनेकांत हूँ, ख़ुद से पूछती,ख़ुद को टटोलती, न जाने मैं कौन हूँ? जब-जब शून्य हुई मैं, तब-तब आत्ममंथन किया है! ये कैसे संभव होगा,ये कैसा होना चाहिए, अब तो इस असफ़लता का भी, दंभ टूटना चाहिए! क्यूँ क़िसमत रूठी लगती है, क्यूँ मेहनत वो अधूरी लगती है। अब तो इसका अंत होना चाहिए, मेरी असफ़लताओं की बंजर भूमि में भी, वो सफलता का अंकुर पनपना चाहिए ! परिचय :-  प्रीति धामा निवासी :  दिल्ली घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक...
हम सब भारतीय हैं
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हम सब भारतीय हैं

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हमने जन्म लिया जिस धरती पर वो धरा परम पूजनीय है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। वंदना करते हम जिसकी वो धरा वंदनीय है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। सर्व धर्म समभाव है गौरव वो धरा गौरवमयी है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। विविधता में एकता जहां पर दिल से सब हिंदुस्तानी हैं उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। किसान और जवान हैं शक्ति इनकी शहादत विस्मरणीय है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। हिंदुस्तान का नाम विश्व में गरिमा इसकी उदाहरणीय है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। गर्व है जन्मे हिन्दुस्तान में रग-रग हिन्दुस्तानी है उस धरा का नाम है भारत हम सब भारतीय हैं। परिचय :- दीप्ता नीमा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाध...
ममता का रक्षाबंधन
कविता

ममता का रक्षाबंधन

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** आँखें नम हैं मन में उल्लास भी, महज कपोल कल्पना सी लगती है, विश्वास अविश्वास की तलैया में हिलोरें भरती मेरी परिकल्पना को तूने आगे बढ़कर साकार कर दिया अपने नेह बंधन में बाँध मुझे तूने बहुत बड़ा काम ही नहीं सारा जग जैसे जीत लिया हमारे रिश्तों को नया आयाम दे दिया। ममता तेरी ममता के आगे तो तेरे भाई शीश सदा झुकाता ही रहा है आज तेरा कद आसमान सा ऊँचा हो गया है। तू छोटी सी बड़ी प्यारी, दुलारी है तू कल भी लाड़ली थी मेरी अब तो और भी लाड़ली हो गई है। तेरे सद्भावों पर गर्व हो रहा है, तेरा ये भाई भी खुशी से उड़ रहा है, तेरा मान न पहले कम था न आज ही कम है, न कभी कम होगा जैसे भी हो सकेगा, होता रहेगा रिश्तों का ये नेह बंधन कभी कमजोर न होने पायेगा रिश्तों का फ़र्ज़ तेरा ये भाई निभायेगा। बस ख्वाहिश इ...
आज़ाद भारत में गुलाम मानसिकता
कविता

आज़ाद भारत में गुलाम मानसिकता

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** एक गुरु ने ही शिष्य के प्राण हर लिये यहांँ, पढ़ा लिखा गुरु भी ऐसी मानसिकता रखता यहाँ, मटकों को रखता है स्कूलों में छिपाकर अपने, सामंतवादी सोच पर हर समय चलता है यहांँ, ख़ून की जरूरत हो, या हो जंग जीवन से, तब जाति का भेदभाव ना दिखता है यहाँ, पशु मुत्र पीकर पवित्र हो जाती आत्मा जिनकी, मटके को छूने से बालक के प्राण हरता है यहाँ, है आतंकियों से ख़तरनाक मानसिकता जिनकी, उनके बीच जी रहे जाति का दंश झेल कर यहाँ, ना जाने कितनी मौतें कर चुका और कितनी करनी है, बचपन को भी अब तो चैन से नहीं जीने दे रहा यहाँ, इन आतंकियों को कब सजा मिलेगी कहना मुश्किल है, हर जगह ठिकाने बनाए बैठा इनका समूह यहाँ परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह...
मेरा प्यारा तिरंगा
कविता

मेरा प्यारा तिरंगा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** मेरा प्यारा तिरंगा सबसे न्यारा तिरंगा अब पिचहतरवाँ। स्वतंत्रता दिवस अमृतमहोत्सव मनाऊंगा। सकल भारत घर-घर तिरंगा। फहराऊँगा अमृतमहोत्सव...मनाऊंगा। आज का संपूर्ण भारत तिरंगा मय हो तीन रंगों से सजा घर-घर तिरंगा लहरा रहा, मैं भी जय हिंद, जय हिंद बोलूंगा। अपने घर को तिरंगे से सजाऊंगा पूरा भारत तिरंगे से सजा हुआ पाऊंगा। तिरंगायुक्त भारत बन अमृत महोत्सव मना। स्वतंत्रता दिलाने वाले वीर बलिदानियों को स्मृत कर भारत मां के प्रति सम्मान गर्व संग कर रहा। सभी भारतवासी भारत मां का सम्मान गर्व संग करेंगे। मैं तो भारत मां की जय बोलूंगा...वंदे मातरम बोलूंगा। सकल भारतवासी वंदे मातरम भारत माता की जय बोलेगा। जय हिंद, जय हिंद बोल संपूर्ण भारत तिरंगा लहराएगा अरु स्वतंत्रता दिवस पर गर्व संग। स्वत...
संस्कृति का ख़जाना
कविता

संस्कृति का ख़जाना

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** भारत राष्ट्र प्रेम संस्कृति का ख़जाना है यह कभी भी कम ना हो पाए घर घर में जाकर भारतीय राष्ट्र प्रेम संस्कृति दिल से अपनाने का मंत्र दिलाएं बच्चों युवाओं में भारतीय राष्ट्र प्रेम संस्कृति के प्रति प्रोत्साहन करवाएं हमेशा याद दिलवाएं हम अपनी विरासत की जड़ों को भूल न जाएं आओ साथ मिलकर राष्ट्र प्रेम का क जन जागरण कराएं हमारी परम्पाओं सभ्यताओं कलाकृतियों में आस्था दर्शाए डटकर लड़ना होगा हमें पाश्चात्य संस्कृति से ऐसा संकल्प करवाएं हम अपनी जड़ों को भूल ना जाएं पारंपरिक कला शैलियों को कायम रखने हम ऐसा मिलकर रास्ता अपनाएं बेहतर जिंदगी की तलाश में हम अपनी जड़ों को भूल ना जाएं हम देख रहे हैं कैसे शहरीकरण स्वदेशी लोककला शैलियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं बड़े बुजुर्गों की बातों को छोड़ पाश्चात्य सं...
तिरंगा
कविता

तिरंगा

सोनल सिंह "सोनू" कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) ******************** तीन रंगो से सजा तिरंगा, देश की शान बढ़ाता है। रंग केसरिया, श्वेत, हरा संदेश हमें दे जाता है। रंग केसरिया त्याग सिखाये, श्वेत रंग शांति गुण गाये। हरा रंग समृद्धि लाये, सब मिल देश का मान बढ़ाये। जब भी तिरंगा लहराये, हर भारतवासी हर्षाये। मन गर्व से भर जाये, आँखों में चमक आ जाये। तिरंगे का सम्मान करें, नहीं कभी अपमान करें। देश की आन बचाने को, अपना सर्वस्व कुर्बान करें। परिचय - सोनल सिंह "सोनू" निवासी : कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविता...
शीश काट लाऊँगा
कविता

शीश काट लाऊँगा

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** रोली चंदन अक्षत लेकर, लगा भाल पर टीका। रक्षाबंधन कर भाई का, दिया जलाती घी का। फिर मिष्ठान खिलाती उसको, मंगल कलश सजाती। जुग-जुग जिये लाडला भैया, प्रभु से खैर मनाती। बार-बार आरती सजाकर, सभी बलायें लेती। बुरी नजर न लगे भाइ को, फिर आशीषें देती। भाई का मुख देख बहनियाँ, मंद मंद मुस्काती। चुंबन लेती है कलाई का, फिर फिर गले लगाती। रुचिकर भोजन थाल लगाकर, भोजन उसे कराती। नयन नेह आँसू भर कहती, तू पापा की थाती। पापा हुए शहीद देश पर, इसको ज्ञान नहीं था। केवल आठ बरस का था यह, कोई भान नहीं था। माँ बचपन में छोड़ गई थी, इसने कभी न जाना। होश सँभाला जब से उसने, मुझको ही माँ माना। आज तलक में भी भैया को, बेटा ही कहती हूँ। भाई को बेटा कहने की, टीस स्वयं सहती हूँ। सारे रिश्ते खूब निभाती, इस पर न...
तिरंगे की आवाज़
कविता

तिरंगे की आवाज़

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** आज़ादी की अमर कथा का, एक-एक पहलू खोल रहा, लाल किले के परकोटे से, लहरान तिरंगा बोल रहा || भारत माँ के वीर जवानों, सरहद पर तुम छा जाओ, करता यदि कोई गुस्ताखी, सबक उसे तुम सिखलाओ || शौर्य भगतसिंह का मत भूलो, मत भूलो मंगल की हुंकार, सुखदेव,तिलक और गाँधी को भी, मुझ से तो था अतुलित प्यार || महफूज़ रखों इस आज़ादी को, जो बलिदानों से आई है, वीरों के प्राण न्यौछावर करके, कठिनाई से पाई है || याद उन्हें भी करना होगा, अहिंसा थी जिनका हथियार, थाम रखी थी अपने हाथों रण में नौका की पतवार || नमन करो उन माताओं को, जिनने खोए अपने लाल, डटे रहे जो अविचल होकर चाहे शत्रु हो विकराल || वीरों की इन भार्याओं का, क्या त्याग न जौहर से कम है, खोकर अपना सुहाग देश पर आंखें उनकी नहीं नम है|| वीरों की चिता की अग्नि मे तुम तेज सूर...
प्यारा भारत देश हमारा
कविता

प्यारा भारत देश हमारा

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** प्यारा भारत देश हमारा, शांति कपोत उड़ाने वाला करते हैं हम मान सभी का, मैत्रीभाव बढ़ाने वाला। नही किसी पर वार किया, नहीं किसी का सहते हम यदि किसी ने ललकारा तो, सुलह का हाथ बढ़ाते हम। फिर भी दुश्मन सेंध करे, उसकी औक़ात बता देंगे और किसी ने सीमा लांघी, एयर स्ट्राइक करवा देंगे। नहीं बीसवीं सदी का भारत, नहीं विगत सदी का राग नवयुग है,नई चेतना, नव जागृति का गाते फाग। संविधान हमारा गीता है, अब भारत कमज़ोर नहीं नहीं किसी से झुकने वाला, टकराना इससे आसान नहीं। कोई दुश्मन नज़र न डाले, उसे धरा दिखला देंगे हम देशभक्त भारतवासी, देश पे आँच न आने देंगे। यह विक्रम औ चाणक्य की धरती, नीति की नीति सिखा देंगे शिवा और प्रताप की भूमि, आतंकी को धूल चटा देंगे। शांतिपाठ पढ़ाने वाला, प्यारा भारत देश हमारा करते हैं हम मा...
रक्षासूत्र
कविता

रक्षासूत्र

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** सुन मेरी प्यारी सहोदरा, राखी बांधने आना तुम। देखता रहूंगा राह तुम्हारी, मुझे भूल ना जाना तुम।। खरीदना बाजार से राखी, लाना लड्डू मीठी मिठाई। लगाना भाल विजय तिलक, पुकार रही है खाली कलाई।। भेंट करुंगा एक नया उपहार, खुशी से झूम कर नाचोगी। सुख, समृद्धि कामना करके, रक्षासूत्र जीवन का बांधोगी।। जब संकट में घिर जाओगी, मेरा नाम लेकर देना आवाज। कहना, अभी मेरा भाई जिंदा है, मेरे लिए लड़ेगा वो है जांबाज।। जब कोई मानव,अमानव बन, दुःख और दर्द तुझे पहुंचाएगा। उस दिन बनकर योद्धा रक्षक, तेरा ये भाई दौड़ा चला आएगा।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहायक शिक्षक सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पुरस्कार से सम्मानित। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिक...
सूर्य की गरिमा
कविता

सूर्य की गरिमा

डॉ. जयलक्ष्मी विनायक भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** माना कि मैं अलसायी सूर्य की गरिमा हूं बुझे हुए अलावा की चिंगारी हूं शरद ऋतु का झडा़ हुआ पत्ता हूं किताब का अनचाहा पन्ना हूं पर कभी तुमने उज्जवल सूर्य की वंदना की थी, प्रज्ज्वलित ज्वाला की धधक देखी थी, बसंत की बहार का लुत्फ उठाया था, किताब के हर पन्ने का आनंद लिया था। तो समझो मेरी व्यथा मेरा हक छीनों मत, मेरा हाथ खीचो मत, संरक्षक था कभी मैं तुम्हारा मुझे रोको मत, मुझे टोको मत, क्योंकि मैं सैनिक था मैं सैनिक हूं मैं सैनिक रहुंगा। परिचय :-   भोपाल (मध्य प्रदेश) निवासी डॉ. जयलक्ष्मी विनायक एक कवयित्री, गायिका और लेखिका हैं। स्कूलों व कालेजों में प्राध्यापिका रह चुकी हैं। २००३ में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर संगीत और साहित्य में योगदान के लिए लोकमत द्वारा पुरस्कृत हैं। आप "मैं हूं भोपाल' के खिताब से भी सुशोभि...
आजादी अमृत महोत्सव
कविता

आजादी अमृत महोत्सव

विजय गुप्ता दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** सिर्फ एक कृत्य देशभक्ति का परिचायक कैसे हो मित्र मतलब बस साथ भ्रमण का याचक कैसे हो जिन लोगों का आजादी में निज जीवन कुर्बान है सीमा रक्षा में लड़ते हर शहीद में देश का प्राण है देश संपत्ति रक्षा वाली सोच नागरिकों की शान है छात्रों और युवाओं को नैतिकता पाठ दिनमान है आजादी अमृत महोत्सव भारत का स्वाभिमान है सच्चे देशभक्तों को विभिन्न अर्थ कर्म का ज्ञान है लोकतंत्र व्यापकता में निज स्वार्थ चलन कैसे हो देशभक्त की परिभाषा सिर्फ एक शब्द में कैसे हो। मित्र मतलब बस साथ भ्रमण का याचक कैसे हो। सिर्फ एक कृत्य देशभक्ति का परिचायक कैसे हो। इतिहास गवाह है जब जब बजा तानाशाही तबला बर्बाद चकनाचूर था परिवार समाज देश का गमला एक भवन बनाने मेहनत का पर्याय बनाती कमला त्राहि त्राहि दशा में सड़क पे आ जाती नारी अबला बड़ी बीमारी से ...
बारिश की बूँदें
कविता

बारिश की बूँदें

शशि चन्दन इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** देखो धरा अम्बर से, मिलन की गुहार लगाये, थाल भर मोती माणिक अम्बर ने खूब सजाये, मन के आँगन बरस रही है मीठी मीठी सी फुहार, प्यासी धरा भी आँखें मींचे आशा की झोली फैलाये।। खुशियों भरी काग़ज़ की नाव ग़मों को बहा ले जाए देखो न बाल मन का कोना-कोना कैसे खिलखिलाये, छपाक छप, छपाक छप बारिश का कंचन जल कहे, भर लो अमृत चुल्लू में ज़िन्दगी तो हरदम ही ज़हर पिलाये।। खिली है हर कली कली, पत्ता पत्ता भी मुस्काये, नवल धवल हुए खेत खलियानशशि चन्द देख कृषक गदगद हो जाये, सौंधी सौंधी माटी, श्वास-श्वास मातृभूमि के रक्षकों की महकाये, बुलंद हौसलों की बारिश के बीच, शान से तिरंगा लहराये।। धानी चुनर ओढ़, अधरों पर धर लाज का घूँघट, सजनी चली साजन घर, जब मन भावन सावन आये प्रीतम ने अमियाँ की डाल पे प्रेम पुष्पों का झूला डाला, कृष्ण राधिका स...
जीने का अधिकार
कविता

जीने का अधिकार

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** उनके भी सीने में तो दिल धड़कता होगा। सपने सजाने उनका भी मन करता होगा। क्या ख़ता उस बेबस, लाचार, बेचारी की? क्या विधवा को जीने का अधिकार नहीं? वह भी तो हमारी तरह इंसान है फिर इतना क्यूँ बेबस, बेजान है। क्या हुआ जो छीन गया सुहाग? पुनः एक चुटकी सिंदूर का तनिक उसे अधिकार नहीं? क्या विधवा को जीने का अधिकार नहीं? जीवन-मृत्यु तो विधि का विधान है फिर आखिर हम तो एक इंसान हैं। एक दूजे का दर्द समझें हमदर्द बनें मानवता में अत्याचार स्वीकार नहीं। क्या विधवा को जीने का अधिकार नहीं? समाज के ठेकेदारों ने कितने ज़ुल्मों सितम ढाये। अबला सहर्ष सीने में गरल उतार गईं पर, कर सकी उसका प्रतिकार नहीं,तो क्या विधवा को जीने का अधिकार नहीं? परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" निवासी -  गुण्डरदेही ब...