आजकल की युवा पीढ़ी
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दामोदर विरमाल
महू - इंदौर (मध्यप्रदेश)
आजकल की युवा पीढ़ी को क्या हो गया?
जागती रहती है तबतक, जब ज़माना सो गया।
जहां जाने में भी कतराते थे वो संस्कारी बच्चे,
वही जगह आजकल इनका ठिकाना हो गया।
आजकल की युवा पीढ़ी को क्या हो गया?
जागती रहती है तबतक, जब ज़माना सो गया।
पिता की मार और मां की फटकार,
नाना-नानी का दुलार, और दादा-दादी का प्यार।
अक्सर वही से मिलता था जिसे कहते है संस्कार।
मगर इनको अब अकेला ही छोड़ दो...
मगर इनको अब अकेला ही छोड़ दो...
इनको किसी का साथ नही स्वीकार।
व्हाट्सएप, फेसबुक से गहरा दोस्ताना हो गया।
आजकल की युवा पीढ़ी को क्या हो गया?
जागती रहती है तबतक, जब ज़माना सो गया।
आजकल के मां-बाप भी कम नही है।
जो हादसे हो रहे है वो बिल्कुल सही है।
ब्लुव्हेल और पब्जी की लगी है बीमारी।
टिकटोक पर दिखा रहे खूब कलाकारी।
परिवार भी इन आदतों का दीवाना हो गया।
आजकल की युवा पीढ़ी को क्या...