नूतन वर्ष
ललित शर्मा
खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम)
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जीवन है अनमोल
मूल्यवान और अनमोल
नेकविचार बनाये
भेदभाव को दूर भगाएं
समाज, देश कल्याण में बेजिझक
मिलकर सब आगे आएं,
वर्षभर के दिन, महीने और साल
लौटकर वापस अब नहीं आयेंगे
नववर्ष में आपस में वापस
फिर हम मिलते चले जायेंगे
करने को है बहुत कुछ
समाज, देश जाति के प्रगति के काज
जीवन सुख-दुख का सागर है
सद्भाव और सुविचारों से
अनमोल स्वच्छ विचार बनाएं
सबको उठाएं सबको जगाएं
सबको मिलकर बढ़ाये
समस्त जनों की खातिर
मंगल कल्याण का गीत
एकसुर में मिलकर गाये
निःस्वार्थ सेवाभावना से
निर्धन ग़रीबों असहाय के
हम मिलकर मददगार
क्यों न सभी बन जाएं,
इस महत सेवा के रास्ते में
भरा है अनन्त
असीम प्रेमप्रीतप्यार
स्नेहता का खोलता है
यह आपस में द्वार
यही दीप मिलकर जलाएं
सद्धविचार लाएं
भेदभाव दूर भगाएं
जीवन को भयमुक्त बनाएं
नए सा...