दीप बन जाएं
श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि'
इंदौर म. प्र.
********************
आओ हम आज दीप बन जाए
आओ हम आज मिलके जल जाएं
दीप से दीप हजारों जलते हैं
साथ चलने की हम कसम खाएं
बनके जुगनू अंधेरी रातों में
ज़र्रा ज़र्रा में हम बिखर जाएं
हो गए जो पतझड़ में गुमसुम
उन चिरागों को रोशन कर डालें
टूटकर जो बिखरे 'अवनि' पर
उनके पंखों को आसमां दे दें
बनकर कुंदन तिलक बन जाएं
आओ जल जल के 'जल' बन जाए
.
लेखिका परिचय :-
नाम - श्रीमती मीना गोदरे 'अवनि'
शिक्षा - एम.ए.अर्थशास्त्र, डिप्लोमा इन संस्कृत, एन सी सी कैडेट कोर सागर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय
दार्शनिक शिक्षा - जैन दर्शन के प्रथम से चतुर्थ भाग सामान्य एवं जयपुर के उत्तीर्ण छहढाला, रत्नकरंड - श्रावकाचार, मोक्ष शास्त्र की विधिवत परीक्षाएं उत्तीर्ण अन्य शास्त्र अध्ययन
अन्य प्रशिक्षण - फैशन डिजाइनिंग टेक्सटाइल प्रिंटिंग, हैंडीक्राफ्ट ब्यूटीशियन, बेकरी प्रशिक्षण आद...