जज़्बा
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रचयिता : मीनाकुमारी शुक्ला - मीनू "रागिनी"
आँधियों जैसा जीवन मेरा तूफानों सी राहें है।
झंझावत के साथ झूमती मेरे अटल इरादे हैं।।
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जज़्बात मुझे न पिघला सकते हैं फूल न सहला सकते।
पाषाणों में पली ख़ारों में हंसने के वादे हैं।।
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उल्टी धारा में हूँ बहती लहरें मुझे क्या रोकेंगी।
चक्रवातों में फसी हुई मैं नयी राह बनाने के दावे हैं।।
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शोलों से करती श्रृंगार लहू माँगती मंजिल मेरी।
चलती जलती चट्टानों पर मेरे पैरों में छाले हैं।।
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मरघट से मैं लौट चुकी हूँ मौत न मुझ को रोक सकी।
कोई ठोकर क्या देगा मुझ को मैंने ज़ख्म खुद पाले हैं।।
लेखक परिचय :- नाम - मीनाकुमारी शुक्ला
साहित्यिक उपनाम - मीनू "रागिनी "
निवास - राजकोट गुजरात
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