प्यारी भाषा देश की
पंकज शर्मा "तरुण"
पिपलिया मंडी (मध्य प्रदेश)
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प्यारी भाषा देश की,
ज्यों सूरज आकाश।
जहां उदय होती करे,
जड़ से तम का नाश।।
हिंदी सी न समृद्ध है,
भाषा कोई ओर।
सकल जगत में बोलते,
हो संध्या या भोर।।
शब्दों के पर्याय का,
है हिंदी भंडार।
इसीलिए तो कर रहा,
सकल विश्व स्वीकार।।
परिचय :- पंकज शर्मा "तरुण"
निवासी : पिपलिया मंडी (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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