Sunday, December 29राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

कविता

जीवन की नौका
कविता

जीवन की नौका

============================== रचयिता : शिवम यादव ''आशा'' ये जिंदगी है    फ़ूल, बेल, लताओ       की तरह लेने हिलोरे है लगती बहती हवाओ के सहारे गम और खुशियो के मोती पिरोकर गले में माला डाल देती है हमारे अन्तता तक जीवन में खुशियो के लिए दौड़ हम करते रहे खुद ही खुद से लड़ झगड़ कर जीवन की नौका में विहार हम करते रहे क्योंकि बहुत चलकर देख सुनकर जिंदगी के साथ अकेले के अकेले ही रहे लेखक परिचय : नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं रुचि :- अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !! काव्य संग्रह :- ''राहों हवाओं में मन " आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के ...
जिंदगी के खेल
कविता

जिंदगी के खेल

====================================== रचयिता : मित्रा शर्मा   जन्म से मृत्यु तक  कितने खेल होते है आते  वक्त रोता है इंसान जाते वक्त रुलाता है।  चिता के आग एक बार जलता  चिंता का चिता बार बार   आत्मा  उड़ जाता है जब शरीर हो जाता है जड़।  मैं और मेरा पन छोड़ दे   राग अनुराग छोड़  धन की मोह छोड़ मानव  कल्याण की दिशा मोड़ ।   भाई भाई की रिश्ता रख बदले भाव न रख   खुद बदले तो  जग बदले यह सद्भवना रख  क्या लेकर आए थे क्या लेकर जाएंगे  अच्छे कर्म से मानव जीवन सार्थक कर पाएंगे परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ...
प्रीत की रीत कही तुलसी ने
कविता

प्रीत की रीत कही तुलसी ने

********** बबिता चौबे शक्ति कि हरे रामा प्रीत की रीत कही तुलसी ने प्यारी रे हारी ... कि हरे रामा रच दियो रामचरित  मानस अति  प्यारो रे हारी रत्ना प्रेम में विह्वल होकर नाग पकड़ के तेरे रामा कि हरे रामा बोल  दिए कटु बोल बने हरि प्यारे रे हारी.... प्रेमविवस चूड़ामणि देखत धनुष तोड़ दिय राम ने रामा की हरे राम रचाये सिय से व्याव जोड़ी अति प्यारी रे रामा शबरी के घर जाए रामा जूठे बेर फल खाये रामा कि हरे रामा प्रेम की रचके रीत शरण बलिहारी   रे हारी भरत मिलाप होत रघुवर के निरखत तुलसी दास हो रामा कि हरे रामा असुउन बह रही धार मिलन बलिहारी रे हारी प्रेम विवश हनुमत रंग सिंदूरी सिया देख मुस्काये रामा कि हरे रामा परम भक्त हनुमान निहारी हारी रे हारी अहिल्या जोहत राह हो रामा पाथर जन्म निकारत रामा कि हरे रामा चरण रखत रघुनाथ  उठत बलिहारी रे हारी लेखीका परिचय :- नाम : श्रीमती  बबित...
कैनवास
कविता

कैनवास

==================================== रचयिता :  माया मालवेन्द्र बदेका दाता ने दिया था बहुत मजबूत,साफ सुथरा बुना था उसने एक मुलायम ताना बाना तांत से तांत जोड़े हंसते ओंठ मुस्कुराते नैन किलकारी ऐसी की देव भी झूमें मां की कोख में सहेजा नाजुक ह्रदय,वात्सलय भेजा था परमेश्वर ने इंद्रधनुषी रंगों के साथ भरोसा किया अपने कैनवास पर यह क्या किया ? दाता के साथ छलावा रंग भरे भी तो, कैसे कैसे छल,कपट ,लोभ,लालच मजबूत कैनवास पर कच्चे ,फरेबी रिश्ते लिख लिये उसका कैनवास और उसी के साथ छल रंग भर लेते कोई वासंती प्रीत का या हरितिमा आंनद की भरते। गुलगुले से मीठे चाशनी पगे, मौन भाव भरते। स्वार्थ मत भरते, कुछ खाली कोने में ही परमार्थ रखते। सफेद झक्क न रख पाये,काश इतना बदरंग न करते। सम्मान किया होता दाता के  कैनवास का। लेखिका परिचय :- नाम - माया मालवेन्द्र बदेका पिता - डाॅ श्री लक्षमीनारायण जी पान्डेय माता...
मुड़ना चाहती नहीं
कविता

मुड़ना चाहती नहीं

========================== रचयिता : नेहा लिम्बोदिया मुड़ना चाहती नहीं पर तुम्हारी यादें जाना चाहती नहीं पीछे खींच ही लेती है पूर्ण विराम लगा दो अब पीछे मुड़कर देखना चाहती नहीं बहुत खेला तुमने मेरी भावनाओं से ओर खेलने देना चाहती नहीं   लेखिका परिचय:- इंदौर निवासी लेखिका का नाम नेहा लिम्बोदिया है आपने पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला डी.ए.वि.वि. से बी.ए.एम.सी. किया है आप कविताओं के साथ लघु कथाये भी लिखती हैं साथ ही आप एक प्रतिष्ठित रंगकर्मी भी है आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर www.hindira...
पूछता सैनिक
कविता

पूछता सैनिक

============================== रचयिता : शिवम यादव ''आशा'' भारत वाले पूँछ रहे हैं  इन हुकूमत के दरवारों से, कब तक माँ न रोकेगी... बेटों को सरहद पर जाने से... जान गवाँकर मिला क्या उनको, मिट्टी में मिल जाने से... शौर्य पुरुष भी नहीं कहा है दिल्ली के दरबारों ने... घर अपना सूना कर डाला, वीर सपूतों लालों ने... माँ-बहने रोती हैं बिलखती बीते दिन की बातों में... सर्दी-गर्मी कुछ न देखें वो भारत माँ को जिताने में... जीतते जीतते खुद हार गया वो अपने ही अधिकारों से... भारत वाले पूँछ रहे हैं  इन हुकूमत के दरवारों से, लेखक परिचय : नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं रुचि :- अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस...
चीखें
कविता

चीखें

============================= रचयिता : संजय वर्मा "दॄष्टि" सड़कों पर पड़े गड्डों को देखकर लगता मानों धरा की त्वचा पर  रिस रहा हो घावों से खून गड्डों में गिर जाते है कई इंसान फिर सन जाती सड़कें खून से और बन जाती ख़बरें हमेशा की तरह सुर्ख़ियों में सड़क अपने घाव ठीक करने का किस्से कहे ? वो इसलिए इंसानों को गिराती है गड्डों में ताकि इंसान अपने घाव को ठीक करने के साथ दिल से निकली बददुवाएं जो होती नहीं सड़कों के लिए होती है जिनका नाम होता है अनाम जो बेसुध पड़ा है कानों में रुई ठोंसें ताकि गिरते पड़ते लोगों की चीखें उन्हें सुनाई न दे   परिचय :- नाम :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ - मई -१९६२ (उज्जैन ) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) प्रकाशन :- देश - विदेश की विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं क...
वक़्त की ठोकर
कविता

वक़्त की ठोकर

=================================== रचयिता : शिवांकित तिवारी "शिवा" वक़्त  की  ठोकर  का  शिकार  हुये  है, तबीयत ठीक है जिनकी अब वो बीमार हुये है, चट्टानों  से  मजबूत  हौसलें थे जिनके, वक़्त की मार से अब वो बेकार हुये है, हमारे  बीच  अब  तो  दोस्ती  जैसा  कुछ  नहीं  बचा, कुछ एहसानफरामोश और खुदगर्ज हमारे यार हुये है, इंसान यहां दोहरे किरदार निभा रहा, अब चोर यहां आज साहूकार  हुये है,   बाप को बात - बात पर अब आँख दिखा रहा है बेटा, आधुनिकता  की  चकाचौंध  में गायब संस्कार हुये है, लेखक परिचय :- शिवांकित तिवारी "शिवा" युवा कवि, लेखक एवं प्रेरक सतना (म.प्र.) शिवांकित तिवारी का उपनाम ‘शिवा’ है। जन्म तारीख १ जनवरी १९९९ और जन्म स्थान-ग्राम-बिधुई खुर्द (जिला-सतना,म.प्र.) है। वर्तमान में जबलपुर (मध्यप्रदेश) में बसेरा है। आपने कक्षा १२ वीं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है...
दिन चर्या है चारों धाम
कविता

दिन चर्या है चारों धाम

============================= रचयिता : डॉ. अर्चना राठौर "रचना" दिन चर्या है चारों धाम दिनचर्या है हर प्राणी  की, लगभग होती एक समान। पूजा अर्चना गुरू वंदना, प्राणायाम औ फिर व्यायाम। सुबह से उठकर गृहिणी करती, बारी - बारी सारे काम। जब आती भोजन की बारी, वो ही बनाती भोजन पान। अन्नपूर्णा के हाथों  का, स्वादिष्ट भोजन और जलपान। छककर जीमें बच्चे-बूढे़, संग मेहमान और मेजबान | कहीं सम्हाले घर को नारी , कहीं सम्हाले दोनो काम। बच्चे स्कूल कॉलेज हैं जाते, और पतिदेव अपने काम। पढ़लिख दिन भर मेहनत करके, जब आवे वे घर को शाम। मात - पिता और दादा-दादी संग, सब मिल बेठे इक ही धाम। भोजन कर अपने कक्षों में, सब होते जब अंतर्धान। वह बच्चों को पूर्ण कराती, विद्यालय से मिला जो काम। गृहकार्य से निवृत्त होकर, तब लेती है वो विश्राम। सुखद स्नेहिल परिवार की, धुरी है नारी सुबहोशाम...
ये क्या हुआ कब हुआ कैसे हुआ
कविता

ये क्या हुआ कब हुआ कैसे हुआ

============================= रचयिता : श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' भारत मां का मुकुट आज साफ हुआ पूर्ण स्वतंत्रता का आज शंखनाद हुआ टूट गए तोड़ने वालेऐसा चमत्कार हुआ बंधनों से आज कश्मीर आजाद हुआ वो स्वार्थी की चालों का  शिकार हुआ अपना होकर भी बरसों से पराया हुआ ढूंढता रहा मृग कस्तूरी को इधर-उधर हल पाया  जब आत्म विश्वास हुआ कितने ही वीर शहीद जिस पर कुर्बान हुए कितने हुए बेघर कितने बेजान हुए दहशतों के साए में, गुनाह बेशुमार हुए कश्मीर के सपने तबकहीं साकार हुए लेखिका परिचय :- नाम - श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि' शिक्षा - एम.ए.अर्थशास्त्र, डिप्लोमा इन संस्कृत, एन सी सी कैडेट कोर सागर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय दार्शनिक शिक्षा - जैन दर्शन के प्रथम से चतुर्थ भाग सामान्य एवं जयपुर के उत्तीर्ण छहढाला, रत्नकरंड - श्रावकाचार, मोक्ष शास्त्र की विधिवत परीक्षाएं उत्तीर्ण अन्य शास्त्र अध्ययन...
कहावतों की कविता – 2
कविता

कहावतों की कविता – 2

=============================== रचयिता : विनोद वर्मा "आज़ाद" ऐसी करनी ना करे जो करके पछताय, ओछों के ढिंग बैठकर अपनी भी पत जाय, अंधा तब पतियाए जब दो आंखें पाए अंधी पीसे ने कुत्ती खाय।           000000 उतावला सो बावला बनना, उधार तापना बैर बिसाहना, उंगली पकड़कर पौचा पकड़ना, उधार का खाना फूस का तापना।           000000 अर्थ :- *ऐसा कार्य न करो जिससे बाद में पश्चाताप करना पड़े। *ओछे व्यक्तियों की संगत से भले व्यक्ति की लाज भी समाप्त हो जाती है - अर्थात संगत का असर आदमी पर अवश्य पड़ता है। *अंधे को तबही विश्वास होगा जब उसे दिखाई देने लगे - अर्थात जांच - परख कर ही असलियत जानी जा सकती है। *सोच-समझकर कार्य न करने वाले का सदैव नुकसान होता है।            000000 *जल्दबाजी में कार्य करने वाला मूर्ख बनता है। *उधार लेने-देने में आपसी प्रेम समाप्त हो जाता है। *धीरे-धीरे करीब जाने का प्रयास। *जिस प्रक...
बिटियाएँ ओझल
कविता

बिटियाएँ ओझल

============================= रचयिता : संजय वर्मा "दॄष्टि" एक तारा टुटा आँसमा से धरती पर आते ही हो गया ओझल ये वेसा ही लगा जैसे गर्भ से संसार में आने के पहले हो जाती है बिटियाँ ओझल । तारा स्वत:टूटता इसमे किसी का दोष नहीं मगर गर्भ में कन्या भ्रूण तोड़ने पर इन्सान होता ही है दोषी । चाँद -तारों का कहना है कि भ्रूण हत्या होगी जब बंद तो बिटियाएँ भी धरती पर से हमें निहार पायेगी चाँद -तारों सा नाम पाकर संग जग को भी रोशन कर पायेगी । आकाश से टुटाता आया  तारा लाया था एक संदेशा - भ्रूण हत्या रोकने का उससे नहीं देखी गई ऊपर से ये क्रूरता । वो अपने साथी तारों को भी ये कह कर आया- तुम भी टूट कर  एक -एक करके मेरी तरह भ्रूण हत्या रोकने का संदेशा लेते आओ । कब तक नहीं रोकेगें क्रूर इन्सान भ्रूण हत्याए संदेशा पहुँचे या न पहुँचे पर रोकने हेतु ये हमारा आत्मदाह है ...
मानसून देरी से आ रहा है
कविता

मानसून देरी से आ रहा है

=============================== रचयिता : विनोद वर्मा "आज़ाद" मालवांचल की कुछ प्रचलित मान्यताएं जिसे आज भी जिया जा रहा है। (गुमनामी की ओर बढ़ती हमारी परम्पराएं) मानसून देरी से आ रहा है इस बार मानसून देरी से आने के कारण ग्रामीण अंचलों में उथल-पुथल सी स्थिति निर्मित होने लगी। किसान का ध्यान आसमान और हवाओं की नमी पर लगा रहा तो व्यापारी भी अच्छे व्यापार की आस में आमजनों में घुलने-मिलने निकल पडे..... गरीब के लिए दो जून की भोजन व्यवस्था की चिंता तो पंडित जी का भी ध्यान अपनी पंचांग पर लगा रहा,उंगली के पोर की गणना बार-बार उलझा रही है। इन सबके बीच गरीबों की बस्ती से हमेशा की तरह निःस्वार्थ अपनी संस्कृति और उसके राग छेड़ना शुरू करती है कन्याएं व अच्छी बारिश की शुद्ध मन से प्रार्थना करती है। बहुत दिनों के बाद बनेडिया गांव में ऐसी ही बस्ती की कुछ कन्याएं मिट्टी का घर बना उसमें में...
रिश्वत ! पर कुछ बोल
कविता

रिश्वत ! पर कुछ बोल

============================== रचयिता : शिवम यादव ''आशा'' ! जनाब ! रिश्वत माँगी नहीं दी जाती है जब तक अपनी दी हुई रिश्वत से अपने ही इशारों पर सारे काम होते रहें, हम मुँह खोलने की कोशिश भी नहीं करते हैं बङी रिश्वत देने वाला तुम्हारे काम को रोककर अपना काम करवा या नौकरी पा लेता है उस दिन हम रिश्वत का ढिंढौरा पीटने लगते हैं ओ रिश्वत की साए में पलने वाले जनाब अब जरा अपने दिल पर हाथ रखिए कितने योग्य लोग आपकी रिश्वत के तले अपनी योग्यता साबित नहीं कर पाए और आप रिश्वत के दम पर यहाँ तक चले आए कितनों के दिल दुखाए हैं आपकी रिश्वत ने ये आपको नहीं पता ये हम आम लोगों से पूँछों..... लेकिन हकीकत ये है इस रिश्वत को पालते भी हम हैं और मिटाने की कोशिश भी करते हम हैं पोषते भी हम हैं इसको बलवान भी हम बनाते है जिस दिन रिश्वत की छुरी खुद पर चल जाती है उस दिन इसे कोशते भी हम हैं रिश्वत अच्छी भी है ...
देश शत शत नमन
कविता

देश शत शत नमन

=================================== रचयिता : शिवम यादव ''आशा''  दे दिया है वतन तुमको अपना जनम बह रहे हैं लहू में मेरे अब सारे ये गम देश पर हैं कर रहे प्राण न्योछावर अब हम देश की सरहद हो चाहें    चाहें हो दुश्मन की दम           पैर पीछे हम न रखेंगे भले मौत को गले लगा लें हम    देश तुझको कर रहा हूँ नई पीढ़ी के अब हवाले हम      वीर कुछ हैं नए नवेले इनका मार्गदर्शन करना अब तुम छोड़ कर अब जा रहे हैं भारत माँ के गोद में हम माफ़ करना देश मेरे मुझको है तुम्हें लाखों कोटि शत शत नमन लेखक परिचय : नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं रुचि :- अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस...
विरह की ज्वाला ने
कविता

विरह की ज्वाला ने

========================================== रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर कहीं विरह की ज्वाला ने, मेरे अंतस से निकस तुम्हारे मन में डेरा डाला होगा। आह!  आज दिन काला होगा।...। तुमने तो मुड़कर नहीं देखा, शब्दों में बस भाव पिरोए। यादों में नीरस गए सावन, नैन, मेघ बन दिन भर रोए।। क्या-क्या स्मृति लाऊं तुमको, आह!  रुदन में हाला होगा।...। उस पथ पर मैं आज खड़ा हूँ जहां चैन पाते थे नैना। निरख-निरख कर भेद छुपाते, नहीं बताते थे मन बैना।। ऑखो में पल तैर गए हैं, आह! हृदय मतवाला होगा।...। अंदर तक झकझोर रही है, धड़कन भी सहमी-सहमी है। अब तक कह पाये ना तुमसे, आज मगर, कहनी-कहनी है।। पिछले जन्मों का कुछ तूने, आह ! नेह संभाला होगा।...।। परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं...
बेटी बचा लो, बेटी पढ़ा लो, 
कविता

बेटी बचा लो, बेटी पढ़ा लो, 

============================== रचयिता : इंजी. शिवेन्द्र शर्मा बेटी बचा लो, बेटी पढ़ा लो, करो तुम बेटी का सम्मान। बेटी से ही होत है , हम सबकी पहिचान। बेटी- बेटा में फर्क क्यों, जब हैं दोनों संतान। हक बराबर दोनों का, हो दोनों का उत्थान। विकृत सोच है मानव की, जो इनमें भेद कराती है। सृष्टा और नियंता की, रचना पर प्रश्न उठाती है। सृष्टि का बीज मंत्र है यह, इसकी रक्षा करनी होगी। प्रकृति का सौंदर्य है यह, इसकी पूजा करनी होगी। लेखक परिचय :-  नाम - इंजी. शिवेन्द्र शर्मा आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल प...
दोस्ती क्या है..?
कविता

दोस्ती क्या है..?

================================= रचयिता :  राम शर्मा "परिंदा" मुझसे न पूछो दोस्ती क्या है दोस्ती खुशियों का दरिया है कठिन काम भी हो जाता है बस मेरे दोस्तों का जरिया है दोस्ती ईश्वर की बड़ी देन है दोस्तों यह मेरा नजरिया है हर राज खुल जाते उनके दूूरी ना जिनके दरमियां है जग में वह सबका सखा है दिल में जिसके प्रेम-दया है उस पर सहज यकीं न करे दोस्ती में जो नया - नया है आओ दोस्ती के गुलशन में 'परिंदा' दोस्ती की बगिया है ।। परिचय :- नाम - राम शर्मा "परिंदा" (रामेश्वर शर्मा) पिता स्व जगदीश शर्मा आपका मूल निवास ग्राम अछोदा पुनर्वास तहसील मनावर है। आपने एम काम बी एड किया है वर्तमान में आप शिक्षक हैं आपके तीन काव्य संग्रह १ परिंदा, २- उड़ान, ३- पाठशाला प्रकाशित हो चुके हैं और विभिन्न समाचार पत्रों में आपकी रचनाओं का प्रकाशन होता रहता है, दूरदर्शन पर काव्य पाठ के साथ-सा...
हुआ सो हुआ
कविता

हुआ सो हुआ

=================================== रचयिता : पवन शर्मा "हमदर्द" चौकीदार को चोर बनाया, राफेल का गीत सुनाया, जनता को खूब बरगलाया, फिर भी हाथ कुछ नहीं आया, मोदी जी ने ३०० का आंकड़ा छुआ खेर जाने दो "हुआ सो हुआ"।। सुप्रीम कोर्ट में बोला झूठ, एयर स्ट्राइक पर मांगा सबूत, सब जगह से पार्टी हारी, और अमेठी से हारा खुद, इज्जत का तो बुरा हाल हुआ। खैर जाने दो "हुआ सो हुआ"।। गठबंधन ना कर पाया काबू, देखते ही रह गए चंद्रबाबू, हर तरफ हुई जगहंसाई, राज्य में अपनी भी सीट गवाई, ना दवा काम आई ना दुआ। खेब जाने दो "हुआ सो हुआ"।। जो मोदी को चोर बता रहे थे, तौहमतें उन पर लगा रहे थे, जनता ने कर लिया चुनाव, उल्टे पड़ गए सारे दांव, सिल दिए सभी के होठ, बिन सुतली बिन सुआ। खैर जाने दो "हुआ सो हुआ"।। अपनी हार को भाप गया, इसलिए वायनाड भाग गया, पार्टी की हुई बहुत बुरी गत, अपनी भी खूब करवाई फजीहत, खुद ही गिर गए उसमें, मोद...
लो अब मैं चीख़कर कहता हूं प्यार हुआ है मुझे
कविता

लो अब मैं चीख़कर कहता हूं प्यार हुआ है मुझे

=================================== रचयिता : शिवांकित तिवारी "शिवा" अजब सा नशा छाया है और खुमार हुआ है मुझे, लो अब  मैं  चीख़कर कहता हूं प्यार हुआ है मुझे, रात  भर  अब करवटें बदल कर सोने लगा हूं, हां अब उसका बनकर उसमें ही खोने लगा हूं, बेचैन रहती है  नज़रे  मेरी तुझे  देखने  की  खातिर, इश्क़-ए-सफ़र के सफ़र का हूं मैं बेपरवाह मुसाफ़िर, संवारने लगा खुद को जबसे तेरा दीदार हुआ है मुझे, लो  अब  मैं  चीख़कर  कहता  हूं प्यार  हुआ है मुझे, तेरी  तस्वीर अब मैं अपने  सीने से लगा कर रखता हूं, तेरी जुल्फें,आंखे और लबों को निहार कर निखरता हूं, अगर तू इश्क़-ए-दवा है तो अब बुख़ार हुआ है मुझे, लो अब  मैं  चीख़कर कहता हूं प्यार  हुआ  है  मुझे, लेखक परिचय :- शिवांकित तिवारी "शिवा" युवा कवि, लेखक एवं प्रेरक सतना (म.प्र.) शिवांकित तिवारी का उपनाम ‘शिवा’ है। जन्म तारीख १ जनवरी १९९९ ...
रूहें भटकती
कविता

रूहें भटकती

=============================================== रचयिता : संजय वर्मा "दॄष्टि" प्यार के हंसीं पल समय के साथ खिसक जाते जैसे रेत  मुठ्ठी से खिसकती निशा विस्मित नजरों  से देखते वो स्थान जो अब अपनी पहचान खो चुके दरख़्त उग आए इमारते  ऊँची हो गई खिड़कियां चिड़ा रही सड़कें हो गई  भूल भुलैया प्रेम- पत्र के कबूतर मर चुके आँखों से ख्वाब का पर्दा उम्र के मध्यांतर पर गिर गया कुछ गीत बचे वो जब भी  बजे दिलों के तार छेड़ गए प्यार के हंसी पल वापस रेत मुठ्ठी में भर गए दिल से ख्वाब हटते नहीं शायद रूहें भटकती इसलिए क्योंकि उन्होंने कभी प्यार का खुमार लिपटा  हो परिचय :- नाम :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ - मई -१९६२ (उज्जैन ) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) प्रकाशन :- देश - विदेश की विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचा...
वन्दे भारत
कविता

वन्दे भारत

============================================ रचयिता : वन्दना पुणतांबेकर अखण्ड भारत का सपना साकार हुआ। लाखो वीरो की कुर्बानी से। कश्मीर लहू से लाल हुआ। उन वीरो की कुर्बानी से देखो चमन बाहर हुआ। शंखनाद बज उठा भारत मे। ऐसा वीर प्रताप हुआ। सत्य सैलाब के लोकतंत्र से। कश्मीर फिर गुल,गुलशन,गुल्फाम हुआ। तिरंगे की आन,बान,शान,का। लोकतन्त्र में भारत का सम्मान हुआ। तिरंगे का गौरव महान हुआ। अखण्ड भारत का सपना साकार हुआ। परिचय :- नाम : वन्दना पुणतांबेकर जन्म तिथि : ५.९.१९७० लेखन विधा : लघुकथा, कहानियां, कविताएं, हायकू कविताएं, लेख, शिक्षा : एम .ए फैशन डिजाइनिंग, आई म्यूज सितार, प्रकाशित रचनाये : कहानियां:- बिमला बुआ, ढलती शाम, प्रायचित्य, साहस की आँधी, देवदूत, किताब, भरोसा, विवशता, सलाम, पसीने की बूंद,  कविताएं :- वो सूखी टहनियाँ, शिक्षा, स्वार्थ सर्वोपरि, अमावस की रात, हायकू कविताएं...
हरेक वेद में वही – वही पुराण में है
कविता

हरेक वेद में वही – वही पुराण में है

=========================== रचयिता : रशीद अहमद शेख लेखक परिचय :-  नाम ~ रशीद अहमद शेख साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, आलेख आदि। प्रकाशन ~ अब तक लगभग दो दर्जन साझा काव्य संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। पांच काव्य संकलनों का संपादन किया है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार ~ विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थानों द्वारा अनेकानेक सम्मान व अलंकरण प्राप्त हुए हैं। विशेष उपलब्धि ~ हिन्दी और अंग्रेजी का राज्य प्रशिक्षक तथा जूनियर रेडक्रास का राष्ट्रीय प्रशिक्षक रहे। ...
लोकतंत्र जयघोष हुआ
कविता

लोकतंत्र जयघोष हुआ

========================================== रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर केशर क्यारी महक उठी है, लोकतंत्र जयघोष हुआ। नागों के फन कुचल दिए है। तन-मन में उठ जोश हुआ।।.. देश की सीमा में होकर भी, सौतेला व्याहार रहा। भारत मां के बच्चों का पर, सदा अनोखा प्यार रहा।। विषधर के सब दांत निकाले, दूर-दूर विषदोष हुआ।।... केशर क्यारी महक उठी है, लोकतंत्र जयघोष हुआ।।.. परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी केन्द्र से कई बार प्रसारण, कवि सम्मेलन में भी सहभागिता रही है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirak...
फ़िर से शेर दहाड़ा है
कविता

फ़िर से शेर दहाड़ा है

==================================== रचयिता : डॉ. बी.के. दीक्षित काश्मीर की घाटी में फ़िर से शेर दहाड़ा है। आतंकी बिल में छुपे हुए है,ढंग से उन्हें पछाड़ा है। कल तक जो गुर्राती थी,हाथ जोड़ कर कहती है। घर में हो गई नज़रबन्द, आंखों से नदिया बहती है। भौंक रहे हैं नहीं कहीं भी,,,,,श्वान आज कश्मीर में। स्वाद नहीं आ रहा उन्हें अब पकवानों या खीर में। घोर विरोधी भी होकर जो ,,,,,,,एक साथ गुर्राते थे। नफ़रत फ़ैलाकर नेता,,,, वो देशभक्त कहलाते थे? खुद की संतानों को जिनने,,, बड़ा किया विदेशों में। खौफ़ जहर की खेती करके,फ़सल उगाई खेतों में। हिन्दू मुस्लिम कभी न लड़ते,लड़ती सदा सियासत है। चैन अमन अब लौटेगा,,,,,,क्यों कहते हो आफ़त है? अमित शाह, मोदी जी की जोड़ी के हाल निराले हैं। पहली बार लगा है सबको,,,ये भारत के रखवाले हैं। पैंतीस ए तो ख़त्म हो गई,राज्य केंद्र के आधीन हुआ। पूरी तरह कश्मीर हमारा,समझो ...