जिंदगी बख्शी जिसने
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माया मालवेन्द्र बदेका
उज्जैन (म.प्र.)
जिंदगी बख्शी जिसने, उसका एहसान अता कर।
रब देता है छप्पर फाड़, करता नहीं वो जता कर।
नसीब तो जो लिखे उसने सबके कर्मो की मानिंद।
सजा दे या रिहाई उसका फैसला, तू बात पता कर ।
मयस्सर न होती किसी को कभी आसमां सी बुलंदी।
गम दिये होंगे किसी को तूने, अब न ऐसी खता कर।
जन्नत से जहन्नुम तक का सफर बड़ा ही पेचिदा है।
दिलजमई की गुंजाइश ही नहीं किसी को सता कर।
बड़ी बेरूखी बे-अदबी से रुसवा कर देते हैं दर से।
बेहिसाब बनाये है इंसान, रब ने अलग सी कता कर।
पाने के लिये सितारों से आगे और भी बहुत है माया।
छोड़ दे सारे गुमान लालच, बस साथ अपनी मता कर।
लेखिका परिचय :-
नाम - माया मालवेन्द्र बदेका
पिता - डाॅ श्री लक्षमीनारायण जी पान्डेय
माता - श्रीमती चंद्रावली पान्डेय
पति - मालवेन्द्र बदेका
जन्म - ५ सितम्बर १९५८ (जन्माष्टमी) इंदौर मध्यप्रदेश
शिक्षा - एम•...