कर गुजरने की चाह रख
प्रभात कुमार "प्रभात"
हापुड़ (उत्तर प्रदेश)
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कुछ कर गुजरने की चाह रख,
राह तो मिलेंगी अवश्य
तू ह्रदय में दृढ़ संकल्प रख।
तू कुछ कर गुजरने की चाह रख।
राह मिलेंगी अनेक अवश्य
किस राह पर चलना है
यह निश्चय तू स्वयं ही कर
क्योंकि जब हृदय में
कर्म को सत्कर्म में
बदलने की होती है चाह
कदमों में आ जाती हैं
अनेक स्वर्णिम राह
कुछ कर गुजरने की चाह रख।
तू हर कदम सशक्त कर
और संभल-संभलकर रख
जब इच्छा शक्ति होगी दृढ़
मंजिल तुझे मिलेगी अवश्य,
ह्रदय में जीवनलक्ष्य साध कर,
तू कुछ कर गुजरने की चाह रख।
परिचय :- प्रभात कुमार "प्रभात"
निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत
शिक्षा : एम.काम., एम.ए. राजनीति शास्त्र बी.एड.
सम्प्रति : वाणिज्य प्रवक्ता टैगोर शिक्षा सदन इंटर कालेज हापुड़
विशेष रुचि : कविता, गीत व लघुकथा (सृजन) लेखन, समय-समय पर समाचारपत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओ...