आदमी है ये अजब गजब
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रचयिता : दिलीप कुमार पोरवाल (दीप)
आदमी है ये अजब गजब
कोई इसे समझ नहीं पाता
संकल्प जो ये मन में लेता
काम वो अचानक कर जाता
काम काज से इसके
लोग हक्का बक्का रह जाता
मौका नहीं किसी को
ये बचने का देता l
आदमी है ये अजब गजब
कोई इसे समझ नहीं पाता
अद्भुत है इसकी क्षमता
बड़े-बड़े फैसले राष्ट्रहित में लेता
कभी जीएसटी
तो कभी नोटबंदी लाता
स्वच्छता अभियान ये लाता
पता नहीं कहां कहां की
ये सफाई कर जाता l
आदमी है ये अजब गजब
कोई इसे समझ नहीं पाता
देश प्रेमियों को ये गले लगाता
मक्कारो भ्रष्टाचारियो को
बाहर का रास्ता दिखाता
विरोधी कुछ समझ नहीं पाता
कोई इसे हिटलर
तो कोई तानाशाह बताता
बात ये मन की करता
कोई समझ पाता
कोई समझ नहीं पाता
और कोई समझ कर भी ना समझता
तो उसे फिर ये
अपनी भाषा में समझाता l
आदमी है ये अजब गजब
कोई इसे समझ नहीं पाता
क्या ट्रंप, क्या पुतिन
सबको अपना बना लेता
इमरान देखता रह जाता...