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कविता

बचपन
कविता

बचपन

उषा बेन मांना भाई खांट अरवल्ली (गुजरात) ******************** कभी मेरे चहरे पर खुशी होती थी, गमों से दूर का रिश्ता था, आज जो कुछ हुँ मैं, उससे अच्छा तो मेरे बचपन का जीवन ही अच्छा था। कोई कुछ भी कहे, उनकी बातो का, मुझे जरा भी बूरा नही लगता था, आज जो कुछ हुँ मैं, उससे अच्छा तो मेरे बचपन का जीवन ही अच्छा था। दिन भर खेलती रहती थी, ना पढ़ाई की चिंता थी, ना नौकरी पाने की तमन्ना थी, आज जो कुछ हुँ मैं, उससे अच्छा तो मेरे बचपन का जीवन ही अच्छा था। स्कूल जाती थी, मैडम से रोज मार खाती थी, उनकी मार का मुझ पर कोई असर नहीं होता था, आज जो कुछ हुँ मैं, उससे अच्छा तो मेरे बचपन का जीवन ही अच्छा था। बचपन पुरा हुवा बड़े हुए, जिंदगी में एक नया मोड आ गया, इस नये मोड से अच्छा तो मेरे बचपन का जीवन ही अच्छा था। आज जो कुछ हुँ मैं, उस से अच्छा तो मेरे बच...
साहित्य की देवी
कविता

साहित्य की देवी

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** हे ! महादेवी हिंदी साहित्य की तपस्विनी तुम वर्तमान कलमकारों की प्रेरणा स्रोत बनीं। नीहार में भरी रसधार प्रेम की तुम आधुनिक मीरा हिंदी साहित्य की बनीं। दुख, संवेदनशीलता तो कभी सुख व प्रसन्नता के भावों की रचनाओं में प्रकाशित मिश्रित अभिव्यक्ति बनीं। हिंदी छायावादी युग का सशक्त स्तंभ बनीं। इतना ही नहीं तुम गद्यलेखन व रेखाचित्र की भी महान हस्ताक्षर बनीं। नवीन आयामों को स्थापित करती हिंदी छायावादी युग का एक सशक्त स्तंभ बनी नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्य गीत, अग्नि रेखा, सप्तपर्णा यामा में मानो आपकी ही आत्मा हैं रची बसी। हे ! महादेवी, तपस्विनी तुम भारत माँ की स्वतन्त्रता में सहभागी बनीं। सामाजिक कल्याण, महिला उत्थान की नवल पथप्रदर्शक बनीं। तुम वर्तमान कलमकारों की प्रेरणा स्रोत बनीं। परिचय :-  प्रभ...
किरदार पुराना है…
कविता

किरदार पुराना है…

डॉ. संगीता आवचार परभणी (महाराष्ट्र) ******************** वो भी क्या जमाना था! इन्सानियत का दौर था, रिश्तों मे गहरा विश्वास था, बातों मे भी अपनापन था! बडा सुनहरा वो समा था, दोस्ती का भी मकाम था, बुजुर्गो का सही सम्मान था, उनको भी सब समान था! ये भी क्या एक जमाना है? जरूरतों का सिर्फ सामान है, बस मतलब का माहौल है, रिश्तों मे करारा मलाल है! लोग तो यूँही पूछ बैठते हैं, किस जमाने मे हम रहते हैं? रहते नये जमाने मे जरूर है! आदतों मे किरदार पुराना है! परिचय :- डॉ. संगीता आवचार निवासी : परभणी (महाराष्ट्र) सम्प्रति : उप प्रधानाचार्य तथा अंग्रेजी विभागाध्यक्ष, कै सौ कमलताई जामकर महिला महाविद्यालय, परभणी महाराष्ट्र घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने पर...
“सिरतोन म संस्कार नंदा जाही का”
आंचलिक बोली, कविता

“सिरतोन म संस्कार नंदा जाही का”

खुमान सिंह भाट रमतरा, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी बिटिया रानी महतारी ले कहिथे दाई तै तो बड भागी हो गेस वो अपन जिगर के टुकड़ा ल दुरिहा डारें, तोर मया मोर बर थोरकुन नई पल पलईस सुने हव महतारी बर लईका मन आंखी के तारा होथे फेर देखत हव मैय तो नामे हव मोर संजोए सपना म पानी फेर दे बड दिन ले मोरों एक ठन आस रीहिस सुने हव महतारी मन लईका ऊपर कोनो आंच नई आवन दे फेर ये कईसन टाईप ले लापरवाही ? महु ल तो घालो एक बार अपन छाति ले ओधा लेतेस, अऊ खंधेडीं म बिठाके धुमा लैय आतेस वो दुरूग अऊ भिलाई फेर नई ...! तहु ह दुनिया बर एक झन मिसाल बन गे वो अपने लईका के मुंह म पेरा गोंजे अऊ आनी-बानी के जिनिस चबरहा कुकर ल खावाए देखेव तोर मया ल मोर मन कलप जथे वो सिरतोन म घर अऊ परिवार दुरिहाय खातिर तैय तो बड़े जन उदिम निकाल डरें ... परिचय :- खुमान सिंह भाट पिता : श्री पुनि...
धरती पर पितृपक्ष में आए हैं
कविता

धरती पर पितृपक्ष में आए हैं

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** भारत में प्राचीन मान्यता है पितृपक्ष में यमराज पितरों को अपने परिजनों से मिलने मुक्त करते हैं इसलिए धरती पर पूर्वज आए हैं मान्यता है कि श्राद्ध करने से घर में सुख शांति पाए हैं यह समय पुण्य करने का है समस्याओं का निवारण पाए हैं पितृपक्ष आए हैं। पूर्वजों की याद लाए हैं।। आशीष भरपूर हम पाए हैं। परिवार वालों की स्मृति संजोए हैं।। जीवन से मुक्त हुए। जो शाश्वत क्रम वो हुए।। जीवन भर प्रेरणा दिए। हम सबका जीवन संजो दिए।। आज फिर छाया तुम्हारी। पूरे परिवार ने महसूस किए हैं।। कन्याओं को भोजन के रूप में। तुम्हारे पवित्र मुख में भोज अर्पण किए हैं।। परिचय :- किशन सनमुखदास भावनानी (अभिवक्ता) निवासी : गोंदिया (महाराष्ट्र) शपथ : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना पूर्णतः मौलिक, स्वरच...
प्रेम
कविता

प्रेम

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** प्रेम उम्र नहीं एहसास देखता है। प्रेम लगाव नहीं तड़प देखता है। प्रेम मुस्कुराहट नहीं आंखों में बहते अश़्क देखता है। प्रेम हमउम्र नहीं हमराही देखता है। प्रेम बहस नहीं झुकाव देखता है। प्रेम बहता हुआ पानी नहीं जलती हुई आग देखता है। प्रेम ह्रदय का रूप नहीं चेहरे का महकता स्वरूप देखता है। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, ...
कश्मीर
कविता

कश्मीर

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** कश्मीर ऋषि कश्यप की भूमि, अदिति माँ से सिंचित नगरी भारत के मस्तक की बिंदी, कश्मीर है भारत का प्रहरी ऋषि च्यवन की तपोभूमि, तनमन-रोग किया उपचार सुश्रुत संहिता की जड़ी बूटी है, मानवता को अनुपम उपहार। कश्मीर है कवि कल्हण की भूमि, जिस पर अभिमान रहा हमको 'राजतरंगिणी' की रचना कर, कश्मीरी इतिहास दिया सबको। 'पंचतंत्र 'की जन्मभूमि यह, विष्णुशर्मा के ज्ञान की नगरी धरती पर्वत और पठारों की, भारत के सम्मान की नगरी। सोमदेव की 'कथासरित्' की, देववाणी के अतुल ज्ञान की रामायण काल की 'खीर भवानी', भृगु ऋषि की' अमरेश्वर 'नगरी यह भारत की प्राचीन है नगरी, कश्मीर है भारत की देहरी इतिहास रचा इसने भारत का, कश्मीर है भारत का प्रहरी।। परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (म...
गुरुदेव
कविता, भजन

गुरुदेव

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** जय हो! महाज्ञानी गुरुदेव ज्ञानदाता। सच्चा पथ प्रदर्शक भगवान विधाता।। सूर्य के समान चमक रहा है विद्याधर। साक्षात अंतरात्मा को प्रकाशित कर।। अबोध बालक में जागृत किया बोध। विशेषज्ञ बन किए वृहद नवीन शोध।। ज्ञानी गुरु जड़ बुद्धि में ला देता चेतन। प्रेरणा से लक्ष्य का करवाता है भेदन।। मन में जगा देता है सीखने की इच्छा। मूल्य निर्धारण के लिए लेता परीक्षा।। नैतिकता और संज्ञान में बनाता प्रवीण। खेल, नृत्य, गीत, संगीत में करता उत्तीर्ण।। अंधकार का बनाया उज्जवल भविष्य। सत्य की पहचान कर दिखाया दृश्य।। कोविद ही लाता है जन-जन में सुधार। समाज कल्याण करता प्रभु के अवतार।। वंदना करो गुरु का चरण कमल पकड़। मांग लो तुम आशीष विवेक का जड़।। सहज मानव को योद्धा बना जीतवाता। जीवन जीने की आदर्श कला सिखाता।। परिचय : अशोक कुमार ...
कुरुक्षेत्र
कविता

कुरुक्षेत्र

सीमा रंगा "इन्द्रा" जींद (हरियाणा) ******************** धर्म युद्ध का शंखनाद बज उठा काल चक्कर चला ऐसा यहां पर ऐसा धर्म चक्र चलाया श्री कृष्ण ने पांच पड़े सौ पर भारी यहां पर ज्योतिसर में दिया गीता उपदेश धर्म की खातिर छिड़ा ऐसा युद्ध यहां पर ब्रह्मसरोवर, शक्तिपीठ, थानेश्वर मंदिर तीर्थ, सरोवरों से भरी धरा यहां पर सांस्कृतिक विरासत समेटे हुए मारकंडा, सरस्वती की बहती धारा यहां पर उगाता गेहूं, बासमती चावल प्रदेश ये मिटती जनमानस की भूख यहां पर रौनक रहती साधु-संतों की हमेशा देश-विदेश से आते पर्यटक यहां पर लाल मिट्टी की बात अनोखी बताती भू शौर्य की गाथा यहां पर गिना जाता पावन नगरी में इसे अभिषेक करने आते सभी यहां पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की बात अनूठी विद्यार्थियों के ज्ञान का भंडार यहां पर परिचय :-  सीमा रंगा "इन्द्रा" निवासी :  जींद (हरियाणा) ...
बसेरा होगा
कविता

बसेरा होगा

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** चहकने दो मुझे आंगन में झूलती बेलो के साथ। दौड़ने दो मुझे देहरी के उस पार बहने दो मुझे निर्बाध गति से कल-कल मत बांधो हमें चहकनदो, दौड़ने दो हमें। फूलों से आंगन सजेंगे कल-कल करता जल धरा को सींचेगा हरित करेगा श्यामला धरा को हरियाली नाचेगी टेसू फूलेंगे रवि वर्ण में बिखरेंगे बसंत बहार में फूलों से आंगन सजेंगे। काटो मत वृक्षों को कहीं पंछी ठौर होगा किल-किल का कलरव होगा चुग्गा चुगने मुंह खोलता होगा चहक-चहक चिड़िया गाती होगी कोयल कूक सुनाती होगी काटो मत उसे वह किसी का बसेरा होगा। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर...
हिंदवासी तुम हिंदी बोलो
कविता

हिंदवासी तुम हिंदी बोलो

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** ज्ञान की भाषा हिंदी है विज्ञान की भाषा हिंदी है जन मन के संप्रेषण के कौशल की भाषा हिंदी है। मीरा की भाषा हिंदी है कबीरा की भाषा हिंदी है गीत संगीत और महाकाव्य को गढ़ती भाषा हिंदी है। पूरब की भाषा हिंदी है पश्चिम की भाषा हिंदी है उत्तर से दक्षिण तक के विस्तार की भाषा हिंदी है। शासन की भाषा हिंदी है शिक्षण की भाषा हिंदी है रविंद्रनाथ के जन-गण में गूंज रही भाषा हिंदी है। दर्शन की भाषा हिंदी है प्रदर्शन की भाषा हिंदी है मन में भावों के कोपल के अंकुरण की भाषा हिंदी है मेरी भाषा हिंदी है तेरी भाषा भी हिंदी है भारत के जनजीवन की गौरव गाथा भी हिंदी है फिर क्यों हमने भुलाई हिंदी है पर भाषा की लगाई बिंदी है भूल गए हम सब पल में रिश्तों की भाषा हिंदी है। भाषा की रानी हिंदी है फिर भी बेगानी हिंदी है अपने...
यही तो है हिन्दी
कविता

यही तो है हिन्दी

प्रमेशदीप मानिकपुरी भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़) ******************** हिंदुस्तान की पहचान जो जन गण का अभिमान जो भावो की है जो आरती यही तो है हिन्दी ग्रंथो का आधार जो सुरसरी की धार जो भारत माता की बिन्दी यही तो है हिन्दी गीत, गजल और कविता पर्वत, सागर और सरिता समृद्धि की पहचान जो यही तो है हिन्दी भारतीयो की अस्मिता भाव से सदा सुपुनीता आवाम की आवाज जो यही तो है हिन्दी आन, बान, शान है सबका स्वाभिमान है संस्कृति की करे आरती यही तो है हिन्दी मन के सभी भावो मे कंही चंचल कंही ठहराव मे समृद्ध जो है समुद्र सा यही तो है हिन्दी व्याकरण से प्रबुद्ध जो सात्विक और शुद्ध जो सुवासित है जो अलंकार से यही तो है हिन्दी भिन्न-भिन्न राग रंग मे जीवन के प्रत्येक रंग मे संस्कार की झलक जिसमे यही तो है हिन्दी भारत की मातृभाषा बने देश एकता के रंग मे सने बने देश का अब शान...
अधरों की अमर वाणी है हिन्दी
कविता

अधरों की अमर वाणी है हिन्दी

उषाकिरण निर्मलकर करेली, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** मेरे नन्हें अधरों की किलकारी है हिन्दी। हर तोतली आवाज में, बड़ी प्यारी है हिन्दी। जवां हुई जो मेरे संग-संग हाँ, मेरा हमसफर, मेरा हमराही है हिन्दी। मेरी आन, मेरा गुरुर, मेरा अभिमान है हिन्दी। मेरा नाम, मेरा काम, मेरी पहचान है हिन्दी। ये मेरा व्यक्तित्व है, अस्तित्व है मेरा, और मेरे लिए तो मेरा हिंदुस्तान है हिन्दी। सबको अपनें आँचल में समेटे हुए, संस्कृत से जन्मी, मॉं का अवतार है हिन्दी। अनुपम, अलंकृत, अनमोल, अनुशासित, और पूर्ण परिभाषित संस्कार है हिन्दी। मानों चिरकाल से चिरपरिचित, चिरस्मरणीय, चिरयौवना और चिरस्थायी है हिन्दी। हर रूप में है अति सुशोभित, कभी दोहा, कभी छंद, कभी चौपाई है हिन्दी। सुरभित सुमन की भाँति महकती, साहित्य की शुभाषितानी है हिन्दी। शब्दों का जो अथाह सागर है, अधरों की अमर वाणी ...
पित्तर
आंचलिक बोली, कविता

पित्तर

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** जियत ले दाई ददा ला पानी बर तरसाये, मरे मा पित्तर मनावत हस, बरा सुहारी खुरमी बनाके, काउआ ला तै खिलावत हस ! वा रे जमाना ते काउआ ला ददा बनावत हस ! जनमदिस परवरिश करिस तेला ते बुल जावत हस, जइसे करबे वइसे पाबे यही कहानी बनावत हस ! वा रे जमाना ते काउआ ला ददा बनावत हस ! जियत ले ते रोज लडे, काली अइस ते बाई के चक्कर मा आये, दाई ददा के खाना पीना ला बंद कराय पापी में तुहु अब गिन्ती आये ! जियत ले खाये बर तरसाय मरे मा गांव गांव ला नेवता देवत हस, वोकरे धन संपत्ति ला रख के होशियारी देखावत हस.! वा रे जमाना ते काउआ ला ददा बनावत हस.! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी : मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्...
हरि अनंत हरि कथा अनंता
कविता, भजन, स्तुति

हरि अनंत हरि कथा अनंता

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** हरि अनंत हरि कथा अनंता, रामायण है गाती। श्री हरि की महिमा का वर्णन, रामचरित बतलाती। हे अनंत हे कृपासिंधु प्रभु, सब जन शरण तुम्हारी। भव बंधन को दूर करो तुम, रखना लाज हमारी। भाद्र मास की चतुर्दशी को, शुक्ल पक्ष जब आता। सारा जनमानस नत होकर, तुमको शीश झुकाता। चतुर्दशी तिथि है अति पावन, है अनंत का पूजन। चौदह गाँठ लगा धागे में, बाँह बाँधता जन-जन। कथा सुनाते नारायण की, अनंत चतुर्दशी प्यारी। वेद पुराण सभी गाते हैं, श्री हरि महिमा न्यारी। जो ध्याता अनंत फल पाता, भवसागर तर जाता। जो हो जाता लीन आप में, दुख कलेश हर जाता। रहते शेषनाग सैया पर, जग के पालन करता। चरण शरण प्रभु रहूँ आपकी, सब सुख मंगल करता। शुभ आशीष आपका पानें, पूजन सब करते हैं। हैं अनंत, प्रभु सबकी झोली, खुशियों से भरते हैं। ...
हिन्दी हमारा अभिमान है
कविता

हिन्दी हमारा अभिमान है

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** हिन्दी में ही व्याकरण है हिन्दी से ही आचरण है। हिन्दी से ही सरल,सहज हर समस्या का निराकरण है।। हिन्दी भाषा हमारी शान है हिन्दी से ही हमारा सम्मान है। छंद,रस,अलंकार से सुसज्जित हिन्दी हमारा अभिमान है।। हिन्दी हमारी मातृभाषा है हिन्दी जीवन की आशा है। परचम लहराए हिन्दी का हम सबकी यही पिपासा है।। हिन्दी हम सबके लिए खास है इनसे बढ़ता आत्मविश्वास है। हिन्दी से सात सुरों का सरगम सुरीली नगमों का साजोसाज है।। बड़ी प्यारी भाषा है हिन्दी सबके मन भाती है हिन्दी। लगती सुरीली भाषा हिन्दी जैसे सजे माथे की बिन्दी।। परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" निवासी -  गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।...
भारत के मस्तक की बिंदी है हिंदी
कविता

भारत के मस्तक की बिंदी है हिंदी

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** भारत मांँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी। भारत मां का अलंकार है हिंदी, भारत मांँ का शीश सुशोभित करती है हिंदी, देव-भाषा की अनमोल कृति है हिंदी, भारत मांँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी। जन -गण-मन की शक्ति है हिंदी, भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति है हिंदी, नन्हे मुन्नो की बोली है हिंदी विद्वानों की विद्वता को परिभाषित करती है हिंदी जब-जब इस पर संकट की परछाईं भी दिखती, कलमकारों की कलम से निकली हर हुंकार हिंदी रक्षण में आंदोलन करती, भारत मांँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी। भाषाओं में सर्वोपरि राष्ट्रभाषा है हिंदी जन-गण-मन में रची बसी है हिंदी हर भारतवासी को एक सूत्र में बांधती है हिंदी, भारत मांँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी। परिचय :-  प्रभात कुमार "प्रभात" निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत शिक्षा :...
हिन्दी भारत की शान
कविता

हिन्दी भारत की शान

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** हिंदी की बोली में मिठास है सबको अपनी सी लगती है सात सुरों में झंकृत होती हिन्दी सबके मन को भाती हिन्दी अंग्रेजी शिक्षा बनी है जरूरत ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बड़ी नयी पीढ़ी के बच्चों को बताना हिन्दी से उनका रिश्ता है गहरा हिन्दी हमारे भारत की शान है भारतीयों का अभिमान हिन्दी सहज सरल हमारी भाषा हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती वैज्ञानिकता से परिपूर्ण है हिन्दी हर देश की अपनी एक भाषा है हमारे भारत की पहचान हिन्दी हिन्दुस्तान के माथे की है बिंदी चौदह सितंबर के इस शुभ अवसर एक संकल्प हम सबको करना है हिन्दी का खूब प्रचार प्रसार करना हिन्दी को विश्व जगत में फैलाना है हमारी मातृभाषा है प्यारी हिन्दी जन-जन की भाषा हमारी हिन्दी अब तक है राज भाषा हमारी हिन्दी राष्ट्र भाषा पद पर इसको बिठाना है ...
विश्व शान्ति की प्रतीक हिंदी
कविता

विश्व शान्ति की प्रतीक हिंदी

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** हिंदी है हम सब की भाषा, मिलकर इसका सम्मान करो, हिंदी में संवाद कर, हिंदी का गुणगान करो, प्यार प्रेम दर्शाने वाली, करूणा की मुर्त है, एक दूसरे से जोड़ती, ऐसी इसकी सूरत है, हिंदी को दो प्राथमिकता, ताकि विचार विचार बढ़े आगे, देश के सम्मान में, हिंदी का गुणगान बढ़े आगे, अज्ञानता से निकालकर, ज्ञानी हमें बनाती है, दुनियां में जीने के, सारे ढंग दिखाती है, हिंदी जोड़ती है आपस में, समुचे भारत वर्ष देश को, हिंदी देती है सभी जनों में, भाईचारे के संदेश को, गौरव गाथा है अपार इसकी, वैभव गौरवशाली है, विश्व शान्ति की प्रतीक, भाषा यह निराली है, ऋषि मुनियों की धरती पर, हिंदी का स्थान करो ऊंँचा, पताका इसकी फहरे विश्व में, ऐसा सम्मान करो ऊंँचा, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा ...
हिंदी भाषा
कविता

हिंदी भाषा

डॉ. अर्चना मिश्रा दिल्ली ******************** हिंद देश के वासी हम चलो इसका मान बढ़ाएं हिंदी को सब लोग मिलकर क्यों ना जन-जन तक पहुंचाएं हो सर्व सुलभ हिंदी ऐसी साहित्य का ज्ञान बढ़ाएँ सब को हिंदी से प्रेम हो कुछ ऐसा करके दिखाएं दिन प्रतिदिन कुछ ना कुछ लोगों को जगाएँ हिंद के प्रति समर्पित कुछ कविताएँ, गीत, नाटक, सबको पढ़ाएँ। राष्ट्रकवि से लेकर सब कवियों की गाथा सुनाएँ । क्या रहा इतिहास इसका चलो सबको बताएँ॥ हो जयशंकर प्रसाद या प्रेमचंद, मीरा हो या रसखान हो हो कबीर चाहे, सूरदास जायसी हों या मैथिलीशरण गुप्त हो राष्ट्रवाद की भावना सबमें प्रबल रही सभी को प्रेम हिंदुस्तान से सभी की आन बान जुड़ी हिंदी से ही थी फिर से अब स्वर बुलंद होगा हिंदी का परचम घर-घर लहरेगा पढों-पढों पढ़ना ज़रूरी हैं लिखों-लिखों लिखना भी सबसे ज़्यादा ज़रूरी हैं ॥ यही नारे गूंजेंगे दिन रात ह...
हिन्दी हमारी
कविता

हिन्दी हमारी

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** हिन्दी तन है, हिन्दी मन है, हिन्दी है अभिलाषा हिन्दी ही तो है हम सबके मन से निकली भाषा शब्दों का अखंड संसार भरा हुआ है इसके अन्दर भावों को व्यक्त करने का आसार है इसके अन्दर फैशनेबुल अँग्रेजियत में तो है इक परायापन सीधी सरल हिन्दीपन में तो है सरल अपनापन सक्षम है उठाने को ज्ञान व विज्ञान का अतुल भंडार संभाले है विकट व्याकरण का विषम व्यापार हिन्दुस्तान‌ की पावन भूमि से है यह निकली मन प्राण में रमती सरकती हुई है यह चली बहती गंगा की की तरह निर्मल है हमारी हिन्दी स्वदेश के भाल पर यह सुशोभित है ज्यों बिन्दी नमन करें, शमन करें हम हिन्दी के पुरोधाओं की गायें, लिखें, पढें व डाले एक हवि हम समिधाओं की। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड....
दिल हूं हिंदुस्तान की
कविता

दिल हूं हिंदुस्तान की

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** सरल, सहज, सुमधुर वचन संस्कृत से पाया अपना जीवन सबके मन को भाती सकल जगत को मोह रही है अंक मेरे अपार शब्द राशि सहेज रही बोलियों को बन मातृशक्ति नवीन तकनीक के लगा कर पंख मैं तो उड़ चली हिंदी कहते मुझको दिल हूं हिंदुस्तान की राजभाषा बन हिंद की राष्ट्र भाषा बनने की अब तमन्ना मैं कर रही परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com ...
हंसिका
कविता

हंसिका

माधवी तारे लंदन ******************** हिंदी रूठ गई, अपनी मां से बिखरित करके केश कहे मुझे दो, बिंदी लाके तभी मैं सवांरूं केश परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com...
चौपट भविष्य
कविता

चौपट भविष्य

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** बंद हो रहे हैं स्कूल, अब मेरे गांँव में, बच्चे कहां जाएं पढ़ने, अब मेरे गांँव में, उजड़ जायेगा ये जीवन, बिन पढ़ाई के, कौन बच्चों को पढ़ाएगा, अब मेरे गांव में, सदियों से था बना, मेरा पिता भी इसमें पढ़ा, अब मैं कहां जाऊं पढ़ने, किस गांँव में, पिता का साया नहीं है सर पर मेरे, माँ है अकेली, कौन छोड़ने जाएं मुझे स्कूल, किस गांँव में, साथी मेरे सब चिंता में हैं डूबे हुए जब से, मुरझा गए हैं चेहेरे सब बच्चों के मेरे गांँव में, बेटियों पर भी रहम नहीं खाया है जालिम आकाओं ने, बचपन को अनपढ़ बनाने की शाजिश रची है मेरे गांँव में, थी बुनियाद पढ़ाई की ये बढ़ी, गहराई से थी जड़ी, तोड़ दी है अब पढ़ाई की, बुनियाद मेरे गांँव में, कर दिया है चौपट भविष्य हमारा, रहनुमाओं ने, बंद कर हैं रहे स्कूल, अब मेरे गांँव में, कैसे पढ...
साक्षरता की मशाल
कविता

साक्षरता की मशाल

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** साक्षरता की मशाल जलाकर नौजवानों आओ। अज्ञानता के अंधकार को मिलके सभी भगाओ। गरीब अनपढ़ बिना ज्ञान के, लूट रहे हैं साहूकार। पीढ़ी-पीढ़ी बहते जा रहे हैं अनपढ़ता के धार।। मिलके सभी आओ साथियों ज्ञानदीप जलाओ। अज्ञानता के अंधकार को मिलके सभी भगाओ। हक है उन्हें भी शिक्षा पाने का जो खेतों में हल चलाते। झोपड़ी मिट्टी के घरों में रहकर तेरे लिए महल बनाते।। मिलके सभी आओ जवानों अपना फर्ज निभाओ। अज्ञानता के अंधकार को मिलके सभी भगाओ।। कोई न हो लाचार दे दो जीवन को शिक्षा का आधार। खुशियों से उनकी दामन भरकर दे दो नया संसार।। बनके तुम शिक्षादाता हर हाथ में कलम थमाओ। अज्ञानता के अंधकार को मिलके सभी भगाओ।। परिचय :  देवप्रसाद पात्रे निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना,...